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CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Set 7 with Solutions - #NCSOLVE 📚

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Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B with Solutions Set 7 are designed as per the revised syllabus.

CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Set 7 with Solutions

समय: 3 घंटे
पूर्णांक : 80

सामान्य निर्देश

निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका सख्ती से अनुपालन कीजिए

  • इस प्रश्न-पत्र में चार खंड है-क, ख, ग और घ।
  • इस प्रश्न-पत्र में कुल 17 प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
  • प्रश्न-पत्र में आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
  • प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए लिखिए।

खंड ‘क’
(अपठित बोध) (14 अंक)

इस खंड में अपठित गद्यांश व काव्यांश से संबंधित तीन बहुविकल्पीय (1×3=3) और दो अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक (2×2=4) प्रश्न दिए गए हैं।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर लिखिए। (7)
मानव समाज के जीवित शरीर में जातिवाद ने जहर का काम किया है। हमारे जिन पुरखों ने कर्म के आधार पर वर्ण तय किए थे, उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि आने वाले कल में यह विचार जाति व्यवस्था में परिणत हो जाएगा और इसके चलते गर्भ में शिशु के आते ही उसकी नियति भी तय हो जाया करेगी। उन्हें इस बात का शायद ही अनुमान रहा हो कि वे जो बीज बो रहे हैं, उससे ऐसा विष वृक्ष निकलेगा, जो आगे आने वाले हज़ारों वर्षों तक भेदभाव और शोषण-उत्पीड़न का आधार बनकर समाज की तंदुरुस्ती का क्षय करता रहेगा।

आज हम बड़े-बड़े औद्योगिक संयंत्रों, तीव्र गति वाले परिवहन साधनों, स्वचालित उपकरणों, कंप्यूटर और इंटरनेट के युग में जी रहे हैं, फिर भी जन्म के आधार पर कुछ लोगों को अपना और कुछ को पराया मानने, कुछ को बड़ा और कुछ को क्षुद्र मानने की सदियों पुरानी परिपाटी आज भी कायम है। दिन-प्रतिदिन अख़बारों में इस तरह की ख़बरें पढ़ने को मिलती हैं कि अमुक गाँव या कस्बे में किसी प्रेमी युगल को इसलिए मार डाला गया, क्योंकि उन्होंने अलग-अलग जातियों के होने के बावजूद एकसाथ जीवन बिताने का सपना देखा था। यह कहना गलत नहीं होगा कि जातिवादी तनाव हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन गया है।

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(क) प्रस्तुत गद्यांश में जातिवाद की तुलना किससे की गई है? (1)
(i) अमृत
(ii) जहर
(iii) नजर
(iv) जीवित शरीर
उत्तर:
(ii) जहर प्रस्तुत गद्यांश में जातिवाद की तुलना जहर से की गई है। जिस प्रकार जहर संपूर्ण शरीर में फैलकर उसे पूर्ण निष्क्रिय बनाकर नष्ट कर देता है, ठीक उसी प्रकार जातिवाद की सामाजिक बुराई इतनी भयंकर है कि यह भी समूचे समाज को निष्क्रिय एवं मरणासन्न कर देती है।

(ख) गद्यांशानुसार प्रतिदिन अखबार में किसका वर्णन मिल जाता है? (1)
(i) हमारे पुरखों के कर्म का
(ii) संत-महात्माओं के उपदेश का
(iii) जातिवाद के कारण हुई घटनाओं का
(iv) ये सभी
उत्तर:
(iii) जातिवाद के कारण हुई घटनाओं का प्रतिदिन अखबार में जातिवाद के कारण हुई घटनाओं का वर्णन मिलता है। जातिवाद के कारण भिन्न जाति के व्यक्ति से विवाह करने पर प्रेमी युगल को मार दिया जाता है और साथ ही निम्न जाति के साथ उत्पीड़न की घटनाएँ भी सामान्य होती जा रही हैं। इस प्रकार आधुनिक युग में भी जातिवाद हमारे दैनिक जीवन का अंग बनता जा रहा है।

(ग) कथन (A) जातिवाद समाज में विष के समान है, जो मूलतः शोषण, उत्पीड़न और ऊँच-नीच की भावना को बढ़ावा देता है। (1)
कारण ( R ) जातिवाद से सामाजिक विकास को क्षति पहुँच रही है।
कूट
(i) कथन ( A ) और कारण ( R ) दोनों सही हैं तथा कारण ( R ), कथन ( A ) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन ( A ) और कारण ( R ) दोनों सही हैं, परंतु कारण ( R ), कथन ( A ) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है। गद्यांश के अनुसार जातिवाद समाज में विष के समान है, जो मूलत: शोषण, उत्पीड़न और ऊँच-नीच की भावना को बढ़ावा देता है। अत: यह स्पष्ट है कि जातिवाद से समाज को क्षति पहुँच रही है।

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(घ) आधुनिक वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति के बावजूद जाति-व्यवस्था जैसी संकीर्ण सामाजिक परिपाटियों का आज भी प्रबल होना- इस विरोधाभास के कारण क्या हैं? (2)
उत्तर:
आधुनिक प्रगति के बावजूद जातिवाद की प्रबलता का मुख्य कारण सामाजिक सोच में बदलाव की कमी है। परंपरागत मान्यताओं की गहरी जड़े शिक्षा व जागरूकता की कमी, राजनीतिक स्वार्थ और सामाजिक दबाव इस विरोधाभास के प्रमुख कारण हैं।

(ङ) “गर्भ में शिशु के आते ही उसकी नियति भी तय हो जाया करेगी।” पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि कर्म के आधार पर निर्मित वर्ण व्यवस्था के जातीय आधार पर परिवर्तित होने से गर्भस्थ शिशु के भविष्य अर्थात् उसके अधिकार, कर्त्तव्य व कार्यों इत्यादि को निर्धारित कर दिया जाएगा और उसे अपनी योग्यता के स्थान पर अपनी जाति के अनुसार कार्य करने पर विवश किया जाएगा।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर लिखिए। (7)

शहरीकरण के कारण सक्षम जल प्रबंधन, बढ़िया पेयजल और सैनिटेशन की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन शहरों के सामने यह एक गंभीर समस्या है। शहरों की बढ़ती आबादी और पानी की बढ़ती माँग से कई दिक्कतें खड़ी हो गई हैं। जिन लोगों के पास पानी की समस्या से निपटने के लिए कारगर उपाय नहीं हैं, उनके लिए मुसीबतें हर समय मुँह खोले खड़ी हैं। कभी बीमारियों का संकट, तो कभी जल का अकाल, एक शहरी को आने वाले समय में ऐसी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
यदि सही ढंग से पानी का संरक्षण किया जाए और जितना हो सके पानी को बर्बाद करने से रोका जाए, तो इस समस्या का समाधान बेहद आसान हो जाएगा, लेकिन इसके लिए आवश्यक है, जागरूकता की। एक ऐसी जागरूकता की, जिसमें छोटे-से बच्चे से लेकर बड़े-बूढ़े भी पानी को बचाना अपना धर्म समझें।

भारत में तेजी से शहरीकरण हो रहा है, जिससे शहरी क्षेत्रों में पानी की माँग बढ़ रही है। पानी की कमी वाले क्षेत्रों में भारत की शहरी आबादी की वृद्धि अन्य देशों की तुलना में बहुत अधिक होने का अनुमान है, जो वर्ष 2050 में 222 मिलियन लोगों से बढ़कर 550 मिलियन लोगों तक पहुँच जाएगी तथा पानी की कमी का सामना करने वाली दुनिया की शहरी आबादी का 26.7% हिस्सा होगी। इससे मौजूदा जल अवसंरचना और संसाधनों पर दबाव पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त आपूर्ति होती है।

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(क) शहरीकरण के समक्ष आज कौन-सी गंभीर समस्या है? (1)
(i) बढ़ती जनसंख्या
(ii) बढ़ती पेयजल की माँग
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) संसाधनों की पर्याप्त मात्रा
उत्तर:
(iii) (i) और (ii) दोनों शहरों के समक्ष आज बढ़ती जनसंख्या और बढ़ती पेयजल की माँग एक गंभीर समस्या है, साथ ही कर्भी बीमारियों का संकट, तो कभी जल से भी शहरीकरण प्रभावित होता है।

(ख) प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक क्या होगा? (1)
(i) बढ़ती जनसंख्या
(ii) जल की समस्या व संरक्षण
(iii) पेयजल व सैनिटेशन की आवश्यकता
(iv) संसाधनों का अभाव
उत्तर:
(ii) जल की समस्या व संरक्षण प्रस्तुत गद्यांश में पानी की कमी को गहन समस्या के रूप में बताया गया है और इसका संरक्षण किया जाना अनिवार्य है। अतः गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक ‘जल की समस्या व संरक्षण’ होगा।

(ग) कथन (A) पानी का संरक्षण आवश्यक है। (1)
कारण ( R ) पानी के बचाव के लिए जागरकता की बेहद आवश्यकता है।
कूट
(i) कथन ( A ) और कारण ( R ) दोनों सही हैं तथा कारण ( R ), कथन ( A ) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन ( A ) और कारण ( R ) दोनों सही हैं, परंतु कारण ( R ), कथन ( A ) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है। पानी का संरक्षण अति आवश्यक है। इसके लिए जागरूकता अनिवार्य है। साथ ही छोटे बच्चे से लेकर बड़े-बूडे व्यक्ति को पानी को बचाना अपना धर्म समझना चाहिए।

(घ) पानी के संरक्षण द्वारा किस समस्या का समाधान किया जा सकता है? (2)
उत्तर:
पानी के संरक्षण द्वारा जल की कमी जैसी समस्या का समाधान किया जा सकता है और इसके लिए जागरूकता की आवश्यकता है। जब व्यक्ति जागरूक होगा, तभी वह पानी को बचाना अपना धर्म समझेगा, जिससे जल का संरक्षण आसानी से किया जा सकेगा।

(ङ) जिन शहरों में पानी की समस्या से निपटने के लिए उच्चित व्यवस्था नहीं है, उन्है किस प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है? (2)
उत्तर:
जिन शहरों के पास पानी की समस्या से निपटने के लिए उचित व्यवस्था नहीं है, उन्हें कभी बीमारियों के संकट, तो कर्यी जल के अकाल जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके कारण शहरी जनसंख्या के बडे भाग को महामारियो का सामना भी करना पडता है।

खंड ‘ख’
(व्यावहारिक व्याकरण) ( 16 अंक)

व्याकरण के लिए निर्धारित विषयों पर अतिलघूत्तरात्मक 20 प्रश्न दिए गए है, जिनमें से केवल 16 प्रश्नों (1×16=16) के उत्तर देने हैं।

प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘शब्द और पद’ पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×2=2)
(क) शब्द और पद में सोदाहरण अंतर स्पष्ट कीजिए। (1)
उत्तर:
शब्द और पद में अंतर जब कोई शब्द स्वतंत्र रूप से प्रयोग में आता है, तब वह जाद्द की संज्ञा पाता है; जैसे- रमेश, जल, सुरेंद्र, कमल आदि, परंतु जब कोई जब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है, तब वह पद की संजा पाता है; जैसे- रमेश स्कूल गया। कमल कीचड़ में खिलता है।

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(ख) योगरूद शब्द को परिभाषित कीजिए। (1)
उत्तर:
वे शब्द, जो अन्य शब्दों के योग से बनते हों, परंतु एक विशेष अर्थ प्रकट करते हों, उन्हें ‘योगरूक’ झख्द कहते हैं; जैसे-हिमालय।

(ग) ‘दीपादली रोशनी का त्योहार है।’ वाक्य में से व्यक्तिवाचक संज्ञा छाँटकर लिखिए। (1)
उत्तर:
प्रस्तुत वाक्य में ‘दीपावसी’ शब्द व्यक्तियाचक संज्ञा है।

प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘अनुस्वार व अनुनासिक’ पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×2=3)

(क) अनुस्वार की क्या पहचान हो सकती है? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए। (1)
उत्तर:
अनुस्वार एक आश्रित नासिक्य व्यंजन है। हिंदी भाषा के अनुसार, अनुस्वार चिह्र बिंदु (-) के रूप में अलग-अलग स्थान पर प्रयोग किया जाता है; जैसे-अंग, रंग आदि।

(ख) ‘नेत्रा को एक आँख से दिखाई नहीं देता है।’ वाक्य में से अनुनासिक युक्त शब्द छाँटकर लिखिए। (1)
उत्तर:
आँख

(ग) ‘कृष्ण ने अंदर की संकरी गली से बाहर आकर चैन की साँस ली।’ निम्नलिखित वाक्य में से अनुनासिक व अनुस्वार चिह्हों के प्रयोग वाले शद्ध छाँटकर लिखिए। (1)
उत्तर:
अनुनासिक-सांस; अनुस्वार-अंदर, संकरी

प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘उपसर्ग और प्रत्यय’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×4=4)

(क) उपसर्ग क्या है? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए। (1)
उत्तर:
वे शब्दांश या अव्यय, जो शब्द के प्रारंभ में जुइकर उसके अर्थ में परिवर्तन या विशेषता ला देते है, वे शब्दांश या अव्यय उपसर्ग कहलाते हैं;
जैसे – प्र + चार = प्रचार
उप + ह्रार = उपहार

(ख) ‘हमें प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना चाहिए।’ वाक्य में ‘प्रतिकूल’ शब्द में कौन-सा उपसर्ग है? (1)
उत्तर:
प्रति (उपसर्ग), कूल (मूल शब्द)

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(ग) धनवान होने के बावजूद सेठ हीरालाल बहुत साधारण जीवन जीते थे। वाक्य में रेखांकित शब्द में प्रयुक्त मूल शब्द व प्रत्यय लिखिए। (1)
उत्तर:
प्रस्तुत वाक्य में ‘धन’ मूल शब्द व ‘वान्’ प्रत्यय है।

(घ) ‘सुसंक्कृत’ व ‘अनासक्ति’ शब्द में प्रयुक्त मूल शब्द व उपसर्ग को अलग-अलग करके लिखिए। (1)
उत्तर:
सु + सम् (उपसर्ग), कृत (मूल शब्द)
अन् + आ (उपसर्ग), सक्ति (मूल शब्द)

(ङ) ‘अक’ प्रत्यय से बने दो शब्द लिखिए। (1)
उत्तर:
अक प्रत्यय से बने दो शब्द है-माहक, गायक।

प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘स्वर संधि’ पर आधारित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×3=3)

(क) स्वर संधि किसे कहते हैं? (1)
उत्तर:
दो स्वर वर्णों के परस्पर मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे स्वर संखि कहते है।

(ख) ‘पीताबर’ शब्द में कौन-सी संधि प्रयुक्त हुई है? इसका संधि-विच्छेद कीजिए। (1)
उत्तर:
‘पीतांबर’ शब्द का संधि-विच्छेद ‘पीत + अंबर’ है। यहां दीर्घ संधि है।

(ग) ‘महर्षि’ में कौन-सी संधि है? इसका संधि-विच्छेद कीजिए। (1)
उत्तर:
‘महार्ष’ इब्द में गुण संघि है। इसका संधि-विच्छेद ‘महा + ऋथि’ होगा।

(घ) ‘व्यूह’ शब्द का संधि-विच्छेद कीजिए तथा इसमें कौन-सी संधि प्रयुक्त है? (1)
उत्तर:
‘व्यूह’ शब्द का संधि-विच्छेद ‘बि + कह’ है। यहाँ यण संधि है।

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प्रश्न 7.
निर्देशानुसार ‘विराम चिह्र’ पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×2=2)

(क) वह घर आया; थोड़ी देर बाद चला गया। (1)
उपर्युक्त वाक्य में प्रयोग किए गए चिह्नों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रस्तुत वाक्य में अर्द्ध किराम (;) और पूर्ण विराम ( 1 ) चिह्ं का प्रयोग हुआ है।

(ख) किस चिह्र का प्रयोग आश्चर्य, शोक या घृणा आदि मनोभावों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है? (1)
उत्तर:
‘विस्मयाचक चिड्ड (1)’ का प्रयोग आश्यर्य, शोक या घुणा आदि मनोभावों को ख्यक्त करने के लिए किया जाता है।

(ग) ‘नहीं मैंने बिना किसी हिचकिचाहट के उत्तर दिया’ प्रस्तुत वाक्य में सही विराम चिह्नों का प्रयोग करके पुनः लिखिए। (1)
उत्तर:
नही, मैने बिना किसी हिचकिचाहर के उत्तर दिया।

प्रश्न 8.
निर्देशानुसार ‘अर्थ की दृष्टि से वाक्य भेद’ पर आधारित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×3=3)
(क) ‘हम तुम्हें स्टेशन तक छोइने नहीं जाएँगे।’ विधानवाचक वाक्य में रूपांतरित कीजिए। (1)
उत्तर:
हम तुम्छें स्टेशन तक छोडने जाएँ।

(ख) ‘हमारे देश में इस समय धनपतियों का जोर है।’ निषेधात्मक वाक्य में रूपांतरित कीजिए। (1)
उत्तर:
हमारे देश में इस समय धनपतियों का जोर नहीं है।

(ग) ‘मैंने अपने मन की बात डायरी में लिखना शुरू कर दिया।’ संकेतवाचक वाक्य में रूपांतरित कीजिए। (1)
उत्तर:
उसने कहा कि उसने अपने मन की बात डायरी में लिखना शुरू कर दिया।

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(घ) ‘आतंकवादी मारे जा चुके हैं।’ संदेरवाचक वाक्य में रूपांतरित कीजिए। (1)
उत्तर:
संभवतः आतंकवादी मारे जा चुके होंगे।

खंड ‘ग’
(पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक) (30 अंक)

इस खंड में पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए।

यह क्या हो गया था? एक लंबा बर्फ़ का पिंड हमारे कैंप के ठीक ऊपर ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर नीचे आ गिरा था और उसका विशाल हिमपुंज बन गया था। हिमखंडों, बर्फ के टुकड़ों तथा जमी हुई बर्फ के इस विशालकाय पुंज ने, एक एक्सप्रेस रेलगाड़ी की तेज़ गति और भीषण गर्जना के साथ, सीधी ढलान से नीचे आते हुए हमारे कैंप को तहस-नहस कर दिया। वास्तव में हर व्यक्ति को चोट लगी थी। यह एक आश्चर्य था कि किसी की मृत्यु नहीं हुई थी।

लोपसांग अपनी स्विस छुरी की मदद से हमारे तंबू का रास्ता साफ करने में सफल हो गए थे और तुरंत ही अत्यंत तेजी से मुझे बचाने की कोशिश में लग गए। थोड़ी-सी भी देर का सीधा अर्थ था मृत्यु। बड़े-बड़े हिमपिंडों को मुश्किल से हटाते हुए उन्होंने मेरे चारों तरफ की कड़े जमे बर्फ की खुदाई की और मुझे उस बर्फ की कब्र से बाहर खींचकर लाने में सफल हो गए।

(क) गद्यांश में किस ग्लेशियर से बर्फ का पिंड टूटकर गिरा था?
(i) एवरेस्ट ग्लेशियर
(ii) ल्होत्से ग्लेशियर
(iii) कंचनजंगा ग्लेशियर
(iv) मकालू ग्लेशियर
उत्तर:
(ii) ल्होत्से ग्लेशियर गद्यांश के अनुसार, एक लंबा बर्फ का पिंड कैंप के ठीक ऊपर ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर नीचे आ गिरा और उसका विशाल हिमपुंज बन गया था।

(ख) लोपसांग ने तंबू का रास्ता साफ करने के लिए किसका उपयोग किया?
(i) कुल्हाड़ी
(ii) रस्सी
(iii) स्विस छुरी
(iv) फावड़ा
उत्तर:
(iii) स्विस छुरी गद्यांश के अनुसार, लोपसांग अपनी स्विस छुरी की सहायता से तंबू का रास्ता साफ़ करने में सफल हो गए थे तथा उन्होंने लेखिका को बचा लिया था।

(ग) कथन (A) हिमपुंज का गिरना बहुत भयानक था।
कारण (R) हिमपुंज ने एक्सप्रेस रेलगाड़ी की तेज़ गति और भीषण गर्जना के साथ कैंप को तहस-नहस कर दिया। कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नही करता है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है। गद्यांश में हिमपुंज का गिरना भयानक बताया गया है, क्योकि उसने एक्सप्रेस रेलगाड़ी की गति और गर्जना के साथ कैप को तहस-नहस कर दिया।

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(घ) लोपसांग की कोशिश में थोड़ी-सी भी देर का क्या अर्थ था?
(i) अधिक चोटें लगना
(ii) मृत्यु
(iii) खाने की कमी
(iv) तंबू का पूरी तरह नष्ट हो जाना
उत्तर:
(ii) मृत्यु गद्यांश के अनुसार, थोड़ी-सी भी देर का अर्थ था मृत्यु। इससे स्पष्ट होता है कि यदि लोपसांग थोड़ी-सी भी देर करते, तो इसका सीधा अर्थ मृत्यु था अर्थात् लेखिका की मृत्यु तय थी।

(ङ) लोपसांग ने लेखिका को बचाने के लिए क्या किया?
(i) उन्होने कैंप को दूसरी जगह स्थानांतरित किया
(ii) उन्होने बर्फ की कब्र से लेखिका को बाहर निकाला
(iii) उन्होंने तुरंत सहायता बुलाई
(iv) उन्होने लेखिका को तंबू के अंदर सुरक्षित रखा
उत्तर:
(ii) उन्होंने बर्फ़ की कब्र से लेखिका को बाहर निकाला गद्यांश के अनुसार, लोपसांग ने लेखिका के चारों तरफ़ की कड़े जमे बर्फ की खुदाई की और बर्फ की कब्र से लेखिका को बाहर निकालकर लेखिका की जान बचाई।

प्रश्न 10.
गय खंड पर आधारित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2×3=6)

(क) अतिथि और लेखक के बीच बातचीत और ठहाकों में वया परिवर्तन आया और क्यों? ‘तुम कब जाओगे, अतिथि’ पाठ के संदर्भ में लिखिए। (2)
उत्तर:
प्रारंभ में अतिथि और लेखक के बीच बातधीत चहक से भरी होती थी, लेकिन अतिधि के अधिक समय तक उहर जाने के कारण उनके बीच होने वाली बातचीत में बोरियत, रूखापन एवं खिचाव आ गया था, क्योकि लेखक अतिथि के कारण अल्यधिक आर्थिक एवं मानसिक तनाव से गुजरने लगा था।

(ख) ‘एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा’ पाठ के आधार पर बताइए कि चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति कैसी थी?(2)
उत्तर:
चड़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति दुर्गम दिखाई दे रही थी। एवरेस्ट पर जमी हुई बर्फ़ की सीधी व उलाक चट्टानें अत्यंत कठोर थी। जमी हुई बर्फ़ को हटाने के लिए फावड़े का प्रयोग करना पड़ा था। ऊँचाई पर तेज हवा के झोंके भुरभुरी वर्ष्ट के कणों को चारों अोर उड़ा रहे थे, जिससे दृश्यता शून्य तक पहुँच चुकी थी।

(ग) ‘दु:ख का अधिकार’ कहानी में लेखक ने समाज में व्याप्त भेदभाव तथा असमानता को किस प्रकार अभिव्यक्त किया है? स्पष्ट कीजिए। 2)
उत्तर:
‘दु:ख का अधिकार’ कहानी में लेखक ने भगबाना की माँ के माध्यम से समाज में व्याप्त भेदभाव तथा असमानता को व्यक्त करते हुए इस सत्य को उभारा है कि एक निर्धन व्यक्ति को अपने दु:ख से एकांतिक रूप से दु:खी होने तथा उससे बाहर निकलने का भी अवसर प्राप्त नहीं है। वह दु:ख की चरम अवस्था में भी समाज के दूसरे लोगों के नियंत्रण में रहता है। उसकी अर्थिक स्थिति उसे अपनी भावनाओं को व्यक्त भी नहीं करने देती, जबकि एक धनी व्यक्ति अपने दु:ख का भरपूर प्रदर्शन करता है।

(घ) वाद्यवंत्रों पर की गई खोजों से रामन् ने कौन-सी भांति तोड़ने की कोशिश की? ‘वैज्ञानिक चेतना के वाहक चंद्रशेखर वेंकट रामन् पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए। (2)
उत्तर:
रामन् ने अपनी खोजों से वाहयंत्रों के बारे में पश्चिमी देशों की इस ज्ञाति को तोड़ने का प्रयास किया कि विदेशी वाहायंत्रों की ध्वनियाँ भारतीय वाद्यवंत्रों की तुलना में अधिक उन्नत है और भारतीय वाद्यरंश बिदेशी वाहों की तुलना में निम्नतर है।

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प्रश्न 11.
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए। (1×5=5)

अब कैसे छूटे राम नाम रट लागी।
प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अँग-अँग बास समानी।
प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा।
प्रथु जी, तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन राती।
प्रभु जी, तुम मोती हम धागा, जैसे सोनहिं मिलत सुहागा।
प्रभु जी, तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करे रैदासा।

(क) प्रस्तुत काव्यांश में कवि के अनुसार, ‘प्रभु’ और ‘भवत’ के संबंध को किन उपमाओं के माध्यम से व्यक्त किया गया है? (1)
(i) चंदन और पानी
(ii) बादल और मोर
(iii) दीपक और बाती
(iv) ये सभी
उत्तर:
(iv) ये सभी कवि ने प्रभु और भक्त के संबंध को चंदन और पानी, बादल और मोर, दीपक और बाती जैसी उपमाओं से व्यक्त किया है, जो भक्त और ईश्वर के घनिष्ठ संबंघ को दर्शति हैं।

(ख) कवि ने ‘तुम घन बन हम मोरा’ के माध्यम से किस प्रकार का भाव व्यक्त किया है? (1)
(i) प्रेम और समर्पण
(ii) वियोग और दुःख
(iii) आनंद और उत्साह
(iv) करुणा और दया
उत्तर:
(iii) आनंद और उत्साह कवि ने बादल और मोर की उपमा देकर उस आनंद और उत्साह को व्यक्त किया है, जो भक्त को प्रभु के दर्शन से प्राप्त होता है। काव्यांश के अनुसार, जिस प्रकार आसमान में काले घने खादलों को देखते ही मोर आनंद और उस्साह से नाचने लगता है, टीक बैसी ही स्थिति ईश्वर दर्शन से कवि की भी हो जाती है।

(ग) कवि ने ‘स्वामी’ और ‘दास’ के संबंध को किस दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है? (1)
(i) नियंत्रण और आज्ञा पालन
(ii) प्रेम और भक्ति
(iii) अधिकार और अनुशासन
(iv) स्वतंत्रता और कर्त्तव्य
उत्तर:
(ii) प्रेम और भक्ति काव्यांश के अनुसार, कवि कहता है कि वास्तव में ईश्वर स्वामी या मालिक हैं और कवि दास या नौकर है। कवि ने हमेशा स्वयं को ईश्वर का दास या सेवक माना है और ईंखर की प्रत्येक आज्ञा का पालन करना अपना धर्म समझा है। रैदास की भक्ति एक सेखक की ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति है।

(घ) कथन (A) मोती एवं धागे का मिलन ठीक सोना एवं सुहागा के मिलन जैसा पवित्र है। (1)
कारण (R) जैसे सुहागे के संपर्क में आकर सोने का महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है, वैसे ही ईश्वर के संपर्क में आने से भक्त का महत्त्व भी बढ़ जाता है।
कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, कितु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, कित्तु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है। काव्याश के अनुसार, मोती एवं धाये का मिलन ठीक सोना एवं सुहागा के मिलन जैसा पवित्र है, क्योकि जैसे सुहागे के संपर्क में आकर सोने का महत्व और अधिक बड़ जाता है, वैसे ही इंश्वर के संपर्क में आने से भक्त का महत्व भी बढ़ जाता है।

(ङ) निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़िए (1)
1. कवि ईश्वर का परम भक्त है।
2. कवि ईश्वर के प्रेम को पाने के लिए चंद्रमा और चकोर की तरह हमेशा तरसता रहता है।
3. ईश्वर और कवि का संबंध सुई और धागे की तरह है।
4. ईश्वर और कवि का संबंध चंदन और पानी की तरह है।

काव्यांश से मेल खाते हुए वाक्यों के लिए उचित विकल्प चुनिए।
(i) 1,2 और 3
(ii) 1 और 2
(iii) केवल 3
(iv) 1,2 और 4
उत्तर:
(iv) 1,2 और 4 प्रस्तुत काव्यांश में कवि ईश्वर का परम भक्त है। कवि ईश्वर के प्रेम को पाने के लिए चंद्रमा और चकोर की तरह हमेशा तरसता रहता है तथा ईश्वर और कवि का संबंध चंदन और पानी की तरह है। जिस प्रकार चंदन के संपर्ष में रहने से पानी में उसकी सुगंध फैल जाती है, ठीक उसी प्रकार कवि के तन-मन में भी ईश्वर के प्रेम की सुगाध्य व्याप्त हो गई है।

CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Set 7 with Solutions

प्रश्न 12.
काव्य खंड पर आधारित निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2×3=6)

(क) रहीम ने मनुष्य को पशु से भी तुच्छ क्यों माना है? ‘दोहे’ पाठ के आधार पर लिखिए। (2)
उत्तर:
रहीम के अनुसार, जो मनुष्य कला पर रीझने के पश्चात् भी कला की काद्र नहीं करता, कलाकार को कुछ दान नहीं देता, वह पशु से भी तुच्छ है, जबकि पशु होते हुए भी हिरण वाद्यकला पर मुग्व होकर वाला पर इतना मोहित हो जाता है कि उसे शिकारी की उपस्थिति का एहसास तक नहीं होता। इस प्रकार हिरण वाचकला पर मुग्ध होकर शिकारी का प्रास (निवाला) बन अपने प्राण तक त्याग देता है।

(ख) रैदास के ‘पद’ के आधार पर लिखिए कि ‘गरीब निवाजु’ कहळा रैदास ने अपने प्रभु की किस विशेषता को व्यक्त किया है? (2)
उत्तर:
रैदास ने दूसरे पद में अपने प्रभु को ‘गरीब निवाजु’ कहा है। ‘गरीब निबाजु’ का अर्थ है-दौन-दुंखियों पर दया करने वाला। प्रभु ने रैदास जैसे अघूत माने जाने वाले प्राणी को संत की पदवी प्रदान की। रैदास जन-जन के पूज्य बने। उन्हें महान संतों जैसा सम्मान मिला। रैदास की दृष्टि में यह उनके प्रभु की दीन-दयालुता और कृपा का ही प्रमाण है।

(ग) ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ कविता के संदर्भ में लिखिए कि खुशबू रचने वाले हाथों की स्थिति कैसी है। कवि ने उनके जीवन के माध्यम से समाज की कौन-सी विडंबनां को उजागर किया है? (2)
उत्तर:
‘सुशबू रचते है हाथ’ कविता में कवि ने खूशब्दूदार अगरबत्ती बनाने वाले उन गरीबो, मजदूरों एवं कारीगरों की दुर्दशा का चित्रण किया है, जो स्वयं गंदी-बदबूदार गलियों में रहते हुए भी पूरी दुनिया में खुशबू फैलाने का काम करते हैं। यह कविता सामाजिक विषमताओं को उजागर करती है तथा यह दर्शाती है कि दूसरों की ज्रिंदगी को सुशाहाल बनाने एवं उसमें सुगंध भरने वालों की अपनी ज्रिंदगी कितनी बदसूरत है। यहाँ कवि कहना चाहता है कि खुशबू रचने वाले लोगों के जीवन में भी खुशबू फैलाना समाज के सदस्यों का ही दायित्व है।

(घ) ‘गीत-अगीत’ कविता के दूसरे छंद में शुक-शुकी के माध्यम से कवि ने प्रकृति के साथ किसकी व्याख्या की है? (2)
उत्तर:
‘गीत-अगीत’ कविता के दूसरे छंद में शुक-शुकी के माध्यम से कवि ने प्रकृति के साथ पशु-पधियों के संबंधों की व्याख्या की है। इसमें शुक-शुकी एक घने पेड़ पर अपना घोंसला बनाकर रह रहे हैं। शुकी घोंसले में बैठकर अंडे सेती है और शुक मधुर स्वर में गीत गाकर शुकी को रिक्षा रहा है। शुक का स्वर पूरे वातावरण में गूँज रहा है और इस मधुर गूँज से न केवल प्रकृति, बल्कि शुकी भी आनदमग्न हो उठी है।

प्रश्न 13.
पूरक पाठ्यपुस्तक ‘संचयन’ पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए। (4×2=8)
(क) लेखिका ने गिल्लू के लिए परिचारिका जैसा मानवीय गतिविधि से संबंध रखने वाले शब्द का प्रयोग किन कारणों से किया है? इससे गिल्लू की किस मानवीय विशेषता का पता चलता है? ‘गिल्लू’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (4)
उत्तर:
गिल्लू लेखिका से बहुत प्रेम करता था। एक बार मोटर दुर्घटना में घायल होने के कारण लेखिका को कुछ दिन अस्पताल में रहना पड़ा। लेखिका की अनुपस्थिति में गिल्लू का किसी भी कार्य में मन नहीं लगता था। इस दौरान उसने अपना प्रिय खाद्य काजू भी नहीं खाया। लेखिका के घर लौटने पर वह तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हे-नन्हे पंजों से लेखिका के सिर और बालों को धीरे-धीरे सहलाता रहता। उसके इस स्वभाव को देखकर लेखिका ने गिल्लू के लिए परिचारिका जैसा मानवीय गतिविधि से संबंध रखने वाले शब्द का प्रयोग किया। इन गतिविधियों से गिल्लू के मन में स्थित सेवा भाव तथा प्रेम जैसी मानवीय विशेषताओं का पता चलता है।

(ख) “कार्य की सफलता केवल उत्साह और योजना पर नहीं, परिस्थितियों की समझ पर भी निर्भर करती है” ‘कुएँ में चिट्टी’ पाठ के आधार पर कथन की समीक्षा कीजिए। (4)
उत्तर:
कुएँ से चिट्ठी निकालने के लिए लेखक ने घोतियों में गाँठ बाँधकर उन्हें रस्सी के रूप में प्रयोग कर तथा डंडे द्वारा कुएँ में बैठे साँप को मारने का विचार कर कुएँ में उतरने की योजना बनाई। उसे अपनी योजना में कमी नहीं दिखाई दे रही थी, परंतु लेखक द्वारा बनाई गई यह योजना सफल नहीं हुई, क्योंकि किसी भी योजना की सफलता परिस्थिति पर निर्भर करती है। कुएँ में स्थान की कमी थी और अत्यंत जहरीला साँप भी व्याकुलता से उसे काटने के लिए तत्पर था। ऐसे में डंडे का प्रयोग करना संभव नहीं था। यही कारण था कि लेखक की योजना सफल नहीं हो पाई। किसी भी कार्य में केवल उत्साह और योजना ही नहीं, बल्कि परिस्थिति की यथार्थ परक समझे, अनुभव, लचीलापन और सुरक्षा का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है।

(ग) ‘डॉक्टर बोजेंस की भूमिका लेखक के लिए जीवनदायी क्यों सिद्ध हुई?’ ‘मेरा छोटा-सा निजी पुस्तकालय’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (4)
उत्तर:
लेखक की स्थिति अत्यंत गंभीर थी, क्योंकि उसे लगातार तीन दिल के दौरे पड़े थे। कुछ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था, जिससे उसकी बचने की कोई उम्मीद नहीं रह गई थी। लेकिन डॉक्टर बोजेंस ने हार नहीं मानी। उन्होंने 900 वोल्ट्स के शॉक्स देकर लेखक को पुन: जीवित करने का प्रयास किया। उनका विश्वास था कि यदि शरीर में प्राण की कोई भी संभावना है, तो यह प्रयास सफल हो सकता है। डॉक्टर बोजेंस के इसी साहसिक प्रयास के कारण लेखक की जान बच गई। बाद में, केवल 40% कार्यशील हुदय के साथ ओपन हार्ट सर्जरी भी सफल हुई और लेखक को नया जीवन मिल गया। यह घटना डॉक्टर बोजेंस के साहस, संकल्प और मानवीय भावना का अद्भुत उदाहरण है।

खंड ‘घ’
(रचनात्मक लेखन ) (20 अंक)

इस खंड में रचनात्मक लेखन पर आधारित प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।
(क) नर हो, न निराश करो मन को
संकेत बिंदु

  • कर्म की महत्ता
  • विपरीत परिस्थितियों का सामना करना
  • निराशावादी दृष्टिकोण के परिणाम
  • संघर्ष का महत्त्व

उत्तर:
नर हो, न निराश करो मन को मानव जीवन कर्म प्रधान है। कर्म करके मनुष्य को अपनी निराशा पर विजय प्राप्त करनी चाहिए। जीवन में सुख-दुःख, उतार-चढ़ाव, सफलता-असफलता आती-जाती रहती हैं। मनुष्य को प्रतिस्पद्धां से घबराना नहीं चाहिए। विपरीत परिस्थितियाँ तो उस ठोकर के समान हैं, जो तीव्र गति के साथ आगे बढ़ना सिखाती हैं। मनुष्य को अपने मार्ग में आने वाली सभी बाधाओं और असफलताओं को चुनौती के रूप में स्वीकार कर आशावादी दृष्टि से कठोर कर्म कर निराशा को नकार देना चाहिए। असफलताओं को सफलता का अंग मानकर अपने कार्य में लगा रहने वाला व्यक्ति अवश्य सफल होता है।

निराश होकर बैठ जाने वाला व्यक्ति असफल हो जाता है। निराशा अवसाद को जन्म देती है। निराशा मनुष्य के जीवन में रोग के समान है, इसलिए मनुष्य को हिम्मत एवं दृढ़ मानसिक शक्ति से बाधाओं पर विजय पाने के लिए कर्म करना चाहिए। मनुष्य की मनुष्यता केवल निराशा को त्यागकर संघर्ष को अपनाने में ही है। संघर्ष के द्वारा ही मनुष्य कठिन-से-कठिन परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम हो सकता है।

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(ख) बेरोजगारी
संकेत बिंदु

  • बेरोजगारी का अर्थ
  • बेरोजगा  री के दुष्पभाव
  • बेरोजगारी के कारण
  • निराकरण के उपाय

उत्तर:
बेरोजगारी जब व्यक्ति कार्य करने के लिए योग्य तथा तत्पर हो, परंतु उसे वह रोजगार नहीं मिलता, जो आजीविका प्रदान करने में सहायक हो, तब ऐसी स्थिति बेरोजगारी कहलाती है। मूल रूप से रोजगार प्राप्त करने में असमर्थ व्यक्ति बेरोजगार कहलाता है। भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है। बेरोजगारी की बढ़ती समस्या निरंतर हमारी प्रगति, शांति और स्थिरता के लिए चुनौती बन रही है।

इस समस्या का सबसे प्रमुख कारण घनी आबादी है। इसके अतिरिक्त व्यावहारिक अथवा तकनीकी शिक्षा का अभाव, अशिक्षा, निर्धनता, भ्रष्टाचार, स्वरोजगार के अवसरों का कम होना, सरकार का उपेक्षित रवैया आदि इसके प्रमुख कारण हैं। बेरोजगारी कई समस्याओं को जन्म देती है, जिसमें आतंकवाद, उपद्रव, चोरी, उकैती, अपहरण, मानसिक अवसाद आदि प्रमुख हैं। जिनके परिणामस्वरूप समाज में बुराइयाँ फैलती हैं। बेरोजगारी की समस्या का निराकरण करने के लिए आवश्यक है कि सरकार व्यावसायिक शिक्षा तथा लघु उद्योगों को प्रोत्साहन दे तथा रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए। साथ ही आवश्यक है कि सरकार जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए कठोर कानून बनाए।

(ग) स्री-शिक्षा का महत्त्व
संकेत बिंदु

  • पृष्ठभूमि
  • स्त्री-शिक्षा के लाभ
  • स्त्री-शिक्षा की आवश्यकता
  • उपसंहार

उत्तर:
स्त्री-शिक्षा का महत्त्व समाज रूपी गाड़ी की प्रगति स्त्री-पुरुष की समान सक्षमता पर निर्भर करती है। दुर्भाग्यवश हमारा समाज अपनी आधी जनसंख्या अर्थात् स्त्री वर्ग के उत्थान के प्रति सदैव उदासीन रहा है, जबकि दार्शनिकों और विचारकों ने स्त्री-शिक्षा को अत्यंत अनिवार्य बताया है। स्त्री ही परिवार का आधार है, इसलिए उसकी शिक्षा पर परिवार और राष्ट्र का भविष्य निर्भर करता है। शिक्षा महिलाओं के आत्मविश्वास में वृद्धि करती है, जिससे वे स्वयं को सक्षम अनुभव करती हैं। शिक्षा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में सहायक है। शिक्षित महिलाएँ परिवार के पोषण में अपना आर्थिक सहयोग भी दे सकती हैं।

आधुनिकता के प्रवेश से एक अच्छी बात यह हुई है कि लोग स्त्री-शिक्षा के महत्त्व को समझने लगे हैं। व्यक्ति, परिवार, समाज, सरकार सबने मिलकर इस दिशा में अनेक कदम उठाए हैं। अशिक्षा के अभिशाप से स्त्रियाँ तीव्र गति से मुक्त हो रही हैं। स्वास्थ्य चिंतन, दृढ़ मानसिकता, आर्थिक सक्षमता के रूप में इसके अच्छे परिणाम भी परिलक्षित हो रहे हैं। इन संकेतों से यह आशा की जा सकती है कि स्त्रियों का भविष्य अत्यंत उज्ज्वल है। यदि स्त्रियाँ पढ़ी-लिखी होंगी, तो वे शोषण मुक्त और सशक्त जीवन जीने में सक्षम हो पाएँगीं।

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प्रश्न 15.
आपका भाई अधिकांश समय मोबाइल फ़ोन के उपयोग में बिताता है। यह एक छात्र के भविष्य के लिए कितना घातक हो सकता है, इससे समझाते हुए मोबाइल फ़ोन का अधिक उपयोग करने से होने वाली हानियों का उल्लेख करते हुए अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए। (लगभग 100 शब्दों में)
अथवा
आपका छोटा भाई छात्रावास में रहकर खुश नहीं है, क्योंकि अभी तक वह कोई मित्र नहीं बना पाया है। अपने भाई को पत्र लिखकर कुछ सलाह दीजिए, जिससे वह कुछ मित्र बना सके। (लगभग 100 शब्दों में)
उत्तर:
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 10 जुलाई, 20XX
प्रिय अनुज,
शुभाशीष!
हम सब यहाँ पर कुशल मंगल हैं और साथ ही कामना करते हैं कि तुम भी कुशलतापूर्वंक होंगे। सभी तुम्हें बहुत याद करते हैं। आज सुबह मुझे, तुम्हारे अध्यापक का फ़ोन आया था, उन्हेने बताया कि आजकल तुम पद्नाई से अधिक मोबाइल फ़ोन पर अपना समय व्यतीत कर रहे हो। यह अच्छी बात नहीं है। तुम घर की आर्थिक स्थिति तो जानते ही हो, कितनी कठिनाइयों से पिताजी ने तुम्दें पढ़ने के लिए भेजा है, ताकि तुम सफल होकर अपने पैरों पर खड़े हो सको। आजकल मोबाइल फ़ोन आवश्यक है, परंतु यह केवल मित्रों, परिवार एवं संबंधियों आदि से आवश्यक बातें करने के लिए है। इसके अतिरिक्त इसका अत्यधिक उपयोग् करना बहुत हानिकारक है। इससे समय तो व्यर्थ होता ही है, साथ में यह मानसिक और शारीरिक रोग भी देता है। इससे एकाग्रता में कमी आती है। इसलिए आशा है कि भविष्य में तुम मोबाइल फ़ोन का अत्यधिक उपयोग नहीं करोगे और एकाग्रचित्त होकर शिक्षा पर ध्यान दोगे।
माता-पिता की ओर से तुम्हें सेह और आशीर्वाद।
तुम्हारी बहन
क. ख. ग.

अथवा

परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 09 मार्च, 20 XX
प्रिय अनुज,
शुभाशीष!
मुझे आज ही तुम्हारा पत्र मिला, बड़ी खुशी हुई कि तुम मन लगाकर पढ़ाई कर रहे हो, परंतु साथ ही तुम्हारी निराशा का भी पता चला कि अभी तक तुम्हारा कोई मित्र नहीं बन पाया है। यह कोई निराशा का विषय नहीं है, समय अनुकूल होने पर स्वयं तुम्हारे अनेक मित्र बन जाएँगे। मित्रों का होना अत्यंत आवश्यक है, परंतु यह भी आवश्यक है कि मित्र सच्चे, हितैषी व सही मार्ग पर चलने वाले हों। तुम छात्रों की दिनचर्या और व्यवहार पर ध्यान दो तथा सभी के साथ घुल-मिलकर रहने का प्रयास करो। इसके साथ ही सबसे खुशी-खुशी व विनम्नतापूर्वक मिला करो।
तत्पश्चात् देखना तुम्हारे भी मित्र अवश्य बनेंगे, परंतु यह ध्यान रहे कि अच्छे विचार वालों, मधुर व्यवहार करने वालों तथा सच्चे सहपाठी से ही मित्रता करना। यह तुम्हारे भविष्य के लिए उत्तम होगा। शेष सभी कुशल है।
माताजी-पिताजी की ओर से सस्नेह आशीर्वाद।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में।
तुम्हारा अग्रज
मुकेश

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प्रश्न 16.
चित्र में दिखाए गए दृश्य या घटना का कल्पनाशक्ति के आधार पर लगभग 100 शब्दों में वर्णन कीजिए। (5)
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उत्तर:
इस चित्र में एक विद्यालय का दृश्य दिखाया गया है, जिसमें छात्र और शिक्षक मिलकर सफाई अभियान में सक्रिय भागीदारी निभा रहे हैं। स्कूल की इमारत के सामने के मैदान में एक छात्र व छात्रा कुड़ेदान में कचरा डाल रहे हैं। दूसरी ओर एक छात्र झाड़ से मैदान की सफाई कर रहा है। उनके शिक्षक, जो पास में खड़े हैं उनका सफाई के इस कार्य में मार्गदर्शन कर रहे हैं और बच्चों को स्वच्छता का महत्व समझा रहे है।

शिक्षक ने अपने हाथ में किताबें पकड़ रखी हैं, जो यह संकेत देती हैं कि शिक्षा और स्वच्छता का गहरा संबंध हैं। उनके हाव-भाव से यह प्रतीत होता है कि वे बच्चों को स्वच्छता के लिए प्रेरित कर रहे है और इस अचंड काम के लिए प्रोत्माहित कर रहे है।

यह चित्र हमें ख्वच्छता के महत्व को समझाने के माध-माथ यह मी निखाना है कि खण्डता का पात विद्यालय में हो शुरु होना चाहिए। बच्चों को ख्वच्छता को आदतो में वालन के लिए वह एक उत्कृष्ट पहल है, जिसमे रिक्षक मी अपनी महचनुर्ण पूरिका निमा रहे है। इस तरह के अभियानों से बच्चों में स्वज्धता की आदत विकांम होंतो है और वे समाज मे ख्याच्छाना के महत्व को ममझें है। इस प्रकार, यह चित्र समाज को स्वच्छता और अनुशामन के महन्च का मंदेश देता है।

प्रश्न 17.
माला और विमला के बीच लड़का एवं लड़की में भेदभाव पर केंद्रित संवाद को लगभग 100 शब्दों में लिखिए। (5)
अथवा
बेरोजगारी की समस्या पर दो युवाओं के मध्य होते संवाद को लगभग 100 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
माला विमला! आज तुम बहुत उदास दिखाई दे रही हो। क्या बात है?
विमला अब तुमसे क्या हिपाना? लडकी होने के कारण वही माँ से पुरानी डॉट-फटकार।
माला यह तो कोई वात नहीं हुई।
विमला हमारा समाज ही ऐसा है। इसमें लडके को वंश चलाने वाला, परिवार का पालन-पोपण करने वाला और युढ़ापे का सहारा माना जाता है, लेकिन लडकियों को तो पराया घन कहकर उपेक्षित किया जाता है। यह समझा जाता है कि लड़के, लड़कियों से कहीं आगे है।
माला आजकल तो इसके विपरीत हो रहा है। लड़कियाँ लगभग प्रत्येक क्षेत्र मे लड़को से आगे निकल गई है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र मे वे लडकों के समान ही कार्य कर रही है, फिर लोगों की ऐसी भावना क्यों हैं?
विमला बस ऐसा ही है, वैसे भी भेदभाव की यह भावना धीरे-घीरे ही समाप्त होगी।

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अथवा

नित्य क्या हुआ श्रेष्ठ, बहुत परेशान दिख रहे हो?
श्रेष्ठ हाँ मित्र, प्रतिदिन बढ़ती बेरोजगारी की समस्या से चितित है।
नित्य सच! यह तो बहुत ही विकट समस्या बन गई है। चुनाव के समय प्रत्येक नेता रोजगारी के अवसर प्रदान करने के नए-नए वादे करता है, परंतु सरकार बनते ही इस समस्या पर कोई ध्यान ही नहीं देता।
श्रेष्ठ सरकारी नौकरी की परीक्षा में भी घोटालों की खारें सामान्य होती जा रही है।
नित्य बिल्कुल और निजी क्षेत्र में भी उचित वेतन पर नौकरी मिलना बहुत ही मुश्किल है।
क्षेष्ठ एक तो बेरोजगारी और ऊपर से प्रतिदिन बढ़ती महँगाई ने तो जीवनयापन करना कठिन बना दिया है।
नित्य सच मित्र! पता नहीं कब यह समस्या हल होगी और लोगों की परेशानी दूर होगी।

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