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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 8 with Solutions - #NCSOLVE 📚

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Students can access the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi with Solutions and marking scheme Set 8 will help students in understanding the difficulty level of the exam.

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course A Set 8 with Solutions

समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80

सामान्य निर्देश
निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका सख्ती से अनुपालन कीजिए।

  • इस प्रश्न पत्र में चार खंड हैं- क, ख, ग और घ
  • इस प्रश्न-पत्र में कुल 15 प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
  • प्रश्न पत्र में आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
  • प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए लिखिए।

खंड ‘क’ (अपठित बोध) (14 अंक)

इस खंड में अपठित गद्यांश व काव्यांश से संबंधित तीन बहुविकल्पीय (1 × 3 = 3) और दो अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक (2 × 2 = 4) प्रश्न दिए गए हैं।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर लिखिए। (7)
हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं, जहाँ एक तरफ भौतिक समृद्धि अपनी ऊँचाई पर है, तो दूसरी तरफ चारित्रिक पतन की गहराई है। आधुनिकीकरण में उलझा मानव सफलता की नित नई परिभाषाएँ खोजता रहता है और अपनी अंतहीन इच्छाओं के रेगिस्तान में भटकता रहता है। ऐसे समय में सच्ची सफलता और सुख-शांति की प्यास से व्याकुल व्यक्ति अनेक मानसिक रोगों का शिकार बनता जा रहा है। हममें से कितने लोगों को इस बात का ज्ञान है कि जीवन में सफलता प्राप्त करना और सफल जीवन जीना, यह दोनों दो अलग-अलग बातें हैं।

यह जरूरी नहीं कि जिसने अपने जीवन में साधारण कामनाओं को हासिल कर लिया हो, वह पूर्णतः संतुष्ट और प्रसन्न भी हो। अतः हमें गंभीरतापूर्वक इस बात को समझना चाहिए कि इच्छित फल को प्राप्त कर लेना ही सफलता नहीं है। जब तक हम अपने जीवन में नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों का सिंचन नहीं करेंगे, तब तक यथार्थ सफलता पाना हमारे लिए मुश्किल ही नहीं, अपितु असंभव कार्य हो जाएगा, क्योंकि बिना मूल्यों के प्राप्त सफलता केवल क्षणभंगुर सुख के समान रहती है। यदि आप असफलता से निराश हो चुके हैं और ऐसा सोच रहे हैं कि सब कुछ यहीं खत्म हो गया तो आपको सफल व्यक्तियों के बारे में पढ़ना चाहिए। निराश और उत्साहहीन करने वाले हर विचार हमें पीछे की ओर धकेलते हैं। निराश हो जाना अथवा हिम्मत हारकर उत्साहहीन होकर बैठ जाना स्वयं के प्रति एक अपराध है।

हमें अपने आप में स्फूर्ति तथा मन में उत्साह भरते हुए स्वयं पर विश्वास करना चाहिए। कुछ निराशावादी लोगों का कहना है कि हम सफल नहीं हो सकते, क्योंकि हमारी तकदीर या परिस्थितियाँ ही ऐसी हैं, परंतु यदि हम अपना ध्येय निश्चित करके उसे अपने मन में बिठा लें तो फिर सफलता स्वयं हमारी ओर चलकर आएगी। सफल होना हर मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है, परंतु यदि हम अपनी विफलताओं के बारे में ही सोचते रहेंगे, तो सफलता को कभी हासिल नहीं कर पाएँगे। अतः विफलताओं की चिंता न करें, क्योंकि वे तो हमारे जीवन का सौंदर्य हैं और संघर्ष जीवन का काव्य है। कई बार प्रथम आघात में पत्थर नहीं टूट पाता, उसे तोड़ने के लिए कई आघात करने पड़ते हैं, इसलिए सदैव अपने लक्ष्य को सामने रख आगे बढ़ने की जरूरत है। कहा भी गया है कि जीवन में सकारात्मक कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

(क) कथन (A): मनुष्य मानसिक रोगों का शिकार होता जा रहा है। (1)
कारण (R): मनुष्य अपने कार्य से असंतुष्ट रहता है।
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
मनुष्य असंतुष्ट होने के कारण मानसिक रोगों का शिकार होता जा रहा है। अतः विकल्प (i) सही है।

(ख) “विफलताओं की चिंता नहीं करनी चाहिए।” प्रस्तुत कथन पढ़कर सही विकल्प का चयन कीजिए। (1)
1. क्योंकि उनका लगातार चिंतन करने से सफलता कभी हासिल नहीं होगी।
2. क्योंकि विफलताएँ हमारे जीवन का सौंदर्य हैं।
3. क्योंकि विफल होना अपराध है।
4. क्योंकि विफलताएँ पथभ्रष्ट करती हैं।
कूट
(i) केवल 1
(ii) 1 और 2
(iii) 2 और 3
(iv) 3 और 4
उत्तर:
(ii) 1 और 2
गद्यांश के अनुसार, हमें विफलताओं की चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि वे हमारे जीवन का सौंदर्य होती हैं तथा उनका लगातार चिंतन करने से कभी सफलता नहीं मिलती।

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 8 with Solutions

(ग) गद्यांश के अनुसार ‘सच्ची सफलता पाने के’ विषय में असत्य कथन कौन-सा है? (1)
(i) सच्ची सफलता की प्यास व्यक्ति को मानसिक रोगी बना देती है।
(ii) सच्ची सफलता व सफल जीवन दोनों समान हैं।
(iii) इच्छित फल को प्राप्त कर लेना ही सफलता नहीं है।
(iv) नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों से ही सच्ची सफलता प्राप्त हो सकती है।
उत्तर:
(ii) सच्ची सफलता व सफल जीवन दोनों समान हैं।
सच्ची सफलता पाने के विषय में असत्य कथन है कि सच्ची सफलता व सफल जीवन दोनों समान हैं, क्योंकि जीवन में सफलता प्राप्त करना तथा सफल जीवन जीना, ये दोनों दो अलग-अलग बातें हैं।

(घ) इच्छित फल को प्राप्त कर लेना ही सफलता नहीं है।’ प्रस्तुत पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति से आशय यह है कि मनुष्य को अपनी इच्छाओं व कामनाओं को प्राप्त करना ही सफलता नहीं है, क्योंकि नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों के बिना यथार्थ सफलता को प्राप्त नहीं किया जा सकता और ऐसी सफलता क्षणिक सुख ही प्रदान करती है।

(ङ) निराश की स्थिति में व्यक्ति को क्या करना चाहिए? गद्यांश के आधार पर दो सुझाव दीजिए। (2)
उत्तर:
निराशा की स्थिति जीवन को और कठिन बना देती हैं, ऐसे में इससे बचने के लिए निम्नलिखित सुझावों को अपनाया जा सकता है

  • सफल व्यक्तियों के बारे में पढ़ना चाहिए, ताकि मनोबल बढ़े।
  • अपने आप में स्फूर्ति और मन में उत्साह भरकर स्वयं पर विश्वास करना चाहिए।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर लिखिए। (7)
विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी,
मरो, परंतु यों मरो कि याद जो करें सभी।
हुई न यों सु-मृत्यु तो वृथा मरे, वृथा जिए,
मरा नहीं वही कि जो जिया न आपके लिए।
वही पशु प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।
उसी उदार की कथा सरस्वती बखानती,
उसी उदार से धरा कृतार्थ भाव मानती।
उसी उदार की सदा सजीव कीर्ति कूजती,
तथा उसी उदार को समस्त सृष्टि पूजती।
अखंड आत्मभाव जो असीम विश्व में भरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।
क्षुधा रंतिदेव ने दिया करस्थ थाल भी,
तथा दधीचि ने दिया परार्थ अस्थिजाल भी।
उशीनर शिवि ने स्वमांस दान भी किया,
सहर्ष वीर कर्ण ने शरीर चर्म भी दिया।
अनित्य देह के लिए अनादि जीव क्यों डरे?
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।

(क) प्रस्तुत कविता का केंद्रीय भाव यह है कि ______________________ (1)
(i) अपने स्वार्थ की पूर्ति हेतु कार्य करने चाहिए।
(ii) मनुष्य को हमेशा परोपकार के कार्य करते रहना चाहिए।
(iii) जरूरतमंदों के लिए सहानुभूति का भाव नहीं रखना चाहिए।
(iv) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ii) मनुष्य को हमेशा परोपकार के कार्य करते रहना चाहिए।
प्रस्तुत काव्यांश के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि मनुष्य को हमेशा परोपकार के कार्य करते रहना चाहिए। परोपकारी मनुष्य का यश हमेशा बना रहता है।

(ख) ‘वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे’ पंक्ति का तात्पर्य है (1)
(i) वास्तविक मनुष्य वही है, जो अपने लिए जीता है
(ii) वास्तविक मनुष्य वही है, जो दूसरों के लिए जीता है
(iii) वास्तविक मनुष्य वही है, जो केवल अपने स्वार्थ सिद्ध करता है
(iv) वास्तविक मनुष्य वही है, जो भौतिक वस्तुओं की चाह रखता है
उत्तर:
(ii) वास्तविक मनुष्य वही है, जो दूसरों के लिए जीता है।
प्रस्तुत पंक्ति का तात्पर्य है कि वास्तविक मनुष्य वही होता है, जो दूसरों की चिंता करता है, उनके काम आता है तथा उनके लिए जीता है।

(ग) कथन (A): परोपकारी व्यक्तियों की कथा स्वयं सरस्वती बखानती है। (1)
कारण (R): परोपकारी व्यक्ति दूसरों का परोपकार करते हैं तथा समय पर उनकी सहायता नहीं करते हैं।
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
परोपकारी व्यक्ति दूसरों का परोपकार करते हैं तथा समय पर उनकी सहायता करते हैं।

(घ) काव्यांश के आधार पर कविता का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
इस कविता का उद्देश्य मनुष्य में परोपकार, त्याग और उदारता की भावना को जाग्रत करना है। कवि कहना चाहता है कि सच्चा मनुष्य वही है, जो स्वार्थ से ऊपर उठकर दूसरों के लिए जिए और मरे। इस प्रकार की मृत्यु ही स्मरणीय और प्रेरणादायक होती है।

(ङ) क्या कवि कविता से असंभव उम्मीद पाल रहा है? तर्कपूर्ण टिप्पणी कीजिए। (2)
उत्तर:
नहीं, कवि कोई असंभव अपेक्षा नहीं कर रहा, बल्कि वह मानव को मानवता के आदर्श रूप की ओर प्रेरित कर रहा है। रंतिदेव, दधीचि, शिवि और कर्ण जैसे उदाहरण यह सिद्ध करते हैं कि त्याग और परोपकार मानवता की सर्वोच्च प्रवृत्तियाँ हैं। कवि समाज में इन्हीं मूल्यों के पुनर्जागरण की बात कर रहा है, जो संभव और आवश्यक दोनों हैं।

खोह ‘ख’ (व्यावहारिक व्याकरण) (16 अंक)

व्याकरण के लिए निर्धारित विषयों पर अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक 20 प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें से केवल 16 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।

प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘रचना के आधार पर वाक्य भेद पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर लिखिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘नेताजी का भाषण समाप्त होने पर लोग घर को चले गए।’ इसे संयुक्त वाक्य में परिवर्तित कीजिए।
(ख) ‘हम लोगों को दर्शन करने थे, इसलिए हम मंदिर गए।’ इसे मिश्रित वाक्य में परिवर्तित कीजिए।
(ग) “मुहर्रम के दिनों में न तो कोई शहनाई बजाता है और न ही किसी संगीत कार्यक्रम में शिरकत करता है।” इसे सरल वाक्य में परिवर्तित कीजिए।
(घ) ‘उसने कहा कि वह बहुत बुद्धिमान है।’ रचना के आधार पर वाक्य भेद बताइए।
(ङ) “बोलगोबिन भगत जहाँ भी जाते लोग श्रद्धा से उनके पास खिचे चले आते।” आश्रित उपवाक्य पहचानकर उसका भेद लिखिए।
उत्तर:
(क) नेताजी का भाषण समाप्त हुआ और लोग घर चले गए।
(ख) हम लोग मंदिर इसलिए गए, क्योंकि हम लोगों को दर्शन करने थे।
(ग) मुहर्रम के दिनों में कोई शहनाई और संगीत कार्यक्रम में शिरकत नहीं करता है।
(घ) प्रस्तुत वाक्य मिश्रित/मिश्र वाक्य है।
(ङ) आश्रित उपवाक्य जहाँ भी जाते, भेद क्रियाविशेषण उपवाक्य (स्थानवाचक)

प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘वाच्य’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर लिखिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘सुसंस्कृत व्यक्ति द्वारा नई चीज की खोज की जाती है।’ वाच्य का प्रकार बताइए।
(ख) “उस समय मेरे परिवार में कोई भी स्त्री पढ़ी लिखी नहीं थी।” वाच्य का प्रकार बताइए।
(ग) ‘दुकानदार द्वारा उचित मूल्य लिया गया।’ इसे कर्तृवाच्य में परिवर्तित कीजिए।
(घ) ‘हम गा नहीं सकते।’ इसे भाववाच्य में परिवर्तित कीजिए।
(ङ) ‘मजदूरों ने दो वर्ष में यह पुल तैयार किया।’ इसे कर्मवाच्य में परिवर्तित कीजिए।
उत्तर:
(क) प्रस्तुत वाक्य कर्मवाच्य है।
(ख) प्रस्तुत वाक्य भाववाच्य है।
(ग) दुकानदार ने उचित मूल्य लिया।
(घ) हमसे गाया नहीं जा सकता।
(ङ) मजदूरों द्वारा दो वर्ष में यह पुल तैयार किया गया।

प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘पद परिचय’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर लिखिए। (1 × 4 = 4)
निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित पदों का पद परिचय लिखिए।
(क) वह विश्वास के योग्य नहीं है।
(ख) हम सभी बाहर जा रहे हैं।
(ग) इसके चलते ही मैं दो-एक बार उनके कोप से बच गई थी।
(छ) “जो भजन करने जाता है, वह कभी किसी का अहित नहीं कर सकता।”
(ड) वह बहुत सुंदर लड़की है।
उत्तर:
(क) के योग्य संबंधबोधक अव्यय, संबंधी शब्द ‘वह’ और ‘विश्वास’
(ख) हम पुरुषवाचक सर्वनाम कर्ता कारक, पुल्लिंग, बहुवचन, ‘जा रहे हैं’ क्रिया का कर्ता
(ग) उनके सार्वनामिक विशेषण, पुल्लिंग, विशेष्य ‘कोप’
(घ) किसी सर्वनाम, एकवचन, अपादान कारक
(ङ) बहुत-प्रविशेषण

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 8 with Solutions

प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘अलंकार’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों की रेखांकित काव्य पंक्तियों में अलंकार पहचानकर लिखिए। (1 × 4 = 4)
(क) ‘द्विजदेवता धरहि के बाढ़े’
(ख) पीपर पात सरिस मन डोला
(ग) ‘ले चला साथ मैं तुझे कनक।
ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण।।’
(घ) ‘देख लो साकेत नगरी है यही,
स्वर्ग से मिलने गगन में जा रही।’
(ङ) “फाग गाता मास् फागुन हैं
कई पतर किनारे पी रहे चुप-चाप पक्षी,
प्यास जाने से बुझेगी।”
उत्तर:
(क) रेखांकित काव्य पंक्ति ‘द्विजदेवता’ में रूपक अलंकार है। यहाँ ब्राह्मण देवता है अर्थात् उपमेय पर उपमान का अभेद आरोप है, इसलिए यहाँ रूपक अलंकार हैं।
(ख) रेखांकित पंक्ति में मन की तुलना पीपल के पत्तों से की गई है, जो उपमा अलंकार का स्पष्ट उदाहरण है।
(ग) रेखांकित काव्य पंक्तियों में कनक का अर्थ धतूरा है। कवि कहता है कि वह धतूरे को ऐसे ले चला मानों कोई भिक्षुक सोना ले जा रहा हो। इसमें ज्यों शब्द का अर्थ प्रयोग हुआ है एवं कनक-उपमेय में तथा स्वर्ण उपमान के होने की कल्पना हो रही है। इसके कारण यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।
(घ) रेखांकित काव्य पंक्ति में साकेत नगरी का वर्णन बढ़ा-चढ़ाकर किया गया है। अतः यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।
(ङ) रेखांकित पंक्ति में मानवीकरण अलंकार है। फागुन महीने को फाग गाते हुए और पत्तों को चुपचाप पानी पीते हुए दिखाया गया है, जो मानवीय क्रियाएँ हैं।

खंड ‘ग’ (पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक) (30 अंक)

इस खंड में पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक ‘उपयुक्त’ विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
आषाढ़ की रिमझिम है। समूचा गाँव खेतों में उतर पड़ा है। कहीं हल चल रहे हैं, कहीं रोपनी हो रही है। धान के पानी भरे खेतों में बच्चे उछल रहे हैं। औरतें कलेवा लेकर मेंड़ पर बैठी हैं। आसमान बादल से घिरा, धूप का नाम नहीं है, ठंडी पुरवाई चल रही है। ऐसे ही समय आपके कानों में एक स्वर-तरंग झंकार-सी कर उठी। यह क्या है? यह कौन है? यह पूछना न पड़ेगा। बालगोबिन भगत समूचा शरीर कीचड़ में लिथड़े, अपने खेत में रोपनी कर रहे हैं। उनकी अँगुली एक-एक धान के पौधे को पंक्तिबद्ध, खेत में बिठा रही है। उनका कंठ एक-एक शब्द को संगीत के जीने पर चढ़ाकर कुछ को ऊपर स्वर्ग की ओर भेज रहा है और कुछ को इस पृथ्वी की मिट्टी पर खड़े लोगों के कानों की ओर। बच्चे खेलते हुए झूम उठते हैं, मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ काँप उठते हैं, वे गुनगुनाने लगती हैं, हलवाहों के पैर ताल से उठने लगते हैं, रोपनी करने वालों की अँगुलियाँ एक अजीब क्रम से चलने लगती हैं। बालगोबिन भगत का यह संगीत है या जादू।

(क) गद्यांश के आधार पर बताइए कि भगत के संगीत के जादू का प्रभाव किस पर और क्या पड़ता है?
(i) हलवाहों के पैर उनके संगीत की लय पर उठने लगते हैं
(ii) बच्चे खेलते हुए झूमने लगते हैं
(iii) मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ काँप उठते हैं
(iv) ये सभी
उत्तर:
(iv) ये सभी
भगत के संगीत के जादू के प्रभाव से हलवाहों के पैर उनके संगीत की लय पर उठने लगते हैं, खेलते हुए बच्चे झूमने लगते हैं और मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ काँप उठते हैं। इस प्रकार, बालगोबिन भगत का संगीत संपूर्ण वातावरण को मुग्ध कर देता है।

(ख) गद्यांश के अनुसार बालगोबिन भगत इस समय क्या कार्य कर रहे हैं?
(i) मेंड़ पर बैठकर गीत गा रहे हैं
(ii) अपने खेत में धान की रोपनी कर रहे हैं।
(iii) अपने खेत में पानी दे रहे हैं।
(iv) अपने खेत में हल चला रहे हैं।
उत्तर:
(ii) अपने खेत में धान की रोपनी कर रहे हैं
गद्यांश के अनुसार बालगोबिन भगत इस समय अपने खेत में धान की रोपनी कर रहे हैं। वे कीचड़ में लथपथ हैं।

(ग) बालगोबिन भगत के संगीत की विशेषता है, कथन के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए
1. उनका संगीत लय तालबद्ध नहीं है
2. उनका संगीत सामान्यजन को प्रभावित नहीं कर पाता
3. उनका संगीत प्रत्येक व्यक्ति को रोमांचित व मुग्ध कर देता है।
4. उनके संगीत में मन को हरने की शक्ति नहीं है
कूट
(i) 1 और 2
(ii) 3 और 4
(iii) केवल 3
(iv) केवल 2
उत्तर:
(iii) केवल 3
बालगोबिन भगत का संगीत प्रत्येक व्यक्ति को रोमांचित व मुग्ध कर देता है, जिसके कारण वह व्यक्ति भगत के संगीत की ताल पर ही अपना कार्य करने लगता है।

(घ) भगत अपने संगीत का प्रभाव बढ़ाने के लिए क्या करते थे? उचित विकल्प छाँटकर लिखिए।
1. स्वर को ऊँचा करते थे
2. स्वर को नीचा करते थे
3. स्वर को ऊँचा – नीचा करते थे
4. इनमें से कोई नहीं
कूट
(i) 1 और 2
(ii) 3 और 4
(iii) केवल 3
(iv) केवल 2
उत्तर:
(iii) केवल 3
भगत अपने संगीत का प्रभाव बढ़ाने के लिए स्वर को कभी ऊँचा करते व कभी नीचा करते थे।

(ङ) कथन (A): बालगोबिन भगत के संगीत में जादू था।
कारण (R): बालगोबिन भगत कीचड़ से सने हुए रोपनी करते हैं।
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
बालगोबिन भगत कीचड़ से सने हुए, खेतों में रोपनी करते हैं और साथ ही संगीत साधना भी करते हैं। उनके संगीत को सुनकर सभी मुग्ध हो जाते हैं।

प्रश्न 8.
गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)
(क) ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के संदर्भ में मास्टर मोतीलाल के व्यवहार से स्पष्ट कीजिए कि उन्होंने मूर्ति निर्माण के लिए किस प्रकार का आश्वासन दिया और पटक देना’ जैसे शब्द का प्रयोग किस भावना को दर्शाता है?
उत्तर:
‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में जब मूर्ति बनाने का कार्य किसी स्थानीय कलाकार को देने का निश्चय हुआ होगा, तो मास्टर मोतीलाल ने लोगों को विश्वास दिलाया होगा कि महीने भर में वह मूर्ति बनाकर ‘पटक’ देगा। ‘पटक देना’ शब्द का प्रयोग उन्होंने कार्य को हर हाल में पूरा करने के दिखावटी आत्मविश्वास के रूप में किया था। यह उनकी हड़बड़ी सतही योजना और जल्दबाजी में निर्णय लेने वाली प्रवृत्ति को दर्शाता है।

(ख) ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के लेखक को कल्पना करते रहने की पुरानी आदत क्यों रही होगी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लेखक को कल्पना करते रहने की पुरानी आदत इसलिए रही होगी, क्योंकि वह एक कहानीकार था और नई-नई कल्पनाएँ करते हुए अनेक कहानियों की रचना कर चुका था। अपनी इसी आदत के कारण वह नवाब साहब की आँखों में आए असंतोष के भाव के कारण को जानने की कोशिश करने लगा।

(ग) “संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है, जिसमें कल्याण की भावना निहित होती है।” ‘संस्कृति’ पाठ के आधार पर इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘संस्कृति’ पाठ में लेखक ने संस्कृति और असंस्कृति में अंतर स्पष्ट किया है कि संस्कृति एक अविभाज्य वस्तु है। इसमें योग्यता, प्रेरणा, प्रवृत्ति, ज्ञानेप्सा, चिंतन, मनन, करुणा, सर्वस्व, त्याग, बलिदान आदि गुणों का समावेश है। इसमें भौतिक प्रेरणा तथा ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा के साथ-साथ कल्याण की भावना भी निहित होती है, यही संस्कृति होती है जब संस्कृति में से कल्याण की भावना को निकाल दिया जाता है, तो वह असंस्कृति बन जाती है। उदाहरणस्वरूप भौतिक उन्नति के पीछे अंधी दौड़ या युद्ध की प्रवृत्ति को देखा जा सकता है।

(ङ) ‘एक कहानी यह भी’ पाठ के अनुसार लेखिका के मन में हीन भावना क्यों आ गई थी और इसका उस पर क्या असर पड़ा? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लेखिका के पिता हमेशा उनकी बड़ी बहन से उनकी तुलना करते थे तथा बड़ी बहन की तारीफ करते थे, जिससे उनके मन में हीन भावना आ गई थी। इसका उन पर यह असर पड़ा कि प्रतिष्ठा, सम्मान और नाम पाने के बाद भी उस हीन भावना ने उसका पीछा नहीं छोड़ा। जब कोई उसकी प्रशंसा करने लगता है, तो वह संकोच से स्वयं को लज्जित अनुभव करने लगती और उसे अपनी उपलब्धि पर हमेशा शंका ही बनी रहती।

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प्रश्न 9.
निम्नलिखित पठित काव्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)
नाथ संभुधनु भंजनिहारा।
होइहि केउ एक दास तुम्हारा।।
आयेसु काह कहिअ किन मोही।
सुनि रिसाइ बोले मुनि कोही।।
सेवकु सो जो करै सेवकाई।
अरिकरनी करि करिअ लराई।।
सुनहु राम जेहि सिवधनु तोरा।
सहस्रबाहु सम सो रिपु मोरा।।
सो बिलगाउ बिहाइ समाजा।
न त मारे जैहहिं सब राजा।।
सुनि मुनिबचन लखन मुसुकाने।
बोले परसुधरहि अवमाने।।
बहु धनुही तोरी लरिकाई।
कबहुँ न असि रिस कीन्हि गोसाईं।।
येहि धनु पर ममता केहि हेतू।
सुनि रिसाइ कह भृगुकुलकेतू।।

(क) परशुराम के क्रोध को शांत करने के लिए राम ने उनसे क्या कहा?
(i) धनुष तोड़ने वाला कोई राजकुमार है।
(ii) धनुष तोड़ने वाला आपका कोई सेवक होगा
(iii) धनुष तोड़ने वाला आपका कोई मित्र होगा
(iv) यह धनुष अपने आप टूट गया
उत्तर:
(ii) धनुष तोड़ने वाला आपका कोई सेवक होगा
‘परशुराम के क्रोध को शांत करने के लिए राम ने उनसे कहा कि धनुष तोड़ने वाला आपका कोई सेवक होगा।

(ख) पद्यांश में वर्णित पंक्तियों के आधार पर परशुराम के स्वभाव को लेकर कौन-सा कथन असत्य है?
(i) परशुराम को शिव धनुष से गहरा लगाव था, इसलिए उसके टूटने पर वे क्रोधित हो गए।
(ii) परशुराम ने राम को सहस्रबाहु जैसा शत्रु मानकर युद्ध की चुनौती दी।
(iii) लक्ष्मण ने परशुराम का अपमान करते हुए मुस्कान के साथ व्यंग्य किया।
(iv) परशुराम ने राम की वीरता की प्रशंसा करते हुए उन्हें आशीर्वाद दिया।
उत्तर:
(iv) परशुराम ने राम की वीरता की प्रशंसा करते हुए उन्हें आशीर्वाद दिया।
काव्यांश में परशुराम क्रोधित हैं और राम को सहस्रबाहु के समान अपना शत्रु मानते हैं। लक्ष्मण भी व्यंग्यपूर्ण मुस्कान के साथ उनकी बातों का उत्तर देते हैं। कहीं भी परशुराम ने राम की वीरता की प्रशंसा नहीं की, इसलिए यह कथन असत्य है।

(ग) शिव-धनुष टूटने पर परशुराम क्रोधित क्यों हुए, क्योंकि
प्रस्तुत कथन के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए
1. परशुराम शिव भक्त थे और उन्हें शिव धनुष प्रिय था
2. उन्हें सीता स्वयंवर में आमंत्रित नहीं किया गया था
3. वे क्षत्रिय कुल के विद्रोही थे
4. परशुराम जी क्रोधी स्वभाव के थे
कूट
(i) केवल 1
(ii) केवल 2
(iii) 1 और 2
(iv) 3 और 4
उत्तर:
(i) केवल 1
शिव धनुष टूटने पर परशुराम क्रोधित इसलिए हो गए थे, क्योंकि परशुराम जी शिव भक्त थे और उन्हें शिव धनुष प्रिय था। प्रिय वस्तु के टूटने पर क्रोध आना स्वाभाविक है। वे उस धनुष को कोई सामान्य धनुष नहीं समझते थे।

(घ) ‘सुनि रिसाइ कह भृगुकुलकेतू’ इस पंक्ति में ‘भृगुकुलकेतू’ शब्द किसके लिए प्रयोग किया गया है?
(i) लक्ष्मण के लिए
(ii) राजा जनक के लिए
(iii) परशुराम के लिए
(iv) विश्वामित्र के लिए
उत्तर:
(iii) परशुराम के लिए
प्रस्तुत पंक्ति में ‘भृगुकुलकेतू’ शब्द का प्रयोग परशुराम के लिए किया गया है। भृगुकुलकेतू का अर्थ है- भृगुवंश के पताका रूपी परशुराम।

(ङ) कथन (A): परशुराम शिव धनुष टूटने पर क्रोधित होते हैं।
कारण (R): शिव धनुष तोड़ने वाले की तुलना वे सहस्रबाहु से करते हैं।
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
शिव धनुष तोड़ने वाले की तुलना परशुराम ने अपने शत्रु सहस्रबाहु से की हैं। परशुराम जी शिव धनुष टूटने पर क्रोधित होते हैं और कहते हैं कि हे राम! मेरी बात सुनो जिसने भगवान शिव के इस धनुष को तोड़ा है, वह सहस्रबाहु के समान मेरा शत्रु है। वह इस समाज को छोड़कर शीघ्र ही अलग हो जाए।

प्रश्न 10.
कविताओं के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)
(क) ‘आत्मकथ्य’ कविता के आधार पर बताइए कि कवि ने अपने जीवन को ‘खाली गगरी’ क्यों कहा है? उसकी इस भावना के पीछे क्या कारण हैं? कोई दो तर्क सहित उत्तर लिखिए।
उत्तर:
कवि ने अपने जीवन को ‘खाली गगरी’ इसलिए कहा है, क्योंकि उसे अपने जीवन में केवल अभाव, पीड़ा और संघर्ष की कहानियाँ ही दिखाई देती हैं। उसका मानना है कि उसके अनुभव इतने निराशाजनक हैं कि वे किसी को खुशी या प्रेरणा नहीं दे सकते। पहला तर्क कवि को लगता है कि उसका जीवन दूसरों के लिए किसी काम का नहीं जैसे एक खाली गगरी जिसका कोई उपयोग नहीं। दूसरा तर्क वह अपने जीवन की ‘बड़ी कथाएँ नहीं कहना चाहता, क्योंकि उसमें केवल दुःख और खालीपन भरा है, जिससे दूसरों को निराशा ही मिलेगी।

(ख) “ऊधौ भले लोग आगे के, पर हित डोलत धारण” पंक्ति के द्वारा गोपियाँ क्या बताना चाहती हैं? ‘सूरदास के पदों’ के आधार पर उत्तर लिखिए।
उत्तर:
गोपियाँ प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से उद्धव एवं कृष्ण को यह बताना चाहती हैं कि पहले के लोग अर्थात् प्राचीन राजा बहुत भले होते थे, जो दूसरों की भलाई करने के लिए इधर-उधर दौड़ा करते थे, परंतु उद्धव द्वारा लाए गए योग के संदेश को सुनकर उनका न तो अब उद्धव पर विश्वास रहा और न ही श्रीकृष्ण पर।

(ग) उत्साह’ कविता के माध्यम से कवि द्वारा बादलों को क्रांति के सूचक के रूप में प्रस्तुत करना उनके उत्साह, शक्ति और चेतना के प्रति दृष्टिकोण को प्रमाण है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘उत्साह’ कविता में कवि ने बादलों को क्रांति के सूचक के रूप में प्रस्तुत किया है। समाज में कभी भी क्रांति बादलों की फुहार या रिमझिम बरसने अर्थात् कोमल या मृदु भावों से नहीं आती, अपितु उसके लिए ‘गरजने’ अर्थात् विध्वंस की आवश्यकता होती है। इसलिए कवि नव सृष्टि के निर्माण के लिए बादलों से गरजने के लिए कहता है। गरजने का अर्थ यहाँ उत्साह शक्ति और चेतना के साथ आगे बढ़ना है।

(घ) ‘संगतकार’ कविता के अनुसार जब मुख्य गायक गा रहा होता है, तो उसे किन-किन बातों की याद दिलाता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘संगतकार’ मुख्य गायक का साथ देते समय अप्रत्यक्ष रूप से उसे कुछ बातें याद दिलाता है। कई बार जब मुख्य गायक स्थायी पंक्ति को छोड़कर अंतरे के रूप में गीत का अगला चरण पकड़ता है और तानों में खो जाता है या अपने सरगम को लाँघकर एक अनहद में भटक जाता है, तब संगतकार ही गाने की स्थायी पंक्ति को गाकर स्थिति को संभालता था। वह गायक तथा श्रोतागण के मध्य सेतु का काम करता था। ऐसा लगता है, जैसे वह उसे उसका बचपन याद दिला रहा हो कि जब वह संगीत सीख रहा था और सरगम के स्वर से भटक जाया करता था।

प्रश्न 11.
पूरक पाठ्यपुस्तक के पाठों पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए। (4 × 2 = 8)
(क) अपने बच्चों के प्रति माँ का ममत्व उनके प्रत्येक क्रिया-कलाप से झलकता है। भोलानाथ की माँ उसके भरपेट खाना खाने के बाद भी उसे थोड़ा और खिलाने का हठ करती थी। ‘माता का अँचल’ अध्याय में आए भोजन खिलाने वाले इस प्रसंग का उदाहरण देते हुए अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भोलानाथ के भरपेट खाना खाने के बाद भी उसकी माँ उसे थोड़ा और खिलाने का हठ करती थी। वह उसके बाबूजी से कहती थी कि आप तो चार-चार दाने के कौर बच्चे के मुंह में देते जाते हो, इससे वह थोड़ा खाने पर भी यह समझ लेता है कि बहुत खा चुका। आप खिलाने का ढंग नहीं जानते। बच्चे को भर-मुँह कौर खिलाना चाहिए। माँ के हाथ से खाने पर ही बच्चों का पेट भरता है। माँ के ऐसे व्यवहार से स्पष्ट होता है कि वह अपने बच्चे के प्रति अत्यधिक ममत्व (ममता) का भाव रखती है।

(ख) लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मा एक जैसी क्यों दिखाई दी? ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लोग स्टॉक के घूमते चक्र के बारे में जितेन ने बताया कि यह ‘धर्म चक्र’ है, इसको घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। लेखिका को लगा कि मैदानी क्षेत्र में भी ऐसी अनेक मान्यताएँ और विश्वास प्रचलित है; जैसे- गंगा नदी को पतितपावनी माना जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि मैदान हो या पहाड़, वैज्ञानिक प्रगतियों के बावजूद इस देश की आत्मा एक जैसी है। यहाँ के लोगों की आस्थाएँ, अंधविश्वास, पाप-पुण्य की अवधारणाएँ और कल्पनाएँ एक जैसी हैं।

(ग) ‘मैं क्यों लिखता हूँ?’ पाठ के आधार पर बताइए कि कलाकारों, लेखक, अभिनेता, चित्रकार आदि पर बाहरी दबाव कैसे प्रभाव डालते हैं। किन्हीं दो उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘मैं क्यों लिखता हूँ?’ पाठ के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि कलाकारों पर कई बार बाहरी दबावों का प्रभाव पड़ता है, जिससे उनका सृजन स्वतंत्र नहीं रह पाता। ये दबाव कभी आर्थिक होते हैं, कभी सामाजिक और कभी दर्शकों की माँग से जुड़े होते हैं; जैसे- लेखक कभी-कभी प्रकाशक या संपादक के आग्रह और आर्थिक आवश्यकताओं के कारण कुछ ऐसा लिखने को मजबूर हो जाता है, जिसे वह स्वयं लिखना नहीं चाहता। यह लेखक की स्वतंत्र रचनात्मकता को प्रभावित करता है। आजकल के मंच कलाकार जैसे- गायक, नर्तक या अभिनेता दर्शकों की लोकप्रिय माँग या आयोजकों की अपेक्षाओं के कारण फूहड़ और स्तरहीन प्रस्तुतियाँ देने लगते हैं, जिससे कला का मूल उद्देश्य खोने लगता है।

खंड ‘घ’ (रचनात्मक लेखन) (20 अंक)

इस खंड में रचनात्मक लेखन पर आधारित प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 120 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए।
(क) ई-कचरा
संकेत बिंदु

  • तात्पर्य
  • ई-कचरे से समस्याएँ
  • ई-कचरे का निपटान

उत्तर:
(क) ई-कचरा
ई-कचरा आधुनिक समय की एक गंभीर समस्या है। वर्तमान समय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के फलस्वरूप, आज नित नए-नए उन्नत तकनीक वाले इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों का उत्पादन हो रहा है। जैसे ही बाज़ार में उन्नत तकनीक वाला उत्पाद आता है, वैसे ही पुराने यंत्र बेकार पड़ जाते हैं। इन्हीं अनुपयोगी या खराब हो चुके इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को ई-कचरा कहा जाता है।

आज कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन, टीवी, रेडियो, प्रिंटर, आई – पोड्स आदि के रूप के अनुसार एक वर्ष में ई-कचरा उत्पन्न होता है। में ई-कचरा बढ़ता जा रहा है। एक अनुमान संपूर्ण विश्व में लगभग 50 मिलियन टन यह अत्यंत चिंता का विषय है कि ई-कचरे का निपटान उस दर से नहीं हो पा रहा है, जितनी तेज़ी से यह उत्पन्न हो रहा है। ई-कचरे को खुले में डालने या जलाने से पर्यावरण के लिए गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं, क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों में आर्सेनिक, कोबाल्ट, मरकरी, बेरियम, लिथियम, कॉपर, क्रोम, लेड आदि हानिकारक अवयव होते हैं। इनसे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ गया है।

ई-कचरे की बढ़ती मात्रा को देखते हुए भारत सरकार ने अक्टूबर, 2016 में ई-कचरा प्रबंधन नियम बनाया था। अब समय आ गया है कि ई-कचरे के उचित निपटान और पुनः चक्रण पर ध्यान दिया जाए अन्यथा पूरी दुनिया शीघ्र ही ई-कचरे का ढेर बन जाएगी। इसके लिए विकसित देशों और विकासशील देशों को अपनी तकनीकों को साझा करना होगा। इस समस्या से निपटने के लिए संपूर्ण विश्व को एकजुट होकर कार्य करना होगा।

(ख) आत्मविश्वास और सफलता
संकेत बिंदु

  • भूमिका
  • महत्त्व
  • आत्मविश्वास की पहचान

उत्तर:
(ख) आत्मविश्वास और सफलता
आत्मविश्वास एक मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्ति है। आत्मविश्वास से ही विचारों की स्वाधीनता प्राप्त होती है और इसके कारण ही महान कार्यों के संपादन में सरलता और सफलता मिलती है, जो व्यक्ति आत्मविश्वास से ओत-प्रोत है, उसे अपने भविष्य के प्रति किसी प्रकार की चिंता नहीं रहती। छात्रों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हमेशा प्रेरणा की आवश्यकता होती है और प्रेरणा से आत्मविश्वास बढ़ता है। आत्मविश्वास सीधे हमारी सफलता से जुड़ा होता है। जितना अधिक छात्र प्रेरित होता है, उतने ही अधिक अंक वह प्राप्त कर सकता है।

वर्तमान समय में यदि हमें कुछ पाना है, किसी भी क्षेत्र में कुछ करके दिखाना है, जीवन को खुशी से जीना है, तो इन सबके लिए आत्मविश्वास का होना परम आवश्यक है। आत्मविश्वास से हम बड़े से बड़ा कार्य कर सकते हैं और अपना जीवन सहज बना सकते हैं। मधुमक्खी कण-कण से ही शहद इकट्ठा करती है। उसे कहीं से इसका भंडार नहीं मिलता। उसके छत्ते में भरा शहद उसके आत्मविश्वास और कठिन परिश्रम का ही परिणाम होता है। दुनिया में ईश्वर ने सभी को अनंत शक्तियाँ प्रदान की हैं। हर किसी में कोई-न-कोई विशेष गुण होता है। हमें केवल अपने अंदर के उस विशेष गुण को पहचानने तथा निखारने की आवश्यकता है। यदि आपका अपने ऊपर विश्वास है, तो कोई भी कार्य असंभव नहीं है। आवश्यकता है तो बस आत्मविश्वास बनाए रखने की तथा आत्मविश्वास जगाने की, क्योंकि आत्मविश्वास से ही मनुष्य जीवन के किसी भी मार्ग में सफलता प्राप्त कर सकता है। अंततः कहा जा सकता है कि आत्मविश्वास मनुष्य के अंदर ही समाहित होता है। आपको इसे कहीं से लाने की आवश्यकता नहीं होती। बस आवश्यकता है अपने अंदर की आंतरिक शक्तियों को इकट्ठा कर अपने आत्मविश्वास को मजबूत करने की।

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(ग) प्लास्टिक मुक्त भारत
संकेत बिंदु

  • भूमिका
  • सरकार के फैसले
  • प्लास्टिक मुक्त भारत में हमारा योगदान

उत्तर:
प्लास्टिक मुक्त भारत
आज के समय में प्लास्टिक प्रदूषण पर्यावरण के लिए एक गंभीर संकट बन गया है और आने वाले समय में यह और भी अधिक भयावह होने वाला है। आज प्लास्टिक का उपयोग इतना अधिक होने लगा है कि यह हमारे पर्यावरण और पृथ्वी के जन-जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव डाल रहा है। प्लास्टिक वस्तुओं की बढ़ती माँग के कारण विश्वभर में प्लास्टिक का उत्पादन बढ़ता जा रहा है। भारत को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए सरकार को अब किसी नई संस्था को प्लास्टिक उत्पादन की मंजूरी नहीं देनी चाहिए, ताकि प्लास्टिक के उत्पादन को नियंत्रित किया जा सके। भारत को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए सरकार को कड़े फैसले लेने की आवश्यकता है। कुछ जरूरी कदम हैं, जिनका आवश्यक रूप से पालन किया जाना चाहिए

  • कई देशों की सरकारों द्वारा प्लास्टिक बैग का उपयोग प्रतिबंधित कर दिया गया है, क्योंकि इसके द्वारा ही सबसे अधिक प्लास्टिक प्रदूषण फैलता है। यदि भारत को प्लास्टिक मुक्त बनाना है, तो सरकार को प्लास्टिक बैग के उपयोग को रोकने के लिए कड़े फैसले लेने ही होंगे।
  • लोगों में प्लास्टिक कचरे के पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव को लेकर जागरूकता फैलाने की भी आवश्यकता है। यह कार्य टेलीविजन और रेडियो व विज्ञापनों आदि के माध्यम से आसानी से किया जा सकता है।
  • भारत को प्लास्टिक मुक्त करना मात्र सरकार की ही जिम्मेदारी नहीं है और सरकार अकेले इस विषय में कुछ भी नहीं कर सकती। एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्त्तव्य है। कि प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने में हम भी अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दें। अंततः यही कहा जा सकता है कि भारत को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को इस समस्या के निवारण के लिए आगे आना होगा और अपना बहुमूल्य योगदान देना होगा।

प्रश्न 13.
आप गार्गी सिन्हा हैं। आपके शहर में उद्योग-धंधों की चिमनियों से निकलने वाले धुएँ एवं कोयले की राख से दम घुटता है। इस बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने के लिए अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराने हेतु किसी प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के संपादक को एक समाचार प्रकाशित करने का अनुरोध करते हुए लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए।
अथवा
आप अंकित पराशर हैं। हाल ही में आपने पानी की बिल जमा करने की लाइन में लोगों द्वारा अनुशासनहीन व्यवहार देखा। अपने मित्र को यह अनुभव बताते हुए तथा जीवन में अनुशासन के महत्त्व पर अपने विचार साझा करते हुए लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
परीक्षा भवन,
दिल्ली।

दिनांक 12 मार्च, 20XX

सेवा में,
संपादक महोदय,
दैनिक जागरण,
दिल्ली।

विषय: उद्योग-धंधों के कारण बढ़ते प्रदूषण के विषय में।

महोदय,
मैं आपके प्रतिष्ठित समाचार पत्र के माध्यम से जनता, अधिकारियों तथा सरकार का ध्यान शहरों में कल कारखानों के कारण होने वाले प्रदूषण की ओर आकर्षित कराना चाहती हूँ। आशा है कि आप मेरे संबंधित समस्या और विचारों को अपने प्रतिष्ठित समाचार पत्र में प्रकाशित करेंगे। आज के आधुनिक युग में उद्योग-धंधों का प्रसार हो रहा है। इनकी चिमनियों से निकलने वाले धुएँ के कारण वायुमंडल में प्रदूषण की मात्रा बहुत बढ़ गई है। इसके अतिरिक्त औद्योगिक केंद्रों से, मशीनों से निकलने वाले कचरे से भी वायुमंडल में प्रदूषण बढ़ रहा है। प्रदूषण चाहे कैसा भी हो, स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक होता है। वायुमंडल में शुद्ध वायु की कमी विभिन्न रोगों को जन्म देती है। हमारे शहर के चारों ओर स्थित अनेक उद्योग-धंधों की चिमनियों से निकलने वाला धुआँ तथा कोयले की राख आस-पास के निवासियों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। मेरा मुख्यमंत्री, जिलाधीशों तथा प्रदूषण विभाग के अधिकारियों से विनम्र अनुरोध है कि वे इस ओर ध्यान दें तथा इस संबंध में आवश्यक एवं कठोर कदम उठाएँ, जिससे समस्या का उचित समाधान हो सके।

भवदीया
गार्गी सिन्हा

अथवा

परीक्षा भवन,
दिल्ली।

दिनांक 18 नवंबर, 20XX

प्रिय मित्र,
सप्रेम नमस्कार!

मैं यहाँ सकुशल हूँ और आशा करता हूँ कि तुम भी कुशल होंगे। अनुशासन का हमारे जीवन में कितना महत्त्व है, यह कल मैंने प्रत्यक्ष अनुभव किया। इसी संदर्भ में, मैं तुम्हें यह पत्र लिख रहा हूँ। कल मैं पानी का बिल जमा करने की लाइन में खड़ा था। वहाँ पर शिक्षित व्यक्तियों ने ऐसा आचरण किया, जिसे देखकर किसी अनपढ़ व्यक्ति को भी शर्म आ सकती है। उन्होंने अनुशासन को ध्यान में न रखते हुए बिल जमा करने वाली लाइन को ध्वस्त कर दिया और बिना किसी नियम के बिल जमा करने की ज़िद करने लगे। मित्र, मुझे लगता है कि जीवन में अनुशासन का बहुत महत्त्व है। इसके लिए पहले स्वयं को ही अनुशासित करना होगा।

अनुशासन के महत्त्व को प्रकृति तथा पेड़-पौधों में भी देखा जा सकता है दिन और रात का क्रम लगातार चलता रहता है। समय पर ही ऋतुओं का परिवर्तन होता है। पेड़-पौधों में समयानुसार ही फल-फूल आते हैं। यदि प्रकृति नियम और अनुशासन न माने तो भीषण अकाल तथा अन्य प्राकृतिक आपदाएँ आ सकती हैं। अनुशासन न मानने वाला व्यक्ति समाज में कुछ नहीं कर सकता। तुम भी मेरी इस बात से सहमत होंगे। बाकी सब कुशल मंगल है। घर पर सभी बड़ों को मेरा अभिवादन और छोटों को प्यार कहना।

तुम्हारा मित्र
अंकित पाराशर

प्रश्न 14.
आप माही खंडेलवाल हैं। आप एम.ए.बी.एड. हैं। आपको महावीर इंटरनेशनल स्कूल अ.ब. स. नगर में अंग्रेजी अध्यापिका पद के लिए आवेदन करना है। इसके लिए आप अपना एक संक्षिप्त स्ववृत्त (बायोडाटा) लगभग 80 शब्दों में तैयार कीजिए।
अथवा
आप राजीव कुमार हैं। आपका बैंक ऑफ बड़ौदा में खाता है। उसमें आपने एटीएम कार्ड के लिए आवेदन किया था, जो एक माह के पश्चात् भी प्राप्त नहीं हुआ। अतः महाप्रबंधक महोदय को शिकायत करते हुए लगभग 80 शब्दों में एक ई-मेल लिखिए।
उत्तर:
स्ववृत्त
नाम : माही खंडेलवाल
पिता का नाम : श्री प्रकाश खंडेलवाल
माता का नाम : श्रीमती प्रतिभा खंडेलवाल
जन्म तिथि : 16 मार्च, 19XX
वर्तमान पता : डी-91, जनता कॉलोनी, आदर्श नगर, दिल्ली
स्थायी पता : उपर्युक्त
दूरभाष नंबर : 0141241XXXX
मोबाइल नंबर : 924599XXXX
ई-मेल : 23Mahi@gmail.com
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 8 with Solutions Q14
अन्य संबंधित योग्यताएँ

  • कंप्यूटर का विशेष ज्ञान और अभ्यास (एम.एस ऑफिस इंटरनेट)
  • जर्मन, फ्रेंच भाषा का ज्ञान
  • स्मार्ट बोर्ड क्लास का ज्ञान

उपलब्धियाँ

  • सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता (राज्य स्तरीय वर्ष 2014) में प्रथम पुरस्कार
  • अंग्रेजी क्विज (राज्य स्तर वर्ष 2016) प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान

अनुभव

  • प्राची इंटरनेशनल स्कूल में 5 वर्ष का अनुभव

संदर्भित व्यक्ति का विवरण

  • श्री मदनलाल शर्मा प्रधानाध्यापक राजकीय विद्यालय, दिल्ली
  • श्री सौरभ अग्रवाल, विभागाध्यक्ष दिल्ली विश्वविद्यालय

उद्घोषणा मैं यह पुष्टि करती हूं कि मेरे द्वारा दी गई उपर्युक्त जानकारी पूर्ण रूप से सत्य है।

तिथि : 7.10.20XX
स्थान : दिल्ली
माही खंडेलवाल
हस्ताक्षर

अथवा

From : Rajivkr@gmail.com
To : BOB@gmail.com
CC : Manager@gmail.com
BCC : –
विषय: ए.टी.एम कार्ड न मिलने की शिकायत हेतुः

महोदय,
आपके प्रतिष्ठित बैंक में मेरा खाता नं. 1489XXXXX है। मैंने एक महीने पहले ए.टी.एम. कार्ड के लिए आवेदन किया था, किंतु वह मुझे अभी तक नहीं मिला है। ए.टी.एम. कार्ड न मिलने के कारण मुझे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कृपया आप मुझे बताइए कि इस देरी का क्या कारण है। आपसे निवेदन है कि आप मेरा ए. टी. एम. कार्ड शीघ्रातिशीघ्र मेरे पते पर भेजने का कष्ट करें।

धन्यवाद।

भवदीय
राजीव कुमार

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 8 with Solutions

प्रश्न 15.
आपके चाचा जी ने मिठाई की दुकान खोली है। वे प्रचार-प्रसार के लिए स्थानीय समाचार पत्र में उसका विज्ञापन देना चाहते हैं। आप उनके लिए लगभग 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
आप पारूल गर्ग हैं। आपके क्षेत्र में जन्माष्टमी के अवसर पर श्रीकृष्ण लीला का आयोजन हो रहा है। इस अवसर पर लगभग 40 शब्दों में जन्माष्टमी के आयोजन संबंधी संदेश लिखिए।
उत्तर:
CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 8 with Solutions Q15
अथवा

जन्माष्टमी के आयोजन हेतु संदेश

दिनांक 12 अगस्त, 20XX
समय 6:00 बजे सायं से 12:00 बजे रात्रि तक

प्रिय क्षेत्रवासियों,
आपको यह बताते हुए मुझे अत्यंत हर्ष हो रहा है कि हमारे क्षेत्र सिद्धार्थ नगर के मंदिर में 12 अगस्त को जन्माष्टमी के अवसर पर श्रीकृष्ण लीला कार्यक्रम तथा दही-हांडी प्रतियोगिता का आयोजन होने जा रहा है. जिसमें छोटे-छोटे बच्चे राधा-कृष्ण बनकर अपनी कला को प्रस्तुत करेंगे। इस कार्यक्रम के उपरांत विजेता टीम को उचित इनाम दिया जाएगा। इस दिव्य आयोजन में आप सभी भक्तजन सादर आमंत्रित हैं।

समस्त गर्ग परिवारजन
(आयोजक)

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