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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course A Set 11 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश
निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका सख्ती से अनुपालन कीजिए।
- इस प्रश्न पत्र में चार खंड हैं- क, ख, ग और घ
- इस प्रश्न-पत्र में कुल 15 प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- प्रश्न पत्र में आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए लिखिए।
खंड ‘क’ (अपठित बोध) (14 अंक)
इस खंड में अपठित गद्यांश व काव्यांश से संबंधित तीन बहुविकल्पीय (1 × 3 = 3) और दो अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक (2 × 2 = 4) प्रश्न दिए गए हैं।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर लिखिए। (7)
वर्तमान युग कंप्यूटर का युग है। यदि भारतवर्ष पर नज़र दौड़ाकर देखें तो हम पाएँगे कि जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में कंप्यूटर का प्रवेश हो गया है। बैंक, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डे, डाकखाने, बड़े-बड़े उद्योग कारखाने, व्यवसाय हिसाब-किताब तथा रुपये गिनने तक की मशीनें कंप्यूटरीकृत हो गई हैं। आज भी कंप्यूटर का प्रारंभिक प्रयोग है तथा आने वाला समय इसके विस्तृत फैलाव का संकेत दे रहा है। प्रश्न उठता है कि कंप्यूटर आज की ज़रूरत है? इसका उत्तर है- कंप्यूटर जीवन की मूलभूत अनिवार्य वस्तु तो नहीं है, किंतु इसके बिना आज की दुनिया अधूरी जान पड़ती है।
सांसारिक गतिविधियों, परिवहन और संचार उपकरणों आदि का ऐसा विस्तार हो गया है कि उन्हें सुचारु रूप से चलाना अत्यंत कठिन होता जा रहा है। पहले मनुष्य जीवन-भर में यदि सौ लोगों के संपर्क में आता था, तो आज वह दो हज़ार लोगों के संपर्क में आता है। पहले वह दिन में पाँच-दस लोगों से मिलता था, तो आज पचास सौ लोगों से मिलता है। पहले वह दिन में काम करता था, तो आज रातें भी व्यस्त रहती हैं। आज व्यक्ति के संपर्क बढ़ रहे हैं, व्यापार बढ़ रहे हैं, गतिविधियाँ बढ़ रही हैं, आकांक्षाएँ बढ़ रही हैं तथा साधन बढ़ रहे हैं। इस अनियंत्रित गति को सुव्यवस्था देने की समस्या आज की प्रमुख समस्या है। कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी है। इस आवश्यकता ने अपने अनुसार निदान ढूंढ लिया है। कंप्यूटर एक ऐसी स्वचालित प्रणाली है, जो कैसी भी अव्यवस्था को व्यवस्था में बदल सकती है।
हड़बड़ी में होने वाली मानवीय भूलों के लिए कंप्यूटर रामबाण औषधि है। क्रिकेट के मैदान में अंपायर की निर्णायक भूमिका हो या लाखों-करोड़ों की लंबी-लंबी गणनाएँ, कंप्यूटर पलक झपकते ही आपकी समस्या हल कर सकता है। पहले इन कामों को करने वाले कर्मचारी हड़बड़ाकर काम करते थे, एक भूल से घबराकर और अधिक गड़बड़ी करते थे। परिणामस्वरूप काम कम, तनाव अधिक होता था। अब कंप्यूटर की सहायता से काफी सुविधा हो गई है।
(क) गद्यांश के अनुसार, किस आवश्यकता ने कंप्यूटर में अपना निदान ढूँढ लिया है? (1)
(i) अनियंत्रित कर्मचारियों को अनुशासित करने की
(ii) अनियंत्रित गति को सुव्यवस्था देने की
(iii) अधिक-से-अधिक लोगों से जुड़, जन-जागरण लाने की
(iv) अधिक-से-अधिक कार्य कभी भी व कहीं भी करने की
उत्तर:
(ii) अनियंत्रित गति को सुव्यवस्था देने की
गद्यांश के अनुसार, अनियंत्रित गति को सुव्यवस्था देने की आवश्यकता ने कंप्यूटर में अपना निदान ढूँढ लिया है।
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(ख) ‘वर्तमान युग कंप्यूटर का युग है’ यह कथन क्यों उपयुक्त है? (1)
(i) क्योंकि कंप्यूटर के बिना जीवन की कल्पना अधूरी लगती है।
(ii) क्योंकि कंप्यूटर ने पूरे विश्व के लोगों को जोड़ दिया है।
(iii) क्योंकि कंप्यूटर जीवन की अनिवार्य मूलभूत वस्तु बन गया है।
(iv) क्योंकि कंप्यूटर मानव सभ्यता का सबसे बड़ा आविष्कार है।
उत्तर:
(i) क्योंकि कंप्यूटर के बिना जीवन की कल्पना अधूरी लगती है।
वर्तमान युग कंप्यूटर का युग है, गद्यांश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कंप्यूटर जीवन की मूलभूत अनिवार्य वस्तु तो नहीं, लेकिन इसके बिना दुनिया अधूरी जान पड़ती है।
(ग) कथन (A): कंप्यूटर मानवीय भूलों को कम करने में सहायक हैं। (1)
कारण (R): कंप्यूटर एक ऐसी स्वचालित प्रणाली है, जो बड़ी-बड़ी गणनाएँ भी तुरंत कर सकता है।
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
गद्यांश में कहा गया है कि हड़बड़ी में होने वाली मानवीय भूलों के लिए कंप्यूटर रामबाण औषधि है और यह लाखों-करोड़ों की गणनाएँ पलक झपकते ही हल कर सकता है।
(घ) कंप्यूटर को ‘आवश्यकता का समाधान क्यों कहा गया है? किन्हीं दो कारणों को स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
गद्यांश के अनुसार, कंप्यूटर को आवश्यकता का समाधान कहा गया है, इसके दो कारण निम्नलिखित हैं।
- आधुनिक युग में मनुष्य की बढ़ती हुई संपर्क और जानकारी की गति को सुचारु रूप से कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
- कंप्यूटर ने हर क्षेत्र में काम को सरल, तेज और सटीक बना दिया है।
(ङ) कंप्यूटर के प्रयोग से पहले कार्यस्थलों पर अधिक तनाव क्यों होता था? (2)
उत्तर:
कंप्यूटर के प्रयोग से पहले अधिक तनाव इसलिए होता था, क्योंकि पहले इन कामों को करने वाले कर्मचारी हड़बड़ाकर काम करते थे, हड़बड़ी में किए गए कार्य में त्रुटि की संभावना अधिक रहती थी। कार्य में त्रुटि हो जाने पर मानसिक तनाव उत्पन्न हो जाता था। ऐसी परिस्थितियों में काम की गति भी मंद रहती थी। जिसके परिणामस्वरूप काम कम और तनाव अधिक होता था।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर लिखिए। (7)
जो बीत गई सो बात गई, जीवन में एक सितारा था
माना, वह बेहद प्यारा था, वह डूब गया तो डूब गया
अंबर के आनन को देखो, कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे, जो छूट गए फिर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर कब अंबर शोक मनाता है?
जो बीत गई सो बात गई। जीवन में वह था एक कुसुम,
थे उस पर नित्य निछावर तुम वह सूख गया तो सूख गया,
मधुबन की छाती को देखो सूखी कितनी इसकी कलियाँ,
मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ जो मुरझाईं फिर कहाँ खिलीं,
पर बोलो सूखे फूलों पर कब मधुबन शोर मचाता है?
जो बीत गई सो बात गई। जीवन में मधु का प्याला था,
तुमने तन-मन दे डाला था वह टूट गया तो टूट गया,
मदिरालय का आँगन देखो कितने प्याले हिल जाते हैं,
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं जो गिरते हैं कब उठते हैं,
पर बोलो टूटे प्यालों पर कब मदिरालय पछताता है?
जो बीत गई सो बात गई।
(क) अंबर (आकाश) शोक कब नहीं मनाता? (1)
(i) आकाश टूटे तारों पर शोक नहीं मनाता
(ii) आकाश टूटने वाले तारों की गिनती रखता है
(iii) आकाश टूटे तारों पर शोक मनाता है।
(iv) आकाश में तारे टूटते ही रहते हैं
उत्तर:
(i) आकाश टूटे तारों पर शोक नहीं मनाता
अर्थात् आकाश में अनेक तारे टूटते हैं, परंतु आकाश टूटे हुए तारों पर शोक नहीं मनाता।
(ख) कवि अतीत की बातों को दोहराना क्यों नहीं चाहता? (1)
(i) क्योंकि अतीत की बातें दुःख देती हैं।
(ii) क्योंकि अतीत की घटनाएँ अब अर्थहीन हैं।
(iii) क्योंकि कवि को वर्तमान और भविष्य पर विश्वास है।
(iv) क्योंकि वह उन्हें फिर से जीना चाहता है।
उत्तर:
(iii) क्योंकि कवि को वर्तमान और भविष्य पर विश्वास है।
कविता हमें सिखाती है कि जीवन में आगे बढ़ना ही सच्चा जीवन-दर्शन है, इसलिए कवि अतीत को पीछे छोड़कर वर्तमान में जीने और भविष्य की ओर देखने का संदेश देता है।
(ग) इस कविता के केंद्रीय भाव हेतु दिए गए कथनों को पढ़कर सबसे सही विकल्प चुनिए। (1)
1. हमें बीती हुई दुःखद यादों पर शोक नहीं मनाना चाहिए।
2. बीती बातों को याद करते रहना चाहिए।
3. बीती हुई बातों पर पछतावा करते रहना चाहिए।
4. बीत गए वक्त के वापस लौट आने का इंतजार करते रहना चाहिए।
कूट
(i) केवल 1
(ii) 1 और 3
(iii) 1, 3 और 4
(iv) 1, 2, 3 और 4
उत्तर:
(i) केवल 1
प्रस्तुत काव्यांश में यह बताया गया है कि हमें बीती हुई दुःखद यादों पर शोक नहीं मनाना चाहिए। उन्हें बीता हुआ कल मानकर भुला देना चाहिए।
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(घ) कविता में प्रकृति के कौन-से घटक कवि को अतीत भूलने की प्रेरणा देते हैं? किन्हीं दो बिन्दुओं का उल्लेख कीजिए। (2)
उत्तर:
ऐसे दो घटक, जो कवि को अतीत भूलने की प्रेरणा देते हैं
- अंबर जो टूटे तारों पर शोक नहीं करता, जिससे सीख मिलती है कि बीते संबंधों के बिछड़ जाने पर रोने से कुछ नहीं बदलता।
- मधुबन जो मुरझाए फूलों पर विलाप नहीं करता।
(ङ) ‘सूखे फूलों पर मधुबन कब शोर मचाता है’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि मधुबन के फूल सूख जाने पर वह अपने अतीत को याद करके शोक नहीं मनाता, फूलों के मुरझा जाने पर वह शोर नहीं मचाता। बीती बातों को याद करके वह दुःखी नहीं होता।
खंड ‘ख’ (व्यावहारिक व्याकरण) (16 अंक)
व्याकरण के लिए निर्धारित विषयों पर अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक 20 प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें से केवल 16 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘रचना के आधार पर वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर लिखिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘घायल सैनिक ने उठकर शस्त्र उठा लिए।’ संयुक्त वाक्य में परिवर्तित कीजिए।
(ख) ‘मैंने एक दुबले-पतले व्यक्ति को देखा।’ मिश्रित वाक्य में परिवर्तित कीजिए।
(ग) ‘मेहुल ने खाना खाया और चला गया।’ सरल वाक्य में परिवर्तित कीजिए।
(घ) ‘जो लोकप्रिय होता है, उसका सम्मान होता है।’ आश्रित उपवाक्य छाँटकर उसका भेद भी लिखिए।
(ङ) ‘मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती, लेकिन चश्मा बदल सकती है।’ रचना की दृष्टि से वाक्य का भेद का नाम लिखिए।
उत्तर:
(क) घायल सैनिक उठा और उसने शस्त्र उठा लिए।
(ख) मैंने एक ऐसा व्यक्ति देखा, जो दुबला-पतला था।
(ग) मेहुल खाना खाकर चला गया।
(घ) आश्रित उपवाक्य- ‘जो लोकप्रिय होता है’, यह विशेषण उपवाक्य है।
(ङ) प्रस्तुत वाक्य संयुक्त वाक्य है।
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘वाच्य’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर लिखिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘नवाब साहब ने फिर एक पल खिड़की से बाहर देखा।’ वाच्य पहचानकर वाच्य भेद का नाम लिखिए।
(ख) दिनेश द्वारा शिकार किया जाता है।’ कर्तृवाच्य में बदलिए।
(ग) हम इस खुले मैदान में दौड़ सकते हैं। भाववाच्य में बदलिए।
(घ) ‘मंत्री जी सभी का स्वागत कर रहे थे।’ कर्मवाच्य में परिवर्तित कीजिए।
(ङ) ‘आओ, नौका विहार किया जाए।’ वाच्य का प्रकार बताइए।
उत्तर:
(क) प्रस्तुत वाक्य में कर्ता (नवाब साहब) स्वयं क्रिया कर रहा है इसलिए यह कर्तृवाच्य है।
(ख) दिनेश शिकार करता है।
(ग) हमसे इस खुले मैदान में दौड़ा जा सकता है।
(घ) मंत्री जी द्वारा सभी का स्वागत किया गया।
(ङ) प्रस्तुत वाक्य भाववाच्य है। इसमें कर्ता लुप्त है और क्रिया की प्रधानता है।
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘पद परिचय’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर लिखिए। (1 × 4 = 4)
निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित पदों का पद परिचय लिखिए।
(क) मुझे आम नहीं मिला।
(ख) उसने मेरी बात को बहुत गंभीरता से लिया।
(ग) हिमालय की चोटियाँ धवल दिखाई दे रही थी।
(घ) मुड़कर देखा तो अवाक् रह गए।
(ङ) बच्चे खेलते हुए खुश नजर आ रहे थे।
उत्तर:
(क) मिला सकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, एकवचन, कर्तृवाच्य
(ख) गंभीरता भाववाचक संज्ञा स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्म कारक
(ग) धवल विशेषण, स्त्रीलिंग, बहुवचन, कर्ता कारक
(घ) अवाक् रीतिवाचक क्रियाविशेषण, विशेष्य क्रिया ‘रह गए’
(ङ) खुश विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, कर्ता कारक
प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘अलंकार’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों की रेखांकित काव्य पंक्तियों में अलंकार पहचानकर लिखिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘नदियाँ जिनकी यशधारा सी बहती है अब भी निशि वासर।’
(ख) “सखि! सोहत गोपाल के उर गुंजन की माल।
बाहर लसत मनो पिए दावानल की ज्वाल।।”
(ग) “हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग,
सारी लंका जरि गई, गए निशाचर भाग।”
(घ) ‘मन-सागर मनसा लहरि, बूड़े-बहे अनेक’
(ङ) ‘फूल हँसे कलियाँ मुस्काई।’
उत्तर:
(क) रेखांकित काव्य पंक्ति में नदी की धारा को यश बहाने वाला बताया गया है। अतः यहाँ उपमा अलंकार है।
(ख) रेखांकित पंक्ति में उपमेय ‘गुंजन की माल’ में उपमान ‘ज्वाला’ की संभावना प्रकट की गई है। अतः यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।
(ग) हनुमान की केवल पूँछ में लगी आग से पूरी लंका जल गई। यह असंभव और बढ़ा-चढ़ाकर कही गई बात है। यहाँ असंभव कार्य को संभव बताने के कारण इस रेखांकित पंक्ति में अतिशयोक्ति अलंकार है।
(घ) रेखांकित पंक्ति में मन (उपमेय) पर सागर (उपमान) का और मनसा यानी इच्छा (उपमेय) पर लहर (उपमान) का आरोप है, इसलिए यहाँ रूपक अलंकार है।
(ङ) रेखांकित पंक्ति में फूल व कलियों पर मानवीय क्रियाओं (हँसना व मुसकुराना) का आरोप किया गया है। अतः यहाँ मानवीकरण अलंकार है।
खंड ‘ग’ (पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक) (30 अंक)
इस खंड में पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए।
कार्तिक आया नहीं कि बालगोबिन भगत की प्रभातियाँ शुरू हुई, जो फागुन तक चला करतीं। इन दिनों वह सवेरे ही उठते। न जाने किस वक्त जगकर वह नदी स्नान को जाते-गाँव से दो मील दूर! वहाँ से नहा-धोकर लौटते और गाँव के बाहर ही, पोखरे के ऊँचे भिंडे पर, अपनी खँजड़ी लेकर जा बैठते और अपने गाने टेरने लगते। मैं शुरू से ही देर तक सोने वाला हूँ, किंतु एक दिन, माघ की उस दाँत किटकिटाने वाली भोर में भी, उनका संगीत मुझे पोखरे पर ले गया था। अभी आसमान के तारों के दीपक बुझे नहीं थे। हाँ, पूरब में लोही लग गई थी, जिसकी लालिमा को शुक्र तारा और बढ़ा रहा था। खेत, बगीचा, घर-सब पर कुहासा छा रहा था। सारा वातावरण अजीब रहस्य से आवृत्त मालूम पड़ता था। उस रहस्यमय वातावरण में एक कुश की चटाई पर पूरब मुँह, काली कमली ओढ़े, बालगोबिन भगत अपनी खँजड़ी लिए बैठे थे। उनके मुँह से शब्दों का ताँता लगा था, उनकी अँगुलियाँ खँजड़ी पर लगातार चल रही थीं। गाते-गाते इतने मस्त हो जाते, इतने सुरूर में आते, उत्तेजित हो उठते कि मालूम होता, अब खड़े हो जाएँगे। कमली तो बार-बार सिर से नीचे सरक जाती। मैं जाड़े से कँपकँपा रहा था, किंतु तारे की छाँव में भी उनके मस्तक के श्रमबिंदु जब-तब चमक ही पड़ते।
(क) बालगोबिन भगत पोखरे की ऊँचे भिण्डे पर क्या करते? सही विकल्प का चयन कीजिए।
1. संगीत साधना करते।
2. खँजड़ी लेकर बैठ जाते।
3. खेत-बगीचे व कुहारे को देखते रहते।
4. लोही की लालिया को देखते।
कूट
(i) केवल 1
(ii) केवल 3
(iii) 1 और 2
(iv) 3 और 4
उत्तर:
(iii) 1 और 2
बालगोबिन भगत पोखरे के ऊँचे भिंडे पर खँजड़ी लेकर बैठते थे और संगीत साधना करते थे।
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(ख) गद्यांश के आधार पर बताइए कि रहस्यमयी वातावरण में बालगोबिन भगत क्या कर रहे थे?
(i) कुश की चटाई पर बैठे थे
(ii) काली कमली ओढ़ी थी
(iii) पूरब दिशा की ओर मुँह करके गा रहे थे
(iv) ये सभी
उत्तर:
(iv) ये सभी
रहस्यमयी वातावरण में बालगोबिन भगत एक कुश की चटाई पर काली कमली ओढ़कर पूरब दिशा की ओर मुँह करके गा रहे थे।
(ग) बालगोबिन भगत कार्तिक से फागुन तक प्रतिदिन _______________ कीर्तन करते थे। रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए।
(i) रात्रि
(ii) संध्या
(iii) दोपहर
(iv) प्रभात
उत्तर:
(iv) प्रभात
गद्यांश में स्पष्ट उल्लेख है कि बालगोबिन भगत की प्रभाती कार्तिक मास से आरंभ होकर फागुन मास तक चलती थीं।
(घ) “मैं जाड़े से कँपकँपा रहा था” में ‘मैं’ शब्द किसके किए प्रयुक्त हुआ है?
(i) लेखक के लिए
(ii) बालगोबिन भगत के लिए
(iii) पतोहू के लिए
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(i) लेखक के लिए
“मैं जाड़े से कँपकँपा रहा था” वाक्य में ‘मैं’ शब्द लेखक के लिए प्रयुक्त हुआ है।
(ङ) कथन (A): प्रस्तुत गद्यांश में वातावरण को रहस्मयी कहा गया है।
कारण (R): क्योंकि जब कोहरा होता है, तो आसमान स्पष्ट दिखाई नहीं देता।
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही हैं, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत हैं, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
प्रस्तुत गद्यांश में कोहरे की ओट में स्पष्ट दिखाई न देने के कारण वातावरण को रहस्यमयी कहा गया है, क्योंकि खेत बगीचा, घर- सब पर कुहरा सा छा रहा था। कुछ भी स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहा था।
प्रश्न 8.
गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए।
(क) “पानवाला सदैव कैप्टन का उपहास करता था, किंतु उसकी देशभक्ति और सरल व्यक्तित्व के कारण उनका सम्मान भी करता था।” ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पानवाला एक हँसमुख एवं मज़ाकिया स्वभाव का व्यक्ति था, सदैव कैप्टन को चिढ़ाने के लिए उसका उपहास किया करता था। यद्यपि वह कैप्टन की देशभक्ति एवं उसके सरल व सहज व्यक्तित्व के कारण उसका सम्मान करता था। कैप्टन की मृत्यु हो जाने के कारण वह अत्यंत दुःखी था, इसलिए कैप्टन के बारे में पूछे जाने पर वह अपनी नम आँखों को पोंछने लगता है।
(ख) नवाब साहब द्वारा किए गए किस कार्य से लेखक को पात्र, घटना आदि की अनुपस्थिति में कहानी लिखने की प्रेरणा मिली? ‘लखनवी अंदाज’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब लेखक ने नवाब साहब को खीरे को सूँघने मात्र से ही पेट भर लेने और परम संतुष्टि पाने के बाद डकार लेते सुना, तो उसके ज्ञान चक्षु यह सोचकर खुल गए कि यह तो बड़े आश्चर्य की बात है। कि किसी प्रिय खाद्य वस्तु को बिना खाए भी परम संतुष्टि पाई जा सकती है और डकार भी ली जा सकती है। यदि ऐसा है तो फिर पात्र, घटना आदि की अनुपस्थिति में कहानी भी लिखी जा सकती है।
(ग) एक कहानी यह भी की लेखिका को प्रारंभ में हिंदी के किस उपन्यास को समझने में कठिनाई हुई? कुछ सालों बाद उसी उपन्यास से क्या जानकारी प्राप्त हुई?
उत्तर:
‘एक कहानी यह भी की लेखिका मन्नू भंडारी को प्रारंभ में ‘अज्ञेय’ जी द्वारा रचित उपन्यास ‘शेखर: एक जीवनी’ को समझने में कठिनाई हुई, क्योंकि लेखिका उस समय छोटी थी और बिना लेखकों की जानकारी के केवल पुस्तकों को पढ़ती रहती थी, परंतु जब उनका शीला अग्रवाल से परिचय हुआ, तो शीला अग्रवाल ने साहित्य की दुनिया में लेखिका का प्रवेश कराया। ‘शेखरः एक जीवनी’ को भी पुनः पढ़ा। इस बार लेखिका को उसके जीवन मूल्य समझ में आए। उसे पता चला कि यह शायद मूल्यों के मंथन का युग है। नैतिक-अनैतिक, पाप-पुण्य से बनी धारणाओं को तर्क-वितर्क के साथ ध्वस्त किया जा रहा है।
(घ) ‘संस्कृति’ पाठ के आधार पर सुसंस्कृत व्यक्ति किसे कहा जा सकता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सुसंस्कृत व्यक्ति उसे कहा गया है, जो अपनी बुद्धि और विवेक से किसी नई वस्तु की खोज करे और दर्शन करे अर्थात् किसी नई वस्तु की खोज करने वाला व्यक्ति ही वास्तव में सुसंस्कृत व्यक्ति कहा जा सकता है। उदाहरण के लिए, न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का आविष्कार किया था, इसलिए न्यूटन को सुसंस्कृत व्यक्ति कहा जा सकता है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पठित काव्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
मन की मन ही माँझ रही।
कहिए जाइ कौन पै ऊधौ, नाहीं परत कही।
अवधि अधार आस आवन की तन-मन बिथा सही।
अब इन जोग सँदेसनि सुनिसुनि बिरहिनि बिरह दही।
चाहति हुतीं गुहारि जितहिं तैं, उत तैं धार बही।
‘सूरदास’ अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लही।
(क) काव्यांश के आधार पर बताइए कि किनकी अभिलाषाएँ मन में ही रह गई?
(i) गोपियों की
(ii) कृष्ण की
(iii) उद्धव की
(iv) कवि की
उत्तर:
(i) गोपियों की
गोपियाँ उद्धव से कहती हैं कि हमारे मन की अभिलाषाएँ हमारे मन में ही रह गई, क्योंकि हम श्रीकृष्ण से यह कह नहीं पाई कि हम उनसे प्रेम करती हैं।
(ख) कथन (A): गोपियों के जीवन का आधार उद्भव के आने की आशा है।
कारण (R): कृष्ण के विरह में गोपियों ने तन व मन की व्यथा को सहा है।
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
गोपियों के जीवन का आधार उद्धव की नहीं, अपितु कृष्ण के आने की आशा है। कृष्ण के विरह में ही गोपियों ने तन-मन की व्यथा को सहन किया है।
(ग) गोपियाँ विरह की ज्वाला में क्यों जल रही हैं?
1. कृष्ण के योग के संदेश से
2. कृष्ण के चले जाने से
3. उद्धव के संदेश से
4. उद्धव के चले जाने से
कूट
(i) केवल 1
(ii) केवल 2
(iii) 3 और 4
(iv) 1 और 2
उत्तर:
(i) केवल 1
कृष्ण के योग के संदेश को सुनकर गोपियाँ विरह की ज्वाला में जल रही हैं। वे कहती हैं कि हम जहाँ से भी श्रीकृष्ण के विरह की ज्वाला से अपनी रक्षा करने के लिए सहारा लेना चाहती हैं, वहाँ से ही योग की धारा बहती चली आ रही है।
(घ) काव्यांश के आधार पर बताइए कि गोपियाँ उद्भव से श्रीकृष्ण के बारे में क्या कहती हैं?
(i) उन्होंने हमसे मिलने का वादा भुला दिया है।
(ii) उन्होंने सभी मर्यादाओं का त्याग कर दिया है।
(iii) उन्हें हमारे पास आना चाहिए था।
(iv) हम उनसे मिलने मथुरा जाएँगी।
उत्तर:
(ii) उन्होंने सभी मर्यादाओं का त्याग कर दिया है।
काव्यांश में बताया गया है कि गोपियाँ उद्धव से कहती हैं कि श्रीकृष्ण ने सभी मर्यादाओं का त्याग कर दिया है।
(ङ) प्रस्तुत काव्यांश में सूरदास किसके माध्यम से अपनी बात कह रहे हैं?
(i) उद्धव के माध्यम से
(ii) गोपियों के माध्यम से
(iii) कृष्ण के माध्यम से
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ii) गोपियों के माध्यम से
प्रस्तुत काव्यांश में सूरदास गोपियों के माध्यम से अपनी बात कह रहे हैं।
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प्रश्न 10.
कविताओं के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)
(क) राम-लक्ष्मण परशुराम संवाद’ के प्रसंग के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लक्ष्मण को परशुराम से वाद-विवाद करने की आवश्यकता क्यों पड़ी?
उत्तर:
लक्ष्मण श्रीराम के छोटे भाई थे। अपने बड़े भाई श्रीराम के प्रति उनकी अपार श्रद्धा थी। परशुराम सभा में आकर राम पर क्रोध कर रहे थे और उन्हें शिव धनुष भंग करने का अपराधी मान रहे थे। अपने बड़े के प्रति कहे गए कठोर शब्दों को न सहन कर पाने के कारण लक्ष्मण के लिए परशुराम जी से वाद-विवाद करना आवश्यक हो गया था।
(ख) कवि ने बादलों की सुंदरता का बखान किस प्रकार किया है? ‘उत्साह’ कविता के आधार पर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कविता के अनुसार, बादल सुंदर, काले और घुंघराले बालों जैसे हैं। उनके हृदय में बिजली का निवास है। वे अपनी भयंकर गर्जना से उत्साह प्रकट करते हैं। वे वर्षा करके सभी को नया जीवन प्रदान करते हैं और साथ ही पीड़ित प्यासे मनुष्य की इच्छाओं को भी पूरा करते हैं।
(ग) आत्मकथ्य’ कविता में कवि अपने जीवन की कठिनाइयों और संघर्षों का खुलासा करने से क्यों झिझकता है? कवि के दृष्टिकोण का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
कवि अपने जीवन की दुर्बलताओं को किसी के सामने प्रकट नहीं करना चाहता था, क्योंकि उसके जीवन में सुख के पल बहुत कम आए। उसका जीवन अभावों से भरा था, जिसे सुनकर किसी को भी सुख प्राप्त नहीं होगा, अपितु वह उनके मध्य हँसी का पात्र बनेगा। कवि अपने साथ छल-कपट करने वालों का पर्दाफाश नहीं करना चाहता, क्योंकि इससे न तो कवि को लाभ है और न दूसरों को इसी कारण से कवि अपने व्यक्तिगत जीवन की कठिनाइयों व संघर्षों को सबके समक्ष प्रस्तुत नहीं करना चाहते थे।
(घ) नदियों का पानी ‘जादू’ का काम कैसे करता है? ‘फसल’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
फ़सल अनेक नदियों के जल से सिंचित होती है। नदियों का जल फ़सल के रूप में परिणत होकर सामने आता है। मिट्टी के भीतर बोए हुए बीजों पर नदियों का पानी जादू का सा असर करता है। इसी पानी के प्रभाव से बीज अंकुरित होते हैं और धरती को चीरकर बाहर निकलते हैं और फिर धीरे-धीरे विकसित होकर फ़सल का रूप धारण करते हैं। यह नदियों के जल का जादुई प्रभाव है।
प्रश्न 11.
पूरक पाठ्यपुस्तक के पाठों पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए। (4 × 2 = 8)
(क) भोलानाथ के अपने पिताजी के साथ घनिष्ठ संबंध थे। वे उसके साथ हर खेल में हिस्सा लेते थे। भोलानाथ की उसके पिता के साथ कुश्ती से किस प्रकार के संबंधों का पता चलता है? क्या इस प्रकार के संबंध आज भी विद्यमान हैं? ‘माता का अँचल’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भोलानाथ की उसके पिता के साथ कुश्ती से पिता-पुत्र के बीच आत्मीय संबंधों का पता चलता है। आज समाज में अधिक धन कमाने की अंधी दौड़ में पिता-पुत्र के बीच इस प्रकार के संबंध लुप्त होते जा रहे हैं। निर्धन वर्ग में तो इस प्रकार के संबंध फिर भी देखे जा सकते हैं, किंतु समाज के उच्च वर्ग में पिता के लिए इस प्रकार के खेलों के लिए समय निकालना बहुत कठिन है। आधुनिक जीवन शैली तथा आगे बढ़ने की दौड़ में उपर्युक्त आत्मीय संबंध कमज़ोर पड़ते जा रहे हैं।
(ख) यूमथांग जाते हुए लेखिका ने अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लिया। ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखिका को यह अनुभव कब हुआ कि ‘जीवन का आनंद यही चलायमान सौंदर्य है?’
उत्तर:
यूमथांग जाने के मार्ग में जब धुंध थोड़ी कम हो गई, तो लेखिका ने देखा कि चारों ओर स्वर्ग जैसी सुंदरता विद्यमान है। जहाँ तक देखो, खूबसूरती-ही खूबसूरती है। सतत् प्रवाहमान झरने और नीचे अत्यंत वेग से गिरती तिस्ता नदी, सामने से उठती हुई धुंध तथा ऊपर की ओर मँडराते हुए बादल, धीमी हवा में हिलोरे लेते हुए फूल, ये सभी मन को मोह रहे थे। यह सब देखकर लेखिका को अनुभव हुआ कि ‘जीवन का आनंद यही चलायमान सौंदर्य’ है।
(ग) हिरोशिमा में विस्फोट पीड़ित लोगों को देखकर लेखक का हृदय उनकी पीड़ा से व्यथित हो गया था। ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के आधार पर बताइए कि हिरोशिमा पर लिखी कविता अंतः व बाह्य दोनों दबाव का परिणाम है।
उत्तर:
‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ में लेखक जब जापान घूमने गया था, तो हिरोशिमा में उस विस्फोट से पीड़ित लोगों को देखकर उसे थोड़ी पीड़ा हुई, परंतु उसका मन लिखने के लिए उसे प्रेरित नहीं कर पा रहा था। हिरोशिमा के पीड़ितों को देखकर लेखक को पहले ही अनुभव हो चुका था, परंतु जले पत्थर पर किसी व्यक्ति की उजली छाया को देखकर उसको हिरोशिमा में विस्फोट से प्रभावित लोगों के दर्द की अनुभूति हुई, जिसने लेखक को लिखने के लिए प्रेरित किया। इस तरह हिरोशिमा पर लिखी कविता अंत व बाह्य दोनों दबाव का परिणाम है।
खंड ‘घ’ (रचनात्मक लेखन) (20 अंक)
इस खंड में रचनात्मक लेखन पर आधारित प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 120 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए। (6)
(क) समय का सदुपयोग
संकेत बिंदु
- भूमिका
- सफल जीवन का रहस्य
- समय की उपेक्षा का परिणाम
- समय की उपयोगिता के लाभ
उत्तर:
समय का सदुपयोग
समय के सदुपयोग का अर्थ है- समय का सही उपयोग। दूसरे शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि सही समय पर सही कार्य करना ही ‘समय का सदुपयोग’ कहलाता है। किसी भी प्रकार की सफलता का रहस्य समय का सदुपयोग है। समय के सदुपयोग में ही जीवन की सफलता का रहस्य निहित है। समय सभी के लिए समान रहता है- चाहे वह निर्धन हो या धनवान राजा हो या रंक, मूर्ख हो या विद्वान्। इसलिए सभी को अपना जीवन सफल और सार्थक बनाने हेतु समय का सदुपयोग करना आवश्यक है। आज तक जितने भी महान व्यक्ति हुए हैं, सभी ने समय के महत्त्व को एक मत में स्वीकार किया है। समय का सदुपयोग सामान्य व्यक्ति को भी महान बना देता है और दुरुपयोग महान व्यक्ति को भी अत्यंत सामान्य।
किसी विचारक ने ठीक ही कहा है कि ‘जो व्यक्ति समय को बर्बाद करते हैं, एक दिन समय उन्हें बर्बाद कर देता है।’ अंग्रेज़ी में भी समय को धन कहा गया है। जो व्यक्ति इस धन को यूँ ही लुटाता रहता है, वह एक दिन समय का रोना रोता है, किंतु बाद में पछताने से कुछ नहीं होता है। समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता। खोया हुआ धन, पुनः अर्जित किया जा सकता है, खोया हुआ वैभव, पुनः प्राप्त किया जा सकता है, खोया हुआ स्वास्थ्य, उचित चिकित्सा द्वारा प्राप्त किया जा सकता है, भूली हुई विद्या पुनः अर्जित की जा सकती है, किंतु समय को एक बार खोने के बाद उसे पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता। यह निरंतर गतिशील है। अतः हमें इसके साथ कदम मिलाकर चलते रहना चाहिए। अन्यथा हमें समय की उपेक्षा का दंड झेलना ही पड़ता है।
व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने के लिए अपना निश्चित कार्यक्रम बनाकर एवं एकाग्रचित्त होकर कार्य करना चाहिए, तब ही सफलता उसका वरण करेगी। प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करना ही बुद्धिमानी है। अतः समय की महत्ता को समझना व पहचानना चाहिए। महादेवी वर्मा ने भी लिखा है-
“तू मोती के द्वीप स्वप्न में रहा खोजता,
तब तो बहता समय शिला-सा जम जाएगा।”
(ख) खेलकूद का महत्त्व
संकेत बिंदु
- भूमिका
- खेलकूद से लाभ
- समग्र व्यक्तित्व का विकास
- खेलकूद की आवश्यकता
उत्तर:
खेलकूद का महत्त्व
खेलकूद मनुष्य के लिए वरदान स्वरूप माने जाते हैं। इससे व्यक्ति का मस्तिष्क पूर्ण रूप से स्वस्थ रहता है। यदि व्यक्ति का मस्तिष्क स्वस्थ न रहे, तो इसका प्रतिकूल प्रभाव उसके जीवन पर पड़ता है। किसी भी व्यक्ति का मस्तिष्क तभी स्वस्थ रह सकता है, जब उसका शरीर भी स्वस्थ रहे।
खेलकूद के अनेक लाभ हैं- इससे शरीर की मांसपेशियाँ एवं हड्डियाँ मज़बूत रहती हैं। रक्त का संचार सुचारु रूप से होता है, पाचन क्रिया सुदृढ़ रहती है, शरीर को अतिरिक्त ऑक्सीजन मिलती है और खेलकूद से रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
खेल मनुष्य के शारीरिक विकास के लिए आवश्यक है। अतः एक व्यक्ति को शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना आवश्यक है और खेल व्यायाम का एक ऐसा प्रकार है, जिसमें व्यक्ति का शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक मनोरंजन भी होता है।
खेल से मानसिक तनावों को झेलने की क्षमता बढ़ती है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था, “यदि तुम गीता के मर्म को समझना चाहते हो, तो खेल के मैदान में जाकर फुटबॉल खेलो।” सचमुच जीवन में शिक्षा की भाँति खेल के महत्त्व को नकारा नहीं जा सकता।
खेल के महत्त्वपूर्ण होने के पश्चात् भी यदि व्यक्ति पेशेवर खिलाड़ी नहीं हैं, तो उसके लिए इस बात का ध्यान रखना अनिवार्य हो जाता है कि खेल को खेल के समय ही खेला जाए, काम के समय नहीं इस प्रकार हम निष्कर्ष के रूप में कह सकते हैं कि मनुष्य के सर्वांगीण एवं संतुलित विकास के लिए खेलकूद को जीवन में पर्याप्त स्थान दिया जाना चाहिए।
(ग) विकास की देन दूषित पर्यावरण
संकेत बिंदु
- भूमिका
- विकास के नकारात्मक प्रभाव
- विज्ञान के आविष्कार
- पर्यावरण का बचाव
उत्तर:
विकास की देन दूषित पर्यावरण
पर्यावरण और विकास परस्पर जुड़े हुए हैं। पर्यावरण पर विचार किए बिना विकास के बारे में सोचा नहीं जा सकता। विकास एक सतत् चलने वाली प्रक्रिया है। हालाँकि विकास के कुछ सकारात्मक और नकारात्मक परिणाम होते हैं। यदि पर्यावरण पर विचार किए बिना विकास किया जाता है, तो इसका पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पर्यावरण से तात्पर्य वायु, जल और भूमि से है। इन सभी कारकों का मानव के साथ अंतर्संबंध होता है। आज मनुष्य दिनों-दिन विकास के मार्ग में अग्रसर हैं, किंतु इस विकास के चलते वह अपना अस्तित्व ही खतरे में डाल रहा है तथा वह इस बात से अनभिज्ञ है।
ज्यों-ज्यों मानव सभ्यता का विकास हो रहा है, त्यों-त्यों पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा बढ़ती ही जा रही है। इसे बढ़ाने में मनुष्य के क्रिया-कलाप और उसकी जीवन शैली काफी हद तक जिम्मेदार हैं। सभ्यता के विकास के साथ-साथ मनुष्य ने कई नए आविष्कार किए हैं, जिनसे औद्योगीकरण को बढ़ावा मिला है, परंतु औद्योगीकरण से वायु, जल तथा भूमि तीनों प्रदूषित होते हैं। आधुनिकीकरण एवं जनसंख्या वृद्धि के कारण मनुष्य दिन-प्रतिदिन वनों की कटाई करते हुए खेती और घर के लिए जमीन को पेड़ों से खाली करता जा रहा है, जिससे पर्यावरण असंतुलित हो गया है।
आज विज्ञान के नित नए आविष्कारों ने हमारे जीवन को जटिलता से सरलता की ओर ला दिया है, किंतु इसका हमें बहुत बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ रहा है और वह है- प्रदूषित पर्यावरण। अंततः कहा जा सकता है कि किसी भी समाज के लिए विकास करना अपेक्षाकृत काफी कठिन होता है, किंतु विकास के साथ-साथ हमें अपने पर्यावरण का भी ध्यान रखना होगा, तभी विकास सफल कहलाएगा अन्यथा हमें दूषित वातावरण ही मिलेगा।
प्रश्न 13.
आपने हाल ही में एक नया मकान खरीदा है, जिसके जलकर के बिल में पिछले तीन वर्षों का बकाया शामिल है। इस स्थिति से उत्पन्न समस्या का उल्लेख करते हुए जल विभाग के अधिकारी को लगभग 100 शब्दों में एक शिकायत पत्र लिखिए। (6)
अथवा
आप प्रियंका गौतम हैं। अपने मित्र के माता-पिता के निधन के दुःखद समाचार से व्यक्ति होकर मित्र को सांत्वना पत्र लिखिए। पत्र में उनके साथ बिताए गए क्षणों का स्मरण करते हुए, इस दुःख को सहन करने की प्रेरणा दें और ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हुए लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए।
उत्तर:
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 15 जुलाई, 20XX
सेवा में,
श्रीमान अधिशासी अभियंता,
जल निगम,
दिल्ली।
विषय: जल-कर के त्रुटिपूर्ण बिल (बिल संख्या 12M/33255 दिनांक 2 जुलाई, 20XX) को सही कराने हेतु।
महोदय,
उपर्युक्त बिल के संबंध में मेरा आप से निवेदन है कि मैंने मकान संख्या L-355 HIG रोहिणी विकास प्राधिकरण से 22 सितम्बर, 20XX को खरीदा है। आपके विभाग द्वारा प्रेषित उपयुक्त बिल में मुझे पिछले तीन वर्षों का जल कर (बीस हजार रुपये ) 25 जुलाई, 20XX तक चुकाने का आदेश दिया गया है। मुझे अभी इस मकान में आए हुए केवल दो महीने ही हुए हैं। इतने कम समय में इतनी बड़ी धनराशि चुकाने का आदेश देना न्यायसंगत नहीं है। इस विषय में मेरा आपसे अनुरोध है कि मेरे मकान के जल कर की वास्तविक स्थिति का पता कराकर सही जल कर का बिल भेजने की कृपा करें। साथ ही अंतिम तिथि संबंधी शर्त को इस बार लागू न करें।
धन्यवाद।
प्रार्थी
क.ख.ग.
अथवा
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 27 मार्च, 20XX
मित्र गगन,
सप्रेम नमस्कार!
आज मुझे तुम्हारे माता-पिता के एक बस दुर्घटना में निधन का समाचार मिला। यह समाचार सुनकर मेरे दिल को बहुत दुःख पहुँचा। पता नहीं क्यों, मुझे तो इस समाचार पर अब भी विश्वास नहीं हो रहा है। अभी कुछ ही दिन पहले तो मैं तुम्हारे पास आई थी और माताजी- पिताजी से घंटों बातें की थी। तुम्हारे पिताजी ने तो मेरे घर आने का वायदा भी किया था, जिसे वह अब कभी नहीं निभा सकेंगे। तुम्हारी माताजी को देखकर तो मुझे अपनी स्वर्गीय माँ की याद आती थी।
क्या करें, ईश्वर की लीला भी बड़ी विचित्र है। उसके आगे किसी की नहीं चलती। मैं इस बात को भली-भाँति जानती हूँ कि तुम्हारे ऊपर विपत्ति का भारी पहाड़ टूट पड़ा है, किंतु धैर्य धारण करने के अतिरिक्त और कोई उपाय भी नहीं है। मैं परमपिता परमेश्वर से यह प्रार्थना करती हूँ कि वह तुम्हारे माता-पिता की आत्मा को शांति प्रदान करें और परिवार के सदस्यों को इस असीम दुःख को सहन करने की शक्ति दें।
तुम्हारी शोकाकुल मित्र
प्रियंका गौतम
प्रश्न 14.
आप तरुण शर्मा हैं। आप एम. कॉम कर चुके हैं। आपको डी.ए.वी. स्कूल में अ ब स नगर कंप्यूटर अध्यापक पद के लिए आवेदन करना है। इसके लिए आप अपना संक्षिप्त स्ववृत्त (बायोडाटा) लगभग 80 शब्दों में तैयार कीजिए। (4)
अथवा
आप सुनील जाँगिड़ हैं। आपने बैंक ऑफ बड़ौदा में खाता खुलवाया है, लेकिन आपको अभी तक चैक बुक नहीं मिली। इसके लिए शिकायत करते हुए बैंक प्रबंधक को चैक बुक भिजवाने के लिए लगभग 80 शब्दों में ई-मेल लिखिए।
उत्तर:
स्ववृत्त
नाम : तरुण शर्मा
पिता का नाम : श्री सुनील शर्मा
माता का नाम : श्रीमती राधा शर्मा
जन्म तिथि : 16 मार्च, 19XX
वर्तमान पता : डी-31, आनंदपुरी, एम डी रोड, जयपुर
स्थायी पता : उपर्युक्त
दूरभाष नंबर : 01415468XX
मोबाइल नंबर : 78XXXXXXXX
ई-मेल : 23tarun@gmail.com

अन्य संबंधित योग्यताएँ
- कंप्यूटर का विशेष ज्ञान और अभ्यास (एम. एस. ऑफिस, एक्सेल, इंटरनेट)।
- अंग्रेज़ी भाषा का ज्ञान।
उपलब्धियाँ
- सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता (राज्य स्तरीय वर्ष 2014) में प्रथम पुरस्कार।
- सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता (राष्ट्रीय स्तर वर्ष 2017) में प्रथम पुरस्कार।
कार्येत्तर गतिविधियाँ और अभिरुचियाँ
- सांख्यिकी विभाग (राज्य सरकार) में तीन माह की जनगणना के आँकड़ों को एकत्र करने तथा उनका विश्लेषण करने से संबंधित प्रोजेक्ट किया।
- सामान्य ज्ञान से संबंधित पत्रिकाओं का नियमित पठन किया।
- समाचार पत्र का नियमित पठन किया।
संदर्भित व्यक्तियों का विवरण
- श्री मोहन लाल शर्मा, प्रिंसिपल, राजकीय विद्यालय, राजापार्क, जयपुर।
- श्री विकल्प गुप्ता, प्रोफेसर, राजस्थान कॉलेज, जयपुर।
उद्घोषणा मैं यह पुष्टि करता हूँ कि मेरे द्वारा दी गई उपर्युक्त सभी जानकारी पूर्ण रूप से सत्य है।
तिथि 6.10.20XX
स्थान जयपुर
हस्ताक्षर
तरुण शर्मा
अथवा
From: Sunil@gmail.com
To : debit card@gmail.com
CC : BOB manage@gmail.com
BCC : abc@gmail.com
विषय चैक बुक न मिलने की शिकायत हेतु।
महोदय,
मेरा खाता नं. 43250XXX है। मैंने एक माह पहले चैक बुक के लिए आवेदन किया था, किंतु यह मुझे अभी तक नहीं मिली है। इसके न मिलने से मुझे अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है अतः मेरी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कृपया बताएँ कि चैक बुक आने की देरी की क्या वजह है। आपसे निवेदन है कि आप मेरी चैक बुक शीघ्र से शीघ्र मेरे पते पर भेजने का कष्ट करें।
धन्यवाद।
भवदीय
सुनील जाँगिड़
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प्रश्न 15.
आपके अंकल ने एक हेलमेट की दुकान खोली है। वे प्रचार-प्रसार के लिए स्थानीय समाचार पत्र में उसका विज्ञापन देना चाहते हैं। आप उनके लिए लगभग 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (4)
अथवा
आपकी छोटी बहन ने दसवीं की बोर्ड परीक्षा में विद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इस उपलक्ष्य में अपनी बहन को 40 शब्दों में बधाई संदेश लिखिए।
उत्तर:

अथवा
प्रथम स्थान के उपलक्ष्य में बधाई संदेश
दिनांक 2 मई, 20XX
समय प्रात: 12 बजे
प्रिय बहन!
सस्नेह! तुमने अपने विद्यालय में दसवीं की बोर्ड परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया, उसके लिए तुम्हें बहुत-बहुत बधाई। यह सब तुम्हारे आत्मविश्वास व कठोर परिश्रम के कारण ही संभव हो पाया है। तुम्हारी यह उन्नति हम सभी के लिए प्रेरणादायी है। हम सभी को तुम पर गर्व है। ईश्वर तुम्हें जीवन के प्रत्येक कदम पर सफलता प्रदान करें। मैं आशा करती हूँ कि तुम भविष्य में भी इसी प्रकार उन्नति करती रहो।
तुम्हारी बड़ी बहन
क. ख. ग.
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