Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Set 3 will help students in understanding the difficulty level of the exam.
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 3 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश
निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका सख्ती से अनुपालन कीजिए
- इस प्रश्न पत्र में चार खंड हैं- क, ख, ग और घ।
- इस प्रश्न पत्र में कुल 16 प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- प्रश्न पत्र में आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए लिखिए।
खंड ‘क’ (अपठित बोध) (14 अंक)
इस खंड में अपठित गद्यांश से संबंधित तीन बहुविकल्पीय (1 × 3 = 3) और दो अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक (2 × 2 = 4) प्रश्न दिए गए हैं।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर लिखिए। (7)
आधुनिक युग में योग का महत्त्व बढ़ गया है। इसके बढ़ने का कारण व्यस्तता और मन की व्यग्रता है। यदि मनुष्य शारीरिक रूप से स्वस्थ है, तो वह संसार में रहकर जीवन का सुख भोग सकता है और अपने सभी कर्त्तव्यों एवं मनोकामनाओं को पूर्ण कर सकता है। शरीर ही वह माध्यम है, जिसके द्वारा हम अपने सभी कार्यों को संपन्न कर सकते हैं, इसलिए अपने शरीर को स्वस्थ रखना हमारा प्रथम कर्त्तव्य है और इसके लिए हम योग का सहारा ले सकते हैं।
योग प्राचीन समय से ही भारतीय संस्कृति का अंग रहा है। हमारे पूर्वजों ने बहुत समय पहले ही इसका आविष्कार कर इसके महत्त्व को पहचान लिया था, इसलिए योग पद्धति सदियों बाद भी जीवित है। योग करने से व्यक्ति का शरीर सुगठित और सुडौल बनता है। योग से न केवल तन की थकान दूर होती है, बल्कि मन की थकान भी दूर हो जाती है। योग करने वाला व्यक्ति अपने अंग-प्रत्यंग में एक नए उत्साह एवं स्फूर्ति का अनुभव करता है। योग करने से शरीर के प्रत्येक अंग में रक्त का संचार सुचारु रूप से होता है तथा शरीर रोगमुक्त रहता है।
(क) उपर्युक्त गद्यांश किस विषयवस्तु पर आधारित है? (1)
(i) मनुष्य की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ
(ii) प्राचीन भारतीय सभ्यता और योग
(iii) आधुनिक युग में योग का महत्त्व
(iv) हमारा खानपान और शारीरिक व्यायाम
उत्तर:
(iii) आधुनिक युग में योग का महत्त्व
प्रस्तुत गद्यांश में योग के महत्त्व को बताया गया है। कवि के अनुसार, आधुनिक युग में व्यस्तता और मानसिक व्यग्रता बढ़ गई है, जिसे संतुलित करने में योग बहुत ही आवश्यक है। योग से हमें शारीरिक व मानसिक लाभ प्राप्त होता है।
(ख) योग करने से मनुष्य को क्या लाभ होता है? (1)
(i) शरीर रोगमुक्त रहता है।
(ii) नए उत्साह व स्फूर्ति का संचार होता है
(iii) मन की थकान दूर होती है
(iv) ये सभी
उत्तर:
(iv) ये सभी
योग करने से मनुष्य को कई लाभ होते हैं। इससे शरीर रोगमुक्त रहता है, नए उत्साह व स्फूर्ति का संचार होता है। तथा मन की थकान दूर होती है।
(ग) कथन (A): आधुनिक युग में योग का महत्त्व स्वीकार किया जाने लगा है। (1)
कारण (R): आधुनिक युग में व्यस्तता और मन की व्याकुलता बढ़ने लगी है।
कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
गद्यांश में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि आधुनिक युग में योग का महत्त्व स्वीकार किया जाने लगा है, क्योंकि आधुनिक युग में व्यस्तता और मन की व्याकुलता बढ़ने लगी है। इससे बचने के लिए हम योग का सहारा ले सकते हैं। योग से न केवल शरीर की थकान दूर होती है, बल्कि मन की थकान भी दूर हो जाती है।
(घ) योग प्राचीनकाल से भारतीय संस्कृति का अंग रहा है प्रस्तुत कथन का आशय स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
प्रस्तुत कथन का आशय है कि हमारे पूर्वजों द्वारा योग का आविष्कार किया गया तथा इसके महत्व को पहचान लिया गया, इसलिए सदियों बाद भी योग पद्धतियाँ जीवित हैं। योग करने से व्यक्ति का शरीर सुगठित व सुडौल बनता है। योग से न केवल तन की थकान दूर होती है, बल्कि मन की थकान भी दूर हो जाती है। योग की उत्पत्ति वैदिक समय में ही हो गई थी, क्योंकि यह हमारे उपनिषदों पुराणों गीता और अन्य प्राचीन भारतीय ग्रन्थों में सम्मिलित है।
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश से हमें क्या संदेश मिलता है? (2)
उत्तर:
प्रस्तुत गद्यांश से हमें यह संदेश मिलता है कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए प्रतिदिन योग करना चाहिए, क्योंकि योग करने से शरीर व मन स्वस्थ रहता है। स्वस्थ मनुष्य ही संसार में जीवन का सुख भोग सकता है और अपने सभी कर्त्तव्यों एवं मनोकामनाओं को पूर्ण कर सकता है। कहा भी गया है कि पहला सुख निरोगी काया अर्थात् सबसे पहला सुख स्वस्थ शरीर ही है।
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर लिखिए। (7)
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज के अभाव में मनुष्य का सदगीण विकास बिल्कुल संभव नहीं है। लेकिन इस बात को लोग भूलते जा रहे हैं। पड़ोस सामाजिक जीवन के ताने-बाने का महत्त्वपूर्ण आधार है। दरअसल पड़ोस जितना स्वाभाविक है, हमारी सामाजिक सुरक्षा के लिए तथा सामाजिक जीवन की समस्त आनंदपूर्ण गतिविधियों के लिए वह उतना ही आवश्यक भी है। यह सच है कि पड़ोसी का चुनाव हमारे हाथ में नहीं होता है, इसलिए पड़ोसी के साथ कुछ-न-कुछ सामंजस्य तो बिठाना ही पड़ता है। हमारा पड़ोसी अमीर हो या गरीब, उसके साथ संबंध रखना सदैव हमारे हित में होता है। पड़ोसी से परहेज करना अथवा उससे कटे-कटे रहने में अपनी ही हानि है, क्योंकि किसी भी आकस्मिक आपदा अथवा आवश्यकता के समय अपने रिश्तेदारों तथा परिवार वालों को बुलाने में समय लगता है।
ऐसे में पड़ोसी ही सबसे अधिक विश्वस्त सहायक हो सकता है। पड़ोसी चाहे कैसा भी हो, उससे अच्छे संबंध रखने चाहिए। जो अपने पड़ोसी से प्यार नहीं कर सकता, उससे सहानुभूति नहीं रख सकता, उसके साथ सुख-दुःख का आदान-प्रदान नहीं कर सकता तथा उसके शोक और आनंद के क्षणों में शामिल नहीं हो सकता, वह भला अपने समाज अथवा देश के साथ भावनात्मक रूप से कैसे जुड़ेगा। विश्व बंधुत्व की बात भी तभी मायने रखती हैं, जब हम अपने पड़ोसी से निभाना सीखें।
(क) गद्यांश के अनुसार मानव स्वभाव का कौन-सा पहलू महत्त्वपूर्ण है? (1)
(i) केवल भौतिक सुखों की तलाश
(ii) अपने अधिकारों के लिए लड़ना
(iii) दूसरों की भावनाओं को समझना और उनका सम्मान करना
(iv) केवल अपनी उन्नति पर ध्यान केंद्रित करना
उत्तर:
(iii) दूसरों की भावनाओं को समझना और उनका सम्मान करना
गद्यांश के अनुसार हमें अपने आस-पास, समाज आदि की भावनाओं को समझना चाहिए व उनका सम्मान करना चाहिए, दूसरों के सुख-दुःख से भावनात्मक रूप से जुड़ना चाहिए।
(ख) ‘विश्व बंधुत्व की बात भी तभी मायने रखती है, जब हम अपने पड़ोसी से निभाना सीखें। पंक्ति के माध्यम से लेखक पड़ोसी को किसकी प्रेरणा दे रहे हैं? (1)
(i) अहंकारी संबंध रखने की
(ii) ईर्ष्या भाव रखने की
(iii) सौहार्दपूर्ण संबंध रखने की
(iv) द्वेष भाव रखने का
उत्तर:
(iii) सौहार्दपूर्ण संबंध रखने की
प्रश्न में दी गई पंक्ति के माध्यम से लेखक पड़ोसी के साथ परस्पर सौहार्दपूर्ण संबंध रखने की प्रेरणा दे रहे हैं, क्योंकि यदि हम अपने पड़ोसी से प्रेम व सहानुभूति नहीं रख सकते, उनके सुख-दुःख, शोक व आनंद के क्षणों में उनके साथ नहीं रह सकते, तो फिर हम अपने देश और समाज के साथ भी कैसे जुड़ सकते हैं। ऐसे में विश्व बंधुत्व की बात तो अर्थहीन हो जाती है।
(ग) कथन (A): बिना सामंजस्य के पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध स्थापित नहीं किए जा सकते। (1)
कारण (R): पड़ोसी के साथ सामंजस्य बनाना आवश्यक है।
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
गद्यांश के अनुसार, बिना सामंजस्य के पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध बनाना संभव नहीं है। अतः हमें अच्छे संबंध स्थापित करने के लिए हमें पड़ोसी के साथ सामंजस्य बनाना आवश्यक है।
(घ) ‘विश्वस्त सहायक’ से क्या अभिप्राय है? प्रस्तुत गद्यांश में इस शब्द का प्रयोग किस संदर्भ में किया गया है? (2)
उत्तर:
‘विश्वस्त सहायक’ से अभिप्राय विश्वास करने योग्य सहायक व्यक्ति से है। गद्यांश में पड़ोसी के संदर्भ में इस शब्द का प्रयोग हुआ है। गद्यांश में कहा गया है-पड़ोसी से परहेज करना अथवा उससे कटे-कटे रहने में अपनी ही हानि है, क्योंकि किसी भी आकस्मिक आपदा अथवा आवश्यकता के समय अपने रिश्तेदारों तथा परिवार वालों को बुलाने में समय लगता है। ऐसे में पड़ोसी ही सबसे अधिक विश्वस्त सहायक हो सकता है।
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश हमें क्या सीख देता है? (2)
उत्तर:
प्रस्तुत गद्यांश हमें यह सीख देता है कि पड़ोसी के साथ अच्छे संबंध रखने चाहिए। हमारा पड़ोसी गरीब हो या अमीर, उसके साथ अच्छे संबंध रखना सदैव हमारे हित में होता है। कोई भी आकस्मिक आपदा या विपदा में सबसे पहले पड़ोसी ही हमारा साथ देता है। यदि हम पड़ोसी से परहेज करेंगे, तो हमें ही हानि होगी। अतः हमें पड़ोसी के साथ सदैव मित्रता का व्यवहार रखना चाहिए।
खंड ‘ख’ (व्यवहारिक व्याकरण) (16 अंक)
व्याकरण के लिए निर्धारित विषयों पर अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक 20 प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें से केवल 16 प्रश्नों (1 × 16 = 16) के उत्तर देने हैं।
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘पदबंध’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘अब टुकड़ों में बँटकर एक-दूसरे से दूर हो चुका है।’ रेखांकित पदबंध का भेद है। (1)
(ख) ‘चैतन्य होते ही वह उधर बढ़ने को विवश हो उठा।’ वाक्य में सर्वनाम पदबंध को रेखांकित कीजिए। (1)
(ग) ‘ऐसी एक घटना का जिक्र सिंधी भाषा के महाकवि शेख ने अपनी आत्मकथा में किया है।’ रेखांकित पदबंध का भेद है।
(घ) ‘नूह नाम के पैगंबर रोते-बिखलते रहे’ (क्रिया पदबंध छाँटकर लिखिए।) (1)
(ङ) ‘विचारमग्न तताँरा समुद्री बालू पर बैठकर सूरज की अंतिम रंग-बिरंगी किरणों को समुद्र पर निहारने लगा।’ इस वाक्य में विशेषण पदबंध को छाँटकर रेखांकित कीजिए। (1)
उत्तर:
(क) रेखांकित पदबंध एक-दूसरे से दूर में क्रिया-विशेषण पदबंध है।
(ख) प्रस्तुत वाक्य में ‘वह उधर बढ़ने’ में सर्वनाम पदबंध है।
(ग) रेखांकित पदबंध सिंधी भाषा के महाकवि शेख में संज्ञा पदबंध है।
(घ) प्रस्तुत वाक्य में ‘रोते बिलखते रहे।’ क्रिया पदबंध है।
(ङ) अंतिम रंग-बिरंगी में विशेषण पदबंध है।
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार रचना के आधार पर वाक्य रूपांतरण पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए (1 × 4 = 4)
(क) ‘उनकी बनाई फिल्म सच्चा कवि हृदय ही बना सकता था।’ (मिश्रित वाक्य में रूपांतरित कीजिए।) (1)
(ख) ‘बड़े भाई साहब की ही उम्र में मैंने पढ़ना शुरू किया था।’ (मिश्रित वाक्य में रूपांतरित कीजिए।) (1)
(ग) हमेशा यही सवाल इसी ध्वनि में पूछा जाता था, जिसका जवाब मेरे पास केवल मौन था।’ (सरल वाक्य में रूपांतरित कीजिए।) (1)
(घ) ‘एकाएक एक ऊँची लहर उठी और उसे भिगो गई।’ (सरल वाक्य में रूपांतरित कीजिए।) (1)
(ङ) ‘मेरे जीवन में पहली बार ऐसा हुआ कि मैं इस तरह विचलित हुआ हूँ।’ (रचना की दृष्टि से वाक्य भेद लिखिए।) (1)
उत्तर:
(क) उन्होंने ऐसी फिल्म बनाई थी, जिसे सच्चा कवि हृदय ही बना सकता था।
(ख) बड़े भाई साहब ने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था, जब मैंने शुरू किया था।
(ग) हमेशा यह सवाल इस ध्वनि में पूछने पर मेरा जवाब मौन होता था।
(घ) एकाएक एक ऊंची लहर उठकर उसे भिगो गई।
(ङ) प्रस्तुत वाक्य रचना की दृष्टि से मिश्रित वाक्य है।
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘समास’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘अकाल पीड़ित’ शब्द का समास विग्रह और समास बताइए। (1)
(ख) ‘कालीमिर्च’ शब्द में कौन-सा समास है? (1)
(ग) प्रतिक्षण’ पद में प्रयुक्त समास कौन-सा है? (1)
(घ) तत्पुरुष समास का उदाहरण लिखिए। (1)
(ङ) ‘कुसुमायुध’ शब्द का समास विग्रह और समास बताइए। (1)
उत्तर:
(क) ‘अकाल पीड़ित’ शब्द का समास विग्रह ‘अकाल से पीड़ित’ तथा इसमें तत्पुरुष समास है।
(ख) ‘कालीमिर्च’ शब्द में कर्मधारय समास है।
(ग) ‘प्रतिक्षण’ पद में अव्ययीभाव समास है।
(घ) ‘विद्याप्रवीण’ शब्द तत्पुरुष समास को उदाहरण हैं तथा इसका विग्रह ‘विद्या में प्रवीण’ होगा।
(ङ) ‘कुसुमायुध’ शब्द का समास विग्रह है- ‘कुसुम है आयुध’ जिसका अर्थात् कामदेव। इसमें बहुव्रीहि समास है।
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प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘मुहावरे’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
(क) रिक्त स्थान की पूर्ति उचित मुहावरे द्वारा कीजिए। (1)
वज़ीर अली की बहादुरी और आज़ादी की भावना अंग्रेजों की _________________ खटकती थी।
(ख) आज का इंसान अपनी सुख सुविधा के लिए जैसे घर फूँक _________________ । (1)
(ग) शैलेंद्र ने फिल्म बनाने के लिए निर्माता के सामने बहुत _________________ रगड़ी पर कोई तैयार नहीं हुआ। (1)
(घ) रेखांकित अंश के लिए कौन-सा मुहावरा प्रयुक्त होगा? (1)
आज के युग में जिद्दी लोग पीछे रह जाते हैं।
(ङ) ‘नाकों चने चबाना’ मुहावरे का अर्थ बताकर वाक्य में प्रयोग कीजिए। (1)
उत्तर:
(क) आँखों में
(ख) तमाशा देख रहा है
(ग) नाक
(घ) रेखांकित अंश ‘जिद्दी लोग’ के लिए उचित मुहावरा ‘अड़ियल टट्टू’ है।
(ङ) ‘नाकों चने चबाना’ मुहावरे का अर्थ है-बहुत अधिक परेशान या दुःखी करना।
वाक्य प्रयोग चंद्रशेखर आज़ाद ने अंग्रेज़ों को नाकों चने चबवा दिए।
खंड ‘ग’ (पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक) (28 अंक)
इस खंड में पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए (1 × 5 = 5)
तताँरा एक नेक और मददगार व्यक्ति था। सदैव दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहता। अपने गाँववालों को ही नहीं, अपितु समूचे द्वीपवासियों की सेवा करना अपना परम कर्त्तव्य समझता था। उसके इस त्याग की वजह से वह चर्चित था। सभी उसका आदर करते। लोग मुसीबत के वक्त में उसे स्मरण करते और वह भागा-भागा वहाँ पहुँच जाता। दूसरे गाँवों में भी पर्व-त्योहारों के समय उसे विशेष रूप से आमंत्रित किया जाता। उसका व्यक्तित्व तो आकर्षक था ही, साथ ही आत्मीय स्वभाव की वजह से लोग उसके करीब रहना चाहते। पारंपरिक पोशाक के साथ वह अपनी कमर में सदैव एक लकड़ी की तलवार बाँधे रहता। लोगों का मत था, बावजूद लकड़ी की होने पर, उस तलवार में अद्भुत दैवीय शक्ति थी। तताँरा अपनी तलवार को कभी अलग न होने देता। उसका दूसरों के सामने उपयोग भी न करता। किंतु उसके चर्चित साहसिक कारनामों के कारण लोगबाग तलवार में अद्भुत शक्ति का होना मानते थे। तताँरा की तलवार एक विलक्षण रहस्य थी।
(क) ‘अपने गाँववालों को ही नहीं, अपितु समूचे द्वीपवासियों की सेवा करना वह परम कर्त्तव्य समझता था। लोग मुसीबत के वक्त में उसे स्मरण करते और वह भागा-भागा वहाँ पहुँच जाता।’ कथन के माध्यम से ज्ञात होता है कि तताँरा था (1)
(i) आत्मीय स्वभाव वाला, परोपकारी, कर्त्तव्यनिष्ठ
(ii) साहसी, परोपकारी, दृढनिश्चयी
(iii) विलक्षण प्रतिभा का धनी, समाज सुधारक, साहसी
(iv) कर्त्तव्यनिष्ठ, संकीर्णहृदय, आत्मीय स्वभाव
उत्तर:
(i) आत्मीय स्वभाव वाला, परोपकारी, कर्त्तव्यनिष्ठ
गद्यांश के अनुसार, लोग मुसीबत के वक्त में तताँरा का स्मरण करते और वह भागा-भागा वहाँ उनके पास पहुँच जाता था। इससे पता चलता है कि तताँरा आत्मीय स्वभाव वाला, परोपकारी और कर्त्तव्यनिष्ठ था। वह हमेशा दूसरों की सहायता करता था और दूसरों की सेवा करना अपना कर्त्तव्य समझता था।
(ख) तताँरा अपना परम कर्त्तव्य क्या समझता था? (1)
1. दूसरों की सहायता न करना
2. केवल अपने गाँववालों की सेवा करना
3. समूचे द्वीपवासियों की सेवा करना
4. अपनी तलवार की रक्षा करना
कूट
(i) केवल 1
(ii) केवल 2
(iii) केवल 3
(iv) 1, 3 और 4
उत्तर:
(iii) केवल 3
ततौरा एक नेक और मददगार युवक था, जो अपने गाँव की ही नहीं, बल्कि समूचे द्वीपवासियों की सेवा करना अपना परम कर्त्तव्य समझता था।
(ग) दूसरे गाँवों में भी पर्व-त्योहारों के समय उसे विशेष रूप से आमंत्रित किया जाता। यह तताँरा के प्रति गाँववालों का (1)
(i) मैत्रीभाव दर्शाता है।
(ii) कर्त्तव्यबोध दर्शाता है
(iii) आदर भाव दर्शाता है
(iv) अवलोकन दर्शाता है
उत्तर:
(iii) आदर भाव दर्शाता है
गद्यांश में बताया गया है कि दूसरे गाँव में भी तताँरा को पर्व त्योहारों के समय विशेष रूप से आमंत्रित किया जाता था। यह दूसरे गाँववालों का तताँरा के प्रति आदर भाव दर्शाता है। तताँरा केवल अपने गाँववालों की ही नहीं, अपितु समूचे द्वीपसमूह के लोगों की ज़रूरत पड़ने पर सहायता करता था और इसलिए दूसरे गाँवों में भी तताँरा का बहुत आदर सत्कार होता था।
(घ) कथन (A): दूसरे गाँव के लोग तताँरा का सम्मान करते थे। (1)
कारण (R): समूचे द्वीपसमूह में उसकी तलवार का आतंक था।
कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
गद्यांश के अनुसार, दूसरे गाँव के लोग तताँरा का सम्मान करते थे, क्योंकि मुसीबत के समय वह उनकी सहायता करता था। समूचे द्वीपवासियों की सेवा करना वह अपना परम कर्तव्य समझता था। अपने इस त्याग की वजह से वह चर्चित था और सभी उसका आदर करते थे। समूचे द्वीपसमूह में उसकी तलवार का कोई आतंक नहीं था, किंतु उसके चर्चित साहसिक कारनामों के कारण लोग उसकी तलवार में अद्भुत शक्ति का होना मानते थे।
(ङ) तताँरा के चर्चित व साहसिक कार्य का श्रेय गाँववाले किसे देते थे? (1)
(i) तताँरा की तीव्र बुद्धि को
(ii) तताँरा की माता को
(iii) तताँरा की तलवार को
(iv) तताँरा के स्वभाव को
उत्तर:
(iii) तताँरा की तलवार को
लोगों का मानना था कि तताँरा की तलवार में अद्भुत दैवीय शक्ति हैं, जिससे वह सभी साहसिक कार्य करता है, इसलिए गाँववाले उसकी तलवार को उसके चर्चित साहसिक कार्यों का श्रेय देते थे।
प्रश्न 8.
गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए (2 × 3 = 6)
(क) आपने मुझे कारतूस दिए, इसलिए आपकी जान बख्शी करता हूँ। (ये कहकर बाहर चला जाता है, टापों का शोर सुनाई देता है। कर्नल एक सन्नाटे में है। हक्का-बक्का खड़ा है…) आपके द्वारा इस पाठ्यक्रम में पढ़े गए किस पाठ में वज़ीर अली ने अपने वीर व्यक्तित्व का प्रमाण दिया और कैसे? (2)
उत्तर:
‘कारतूस’ पाठ में वज़ीर अली ने अपने वीर व्यक्तित्व का प्रमाण दिया। वह साहसी और दृढ़ प्रतिज्ञ व्यक्ति था। उसे अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए जान की बाजी लगानी आती थी। जंगलों में धूल उड़ाता हुआ घोड़े पर सवार बिना किसी सिपाही के अकेले ही उसने अंग्रेज़ी सेना के डेरे में प्रवेश कर कर्नल से आमने-सामने बातचीत की और उसे मूर्ख बनाकर उससे कुछ कारतूस भी ले लिए, फिर उसने यह भी बताया कि वह वजीर अली है, यह कहकर वह अंग्रेज़ी सेना के डेरे से साफ़ निकल आया। इस प्रकार वजीर अली ने अपने वीर व्यक्तित्व का प्रमाण दिया।
(ख) बहुत-से लोग घायल हुए बहुतों को लॉकअप में डाला गया, स्त्रियाँ जेल गई, फिर भी आज तो जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ। आपके विचार से यह अपूर्व क्यों है? ‘डायरी का एक पन्ना’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए। (2)
उत्तर:
‘डायरी का एक पन्ना’ पाठ के आधार पर 26 जनवरी, 1931 को जो कुछ हुआ वह अपूर्व था, क्योंकि यह बंगाल और कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि देश की स्वतंत्रता के लिए यहाँ से कोई विशेष सहयोग नहीं मिल पा रहा है वह आज बहुत अंश धुल गया और लोग सोचने लग गए कि यहाँ भी बहुत-सा काम हो सकता है। कलकत्तावासी अपने इस कलंक को मिटाने के लिए इस दिन को धूमधाम से मना रहे थे। स्वतंत्रता समारोह में स्त्री-पुरुष, लड़के-लड़कियाँ सभी उत्साहपूर्वक भाग ले रहे थे। बड़ी संख्या में लोगों का स्वतंत्रता समारोह में भाग लेना और पुलिस का डटकर सामना करना, यह देखकर ही इस दिन जो कुछ हुआ उसे अपूर्व कहा गया है।
(ग) ‘अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुःखी होने वाले प्रस्तुत पाठ हमें संवेदनशील और उदार बनने का संदेश देता है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
‘अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुःखी होने वाले’ पाठ के माध्यम से लेखक ने सुलेमान, शेख अयाज़ के पिता, नूह एवं अपनी माँ के धार्मिक, भावुक, संवेदनशील व उदार स्वभाव का उल्लेख करते हुए यह बताने का प्रयास किया है कि पहले लोगों में न केवल मानव जाति, बल्कि पशु-पक्षी, पेड़-पौधों आदि सबके प्रति उदारता का भाव था, जबकि आज लोहे पत्थरों की बस्ती में रहते हुए मानव स्वयं पत्थर बन गया है और उसकी संवेदनशीलता खत्म होती जा रही है, जो मानवता के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है। अतः यह पाठ संवेदनशील और उदार बनने की सीख देता है तथा पर्यावरण के प्रति जागरूक बनने का भी आह्वान करता है।
(घ) ‘झेन की देन’ प्रसंग के आधार पर बताइए कि हमारा दिमाग हर समय कहाँ उलझा रहता है और क्यों? (2)
उत्तर:
‘झेन की देन’ के अनुसार, हमारा दिमाग हर वक्त भूतकाल या भविष्यकाल की बातों में ही उलझा रहता है, क्योंकि हम अक्सर गुजरे दिनों की खट्टी-मीठी यादों में उलझे रहते हैं या भविष्य के रंगीन सपनों में खोए रहते हैं। एक भूतकाल जो चला गया है और दूसरा भविष्यकाल जो आया नही है। हमारे सामने जो वर्तमान क्षण है, वही सत्य है, परंतु हम उसे भूतकाल व भविष्यकाल में उलझकर जीना ही छोड़ देते हैं। यह स्पष्ट करता है कि हमारे व्यक्तित्व में स्थिरता का अभाव है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पठित काव्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए। (1 × 5 = 5)
राह कुर्बानियों की न वीरान हो
तुम सजाते ही रहना नए काफिले
फतह का जश्न इस जश्न के बाद है।
जिंदगी मौत से मिल रही है गले
बाँध लो अपने सर से कफन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
(क) ‘नए काफिले से क्या तात्पर्य है? (1)
(i) तीर्थयात्रियों की टोली
(ii) युद्ध के लिए तैयार सैनिकों की टोली
(iii) नए बलिदानी देशभक्तों की टोली
(iv) युद्ध का प्रशिक्षण पाए गए नए सैनिकों की टोली
उत्तर:
(iii) नए बलिदानी देशभक्तों की टोली
‘नए काफिले’ का तात्पर्य नए बलिदानी देशभक्तों की टोली से है। शहादत के निकट खड़े वीर सैनिक अपने जाँबाज़ सैनिक साथियों व समस्त देशवासियों से यह अपेक्षा करते हैं कि वे देश के लिए कुर्बानियों की राह को नित नए काफिलों से सजाते रहें और उनके बलिदान को व्यर्थ न जाने दें।
(ख) सैनिक किसे सजाने की बात कर रहा है? (1)
(i) भारत माता के मस्तक को
(ii) जश्न मनाने वालों को
(iii) देश की कुर्बानियों को
(iv) बलिदानी सैनिकों के जत्थों को
उत्तर:
(iv) बलिदानी सैनिकों के जत्थों को
पद्यांश में सैनिक बलिदानी सैनिकों के जत्थों को सजाने की बात कर रहा है। वह कहता है कि देश के लिए मर मिटने वाले सैनिकों के नए-नए जत्थे तैयार होते रहने चाहिए।
(ग) राह कुर्बानियों की न वीरान हो पंक्ति का क्या आशय है? (1)
(i) सैनिक देश के बारे में सोचते रहें
(ii) बलिदानी सैनिकों की परंपरा बनी रहे
(iii) सैनिक सोच-समझकर आगे बढ़ें
(iv) बलिदानी सैनिक आगे बढ़ने की सोच में रहें
उत्तर:
(ii) बलिदानी सैनिकों की परंपरा बनी रहे
‘राह कुर्बानियों की न वीरान हो’ पंक्ति का आशय यह है कि बलिदानी सैनिकों की परंपरा बनी रहे। पद्यांश में सैनिक अन्य सैनिक साथियों से कहता है कि मेरे सैनिक साथियों, हमने देश के लिए जो बलिदान दिए हैं, उनकी राह कभी सूनी नहीं होनी चाहिए, इस परंपरा को तुम बनाए रखना।
(घ) ‘सिर पर कफन बाँधने’ का किस ओर संकेत है? (1)
(i) जीवित रहने की ओर
(ii) सिर बचाने की ओर
(iii) देश पर बलिदान होने की ओर
(iv) सिर पर मुकुट बाँधने की ओर
उत्तर:
(iii) देश पर बलिदान होने की ओर
‘सिर पर कफन बाँधने’ का संकेत देश पर बलिदान होने की ओर है। सैनिक कहता है कि हे मेरे साथियों! देश के लिए मर-मिटने का अवसर आया है, तुम अपने बलिदान के लिए तैयार हो जाओ।
(ङ) कथन (A): सैनिकों को अपने सिर पर कफन बाँधकर तैयार रहना चाहिए। (1)
कारण (R): कफन बाँधने से पुरस्कार प्राप्त होता है।
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
पद्यांश के अनुसार सैनिकों को अपने सिर पर कफन बाँधकर तैयार रहना चाहिए, क्योंकि देश के प्रति सैनिकों का सबसे बड़ा कर्तव्य है देश की रक्षा करना, और बलिदान देना।
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प्रश्न 10.
काव्य खंड पर आधारित निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए (2 × 3 = 6)
(क) ‘इसकी होती है बड़ी सम्हाल, विरासत में मिले’
प्रस्तुत पंक्ति के आधार पर बताइए कि विरासत में मिली चीजों को बड़ी सँभालकर रखने की आवश्यकता क्यों होती है? ‘तोप’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
विरासत मिली चीज़ों को बड़ी संभालकर रखने की आवश्यकता होती है, क्योंकि ये हमारी धरोहर हैं, जिन्हें देखकर हमें अपने देश और समाज की प्राचीन उपलब्धियों का ज्ञान होता है। ये हमें गौरव प्रदान करती हैं और तात्कालिक परिस्थिति के साथ-साथ दिशा-निर्देश भी देती हैं। नई पीढ़ी अपने पूर्वजों के बारे में कुछ जाने, उनके अनुभवों से कुछ सीखे, इसी उद्देश्य से विरासत में मिली चीजों को सँभालकर रखा जाता है।
(ख) ‘मनुष्यता’ कविता में मनुष्य को परोपकारी जीवन जीने की प्रेरणा दी गई है? कविता के आधार पर स्पष्ट करें। (2)
उत्तर:
‘मनुष्यता’ कविता में मनुष्य को परोपकारी जीवन जीने की प्रेरणा दी गई है। मैथिलीशरण गुप्त जी कहते हैं कि मनुष्य को परोपकारी जीवन व्यतीत करना चाहिए। उसे अपने या अपनों के हित चिंतन से अधिक दूसरों के हित चिंतन में संलग्न होना चाहिए। केवल अपने बारे में सोचना पशु-प्रवृत्ति है अर्थात् जो मनुष्य केवल अपने बारे में सोचता है, वह पशु के समान जीवन जीता है। पशु जब चरागाह’ में होता है, तो केवल अपने चरने की चिंता करता है। मनुष्यों को एक-दूसरे के बारे में सोचना चाहिए, यही मनुष्यता है।
(ग) कविता ‘आत्मत्राण’ में कवि की क्या कामनाएँ हैं? अपने शब्दों में संक्षेप में लिखिए। (2)
उत्तर:
‘आत्मत्राण’ कविता में कवि ईश्वर से यह कामना करता है कि वह उसकी दैनिक जीवन की विपदाओं को दूर करने में भले ही सहायता न करें, पर वह इतना अवश्य चाहता है कि वह इन विपदाओं से घबराए नहीं और इन पर विजय प्राप्त कर सके। वह अपने बल-पौरुष पर भरोसा करता है, वह प्रभु से अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता है। वह कामना करता है कि प्रभु उसे इतना निर्भय बना दें कि वह जीवन में उत्तरदायित्वों के भार को आसानी के साथ वहन कर सके।
(घ) ‘पीताम्बर सौहे’ पद का क्या भावार्थ है? ‘पद’ कविता के आधार पर अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
‘पीताम्बर सौहे’ का अर्थ है, ‘पीले रंग का वस्त्र (पीताम्बर) श्रीकृष्ण के शरीर पर अत्यंत शोभायमान लग रहा है। यह रंग शांति, पवित्रता और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। मीराबाई यहाँ श्रीकृष्ण के दिव्य रुप और उनके सौंदर्य की सहारना करती है, जिससे उनकी गहरी भक्ति और भावनात्मक लगाव प्रकट होता है।
प्रश्न 11.
पूरक पाठ्यपुस्तक ‘संचयन’ पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40-50 शब्दों में दीजिए। (3 × 2 = 6)
(क) “दरअसल, बहुत सारी बातें ऐसी होती हैं, जिनकी जानकारी बिना बताए ही लोगों को मिल जाती है।” क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? यदि हाँ तो क्यों? ‘हरिहार काका’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए। (3)
उत्तर:
दरअसल, बहुत सारी बातें ऐसी होती हैं, जिनकी जानकारी बिना बताए ही लोगों को मिल जाती है।” यह बात शत-प्रतिशत सही है, क्योंकि इसके संबंध में दो कहावतें प्रचलित हैं। एक तो यह कि ‘दीवारों के भी कान होते हैं और दूसरी कहावत यह है कि ‘नेकी नौ कोस, बदी सौ कोस’ अर्थात् हरिहर काका के पास पंद्रह बीघा ज़मीन होना, जिस पर दोनों ही पक्ष अर्थात् उनके भाई और महंत अपनी-अपनी गिद्ध दृष्टि जमाए हुए थे तथा अपने-अपने ढंग से हरिहर काका को लुभाकर उनकी जमीन अपने-अपने नाम कराना चाहते थे। इसलिए ठाकुरबारी के महंत की खातिर तवाजों व भाइयों की खातिर तवाजों की भनक गाँववालों को मिल गई थी।
(ख) “बाल मन ‘स्वार्थ’ से चलायमान न होकर अपनेपन से चलायमान होता है। “टोपी शुक्ला’ पाठ में” टोपी शुक्ला के इफ्फन की दादी एवं घर की नौकरानी सीता के साथ संबंधों के परिप्रेक्ष्य में उपर्युक्त कथन की विवेचना कीजिए। (3)
उत्तर:
“बाल मन ‘स्वार्थ’ से चलायमान न होकर ‘अपनेपन’ से चलायमान होता है। यही अपनापन मानव-मानव के मध्य सद्भाव का जनक माना जाता है।” बालमन को जहाँ भी अपनत्व मिलता है, वह उसी की ओर खिंचा चला जाता है। यदि टोपी को यही अपनापन अपनी दादी से मिलता, तो वह उनसे भी उतना ही प्रेम करता, जितना वह इफ्फन की दादी से करता था। इफ्फन की दादी के पास बैठते ही उसे ममता व दुलार की अनुभूति होने लगती थी। यहाँ दादी से उसे भरपूर दुलार मिलता था और उनका एक-एक शब्द उसे शक्कर का खिलौना, अमावट व तिल का लड्डू प्रतीत होता था। ऐसा ही ममत्व उसे घर की बूढ़ी नौकरानी सीता से भी मिलता था। जब भी उसे घर के उपेक्षापूर्ण वातावरण से ठेस लगती थी, तब सीता के आँचल में जाकर उसे अपनत्व का संबल मिल जाता था। यही कारण है कि वह इफ्फन की दादी और बूढ़ी नौकरानी सीता का हृदय से सम्मान करता था।
(ग) सपनों के से दिन’ पाठ में वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में स्वीकृत मान्यताओं और पाठ में वर्णित युक्तियों के संबंध में अपने विचार जीवन मूल्यों की दृष्टि से व्यक्त कीजिए। (3)
उत्तर:
‘सपनों के से दिन’ पाठ में अनुशासन को बनाए रखने हेतु विद्यार्थियों को यदि दंड दिया गया है, तो अच्छे कार्यों के लिए उत्साहवर्द्धन हेतु शाबाशियाँ भी दी गई हैं। हालाँकि वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में शिक्षकों को मारपीट जैसे दंड अर्थात् शारीरिक दंड देने का अधिकार नहीं दिया गया है। आजकल शिक्षकों को यह निर्देश है कि वे विद्यार्थियों के मनोविज्ञान को समझें, उनकी शरारतों के कारणों का अन्वेषण करें तत्पश्चात् उन्हें गलतियों का एहसास कराएँ। साथ ही उनके दुर्गुणों के कारणों को भी अभिभावकों के साथ मिलकर दूर करने की कोशिश करें। उनके साथ मित्रता व ममता का व्यवहार करें। मेरे विचार से पाठ में वर्णित युक्तियों की अपेक्षा वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में स्वीकृत मान्यताएँ बेहतर हैं।
खंड ‘घ’ (रचनात्मक लेखन) (22 अंक)
इस खंड में रचनात्मक लेखन पर आधारित प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए (5)
(क) शिक्षक और छात्र का संबंध
संकेत बिंदु
- शिक्षकों का समाज के लिए महत्त्व
- शिक्षकों के प्रति छात्रों की भावना
- शिक्षकों एवं छात्र के बीच मधुर संबंध की महत्ता
उत्तर:
शिक्षक और छात्र का संबंध
किसी भी समाज में शिक्षकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षक समाज को एक उचित दिशा प्रदान करता है। शिक्षक केवल सदस्य मात्र न होकर समाज के लिए एक ऐसा महत्त्वपूर्ण वर्ग है, जो भविष्य का स्वरूप निर्धारित करता है। शिक्षक समाज के सदस्यों को सामाजिक रीतियों एवं मानवीय मूल्यों से परिचित करवाता है। वह समाज की नींव तैयार करता है। ऐसे में समाज के सभी सदस्यों का यह कर्तव्य है कि वे शिक्षकों के प्रति आदर भाव रखें। शिक्षक का छात्रों के साथ प्रत्यक्ष संबंध होता हैं। कुछ छात्र तो अपने गुरु के प्रति आदर भाव रखते हैं, परंतु कुछ छात्र अपनी अबोधता के कारण शिक्षकों का अपमान करते हैं। छात्र और शिक्षकों के बीच मधुर संबंधों का होना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि असंतुष्ट शिक्षक कभी भी अपनी सर्वोत्तम क्षमता का प्रदर्शन नहीं कर सकता। शिक्षक ही छात्रों का उचित मार्गदर्शन करके उनके भविष्य को उज्ज्वल बनाने में सहायता करते हैं। अतः छात्रों को सदैव शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि शिक्षक ही छात्रों के सुनहरे भविष्य का आधार हैं।
(ख) समाज निर्माण में नारी का योगदान
संकेत बिंदु
- वर्तमान युग में नारी की स्थिति
- नारी की भूमिका
- भारतीय नारी : शक्ति का पर्याय
उत्तर:
समाज निर्माण में नारी का योगदान
वर्तमान युग में महिला पुरुष की समानता से संबंधित अनेक चर्चाएँ होती रहती हैं। वर्तमान युग में नारी की स्थिति पहले की तुलना में बहुत बेहतर हुई है। वे अपने अधिकारों एवं स्वतंत्रता के प्रति अत्यधिक जागरूक हो गई हैं। प्रत्येक क्षेत्र में महिलाएँ पुरुषों के समान भूमिकाएं निभा रही हैं। आज की नारी ने अपनी बुद्धि व कौशल से अनेक भूमिकाओं का एकसाथ निर्वाह कर अपनी क्षमता, आय व प्रतिभा को स्थापित किया है। समाज के निर्माण में नारी की वही भूमिका है, जो पुरुष की है। समाज का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहाँ नारी ने अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई। अब वह स्वयं शिक्षित होकर शिक्षा का प्रचार एवं प्रसार कर रही है। देश की राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सक्रिय कार्यकर्ता, नेता, विभिन्न कंपनियों की व्यवस्थापिका आदि के रूप में उसने अपनी उपलब्धियों का सशक्त प्रमाण दिया है। उसने अपने अदम्य बल, शक्ति व साधना से इस पुरुष प्रधान समाज में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बनाया है। नारी नवचेतना व नवजागृति की प्रतीक बन गई है। अतः आज जरूरत है कि नारी जाति में व्याप्त अशिक्षा और आत्मविश्वास के अभाव को दूर किया जाए, जिससे वे अपनी क्षमताओं का उपयोग समाज निर्माण में कर सकें।
(ग) मीठी वाणी बोलिए
संकेत बिंदु
- वाणी की मधुरता का अर्थ
- साहित्यकार के कथन
- मधुर वाणी की आवश्यकता
उत्तर:
मीठी वाणी बोलिए
मधुर वाणी मनुष्य को ईश्वर द्वारा प्रदत्त सबसे बड़ा वरदान है। मधुर वचनों का प्रभाव ऐसा है कि हमसे घृणा करने वाला भी हमारे मृदु वचनों से प्रभावित होकर स्नेह प्रदर्शित करने लगता है। वाणी की मिठास की महिमा का वर्णन हमारे कवियों एवं साहित्यकारों ने अनेक रूपों में किया है। कबीर का कथन है कि हमें ऐसी वाणी बोलनी चाहिए, जिससे मन प्रसन्न हो जाए, जो दूसरों को भी प्रसन्न करे तथा जिसके बोलने से मनुष्य के मन में स्वयं भी शीतलता आए। वाणी के संदर्भ में कोयल अपने स्वर की मिठास के कारण सभी को प्रिय तथा कौआ अपने स्वर की कर्कशता के कारण सभी को अप्रिय लगता है। यही नहीं, मीठे बोलों की महत्ता इतिहास में प्रसिद्ध है। मधुर वाणी अभ्यास एवं साधना की देन होती है। मधुर वाणी की आवश्यकता सभी को पड़ती है, क्योंकि क्रोध सभी को आता है, लेकिन जो क्रोध को छोड़ संयम के साथ मधुर वचनों का सहारा लेता है, उसके असंभव लगते कार्य भी सरलता से सिद्ध हो जाते हैं। मनुष्य को मीठी वाणी का प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि यह बिगड़ी बात को भी बनाने वाली है। अतः हम कह सकते हैं कि समाज में प्रतिष्ठा, गौरव ख्याति प्राप्त करने तथा जीवन में उन्नत बनने के लिए मीठी वाणी बोलना आवश्यक है।
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प्रश्न 13.
लाउडस्पीकरों का अनुचित प्रयोग रोकने के लिए पुलिस आयुक्त को एक पत्र लिखिए। (शब्द सीमा लगभग 100 शब्द) (5)
अथवा
आपने नया कंप्यूटर खरीदा है, किंतु खरीदने के एक महीने बाद ही उसमें खराबी आ गई। आपकी शिकायत पर दुकानदार ने कोई ध्यान नहीं दिया। कंपनी के मुख्य मैनेजर को लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखकर घटना की जानकारी देते हुए अनुरोध कीजिए कि वे आपके साथ न्याय करें।
उत्तर:
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 15 मार्च, 20XX
सेवा में,
पुलिस आयुक्त,
माल रोड,
दिल्ली।
विषय लाउडस्पीकरों का अनुचित प्रयोग रोकने हेतु।
महोदय,
निवेदन यह है कि हमारे मोहल्ले में कुछ असामाजिक तत्त्व रोज रात को तेज़ आवाज़ में लाउडस्पीकरों पर गाने बजाते हैं। हमारी परीक्षाएँ समीप आ गई हैं और विद्यार्थियों के लिए अध्ययन हेतु यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण समय है, परंतु लाउडस्पीकरों की इतनी तेज़ आवाज़ मन को एकाग्र नहीं होने देती। सारी रात गाना-बजाना चलता रहता है, जिससे रोगियों व वृद्धों को भी अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ता है। आपसे प्रार्थना है कि अत्यंत आवश्यक प्रयोजन हेतु तथा निश्चित समय के लिए ही लाउडस्पीकर के प्रयोग की अनुमति दी जाए तथा रात दस बजे के बाद इनके प्रयोग के लिए दंड की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, ताकि लोग इसके प्रयोग के प्रति अधिक सचेत रहें। इसके लिए हम आपके सदैव आभारी रहेंगे।
धन्यवाद।
प्रार्थी
क.ख.ग.
अथवा
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक 20 अगस्त, 20XX
सेवा में,
मुख्य प्रबंधक महोदय,
शिवम कंप्यूटर्स,
गुरुग्राम।
विषय कंप्यूटर में खराबी होने की सूचना देते हुए।
आदरणीय महोदय,
मैं इस पत्र के माध्यम से आपके पास अपनी शिकायत दर्ज कराना चाहता हूँ। मैंने ‘एकता कंप्यूटर’ से आपकी कंपनी का एक कंप्यूटर पिछले माह ही खरीदा था, परंतु आरंभ से ही मुझे अत्यंत परेशानी हो रही है। इसका सी.पी. यू. सही से कार्य नहीं कर रहा है और मॉनिटर स्क्रीन भी धुंधली सी हो गई है। मैंने इसकी शिकायत स्थानीय दुकानदार से की, परंतु आज 10 दिन बीत जाने के बाद भी कंप्यूटर ठीक नहीं किया गया। पुनः शिकायत करने पर उनके कर्मचारी भी असभ्य भाषा का प्रयोग करते हैं। महोदय, इस प्रकार के व्यवहार से मुझे अत्यंत निराशा हुई है और यह घटना आपकी कंपनी की प्रतिष्ठा के लिए चिंताजनक है। मैं विवशतापूर्वक आपको यह पत्र लिख रहा हूँ और आशा करता हूँ कि आप मेरी समस्या का समाधान करवाने में मेरा सहयोग करेंगे।
सधन्यवाद।
भवदीय
क.ख.ग.
ब-70 दरियागंज,
दिल्ली।
प्रश्न 14.
विद्यालय के प्रधानाचार्य की ओर से विद्यार्थियों को विद्यालय परिसर में मोबाइल फोन न लाने संबंधी आदेश देते हुए लगभग 60 शब्दों में सूचना तैयार कीजिए। (4)
अथवा
आप थानाध्यक्ष हैं। शास्त्री पार्क, दिल्ली से एक बच्चा लापता हो गया है, जिसकी तलाश के लिए समाचार-पत्र में प्रकाशिता करने हेतु लगभग 60 शब्दों में सूचना तैयार कीजिए।
उत्तर:
सेंट्रल स्कूल, कड़कड़डूमा, दिल्ली
सूचना
दिनांक 28 नवंबर, 20XX
मोबाइल फोन के प्रयोग के संदर्भ में
आप सभी को सूचित किया जाता है कि किसी भी विद्यार्थी को विद्यालय परिसर में मोबाइल फोन लाने एवं उसका प्रयोग करने की अनुमति नहीं है। विद्यालय में विद्यार्थियों का मोबाइल फोन लाना उचित नहीं है। अतः यदि किसी छात्र या छात्रा के पास मोबाइल फोन पाया गया, तो उसके विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाएगी और उसे विद्यालय से निष्कासित भी किया जा सकता है। केवल किसी विशेष परिस्थिति में ही किसी छात्र या छात्रा को विद्यालय में मोबाइल फोन लाने की छूट दी जा सकती है, लेकिन उसके लिए प्रधानाचार्य की लिखित पूर्वानुमति अनिवार्य है।
विमल चतुर्वेदी
(प्रधानाचार्य)
अथवा
नेशनल समाचार-पत्र
सूचना
दिनांक 8 मई, 20XX
गुमशुदा बच्चे की तलाश
सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि एक बच्चा, जिसका नाम शाहिद पुत्र अमज़द खान, निवासी 4921 शास्त्री पार्क, दिल्ली, आयु तीन वर्ष, कद 2′ 3″, चेहरा गोल, रंग गोरा, आँखे काली, बाल काले, हरे रंग की कमीज और नीले रंग की पैंट तथा पैरों में काले रंग के जूते पहने हैं, जो दिनांक 2 मई, 20XX से शास्त्री पार्क क्षेत्र से लापता है। उसके दोस्तों के अनुसार वह स्कूल से घर के लिए निकल गया था। इस गुमशुदा बच्चे की कोई सूचना मिलने पर निम्नलिखित ई-मेल पते पर सूचित करें। सूचना देने वाले को उचित पुरस्कार दिया जाएगा।
ई मेल – SP@xxx.com
दूरभाष – 9814XXXXXX
थानाध्यक्ष
शास्त्री पार्क, दिल्ली
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प्रश्न 15.
आई. टी. ए. प्रदर्शन कला परिसर की ओर से लगभग 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (3)
अथवा
‘पर्यावरण संरक्षण’ विषय पर लगभग 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तर:

अथवा

प्रश्न 16.
आपके मोहल्ले के पार्क में कई अनधिकृत खोमचे वालों ने डेरा जमा लिया है, उन्हें हटाने के लिए नगर निगम के अधिकारी को 80 शब्दों में एक ई-मेल लिखिए। (5)
अथवा
“भाग्य नहीं कर्म फलते हैं कर्म ही पुरुषार्थ है। ………” इस विषय को आगे बढ़ाते हुए लगभग 100 शब्दों में लघुकथा लिखिए।
उत्तर:
From : Kantkrishna@gmail.com
To : Mednorth@gmail.com
CC : abc@gmail.com
BCC : –
विषय पार्क में अनधिकृत खोमचे वालों के डेरा जमाने हेतु।
महोदय,
इस ई-मेल के माध्यम से मैं आपका ध्यान हमारे मोहल्ले के पार्क की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। हमारे मोहल्ले में एक ही पार्क है, जहाँ मोहल्ले के सभी बच्चे, युवा, महिलाएँ तथा बुजुर्ग घूमने जाते हैं, परंतु कुछ महीनों से इस पार्क के काफी बड़े हिस्से पर अनधिकृत खोमचे वालों ने डेरा जमा रखा है, जिससे हम लोगों को वहाँ जाने में काफी परेशानी हो रही है, साथ ही वहाँ गंदगी भी बहुत बढ़ गई है। अतः महोदय आपसे निवेदन है कि आप पार्क को जल्द से जल्द अनधिकृत खोमचे वालों के डेरों से मुक्त कराने की कृपा करें। इसके लिए हम आपके आभारी रहेंगे।
सधन्यवाद।
प्रार्थी
कृष्णकांत शर्मा
अथवा
‘भाग्य नहीं कर्म फलते हैं’, कर्म ही पुरुषार्थ है अर्थात् संसार कर्म प्रधान है कर्म के कारण ही मनुष्य आज पाषाण युग से अंतरिक्ष युग में आ पहुँचा है तथा मनुष्य भाग्य के बल पर नहीं अपितु अपने भुजबल अर्थात् कर्म पर चलकर ही सभी प्रकार की सिद्धियों या उपलब्धियों को पाता है। लघुकथा एक जंगल में चिड़िया ने आम के पेड़ पर अपना घोंसला बना रखा था। वह अपने घोंसले का बहुत ध्यान रखती थी। कुछ समय पश्चात् चिड़िया ने घोंसले में दो अंडे दिए। अब वह अपने घोंसले और बच्चों का बहुत अधिक ध्यान रखने लगी। चिड़िया अपने बच्चों के लिए समय से पहले ही दाना-पानी का प्रबंध कर देती, ताकि उसके बच्चों को कोई कष्ट न हो। बच्चे अब थोड़े बड़े हो चुके थे, चिड़िया ने उन्हें उड़ना सिखाना चाहा। काफी प्रयास के बाद भी वे पूर्णतः अपनी माता पर ही निर्भर रहते।
एक दिन जंगल में बहुत तेज आँधी-तूफ़ान आया। चारों ओर गहन अंधकार छा गया। घोंसले से बहुत दूर होने के कारण चिड़िया अपने बच्चों के पास न पहुँच सकी। उसका घोंसला टूटने ही वाला था कि चिड़िया के एक बच्चे ने दूसरे से कहा कि “चलो उड़कर कहीं सुरक्षित स्थान पर चलते हैं”, किंतु दूसरे ने भाग्यवादी स्वर में कहा कि “नहीं! मैं नहीं जाऊँगा, माँ आकर स्वयं हमें बचा लेगी।” यदि मेरे भाग्य में जीवित रहना लिखा होगा, तो मैं इस तूफ़ानी रात में भी बच जाऊँगा। पहले बच्चे ने उसे बहुत समझाया, किंतु वह नहीं माना। भाग्य के भरोसे वह उसी घोंसले में बैठा रहा, जबकि पहला बच्चा उड़कर कठिन परिश्रम करके सुरक्षित स्थान पर पहुँच गया और उसने अपनी जान बचा ली। इस प्रकार, भाग्य के भरोसे रहकर दूसरे बच्चे ने अपनी जान गंवा दी। सीख इस कथा से हमें यह सीख मिलती है कि केवल भाग्य के भरोसे बैठे रहने से कुछ प्राप्त नहीं किया जा सकता, मनुष्य जब तक स्वयं परिश्रम नहीं करता, तब तक उसे कुछ भी प्राप्त नहीं होता है। अतः जीवन में निरंतर परिश्रम करते रहना चाहिए।
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