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CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Set 2 with Solutions - #NCSOLVE 📚

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Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B with Solutions Set 2 are designed as per the revised syllabus.

CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Set 2 with Solutions

समय: 3 घंटे
पूर्णांक : 80

सामान्य निर्देश

निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका सख्ती से अनुपालन कीजिए

  • इस प्रश्न-पत्र में चार खंड है-क, ख, ग और घ।
  • इस प्रश्न-पत्र में कुल 17 प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
  • प्रश्न-पत्र में आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
  • प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए लिखिए।

खंड ‘क’
(अपठित बोध) (14 अंक)

इस खंड में अपठित गद्यांश व काव्यांश से संबंधित तीन बहुविकल्पीय (1×3=3) और दो अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक (2×2=4) प्रश्न दिए गए हैं।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर लिखिए।
प्राय: विद्यालयों में शिक्षा के दबाव के कारण खेलकूद को दैनिक क्रियाकलाप से अलग कर दिया जाता है। इसके अतिरिक्त विद्यालयों का समय और उसके बाद ट्यूशन कक्षाओं के कारण बच्चों के पास मनोरंजन के लिए खेलने का कोई वक्त बचता ही नहीं, तो उसे पेशे के रूप में अपनाने की बात तो काफ़ी दूर की बात है। इस तरह पहली अवस्था में ही खेलों में रुचि की बलि चढ़ जाती है। आमतौर पर यह माना जाता है कि खेलों में करियर बड़ा अनिश्चित होता है और उनमें अच्छे अवसर नहीं मिलते। इसलिए बच्चों को पढ़ाई पर ध्यान देने का दबाव डाला जाता है, भले ही खेलों में उनकी रुचि हो या उनमें जन्मजात प्रतिभा हो, ताकि उनके जीवन में स्थायित्व सुनिश्चित किया जा सके। खेलों में भेदभाव काफ़ी है और सीढ़ियाँ बहुत चढ़नी पड़ती हैं।

बच्चे शुरू से क्रिकेट, फुटबॉल और टेनिस जैसे खेलों के प्रचार और शानों-शौकत से अभिभूत होते हैं। इन खेलों का मीडिया में व्यापक कवरेज़ और उनके साथ जुड़े नाम और प्रसिद्धि ने ताइक्वांडो, खो-खो, तीरंदाजी जैसे अन्य खेलों को पीछे छोड़ दिया है। ज़िलों और उपनगरीय क्षेत्रों में खेल परिसरों और अकादमियों की कमी के कारण बच्चों के लिए आगे बढ़ने की समस्या पैदा हो जाती है। खेल क्लब और अकादमियाँ मुख्यत: महानगरों में ही होती हैं। खेलों में प्रशिक्षण के लिए भारी निवेश की आवश्यकता होती है। न केवल अकादमी में प्रवेश पाने के लिए भारी खर्चा करना होता है, बल्कि खेल सामग्री, पोशाक और यहाँ तक कि पौष्टिक आहार के लिए भी भारी खर्च की आवश्यकता होती है।

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(क) प्रारंभिक अवस्था में ही खेलों में रुचि की बलि किस प्रकार चढ़ा दी जाती है? (1)
(i) दैनिक शारीरिक क्रियाकलाप के कारण
(ii) शिक्षा के दबाव के कारण
(iii) मनोरंजन के कारण
(iv) ये सभी
उत्तर:
(ii) शिक्षा के द्वाव के कारण प्रारंभिक अवस्था में ही सेलों में रुचि की बलि शिक्षा के दबाव के कारण चक्षा दी जाती है। बेलकूद को दैंनिक क्रियाकलाप से अलग कर दिया जाता है। साथ ही विद्यालयों का समय और उसके बाद टयूझन कहाओं के कारण बच्चों के पास मनोरंजन के लिए खेलने का कोई समय नहीं बचता।

(ख) बच्चों पर पढ़ाई का दबाव क्यों डाला जाता है? (1)
(i) बच्चों को खेलकूद करने से गेकने के लिए
(ii) ताकि वे पढ़ाई व खेलकूद के अंतर को समझ सकें
(iii) ताकि उनका जीवन स्थायी रूप से सुनिश्चित किया जा सकें
(iv) ताकि वे खेलकूद के महत्व को समझ सकें
उत्तर:
(iii) ताकि उनका जीवन स्थायी रूप से सुनिश्चित किया जा सके बच्चों पर पढ़ाई का दबाव इसलिए डाला जाता है, ताकि उनका जीवन स्थायी रूप से सुनिश्चित किया जा सके, क्योंकि सामान्यत: यह माना जाता है कि खेलों में जीविकोपार्जन बड़ा अनिश्चित होता है और उनमें अच्छे अवसर नहीं मिलते।

(ग) कथन (A) छोटे राज्यों को खेलकूद के क्षेत्र में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कारण (R) खेल परिसरों और अकादमियों की कमी बच्चों को आगे बढ़ने नहीं देती।
कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण ( R), कथन (A ) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है। छोटे राज्यों के जिता और उपनारीय क्षेत्रों में खेलों के लिए विस्तूत मैदानों एवं खेल परिसरों और अकादमियों की कमी बच्चों को आगे बड़ने नहीं देती, जिससे बच्चों का विकास रूक जाता है। खेल विशेष की उन्नति के लिए किसी परिपद् का निर्माण न होने के कारण भी समस्थाओं का सामना करना पड़ता है।

(घ) खेल को व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए अधिक निवेश की आवश्यकता क्यों होती है? किन्हीं दो बिंदुओं का उत्लेख कीजिए (2)
उत्तर:
खेल को व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए अत्यधिक निवेश की आवश्यक्ता इसलिए होती है, क्योकि

  • खेल अकादमी में प्रवेश पाने के लिए अधिक व्यय करना होता है।
  • साथ ही खेल सामत्री, पोशाक और पौध्टिक आहार के लिए भी अधिक व्यय की आवश्यक्ता होती है।

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(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का केंद्रीय भाव स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
प्रस्तुत गद्यांश में भारत में खेलों के विकास की आधारभूत चुनौतियों की चर्चा की गई है, जिनमें खेलों को पाक्वक्रम से अलग गतिविधि मानना, बच्चों पर पढ़ाई का दबाव डालना, खेलों में भेदभाव की स्थिति तथा खेल को व्यवसाय के रूप में अपनाना आदि के विषय में विस्तार से बताया गया है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर लिखिए।

हँसी भीतरी आनंद को प्रकट कस्ने का बाहरी चिह्न है। हँस लेना जीवन की सबसे प्यारी और उत्तम वस्तु है। एक बार खिलखिलाकर हँसना शरीर को स्वस्थ रखने की श्रेष्ठ औषधि है। पुराने लोग कह गए हैं कि हँसो और पेट फुलाओ। जितना अधिक हँसोगे, उतनी ही आयु बढ़ेगी।

एक पाश्चात्य विद्वान की पुस्तक में बताया गया है कि हँसी, उदास-से-उदास मनुष्य के चित्त को प्रफुल्लित कर देती है। हँसी तो एक शक्तिशाली इंजन की तरह है। यह शोक और दु:ख की दीवारों को गिरा देती है। चित्त को प्रसन्न रखना प्राण-रक्षा का बेहतरीन उपाय है। हँसी सभी के लिए काम की चीज़ है। हँसी कई काम करती है-पाचन शक्ति बढ़ाती है, रक्त को चलाती है और अधिक पसीना लाती है। एक डॉक्टर के अनुसार, यह जीवन की मीठी मदिरा है। कार्लाइल कहता है कि जो जी से हँसता है, वह कभी बुरा नहीं होता। जी से हँसो तुम्हें अच्छा लगेगा, अपने मित्र को हँसाओ, वह अधिक प्रसन्न होगा, शत्रु को हँसाओ, वह तुमसे कम घृणा करेगा, अनजान को हँसाओ, वह तुम पर भरोसा करेगा।

एक बूढ़े को हँसाओ, वह अपने को जवान समझने लगेगा। एक बालक को हँसाओ, उसके स्वास्थ्य में वृद्धि होगी। वह प्रसन्न और प्यारा बालक बनेगा, पर हमारे जीवन का उद्देश्य केवल हँसी ही नहीं है, हमें बहुत कार्य करने हैं। तथापि उन कार्यों में कष्टों में और चिताओं में एक सुंदर आंतरिक हँसी, बड़ी प्यारी वस्तु भगवान ने दी है। हँसी सबको भली लगती है। मित्र मंडली में हँसी विशेषकर प्रिय लगती है, जो मनुष्य हँसते नहीं उनसे ईश्वर बचाए। जहाँ तक बने हँसी से आनंद प्राप्त करो। प्रसन्न लोग कोई बुरी बात नहीं करते। हँसी बैर और बदनामी की शत्रु है और भलाई की सखी है।

(क) ‘हँसी भीतरी आनंद को प्रकट करने का बाहरी चिह्न है।’ पंक्ति का आशय है (1)
(i) बाहरी परिवेश से हँसी व आनंद बढ़ता है।
(ii) हँसना एक श्रेष्ठ औषधि के समान है।
(iii) हँसी हृदय को आंतरिक आनंद प्रदान करती है।
(iv) हँसी हृदय के भाव प्रकट करती है।
उत्तर:
(iv) हैसी दृदय के भाव प्रकट करती है। प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि हँसी हमारे मन के भीतर छिये हुए आनंद, उल्लास या संतोष को बाहर लाने का माध्यम होती है।

(ख) प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक है (1)
(i) हँसना और जीवन
(ii) आंतरिक हँसी की कहानी
(iii) हँसी और घृणा
(iv) जीवन में हँसी का महत्व
उत्तर:
(iv) जीवन में हैसी का महत्त्व प्रस्तुत गद्यांश में जीवन में हैंसी के महत्व के विषय में बताया गया है अत: इसका उपयुक्त शीर्षक ‘जीवन में हँसी का महत्त्व’ होगा।

(ग) कथन (A) उदास मनुष्य के चित्त को प्रफुल्लित करने के लिए हँसी एक शक्तिशाली साधन है।
कारण (R) हँसी उदासी को दूर करने में सहायक नहीं है। (1)
कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, कितु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है। गद्वांश के अनुसार, हँसी उदास मनुष्य के चित्र को प्रफुल्लित कर देती है। इससे स्पष्ट होता है कि ईसी उदासी को दूर करने में सहायक है।

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(घ) हँसने से क्या बढ़ती है? हँसी के कार्यों को स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
प्रस्तुत गयांश में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि हँसने से व्यक्ति की आयु बड़ती है, क्योंकि ‘हैंसना’ शरीर को स्वस्थ रखने की श्रेष्ठ औषधि है। ‘हैंसी’ अनेक कार्य करती है, जैसे कि यह हमारी पाचन शक्ति को बढ़ाने के साथ-साथ हमारे शरीर में रक्त का सुचार रूप से संचार करती है और अधिक पसीना लाती है।

(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का केंद्रीय भाव स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
प्रस्तुत गद्यांश में मनुष्य के जीवन में हँसी के महत्व को दर्शाया गया है कि किस प्रकार मनुष्य सुश रहकर अपने स्वास्थ्य को वेहतर रख सकता है और हँसी के माध्यम से वह सभी प्रकार के मनुष्यों से अच्छे संबंध स्थापित कर सकता है।

खंड ‘ख’
(व्यावहारिक व्याकरण) (16 अंक)

व्याकरण के लिए निर्धारित विषयों पर अतिलघूत्तरात्मक 20 प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें से केवल 16 प्रश्नों (1×16=16) के उत्तर देने हैं।

प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘शब्द और पद’ पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×2=2)

(क) कवि ने अपने काव्य में प्रकृति की विविधता और मानव जीवन में संघर्षों का अत्यंत सुंदर चित्रण किया है। वाक्य में रेखांकित शब्द का लिंग परिवर्तन करके लिखिए। (1)
उत्तर:
वाक्य में रेखांकित शब्द ‘कवि’ का लिंग परिवर्तन ‘कवयित्री’ है।

(ख) भाववाचक संज्ञा को उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए। (1)
उत्तर:
जिन संज्ञा शब्दों से किसी व्यक्ति, स्थान अथवा वस्तु के गुण, धर्म, दशा, अवस्था आदि का पता चलता है, वे भाववाचक संज्ञा कहलाते हैं।
मनुष्य की वाणी में मिठास होनी चाहिए। वाक्य में ‘मिठास’ शब्द भाववाचक है।

(ग) अर्थ के आधार पर शब्दों के भेद बताकर उनके नामोलेखित कीजिए। (1)
उत्तर:
अर्थ के आधार पर शब्दों के दो भेद है

  • निरर्थक शब्द
  • सार्थक शब्द

प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘अनुस्वार व अनुनासिक’ पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×2=2)

(क) निम्नलिखित वाक्य में से अनुनासिक चिह्हों के प्रयोग वाले दो शब्दों को छाँटकर लिखिए (1)
“माँ ने अपने आँचल से आँसू पोंछे और उसे स्नेह से गले लगाया।”
उत्तर:
अनुनासिक शब्द- माँ, आँचल, आँसू।

(ख) जीवन में अहंकार से बड़ी कोई बाधा नहीं होती है। वाक्य में अनुस्वार युक्त शब्द छाँटकर लिखिए। (1)
उत्तर:
अहंकार, नहीं।

(ग) निम्नलिखित शब्दों में से अनुनासिक व अनुस्वार शब्दों को अलग-अलग छाँटकर लिखिए (1)
धुआँ, त्योही, काँच, कंप, उँडेल, चौंका, आँगन, धाँकनी।
उत्तर:
अनुनासिक धुआँ, काँच, उँड़ेल, आँगन।
अनुस्वार त्योही, कंप, चौंका, घौकनी।

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प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘उपसर्ग और प्रत्यय’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×4=4)

(क) ‘दु’ उपसर्ग में ‘बला’ मूल शब्द जोड़कर नया शब्द बनाकर उसका वाक्य में प्रयोग कीजिए। (1)
उत्तर:
‘दु’ (उपसर्ग) में ‘बला’ (मूल शब्द) जोड़ने से ‘दुबला’ शब्द बनता है।
वाक्य प्रयोग लंबी बीमारी के बाद रवि काफी दुबला हो गया है।

(ख) ‘उपयोगी’ और ‘संपादकीय’ शब्दों में प्रयुक्त मूल शब्द व प्रत्यय को अलग-अलग करके लिखिए। (1)
उत्तर:
उपयोग (मूल शब्द), ई (प्रत्यय)
संपादक (मूल शब्द), ईय (प्रत्यय)

(ग) ‘प्र’ उपसर्ग को मूल शब्द से जोड़कर दो नए शब्द बनाइए। (1)
उत्तर:
प्र + हार = प्रहार
प्र + सिद्ध = प्रसिद्ध

(घ) कृत प्रत्यय के दो उदाहरण बताकर कृत प्रत्यय का अर्थ स्पष्ट कीजिए। (1)
उत्तर:
लिखाई (लिख + आई)
लुटेरा (लूट + एरा)
जो प्रत्यय क्रिया धातुओं के अंत में लगकर संज्ञा या विशेषण शब्द बनाते हैं, उन्हें कृत प्रत्यय कहते हैं।

(ङ) ‘प्रत्युत्तर’ व ‘सत्कार’ शब्दों में प्रयुक्त मूल शब्द व उपसर्ग को अलग-अलग करके लिखिए। (1)
उत्तर:
लिखाई (लिख + आई)
लुटेरा (लूट + एरा)
जो प्रत्यय क्रिया धातुओं के अंत में लगकर संज्ञा या विशेषण शब्द बनाते हैं, उन्हें कृत प्रत्यय कहते हैं।

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प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘स्वर संधि’ पर आधारित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×3=3)

(क) ‘तथैव’ शब्द में प्रयुक्त संधि का नाम बताकर इसका संधि-विच्छेद कीजिए। (1)
उत्तर:
‘तथैव’ शब्द में वृद्धि संधि है। इसका संधि-विच्छेद
‘तथा + एव’ होगा।

(ख) ‘अति + अधिक’ का संधियुक्त शब्द क्या होगा? इसमें कौन-सी संधि है। (1)
उत्तर:
‘अति + अधिक’ का संधियुक्त शब्द ‘अत्यधिक’ होगा। यहाँ यण् संधि है।

(ग) ‘भावुक’ शब्द का संधि-विच्छेद करके इसमें प्रयुक्त संधि का नाम बताइए। (1)
उत्तर:
‘भावुक’ शब्द का संधि-विच्छेद ‘भौ + उक’ है। यहाँ अयादि संधि है।

(घ) ‘लंकेश’ शब्द में कौन-सी संधि प्रयुक्त है? (1)
उत्तर:
‘लंकेश’ (लंका + ईश) शब्द में गुण संधि प्रयुक्त है।

प्रश्न 7.
निर्देशानुसार ‘विराम चिह्न’ पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×2=2)

(क) वाक्य के मध्य में अर्द्ध-विराम से भी कम समय तक रुकने के लिए किस विराम चिह्न का प्रयोग किया जाता है? (1)
उत्तर:
अल्प विराम (,)

(ख) बार-बार यह प्रश्न उठ रहा है-तुम कब जाओगे, अतिथि? (1)
उपर्युक्त वाक्य में प्रयोग किए गए चिह्नों के नाम लिखिए।
उत्तर:
वाक्य में योजक चिह्न (-), निर्देशक चिह्न (-), अल्प विराम (,) तथा प्रश्नवाचक चिह्न (?) का प्रयोग हुआ है।

(ग) ये नेता यंग इंडिया नाम का एक अंग्रेजी साप्ताहिक भी निकालते थे। (1)
उपर्युक्त वाक्य को उचित चिह्न का प्रयोग करके लिखिए।
उत्तर:
ये नेता ‘यंग इंडिया’ नाम का एक अंग्रेजी साप्ताहिक भी निकालते थे।

प्रश्न 8.
निर्देशानुसार ‘अर्थ की दृष्टि से वाक्य भेद’ पर आधारित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×3=3)

(क) ‘लड़के की बुढ़िया माँ बावली होकर ओझा को बुला लाई।’ अर्थ के आधार पर वाक्य भेद बताइए। (1)
उत्तर:
प्रस्तुत वाक्य अर्थ के आधार पर विधानवाचक वाक्य है।

(ख) ‘राम बारिश में भीग गया।’ संदेहवाचक वाक्य में परिवर्तित कीजिए। (1)
उत्तर:
राम बारिश में भीग गया होगा।

(ग) ‘वे लंदन अंग्रेजी भाषा की शिक्षा प्राप्त करने नहीं गए थे।’ विधानवाचक वाक्य में परिवर्तित कीजिए। (1)
उत्तर:
वे लंदन अंग्रेजी भाषा की शिक्षा प्राप्त करने गए थे।

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(घ) ‘क्या तुमने परीक्षा की तैयारी में सचमुच पूरा मन लगाकर पढ़ाई की?’ विस्मयवाचक वाक्य में परिवर्तित कीजिए। (1)
उत्तर:
वाह! तुमने तो परीक्षा की तैयारी बहुत लगन से की है।

खंड ‘ग’
(पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक) (30 अंक)

इस खंड में पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। (1×5=5) मेरी पत्नी की आँखें एकाएक बड़ी-बड़ी हो गईं। आज से कुछ बरस पूर्व उनकी ऐसी आँखें देख मैंने अपने अकेलेपन की यात्रा समाप्त कर बिस्तर खोल दिया था। पर अब जब वे ही आँखें बड़ी होती हैं, तो मन छोटा होने लगता है। वे इस आशंका और भय से बड़ी हुई थीं कि अतिथि अधिक दिनों तक ठहरेगा।

और आशंका निर्मूल नहीं थी, अतिथि! तुम जा नहीं रहे। लॉण्ड्री पर दिए कपड़े धुलकर आ गए और तुम यहीं हो। तुम्हारे भरकम शरीर से सलवटें पड़ी चादर बदली जा चुकी और तुम यहीं हो। तुम्हें देखकर फूट पड़ने वाली मुस्कुराहट धीरे-धीरे फीकी पड़कर अब लुप्त हो गई है। ठहाकों के रंगीन गुब्बारे, जो कल तक इस कमरे के आकाश में उड़ते थे, अब दिखाई नहीं पड़ते। बातचीत की उछलती हुई गेंद चर्चा के क्षेत्र के सभी कोनलों से टप्पे खाकर फिर सेंटर में आकर चुप पड़ी है। अब इसे न तुम हिला रहे हो, न मैं। कल से मैं उपन्यास पढ़ रहा हूँ और तुम फिल्मी पत्रिका के पन्ने पलट रहे हो।

शब्दों का लेन-देन मिट गया और चर्चा के विषय चुक गए। परिवार, बच्चे, नौकरी, फिल्म, राजनीति, रिश्तेदारी, तबादले, पुराने दोस्त, परिवार नियोजन, महँगाई, साहित्य और यहाँ तक कि आँख मार-मारकर हमने पुरानी प्रेमिकाओं का भी जिक्र कर लिया और अब एक चुप्पी है। सौहार्द अब शनै:-शनै: बोरियत में रूपांतरित हो रहा है। भावनाएँ गालियों का स्वरूप ग्रहण कर रही हैं पर तुम जा नहीं रहे। किस अदृश्य गोंद से तुम्हारा व्यक्तित्व यहाँ चिपक गया है, मैं इस भेद को सपरिवार नहीं समझ पा रहा हूँ। बार-बार यह प्रश्न उठ रहा है-तुम कब जाओगे अतिथि?

(क) लेखक की पत्नी की आँखें किस आशंका से बड़ी हो जाती हैं?
(i) कि अतिथि के जाने का समय आ गया है
(ii) कि अतिथि ने कपड़े धुलवा दिए हैं
(iii) कि अतिथि अधिक दिनों तक ठहरेगा
(iv) कि अतिथि के साथ चर्चा खत्म हो गई है
उत्तर:
(iii) कि अतिथि अधिक दिनों तक ठहरेगा गद्यांश के अनुसार, लेखक की पत्नी की आँखें अतिथि के लंबे समय तक ठहरने के भय और आशंका से बड़ी हो जाती हैं।

(ख) गद्यांश के अनुसार लेखक की भावनाएँ किसका स्वरूप ग्रहण करने लगी है? (1)
(i) सम्मान का
(ii) गालियों का
(iii) प्रशंसा का
(iv) दुआओं का
उत्तर:
(ii) गालियों का गद्यांश के अनुसार, सौहार्द अब शनै:-शने: बोरियत में रूपातरित हो रहा है। भावनाएँ गालियों का स्वरूप ग्रहण कर रही हैं, पर अतिधि जा नहीं रहा है।

(ग) प्रस्तुत गद्यांश में ‘अतिथि’ के व्यक्तित्व को किससे चिपका हुआ बताया गया है? (1)
(i) समय
(ii) परिवार
(iii) अदृश्य गोंद
(iv) कमरे की दीवार
उत्तर:
(iii) अदृश्य गोंद गद्यांश के अनुसार, लेखक कह रहा है कि किस अदृश्य गोंद से तुम्हारा व्यक्तित्व यहाँ चिपक गया है, मै इस भेद को सपरिवार नहीं समश पा रहा हुँ। बार-बार यह प्रश्न उठ रहा है-तुम कब जाओगे अतिथि?

(घ) कथन (A) अतिथि के आने से पहले घर में खुशी और ठहाकों का माहौल था। (1)
कारण (R) अतिथि के लंबे समय तक रुकने से बातचीत के विषय समाप्त हो गए और घर में खुशियाँ फैल गई। कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है। गद्यांश के अनुसार, अतिथि के आने से पहले घर में खुशी और ठहाकों का माहौल था, परंतु अतिथि के लंबे समय तक रुकने से बातचीत के विषय समाप्त हो गए और घर में उदासी फैल गई।

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(ङ) लेखक और अतिथि के बीच शब्दों का लेन-देन क्यों समाप्त हो गया है? (1)
(i) क्योकि विषय समाप्त हो गए
(ii) क्योंकि लेखक और अतिथि में झगड़ा हो गया
(iii) क्योकि अतिथि सो गया
(iv) क्योकि लेखक काम में व्यस्त हो गया
उत्तर:
(i) क्योंकि विषय समाप्त हो गए गद्वांश के अनुसार बातचीत की उछलती हुई गेंद चर्चा के क्षेत्र के सभी कोनों से टखे खाकर चुप पड़ी है और चर्चा के विषय चूक गए हैं अर्थात् लेखक और अविधि दोनों के पास ही बातचीत के लिए कोई विषय बचा नहीं था और दोनो दूसरे कार्यों में व्यस्त हो गए।

प्रश्न 10.
गद्य खंड पर आधारित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2×3=6)

(क) यात्री दल का पहला कैंप कहाँ लगा था, उसकी ऊँचाई कितनी थी और किसकी देख-रेख में रास्ता बनाया गया था? पाठ ‘एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा’ के आधार पर लिखिए। (2)
उत्तर:
यात्री दल द्वारा पहला कैंप हिमपात स्थल के ठीक ऊपर लगाया गया था, जो अत्यधिक ऊँचाई पर था। उसकी ऊँचाई लगभग 6,000 मी यौ। वहाँ पर पहुँचने के लिए प्रेमचंद की देख-रेख में रास्ता बनाया गया था।

(ख) “जीवित व्यक्ति की मदद और कद्र न करना समाज की सबसे बड़ी विडंबना है।” दुःख का अधिकार’ कहानी के माध्यमं से इस कथन के संदर्भ में समाज की कौन-सी कुप्रथाएँ उजागर होती हैं? (2)
उत्तर:
“जीवित व्यक्ति की मदद थ कद्र न करना समाज की सबसे बड़ी विहंबना है।” कहानी में इस कथन के माध्यम से समाज की कई कुप्रथाओं का चित्रण किया गया है

  • मृतक पर नए कपड़े का कफ़न चढ़ाना।
  • नीम-हकीमों पर विश्वास करना।
  • गरीबों पर ताना कसना।
  •  जीवित व्यक्ति की मदद ख काद्र न करना।

इन्हीं कुरीतियों के चलते भगवाना के मर जाने पर उसके कक्रन आदि का इंतज्ञाम करने के लिए घर के जेवर तक बिक जाते हैं, जबकि जीवित प्राणी (बुढ़िया, पोता-पोती, बदू अादि) के लिए एक दाना भी नहीं वचता। यह समाज की असंवेदनशीलता और खोखली परंपराओं की कड्ड सच्चाई को उजागर करता है।

(ग) “संबंधों का संक्रमण के दौर से गुजरना” इस पंक्ति से आप क्या समझते हैं? ‘तुम कब जाओगे, अतिथि’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
“संबंधों का संक्रमण के दौर से गुनरना” इस पंक्ति का आशय है-संबंधों का बदलना। ‘तुम कब जाओगे, अतिथि’ पाठ के लेखक तथा अतिथि के बीच प्रारंभ में जो आत्मीय संबंध थे, वे अब घृणा, त्रिरस्कार एवं बोरियत में परिवर्तित हो गए। उनके बीच का सौहार्दपूर्ण संबंध समय बीतने के साथ-साथ विरक्ति भाव में परिवर्तित होने लगा। प्रारंभ में जब अतिथि आया था, तो लेखक ने उसे डिनर कराया, लंच कराया, सिनेमा दिखाया, सूब बातें करते हुए साथ-साथ ठहाके लगाए, लेकिन जब लेखक को लगने लगा कि अतिधि तो घर से जाने का नाम ही नहीं ले रहा, तब उसके मन में उसके प्रति तिरस्कार की भावना उत्पन्न होने लगी।
अब वह अतिथि को ‘गेट-आउट’ कहने के लिए भी मानसिक रुप से तैयार होने लगा। इस प्रकार, दोनों के बीच के संबंघ परिवर्तन अर्थात् संक्रमण के दौर से गुजरने लगे।

(घ) हार्नीमैन को अंग्रेजी सरकार ने देश निकाला की सज़ा क्यों दी तथा इसका गाँधीजी पर क्या प्रभाव पड़ा? (2)
उत्तर:
‘बॉम्बे क्रानिकल’ के संपादक हानीमैन की निर्भीकता व ईंमानदारी से दु:खी होकर अंग्रेजी सरकार ने उन्हें देश निकाला की सजा देते हुए इंग्लैंड भेज दिया। इससे बंबई के तीन बड़े नेता इंकरलाल बैकर, उम्मर सोखानी और जमनादास द्वारकादास के साप्तहिक समाचार-पत्र लिखने वालों की कमी हो गई। तब गाँधीजी ने उनकी इच्छा के अनुरूप ‘यंग इंडिया’ के संपादक का दायित्व संभाल लिया, जो उन दिनों गाँधीजी की मी आवश्यकता थी। बाद में ‘नवर्जीवन’ नामक समाचार-पत्र का कार्यभार भी गाँधीजी के पास ही आ गया।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए। (1×5=5)
यह महान दृश्य हैचल रहा मनुष्य है अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!
(क) कवि ने मनुष्य की किस विशेषता को महान दृश्य कहा है? (1)
(i) मनुष्य की बुद्धिमत्ता को
(ii) मनुष्य की कर्मठता और संघर्षशीलता को
(iii) मनुष्य की दया को
(iv) मनुष्य की विनम्रता को
उत्तर:
(ii) मनुष्य की कर्मठता और संघर्षशीलता को कवि के अनुसार, जीवन में सबसे महान दृश्य मनुष्य की निरंतर कर्मठता और संघर्षशीलता है। मनुष्य कठिनाइयों और चुनातियों का सामना करते हुए निरंतर आगे चल रहा है, यही दृश्य उसे महान बनाता है।

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(ख) ‘अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ’ पंक्ति का क्या आशय है? (1)
(i) आँसू व खून बहाकर मनुष्य की कमजोरी को बताना
(ii) आँसू व खून-पसीना बहाकर संघर्ष पथ पर आगे बढ़ते रहना
(iii) आँसू व खून बहाकर देश के लिए बलिदान हो जाना
(iv) मनुष्य की नफरत और ईष्या, हिंसा व रक्तपात का कारण है
उत्तर:
(ii) आँसू व खून-पसीना बहाकर संघर्ष पथ पर आगे बड़ते रहना ‘अश्रु-स्वेद-रक्त से लधपथ’ पंक्ति का आशय है कि मनुष्य अपना खून-पसीना बहाकर संघर्ष रूपी अग्नि पथ पर निरंतर आये बड़ता रहे। वह औस और पसीने से लथपथ होने के बावजूद भी आगे बढ़ रहा है। खून-पसीने से ओत-प्रेत मनुष्य का अपने लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ना ही उसकी कर्मठता की परीधा है।

(ग) प्रस्तुत काव्यांश में कवि का उद्देश्य क्या है? (1)
(i) मनुष्य जीवन में आंराम और शांति को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित करना
(ii) मनुष्य को सभी जीवों के प्रति प्रेम और करुणा की शिक्षा देना
(iii) मनुष्य जीवन में ज्ञान और शिक्षा के महत्त्व को समझाना
(iv) मनुष्य को लक्ष्य प्राप्ति के लिए निरंतर श्रम व संघर्ष के लिए प्रेरित करना
उत्तर:
(iv) मनुष्य को लक्ष्य प्राज्ति के लिए निरंतर श्रम व संघर्ष के लिए प्रेरित करना इस काव्यांश के माध्यम से कवि का उद्देश्य मनुष्य को जीवन की कठिनाइयों और संघर्ष का सामना करने के लिए प्रेरित करना है। कवि कहना चाहता है कि मनुष्य को हर परिस्थिति में धैर्य और साहस के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए।

(घ) काव्यांश में ‘अगिन पथ’ का वास्तविक अर्थ क्या बताया गया है? (1)
(i) अग्नि से जलता हुआ पथ
(ii) उत्साह और जोश का पथ
(iii) कठिनाई और संघर्ष का पथ
(iv) प्रकाश और ज्ञान का पथ
उत्तर:
(iii) कठिनाई और संघर्ष का पथ प्रस्तुत काव्यांश में ‘अगिन पथ’ का वास्तविक अर्थ कठिनाई और संपर्ष से भरे मार्ग से है। प्रस्तुत पंक्तियों में कवि का कहना है कि इस जीवन रूपी संसार में अग्नि के समान कठिन रास्ते है। इस मुश्किल पथ पर मनुष्य अपना खून-पसीना बहाकर संघर्ष रुपी अभि पथ पर निरंतर आगे बढ़ता रहे तथा अपने लक्ष्य की प्राप्ति करे।

(ङ) कथन (A) मनुष्य को किसी भी परिस्थिति में अपना लक्ष्य प्राप्त करना चाहिए। (1)
कारण (R) संघर्ष और कठिनाइयाँ मनुष्य को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाती हैं।
कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, कितु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है। काव्यांश के अनुसार, मनुष्य को अपना लक्ष्य किसी भी परिस्थिति में प्राप्त करना चाहिए तथा इस लक्य को पाने के लिए मनुष्य को निरंतर कठिनाइयों का सामना और संघर्ष करते रहना चाहिए। संघर्ष और कठिनाइयाँ मनुष्य को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाती हैं यह सही है, लेकिन यह कथन का सही स्पष्टीकरण नही है।

प्रश्न 12.
काव्य खंड पर आधारित निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2×3=6)

(क) ‘दोहे (रहीम)’ पाठ के आधार पर बताइए कि ‘बिगरी बात बनै नहीं’ दोहे के माध्यम से रहीम क्या कहना चाहते हैं? (2)
उत्तर:
‘बिगरी बात बनै बहीं’ दोहे के माध्यम से कवि रहीम कहना चाहते हैं कि मनुष्य द्वारा की गई बात एक बार विकृत हो जाने पर पुन: लाख कोशिश करने से भी ठीक नहीं होती है, इसलिए व्यक्ति को सोच-समझकर प्रत्येक कार्य करना चाहिए।

(ख) ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ कविता में कवि ने कितने प्रकार के हाथों की चर्चा की है? स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
‘खुशन्यू रचते हैं हाथ’ कविता में कवि ने सुशबू रचते हाथ, उभरी नसों वाले हाध, चिसे नाखून वाले हाथ, पीफल के पत्ते-से नए-नए कोमल हाथ, जूही की डाल-से खुशबूदार हाथ, गंदे व कटे-पिटे हाथ, इस से भरे हाथ आदि विभिन्न प्रकार के हाथों की चर्चा की है।

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(ग) प्रभु के साथ अपनी तन्मयता को रैदास ने चकोर की भाँति चाँद को निहारने की उपमा से व्यक्त किया है। ‘अब कैसे छूटे’ पद से उद्धृत इस पंक्ति के माध्यम से रैदास की भक्ति भावना स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
जिस प्रकार चकोर पक्षी चाँद को अपना श्रियतम मानकर उसे अपलक निहारता रहता है, उसी प्रकार रैदास भी अपने प्रभु से एकनिष्ठ प्रेम करते हैं और टकटकी लगाए प्रभु रुपी चाँद को निहारते रहते हैं। अतः ईश्वर भक्ति में अपनी एकाग्रता और तन्मयत्त सिद्ध करने के लिए रैदास ने प्रभु को चाँद और स्वर्य को चकोर कहा है।

(घ) शुकी घोसले में बैठकर क्या कर रही है तथा वह मन-ही-मन क्या अनुभव करती है? ‘गीत-अगीत’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।(2)
उत्तर:
शुकी घोसले में बैठी है और अपने पंख फैलाकर अंडों को से रही है। शुक गीत गा रहा है। शुकी भी उसके स्वर को सुनकर गाना चाहती है, परंतु उसके मन में उठने वाले गीत वात्सल्य भाव में ही डूबकर रह जाते हैं। वह अपने बच्चों के प्रेम में विभोर होकर उन गीतों को अपने अंदर अनुभव करती है। यहाँ शुक का स्नेह मुखर है, पर शुकी का मौन। एक का स्वर ‘गीत’ कहलाता है तथा दूसरे का मौन ‘अगीत’ कहलाता है। यहाँ पर दोनों ही सुंदर हैं-गीत और अगीत।

प्रश्न 13.
पूरक पाठ्यपुस्तक ‘संचयन’ पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए। (4×2=8)

(क) ‘चिट्रियाँ मिलने का विचार लेखक को ‘आकाश-कुसुम’ की भाँति कठिन प्रतीत हुआ।’ इस कथन के पक्ष में ‘स्मृति’ पाठ के आधार पर विचार व्यक्त कीजिए। (4)
उत्तर:
चिट्ठियाँ मिलने का विचार लेखक को ‘आकाश-कुसुम’ की भाँति कठिन प्रतीत हुआ। यह कथन लेखक के उस अनुभव को दर्शाता है, जब वह धोतियों को जोड़कर बनाई गई रस्सी के सहारे कुएँ में उतरा, तो उसका अनुमान था कि वह किसी प्रकार डंडे से साँप को मार देगा और चिट्ठियाँ पाने में सफल हो जाएगा, लेकिन वहाँ वस्तुस्थिति दूसरी थी। साँप पहले से ही तैयार बैठा था, वह अपने प्रतिद्धंदी अर्थात् लेखक के आक्रमण की प्रतीक्षा में था। साँप को इस स्थिति में देखकर लेखक को यह महसूस हुआ कि चिट्ठियों को सहजता से प्राप्त कर लेना संभव नहीं है और उसे चिट्ठियाँ मिलने का विचार ‘आकाश-कुसुम’ की भाँति कठिन प्रतीत होने लगा। इस प्रकार चिट्ठियाँ पाना असंभव लगने के कारण लेखक ने इसकी तुलना ‘आकाश-कुसुम’ से की है।

(ख) ‘गिल्लू’ कहानी में गिल्लू के अंतिम समय में लेखिका ने उसके लिए क्या प्रयास किए? आजकल लोग अपने पालतू जानवरों की देखभाल के लिए क्या कर सकते हैं? आप उन्हें सुरक्षित व स्नेहपूर्ण वातावरण देने के लिए क्या सुझाव देंगे? (4)
उत्तर:
‘गिल्लू’ कहानी में उसके अंतिम समय में लेखिका ने भरसक प्रयास किए कि वह आराम और स्नेह पा सके। गिल्लू ने अपने ठंडे पंजों से लेखिका की वही अंगुली पकड़ ली थी, जिसे उसने बचपन में पक्कड़ा था। लेखिका ने उसकी गरमाहट के लिए हीटर जलाया, लेकिन सुबह तक गिल्लू इस संसार को छोड़ चुका था। लेखिका ने उसकी स्मृति को जीवित रखने के लिए सोनजुही के पास उसकी समाधि बनाई। आजकल पालतू जानवरों की देखभाल के लिए समय पर भोजन, सुरक्षित आश्रय और स्नेहपूर्ण वातावरण देना आवश्यक है। साथ ही उनकी भावनात्मक ज़रूरतों को समझ

(ग) ‘कटी पतंग योग’ से लेखक का क्या तात्पर्य है तथा इसके द्वारा वह किसको समझने का प्रयास करता है? ‘कल्लू कुम्हार की उनाकोटी’ पाठ के आधार पर लिखिए। (4)
उत्तर:
लेखक की अपनी व्यक्तिगत दिनचर्या है कि वह सूयोंदय के साथ जागकर स्वयं अपने लिए चाय बनाता है और फिर चाय एवं अखबार के साथ लंबी अलसाई सुबह का आनंद लेता है। लेखक अखबार नहीं पढ़ता, बल्कि इस बहाने वह अपने दिमाग को कटी पतंग की तरह हवा में तैरने देता है, जिससे उसे बेहद ऊर्जा प्राप्त होती है। दिमाग को इस प्रकार खुला छोड़ देने की क्रिया को वह ‘कटी पतंग योग’ कहता है। लेखक का मानना है कि इस क्रिया द्वारा उसे एक और दिन के लिए दुनिया का सामना करने में मदद मिलती है। लेखक ने यहाँ ऐसी दुनिया का सामना करने की बात की है, जिसके बारे में समझ पाने में वह स्वयं को असमर्थ पाता है। ‘कटी पतंग योग’ के द्वारा वह दुनिया को समझने की कोशिश करता है।

खंड ‘घ’
(रचनात्मक लेखन) (20 अंक)

इस खंड में रचनात्मक लेखन पर आधारित प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए। (5)

(क) शहरों में यातायात-समस्या
संकेत बिंदु

  • यातायात के विभिन्न साधन
  • बस सेवा और नागरिकों को होने वाली असुविधाएँ
  • सुधार के उपाय

उत्तर:
शहरों में यातायात-समस्या
महानगरों में यातायात के अनेक साधन उपलब्य हैं। इनमें रेल, बस, कार, जीप, स्कूटर, मोटरसाइकिल, रिक्शा, साइकिल आदि प्रमुख हैं। परिवहन के अनेक साधन होने के बाद भी जनता को यातायात की समस्या से जूझना पड़ता है। समाज में ऐसे लोगों की संख्या कम ही है, जो निजी वाहनों से यात्रा कर सकें। शहरों में जनसंख्या बढ़ने के अनुपात में परिवहन व्यवस्था का विस्तार नहीं हो पा रहा है। दिल्ली सहित देश की अन्य राजधानियों में सरकारी तथा निजी संस्थानों द्वारा परिवहन के लिए बस सेवा का संचालन किया जाता है।

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फिर भी लोगों को घंटो बस स्टैंड पर खड़े रहना पड़ता है, साथ ही लोग बस के दरवाज़े पर लटककर जाने के लिए विवश हैं। शहरों में थ्री-व्हीलर की सुविधा भी उपलब्ध है। थ्री-क्रीलर चालकों का अभद्र व्यवहार, मनमाना किराया वसूलना और स्थान-विशेष पर जाने के लिए मना कर देने की शिकायतें दिन-प्रतिदिन सामान्य होती जा रही हैं, जिस पर प्रशासन को गंभीर रूप से ध्यान देना चाहिए और नियम का उल्लंघन करने पर कठोर नियम बनाने चाहिए। अनुशासनहीनता बरतने वाले लोगों का ड्राइविंग लाइसेंस जब्त कर लेना चाहिए तथा पुलिस की पर्याप्त व्यवस्था करना भी आवश्यक है। यातायात की समस्या का निराकरण करने के लिए आवश्यक है कि यातायात के सार्वजनिक साधनों की संख्या में वृद्धि की जाए।

(ख) भारतीय संस्कृति
संकेत बिंदु

  • ऐतिहासिक परंपरा
  • भारतीय संस्कृति की मूल विशेषताएँ
  • अनेकता में एकता

उत्तर:
भारतीय संस्कृति
भारतीय संस्कृति का निर्माण लंबी ऐतिहासिक परंपरा का प्रतिफल है। इसके भौगोलिक विस्तार, रीति-रिवाज़ तथा देशी-विदेशी विचारों के सम्मिश्रण का अत्यधिक योगदान सांस्कृतिक परिदृश्य निर्माण में रहा है। भारतीय संस्कृति ने राष्ट्रीयता की भावना दी, लोकतंत्र का पाठ पढ़ाया तथा मनुष्यता को सुख-समृद्धि की प्रवृत्तियाँ सौंपीं। भारतीय संस्कृति में आत्मा को परमात्मा का अंश मानकर आत्मिक ज्ञान पर बल दिया जाता है। भारतीय संस्कृति में संतोष, परोपकार, दया, अहिंसा आदि गुणों को अपनाने पर बल दिया जाता है तथा भौतिक सुख को महत्वपूर्ण न मानते हुए आत्मिक संतुष्टि को प्रधानता दी जाती है।

आध्यात्मिकता के साथ सामाजिक संस्कृति का ऐसा रूप दुनिया में कहीं संभव नहीं है। यहाँ अनेक धर्मों के लोग एक साथ निवास करते हैं। सबके अपने तीज-त्योहार, सबकी अपनी मान्यताओं के बीच एकता भारतीय आत्मा को स्वरूप प्रदान करती है। ‘अनेकता में एकता’ भारतीय संस्कृति का सार है। वस्तुत: भारतीय संस्कृति एक महान जीवनधारा है, जो प्राचीनकाल से सतत् प्रवाहित है। विशालता, उदारता एवं सहिष्णुता की दृष्टि से अन्य संस्कृतियों की अपेक्षा भारतीय संस्कृति अग्रणी स्थान रखती है।

(ग) आत्मनिर्भरता
संकेत बिंदु

  • आत्मनिर्भरता का अर्थ
  • आत्मनिर्भरता सफलता का मूल मंत्र
  • आत्मनिर्भरता ही जीने की कला है

उत्तर:
आत्मनिर्भरता
आत्मनिर्भरता का अर्थ है-किसी वस्तु अथवा कार्य हेतु स्वयं पर निर्भर रहना। आत्मनिर्भर व्यक्ति ही घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान पाता है, लेकिन जो व्यक्ति आलसी होता है, वह अपने निर्वाह के लिए साधन भी नहीं जुटा पाता, उसके घर-परिवार वाले भी उसका सम्मान नहीं करते, फिर उसे समाज से सम्मान कैसे मिल सकता है? ऐसे व्यक्ति को बोझ के समान माना जाता है। आत्मनिर्भर व्यक्ति को सभी पसंद करते हैं।

उसे सिर-आँखों पर बिठाकर रखना चाहते हैं। आत्मनिर्भरता सफलता का मूल मंत्र है। आत्मनिर्भर व्यक्ति का मन सदैव उत्साह तथा आत्मविश्वास से भरा रहता है। कठोर परिस्थितियों में भी वह निराश नहीं होता। आत्मनिर्भर व्यक्ति का कार्यक्षेत्र बहुत विस्तृत होता है। वह केवल अपने तक ही सीमित न रहते हुए सदैव देश की उन्नति तथा विकास कायों में भी उचित योगदान देता है और राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास में लगा रहता है। आत्मनिर्भरता तो उसके लिए जीने की कला है। आत्मनिर्भर होने का एक ही उपाय है-सावधान और जागरूक रहकर निरंतर परिश्रम करना तथा आत्मविश्वास से भरा रहना, क्योंकि परिश्रम और आत्मविश्वास वह कुँजी है, जिसके द्वारा आत्मनिर्भर बनकर सारे संसार पर जीत प्राप्त की जा सकती है।

प्रश्न 15.
आप नौवीं कक्षा के छात्र/छात्रा हैं। आपकी अंक तालिका गुम हो गई थी, लेकिन एक सज्जन व्यक्ति ने उसे आपको डाक द्वारा भेज दिया है। इस मानवीय कार्य के लिए उन्हें धन्यवाद देते हुए एक पत्र लिखिए। (5)
अथवा
छात्रावास में रहने वाले अपने भाई या बहन को ‘समय के सदुपयोग का महत्त्व’ पर प्रकाश डालते हुए लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
परीक्षा भवन,
मेरठ।
दिनांक 17 मार्च, 20 XX
सम्माननीय महोदय,
सादर नमस्कार।
मेरी कक्षा नौ की अंक तालिका आपके द्वारा भेजे जाने पर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई है। हम दोनों ही एक-दूसरे के लिए अपरिचित हैं, लेकिन आपके द्वारा इस मानवीय कार्य से मेरा रोम-रोम आपको धन्यवाद दे रहा है। मैं अंक तालिका खो जाने के कारण बहुत निराश था, लेकिन आपने मेरी सारी निराशा को आशा में बदल दिया। मैं बहुत प्रसन्न और उत्साहित हूँ। मैं तो समझता था कि आज के समय में ईमानदारी तथा इंसानियत नाम की कोई चीज़ नहीं रह गई है, किंतु आपने मेरी इस धारणा को खंडित करते हुए यह सिद्ध कर दिया है कि आज भी समाज में ईमानदारीं तथा इंसानियत जीवित है। सम्माननीय महोदय! आपकी ईमानदारी ने मुझे एक आत्मविश्वास की अनुभूति प्रदान की है। यदि मुझे भी किसी दूसरे व्यक्ति की सहायता करने का अवसर मिला, तो मै उससे पीछे नहीं हटूँगा। अवश्य ही उसकी सहायता के लिए तत्पर रहूँगा। इसके लिए हदय से आपका धन्यवाद!
भवदीय
क.ख.ग.

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अथवा

परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 07 मार्च, 20 XX
प्रिय अनुज,
बहुत दिनों से तुम्हारा पत्र न मिलने के कारण माताजी आज अत्यंत भावुक हो रही हैं, साथ ही तुम्हारे एक मित्र द्वारा जानकारी मिली है कि तुम अपना समय व्यर्थ के कार्यों में नष्ट कर रहे हो। इससे वे और भी चितित हो गई हैं।
हमारी सलाह है कि तुम समय के महत्त्व को समझो तथा अपना समय व्यर्थ नष्ट करने की अपेक्षा, उसका सदुपयोग करो, अन्यथा तुम्हारे विद्यार्जन में बाधा आ जाएगी। समय बड़ा बलवान है, यह भली-भाँति समझ लो। यदि एक बार यह अवसर निकल गया, तो पश्चाताप के अतिरिक्त और कुछ प्राप्त नहीं होगा। व्यर्थ के कार्यों और आकर्षित गतिविधियों के लिए पूरी उम्र पड़ी है। अतः आशा है कि भविष्य में तुम समय के महत्व को समझते हुए अपना पूरा ध्यान विद्यार्जन में लगाओगे। अच्छा अब पत्र समाप्त करता हूँ। माताजी का सस्नेह आशीर्वाद।
तुम्हारा अग्रज
क.ख.ग.

प्रश्न 16.
चित्र में दिखाए गए दृश्य या घटना का कल्पनाशक्ति के आधार पर लगभग 100 शब्दों में वर्णन कीजिए।
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उत्तर:
इस चित्र में बच्चों का एक समूह क्रिकेट खेल रहा है। मैदान पर तीन बच्चे हैं, जिनमें से एक गेंदबाज गेंद फेंक रहा है, एक बल्लेबाज शॉट मारने के लिए बल्ला उठाए हुए है और पीछे एक बच्चा विकेटकीपर के तौर पर खड़ा है। मैदान के चारों ओर हरियाली है और आसमान में सफेद बादल छाए हुए हैं। बच्चों के चेहरों पर खुशी और उत्साह झलक रहा है, जो इस बात का संकेत है कि वे खेल का पूरा आनंद ले रहे हैं। खेल-कूद बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं।

इससे उनकी शारीरिक क्षमता बढ़ती है और वे स्वस्थ रहते हैं। खेलों से बच्चों में टीमवर्क, नेतुत्व और अनुशासन की भावना विकसित होती है। इसके अतिरिक्त, खेल-कूद उनके मानसिक तनाव को दूर कर उन्हें खुश और ऊर्जावान बनाए रखते हैं। खेल बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाने के साथ-साथ मित्रता और सहयोग की भावना को भी प्रबल करते हैं, जिससे वे सामाजिक जीवन में भी बेहतर प्रदर्शन कर पाते हैं।

अत: विद्यालय में भी खेल-कूद को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इससे बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास संतुलित रूप से होता है। विद्यालय में खेल-कूद का आयोजन बच्चों को अनुशासन, टीमवर्क और प्रतिस्पर्द्धा का महत्त्व सिखाने के साथ-साथ उन्हें स्वस्थ व खुशहाल बनाए रखने में सहायक होता है।

प्रश्न 17.
आप अनिमेष हैं तथा आपकी छोटी बहन काम्या की तबीयत खराब है। उसे डॉक्टर को दिखाते हुए लगभग 100 शब्दों में संवाद लिखिए। (5)
अथवा
बढ़ती हुई चोरी की घटनाओं पर दो महिलाओं के मध्य होने वाले संवाद को लगभग 100 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
अनिमेष डॉक्टर साहरब! पता नहीं, इसे क्या हो गया है? सुबह से ही तेज बुखार है।
डॉक्टर यह तुम्हारी बहन है?
अनिमेष हाँ, सर! इसका नाम काम्या है।
डॉक्टर ज़रा रुको, अभी देखकर बताता हूँ कि समस्या क्या है?
अनिमेष यह सुबह से कुछ खा-पी भी नहीं रही है।
डॉक्टर घबराने की कोई बात नहीं है। मौसम में अचानक परिवर्तन हो जाने के कारण इसे सर्दी लग गई है। मैंने ये दवाइयाँ लिख दी हैं, इन्हें सुबह-शाम एक-एक गोली दे देना।
अनिमेष और खाने में क्या देना है?
डॉक्टर ठंडी चीज्रों व बाहर के खाने के अतिरिक्त कुछ भी दे सकते हैं।
अनिमेष धन्यवाद डॉक्टर साहब, यह लीजिए आपकी फ़ीस।
डॉक्टर धन्यवाद।

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अथवा

शीला अरे। मीना तुमने सुना कि हमारे पड़ोसियों के घर में चोरी हो गई।
मीना चोरी! नहीं तो कब हुआ ये सब?
शीला कल रात को, लगभग 2 बजे की बात है।
मीना अच्छा! मुझे तो पता ही नहीं था। क्या-क्या सामान चोरी हुआ?
शीला घर में रखी’सारी जैलरी और कैश चोरी हो गया।
मीना हे भगवान! पता नहीं क्या हो गया है। आजकल तो चोरी की घटनाएँ दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं।
शीला हाँ, तुम सही कह रही हो। लगता है कि चोरों को किसी का डर नहीं है।
मीना उन्होंने पुलिस में शिकायत की?
शीला हाँ! लेकिन पुलिस के साथ लोगों को भी अपने दायित्वों का पालन करना होगा।
मीना सही कह रही हो। पुलिस के साथ-साथ लोगों को भी जागरूक होने की आवश्यकता है, ताकि चोरी की घटनाएँ न हों।
शीला हाँ! बिल्कुल, सही कहा। जागरूकता बहुत आवश्यक है।

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