Students must start practicing the questions from CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B with Solutions Set 6 are designed as per the revised syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Set 6 with Solutions
समय: 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश
निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका सख्ती से अनुपालन कीजिए
- इस प्रश्न-पत्र में चार खंड है-क, ख, ग और घ।
- इस प्रश्न-पत्र में कुल 17 प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- प्रश्न-पत्र में आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए लिखिए।
खंड ‘क’
(अपठित बोध) (14 अंक)
इस खंड में अपठित गद्यांश व काव्यांश से संबंधित तीन बहुविकल्पीय (1×3=3) और दो अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक (2×2=4) प्रश्न दिए गए हैं।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर लिखिए।
परिवर्तन प्रकृति का नियम है और परिवर्तन ही अटल सत्य है। अत: पर्यावरण में भी परिवर्तन हो रहा है, लेकिन वर्तमान समय में चिंता की बात यह है कि जो पर्यावरणीय परिवर्तन पहले एक शताब्दी में दिखते थे, अब उतने परिवर्तन एक दशक में ही दिखने लगे हैं। पर्यावरण संबंधी परिवर्तन की इस तेज़ी का कारण है-विस्फोटक ढंग से बढ़ती आबादी, वैज्ञानिक एवं तकनीकी उन्नति का अधिकाधिक प्रयोग तथा सभ्यता का विकास। पर्यावरण संबंधी समस्या के अंतर्गत सबसे महत्त्वपूर्ण समस्या है-ओजोन परत में छिद्र होना और धरती के तापमान में वृद्धि ये दोनों क्रियाएँ परस्पर संबंधित हैं।
ओजोन परत वायुमंडल के समतापमंडल या बाहरी घेरे में होती है। शोध द्वारा यह भी पता चला कि वायुमंडल की ओजोन परत पर क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, प्रशीतक रासायनिक पदार्थ, नाभिकीय विस्फोटकों इत्यादि का भी दुष्प्रभाव पड़ता है। ओजोन परत जीवमंडल के लिए रक्षा कवच है। यह सूर्य की पराबैंगनी किरणों के विकिरण को रोकती है, जो जीवमंडल के लिए घातक है। ओज़ोन परत के क्षरण के लिए क्लोरो-फ्लोरो कार्बन (सी. एफ. सी.) एवं हाइड्रो क्लोरो-फ्लोरो कार्बन (एच. सी. एफ. सी.) जैसे रासायनिक पदार्थ सर्वाधिक उत्तरदायी हैं। इन सब रासायनिक तत्त्वों में अत्यधिक वृद्धि औद्योगीकरण के बाद हुई है, इसलिए यह आवश्यक है कि विकास को पर्यावरण के साथ जोड़कर अपनाया जाए तथा पर्यावरण एवं ओज़ोन परत के संरक्षण के लिए नवीन प्रौद्योगिकियों का आविष्कार किया जाए।
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(क) वर्तमान समय में होने वाले पर्यावरणीय परिवर्तन में सर्वाधिक चिंता की बात कौन-सी है? (1)
(i) पर्यावरणीय परिवर्तन मानव के लिए अच्छा है।
(ii) कम समय में ही अधिक परिवर्तन दिखाई दे रहा है।
(iii) परिवर्तन में तीव्रता मानव जाति के लिए सकारात्मक है।
(iv) ये सभी
उत्तर:
(ii) कम समय में ही अधिक परिवर्तन दिखाई दे रहा है। वर्तमान समय में होने वाले पर्यावरणीय परिवर्तन में सर्वाधिक चिंता की बात यह है कि अब कम समय में ही अधिक परिवर्तन दिखाई देने लगे हैं। पर्यावरणीय परिवर्तन में होने वाली तीव्रता मानव जाति के लिए सकारात्मक नहीं है।
(ख) ओजोन परत को जीवमंडल का रक्षा कवच क्यों कहा जाता है? (1)
(i) ओजोन परत ओला-वृष्टि से रक्षा करती है।
(ii) अंतरिक्ष से आने वाले उल्कापिंड से रक्षा करती है।
(iii) सूर्य की पराबैंगनी किरणों से रक्षा करती है।
(iv) क्लोरो-फ्लोरो कार्बन से रक्षा करती है।
उत्तर:
(iii) सूर्य की पराबैंगनी किरणों से रक्षा करती है। ओज़ोन परत को जीवमंडल का रक्षा कवच इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह प्राणियों की त्वचा के लिए अत्यंत घातक सूर्य की पराबैंगनी किरणों का अवशोषण करती है। ओज़ोन परत के क्षरण की स्थिति में पराबैंगनी किरणों की मात्रा बढ़ने से पृथ्वी के तापमान में भी अत्यधिक वृद्धि होगी, जिससे धरती पर मानव तथा पेड़-पौधों का विकास बाधित होगा।
(ग) कथन (A) ओजोन परत, सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से जीवमंडल की रक्षा करती है। (1)
कारण (R) ओजोन परत का क्षरण जीवमंडल के लिए हानिकारक है।
कूट
(i) कथन ( A ) और कारण ( R ) दोनों सही हैं तथा कारण ( R ), कथन ( A ) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, कितु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है। गद्यांश के अनुसार ओजोन परत, सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से जीवमंडल की रक्षा करती है। यदि ओजोन परत का क्षरण होगा, तो हानिकारक पराबैगनी किरणें पृथ्वी का तापमान अत्यधिक बढ़ा देगी, जिससे धरती पर जीवमंडल को खतरा हो सकता है।
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(घ) प्रस्तुत गद्यांश के केंद्र में किसे रखा गया है? स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
प्रस्तुत गद्यांश के केंद्र में पर्यावरणीय परिवर्तन को रखा गया है। गद्यांश में तेज़ी से होने वाले पर्यावरणीय परिवर्तन के कारण ओजोन परत के ह्वास, उसके कारण व उसके दुख्यानों से मानव-जीवन को होने वाली क्षति पर प्रकाश डाला गया है।
(ङ) गद्यांश के अनुसार पर्यावरण संबंधी सबसे महत्त्वपूर्ण समस्या कौन-सी है? इसके क्या कारण हैं? (2)
उत्तर:
प्रस्तुत गद्यांश में कहा गया है कि पर्यावरण संबंधी समस्या के अंतर्गत सबसे महत्वपूर्ण समस्या ओज़ोन परत में छिद्र तथा धरती के तापमान में वृद्धि से संबंधित है, जिसका कारण विस्फोटक ढंग से बढ़ती जनसंख्या, वैज्ञानिक एवं तकनीकी उन्नति का अधिकाधिक प्रयोग तथा सभ्यता का तेजी से विकास इत्यादि हैं।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के उपयुक्त उत्तर लिखिए। भारत एक बड़ा देश है। बहुसांस्कृतिक, बहुजातीय, बहुभाषीय लोगों का देश। प्रत्येक हिस्से के अलग रीति-रिवाज, पोशाक की विभिन्नताएँ आदि मौजूद हैं, लेकिन देश के किसी हिस्से में भी चले जाइए, सारी विभिन्नताओं के बीच एक समानता अवश्य है-सोने को लेकर गज्जब का प्यार। सौभाग्य का प्रतीक है-सोना। हमारी परंपराओं, मान्यताओं, रीति-रिवाजों, त्योहारों और संस्कारों से जुड़ा हुआ। युगों-युगों से ये हमें सम्मोहित करता रहा है। गजब की कशिश है इसकी चमक में, न जाने क्या जादू है इसमें। यह शुद्ध, कालजयी, अजर और अमर है।
हिंदुओं की मान्यता है कि सोना भगवान सूर्य का अंग है। उनकी अश्रुधारा से निकला हुआ, इसलिए उन्हीं के समान तेजवान और तीव्र ओज से भरपूर है। वैसे सोना न जाने कितनी पीढ़ियों से विरासत की भूमिका निभाता आ रहा है। माँ से बेटी और फिर इस तरह आगे की पीढ़ियों तक। यह महज़ एक धातु नहीं, बल्कि जीवन का एक हिस्सा है। सुख-दु:ख का साथी। हमेशा संबल और आत्मविश्वास देने वाला। ये राजाओं का प्यारा रहा और रंकों का भी तथा आध्यात्मिकता से भरपूर महात्माओं का भी।
(क) प्रस्तुत गद्यांश में सोना किसका प्रतीक माना गया है? (1)
(i) चमक
(ii) सौभाग्य
(iii) आभा
(iv) धातु
उत्तर:
(ii) सौभाग्य प्रस्तुत गद्यांश में सोना सौभाग्य का प्रतीक है, क्योंकि यह हमारी मान्यताओं, परंपराओं, रीति-रिवाजों, त्योहारों और संस्कारों से जुड़ा हुआ है।
(ख) सोने के प्रति हिंदुओं की क्या मान्यता है? (1)
(i) भगवान सूर्य के अश्रुओं से उत्पन्न हुआ है
(ii) सूर्य के समान तेजवान है
(iii) भगवान सूर्य का अंश है
(iv) ये सभी
उत्तर:
(iv) ये सभी सोने के प्रति हिंदुओं की मान्यता है कि यह भगवान सूर्य के अश्रुओं से उत्पन्न हुआ है इसी कारण यह सूर्य के समान तेजवान है। सोने को भगवान सूर्य का अंश भी माना गया है।
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(ग) कथन (A) सोना पीढ़ी-दर-पीढ़ी धरोहर की भूमिका निभाता आ रहा है।
कारण (R) सोना महज धातु न होकर सुख-दुःख का साथी है। (1)
कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन ( A ) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है। सोना अनेक पीढ़ियों से धरोहर की भूमिका निभाता आ रहा है, इसलिए सोने को लोग महज धातु नहीं मानते हैं। यह जीवन का एक भाग एवं सुख-दु:ख का साथी भी है।
(घ) भारत देश की विशेषता बताते हुए उसकी विभिन्नता के बीच समानता को स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
भारत एक विस्तृत एवं व्यापक देश है। यहाँ बहुसांस्कृतिक, बहुजातीय, बहुभाषीय लोगों का वास है। भारत के प्रत्येक भाग में अलग रीति-रिवाज, परिधान की विभिन्नताएँ आदि देखने को मिलती हैं, किंतु यहाँ विभिन्नताओं के होते हुए भी एक समानता देखने को मिलती है और वह समानता है सोने के प्रति अनन्य प्रेम।
(ङ) भारत में सोना किसे और क्यों प्रिय है? (2)
उत्तर:
भारत में सोना समस्त भारतवासियों; जैसे-राजाओं, रंकों, आध्यात्मिकता से भरपूर महात्माओं आदि सभी को प्रिय है। यह शुद्ध, कालजयी एवं अजर-अमर है तथा संबल और आत्मविश्वास देने वाला है, इसलिए यह सभी भारतीयों को प्रिय है।
खंड ‘ख’
(व्यावहारिक व्याकरण) (16 अंक)
व्याकरण के लिए निर्धारित विषयों पर अतिलघूत्तरात्मक 20 प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें से केवल 16 प्रश्नों (1×16=16) के उत्तर देने हैं।
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘शब्द और पद’ पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×2=2)
(क) तत्सम शब्द की विशेषता बताते हुए उदाहरण दीजिए। (1)
उत्तर:
तत्सम शब्द संस्कृत से लिए गए हैं और बिना किसी परिवर्तन के अपने मूल रूप में ही हिंदी में प्रयोग किए जाते हैं; जैसे-अग्नि, मातु, पितु, भानु, सत्य, छात्र, निपुण, पत्र, वायु आदि।
(ख) पद के प्रकार में सर्वनाम की भूमिका स्पष्ट कीजिए तथा उसके भेद बताइए। (1)
उत्तर:
सर्वनाम संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होता है और वाक्य को संक्षिप्त और स्पष्ट बनाता है।
इसके छः भेद होते हैं
- पुरुषवाचक सर्वनाम
- निश्चयवाचक सर्वनाम
- अनिश्चयवाचक सर्वनाम
- संबंधवाचक सर्वनाम
- प्रश्नवाचक सर्वनाम
- निजवाचक सर्वनाम
(ग) उदाहरण द्वारा देशज व विदेशज शब्दों में अंतर स्पष्ट कीजिए। (1)
उत्तर:
भारत में अन्य बोलियों से लिए गए वे शब्द, जो साधारण बोलचाल की भाषा में प्रचलित हों, देशज शब्द हैं; जैसे-थैला, झोला आदि तथा विदेशज शब्द वे होते हैं, जो विदेशी भाषाओं से लिए गए हैं; जैसे-चॉक, सब्जी आदि।
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प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘अनुस्वार व अनुनासिक’ पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×2=2)
(क) अनुनासिक व अनुस्वार में उदाहरण द्वारा कोई एक अंतर स्पष्ट कीजिए। (1)
उत्तर:
अनुनासिक का उच्चारण हमेशा नासिक्य स्वर के रूप में सुनाई पड़ता है: जैसे-दाँत, जबकि अनुस्वार के बिंदु का उच्चारण हमेशा नासिक्य व्यंजन के रूप में सुनाई पड़ता है; जैसे-दंत।
(ख) ‘पंछी को पिंजरे में नहीं बाँधना चाहिए। उसे खुले आसमान में आजाद उड़ने दें।’ निम्नलिखित वाक्य में से अनुनासिक चिह्हों के प्रयोग वाले शब्द को छाँटकर लिखिए। (1)
उत्तर:
अनुनासिक शब्द- ‘बाँधना’।
(ग) लिखते समय अनुस्वार का प्रयोग कैसे होता है? उदाहरण देकर बताइए। (1)
उत्तर:
लिखते समय अनुस्वार का प्रयोग उससे पहले वाले वर्ण के ऊपर होता है; जैसे-कंगन (कड्गन)।
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘उपसर्ग और प्रत्यय’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×4=4)
(क) उपसर्ग व प्रत्यय में सोदाहरण दो अंतर स्पष्ट कीजिए। (1)
उत्तर:
(क) उपसर्ग को मूल शब्द के प्रारंभ में जोड़ने पर प्राय: मूल शब्द का अर्थ बदल जाता है; जैसे-प्र + हार = प्रहार, जबकि प्रत्यय को मूल शब्द के अंत में जोड़ने पर उसका अर्थ मूल शब्द के आस-पास ही रहता है; जैसे – घबरा + आहृट = घबराहट।
(ख) ‘तुम निस्संकोच अपने मन की बात मुझे बता सकते हो।’ वाक्य में ‘निस्संकोच’ पद में कौन-सा उपसर्ग है? (1)
उत्तर:
वाक्य में ‘निस्संकोच’ शब्द में निस् (उपसर्ग) व संकोच (मूल शब्द) है।
(ग) ‘वह दुकानदार भारतीय था।’ वाक्य में से प्रत्यय युक्त शब्द छाँटकर लिखिए। (1)
उत्तर:
वाक्य में ‘दुकानदार’ व ‘भारतीय’ दोनों शब्दों में प्रत्यय है।
- दुकान (मूल शुब्द), दार (प्रत्यय)
- भारत (मूल शब्द), ईय (प्रत्यय)
(घ) ‘अवगुण’ व ‘अध्यक्ष’ शब्दों में प्रयुक्त मूल शब्द व उपसर्ग को अलग-अलग करके लिखिए। (1)
उत्तर:
- अव (उपसर्ग), गुण (मूल शब्द)
- अधि (उपसर्ग), अक्ष (मूल शब्द)
(ङ) ‘सुनार का बुढ़ापा अब उसे परेशान कर रहा था।’ वाक्य में से प्रत्यय शब्द छाँटकर उनके मूल शब्द व प्रत्यय अलग-अलग करके लिखिए। (1)
उत्तर:
वाक्य में ‘सुनार’ व ‘बुद्मापा’ शब्द में प्रत्यय प्रयुक्त है।
- सोना (मूल शब्द), आर (प्रत्यय)
- बूढ़ा (मूल शब्द), आपा (प्रत्यय)
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प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘स्वर संधि’ पर आधारित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×3=3)
(क) ‘सूर्यास्त’ शब्द का संधि-विच्छेद करके उसमें प्रयुक्त संधि का नाम बताइए। (1)
उत्तर:
‘सूर्यास्त’ शब्द का संधि-विच्छेद ‘सूर्य + अस्त’ है। यहाँ दीर्घ संधि है।
(ख) ‘इत्युक्ति’ शब्द में कौन-सी संधि है तथा इसका संधि-विच्छेद कीजिए। (1)
उत्तर:
‘इत्युक्ति’ शब्द में यण संधि है तथा इसका संधि-विच्छेद ‘इति + उक्ति’ है।
(ग) अयादि संधि के बारे में बताते हुए एक उदाहरण दीजिए। (1)
उत्तर:
अयादि संधि स्वर संधि का एक भेद है। जब ‘ए’, ‘ऐ’, ‘ओ’ या ‘औ’ के बाद कोई भिन्न स्वर आए, तो ‘ए’ का ‘अय’, ‘ओ’ का ‘अव्’ तथा ‘औ’ का ‘आव्’ हो जाता है।
उदाहरण चे + अयन = चयन, ने + अयन = नयन
(घ) ‘वनौषध्रि’ शब्द का संधि-विच्छेद कीजिए तथा इसमें कौन-सी संधि है? (1)
उत्तर:
‘वनौषधि’ शब्द का संधि-विच्छेद ‘वन + औषधि’ है तथा इसमें वृद्धि संधि है।
प्रश्न 7.
निर्देशानुसार ‘विराम चिह्न’ पर आधारित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×2=2)
(क) बच्चों, अपनी पुस्तके निकालो।
उपर्युक्त वाक्य में प्रयोग किए गए चिह्हों के नाम लिखिए। (1)
उत्तर:
प्रस्तुत वाक्य में अल्प विराम (,) और पूर्ण विराम (।) चिह्नों का$ प्रयोग हुआ है।
(ख) जब वक्ता किसी से प्रश्न पूछता है, तो लिखित भाषा में वाक्य के अंत में किस चिह्न का प्रयोग किया जाता है? (1)
उत्तर:
जब वक्ता किसी से प्रश्न पूछता है, तो लिखित भाषा में वाक्य के अंत में प्रश्नवाचक चिह्न (?) का प्रयोग किया जाता है।
(ग) देख रहे होना! इसकी तारीखें अपनी सीमा में नम्रता से फडफड़ाती रहती हैं।
उपर्युक्त वाक्य में रेखांकित चिह्न का नाम बताइए। (1)
उत्तर:
वाक्य में रेखांकित चिह्न विस्मयादिबोधक चिह्न (!) है।
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प्रश्न 8.
निर्देशानुसार ‘अर्थ की दृष्टि से वाक्य भेद’ पर आधारित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×3=3)
(क) ‘तुम प्रतिदिन समय पर उठते हो और अपने सभी कार्य पूरे करते हो।’ आज्ञावाचक वाक्य में परिवर्तित कीजिए। (1)
उत्तर:
प्रतिदिन समय पर उठो और अपने सभी कार्य पूरे करो।
(ख) ‘बच्चे नींद से उठते ही भूख से बिलबिलाने लगे।’ विस्मयवाचक वाक्य में परिवर्तित कीजिए। (1)
उत्तर:
अरे! बच्चे नींद से उठते ही कैसे भूख से बिलबिलाने लगे।
(ग) अर्थ के आधार पर वाक्य के कितने भेद हैं? (1)
उत्तर:
अर्थ के आधार पर वाक्य के मुख्यत: आठ भेद हैं
- सरल वाक्य
- निषेधात्मक वाक्य
- प्रश्नवाचक वाक्य
- आज्ञावाचक वाक्य
- संकेतवाचक वाक्य
- विस्मयादिबोधक वाक्य
- विधानवाचक वाक्य
- इच्छावाचक वाक्य
(घ) भारत में उनके अक्षरों का कोई सानी नहीं था। अर्थ के आधार पर प्रस्तुत वाक्य का भेद लिखिए। (1)
उत्तर:
प्रस्तुत वाक्य अर्थ के आधार पर निषेधवाचक वाक्य है।
खंड ‘ग’
(पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक) (30 अंक)
इस खंड में पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए। (1×5=5)
गाँधीजी के सामने जुल्मों और अत्याचारों की कहानियाँ पेश करने के लिए आने वाले पीड़ितों के दल-के-दल गामदेवी के मणिभवन पर उमड़ते रहते थे। महादेव उनकी बातों की संक्षिप्त टिप्पणियाँ तैयार करके उनको गाँधीजी के सामने पेश करते थे और आने वालों के साथ उनकी रूबरू मुलाकातें भी करवाते थे। गाँधीजी बंबई के मुख्य राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक ‘बांबे क्रानिकल’ में इन सब विषयों पर लेख लिखा करते थे। क्रानिकल में जगह की तंगी बनी रहती थी।
कुछ ही दिनों में ‘क्रानिकल’ के निडर अंग्रेज़ संपादक हार्नीमैन को सरकार ने देश निकाले की सजा देकर इंग्लैंड भेज दिया। उन दिनों बंबई के तीन नए नेता थे-शंकर लाल बैंकर, उम्मर सोबानी और जमनादास द्वारकादास, जिनमें अंतिम श्रीमती बेसेंट के अनुयायी थे। ये नेता ‘यंग इंडिया’ नाम का अंग्रेजी साप्ताहिक भी निकालते थे, लेकिन उसमें ‘क्रानिकल’ वाले हार्नीमैन ही मुख्य रूप से लिखते थे। उनको देश निकाला मिलने के बाद इन लोगों को हर हफ़्ते साप्ताहिक के लिए लिखने वालों की कमी रहने लगी। ये तीनों नेता गाँधीजी के परम प्रशंसक थे और उनके सत्याग्रह-आंदोलन में बंबई के बेजोड़ नेता भी थे। इन्होंने गाँधीजी से विनती की कि वे ‘यंग इंडिया’ के संपादक बन जाएँ। गाँधीजी को तो इसकी सख्ज जरूरत थी ही। उन्होंने विनती तुरंत स्वीकार कर ली।
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(क) लोग गाँधीजी के पास जुल्मों और अत्याचारों की शिकायरें लेकर कहाँ आते थे? (1)
(i) साबरम्ती आश्रम
(ii) मणिश्रवन गामदेवी
(iii) सेखाग्राम आश्रम
(iv) बंबई क्रानिकल कार्यालय
उत्तर:
(ii) मणिभवन, गामदेवी गद्यांश के अनुसार, गाँधीजी के सामने जुल्मों और अत्याचारों की कहानियाँ पेश करने के लिए आने वाले पीड़ितों के दल-के-दल गामदेवी के मणिभवन पर उमड़ते रहते थे।
(ख) गाँधीजी किस अंग्रेजी दैनिक में लेख लिखा करते थे? (1)
(i) यंग इंडिया
(ii) इंडियन एक्सप्रेस
(iii) बाम्बे क्रानिकल
(iv) टाइम्स ऑफ इंडिया
उत्तर:
(iii) बाम्बे क्रानिकल गाँधीजी ‘ब्याम्बे क्रानिकल’ में विभिन्न विषयों पर लेख लिखा करते थे, जहाँ जगह की तंगी बनी रहती थी, जिससे सभी मुद्दों को समेटना कठिन होता था।
(ग) ‘बांबे क्रानिकल’ के निडर अंग्रेज संपादक को किस सज्ञा के तहत इंग्लैंड भेजा गया था? (1)
(i) देश निकाला
(ii) बेल की सजा
(iii) जुर्माना
(iv) स्थानांतरण
उत्तर:
(i) देश निकाला ‘बाम्बे क्रानिकल’ के निडर संपादक हार्नीमैन को सरकार ने उनके साहसी लेखन के कारण देश निकाला देकर इंग्लैंड भेज दिया, जिससे अखबार को बड़ा झटका लगा।
(घ) कथन (A) ‘यंग इंडिया’ साप्ताहिक पत्रिका में लेखकों की कमी हो गई। (1)
कारण ( R ) हार्नीमैन को सरकार ने जुर्माना लगाकर इंग्लैड भेज दिया।
कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, कितु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है। ‘बाम्बे क्रानिकल’ के निडर स्पादक हार्नीमैन को सरकार ने उनके साहसी लेखन के कारण देश निकाला देकर इंग्लैंड भेज दिया, जिससे ‘यंग इंडिया’ साप्ताहिक पत्रिका में लेखकों की कमी हो गई, क्योकि हार्नीमैन ही मुख्य लेखक थे।
(ङ) बंबई के तीन नए नेताओं में कौन श्रीमती बेसेंट के अनुयायी थे? (1)
(i) शंकर लाल बैंकर
(ii) उम्मर सोखानी
(iii) जमनादास द्वारकादास
(iv) महादेव
उत्तर:
(iii) जमनादास द्वारकादास गद्यांश के अनुसार, बंबई के तीन नए नेताओं में से जमनादास द्वारकादास श्रीमती बेसेंट के अनुयायी थे और गाँधीजी के सत्याम्रह आंदोलन में भी सक्रिय रूप से शामिल थे।
प्रश्न 10.
गद्य खंड पर आधारित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2×3=6)
(क) अंगदोरजी की इच्छा बिना ऑक्सीजन के एवरेस्ट शिखर पर चढ़ने की थी, लेकिन वह दिन में ही पर्वत शिखर पर जाकर वापस लौट आना चाहते थे। उन्होंने ऐसा निर्णय क्यों लिया? पाठ ‘एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
अंगदोरजी की इच्छा बिना ऑक्सीजन के एवरेस्ट शिखर पर चढ़ने की थी, लेकिन पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन न होने के कारण उनके पैर ठंडे पड़ जाते थे। इससे बचने के लिए वह अधिक देर तक खुली बर्फ़ में नहीं रहना चाहते थे। अत: इसी कारण वह दिन में ही पर्वत शिखर पर जाकर वापस लौट आना चाहते थे।
(ख) लेखक कैलेंडर के माध्यम से अतिथि को क्या संकेत देना चाहता है और इससे उसकी किस मनोस्थिति का पता चलता है। ‘तुम कब जाओगे, अतिथि’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
लेखक अतिथि के सामने उसे दिखाकर तारीखें बदलता है। तारीखें बदलते समय वह इस बात को दोहराता है कि आज कौन-सी तारीख हो चुकी है, ऐसा करके लेखक कैलेंडर द्वारा अतिथि को यह अहसास दिलाना चाहता था कि मेहमाननवाज़ी कराते हुए अधिक दिन हो गए हैं। अतः अब उसे चले जाना चाहिए। इससे लेखक की असहजता और व्यंग्यात्मक मनोस्थिति का पता चलता है।
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(ग) ‘दुःख का अधिकार’ पाठ में प्रयुवत् “पैसों की कमी का अभाव आदमी को दुख मनाने का अवसर भी नहीं देता” कथन का मूलभाव स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
प्रस्तुत कथन का मूलभाव यह है कि समाज के सभी व्यक्तियों को एक जैसे अधिकार प्राप्त नहीं हैं। उनकी आर्थिक भिन्नताएँ उनके साम्माजिक विभाजन का भी निर्धारण करती हैं। आर्थिक दृष्टि से व्यक्ति का विद्यमान स्तर ही उसके सामाजिक स्तर को भी निश्चित करता है। यही कारण है कि भगवाना की माँ की तुलना एक संभांत महिला के साथ करते हुए सामाजिक स्तर पर भगवाना की माँ को निम्न स्तरीय माना गया है, क्योकि भगवाना की माँ ने अपने बेटे की मृत्यु के बाद चारों तरफ़ शोक मनाने का विंबोरा नहीं पीटा।
(घ) महादेव जी की लेखन शैली कैसी थी? ‘शुकतारे के समान’ पाठ के आधार पर लिखिए। (2)
उत्तर:
महादेव भाई की लेखन जैली अद्भुत व प्रभावशाली थी। महादेव जी के द्वारा लिखे गए लेख, टिप्पणियाँ, पत्र, गाँधीजी के व्याख्यान अदि सब कुछ फुलस्केप के चौथाई आकार वाली मोटी अभ्यास पुस्ककों में लंबी लिखावट के साथ तीव गति से लिखा जाता धा, जबकि वे ‘शॉर्ट हैंड’ नहीं जानते थे। महादेव जी की लिखावट और वर्तनी संबंधी सावधानी का भारत में कोई बराबरी करने वाला नहीं या।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए। (1×5=5)
अगिन पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!
वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने, हों बडे,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत, मांग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!
(क) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने जीवन के मार्ग को किस शब्द से संबोधित किया है? (1)
(i) सुख मार्ग
(ii) कष्ट मार्ग
(iii) अभिन पथ
(iv) कठिन पथ
उत्तर:
(iii) अभिव पथ प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने जीवन को ‘अग्नि पथ’ कहा है, जिससे जीवन की कठिनाइयों और चुनौतियों का संकेत मिलता है अर्थात् जीवन को बहुत ही कठिन मार्य बताया गया है।
(ख) काव्यांश में कवि ने मनुष्य को किस प्रकार के संघर्ष की आवश्यकता बताई है? (1)
(i) सामूहिक संघर्ष
(ii) व्यक्तिगत संघर्ष
(iii) बाहरी संघर्ष
(iv) आतरिक संघर्ष
उत्तर:
(ii) व्यक्तिगत संघर्ष काव्यांश के अनुसार कवि ने कहा है कि अगर रास्ते में कोई घना वृष्ठ दिखाई भी दे, तब भी हमें उससे एक पत्न भर छाया की इच्छा नहीं रखनी चाहिए अर्थात् हमें बिना किसी सहायता के स्वयं के लिए निरंतर संघर्षरत रहना चाहिए।
(ग) जीवन के अभिन पथ पर चलने वाले व्यक्ति को क्या प्राप्त होता है? (1)
(i) कठिनाई
(ii) सहायता
(iii) सफलता
(iv) भार्गदर्शन
उत्तर:
(iii) सफलता गद्यांश के अनुसार, जीवन के कठिन मार्ग पर हमें स्वयं ही आगे बढ़ना चाहिए, क्योकि जीवन एक अभिन पथ अर्थात् कठिन मार्ग है और ऐसे मार्ग पर व्यक्ति निरंतर चलता रहे, तभी सफलता उसके कदम चूमेगी।
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(घ) कथन (A) कवि ने जीवन को निरंतर संघर्ष का मार्ग बताया है। (1)
कारण (R) जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना करने से ही व्यक्ति सशक्त और सफल बनता है। कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, कितु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्यासुया करता है। गद्यांश में कवि ने जीवन को निरंतर संघर्ष का मार्ग इसलिए कताया है, क्योकि जीवन में कठिनाइयों का सामना करने से ही व्यक्ति सशक्त और सफल बनता है।
(ङ) निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़िए (1)
1. कवि ने जीवन को कठिन मार्ग बताया है।
2. हमें चुनौतियों का सामना करने के लिए सबकी सहायता लेनी चाहिए।
3. यदि जीवनरूपी कठिन मार्ग पर व्यक्ति निरंतर चलता रहे, तो सफलता प्राप्त होगी। काव्यांश से मेल खाते हुए सही कथनों के लिए उचित विकल्प चुनिए।
(i) 1,2 और 3
(ii) 1 और 2
(iii) केवल 3
(iv) 1 और 3
उत्तर:
(iv) 1 और 3 प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने जीवन को बहुत ही कठिन मार्ग बताया है। उनके अनुसार इस संसार में मनुष्य को अपने जीवन में निरंतर संघर्ष करने की आवश्यकता है। मनुष्य को स्वयं के लिए बिना किसी सहायता के निरतर संघर्षरत रहना चाहिए। जीवन एक कठिन मार्ग है और ऐसे मार्ग पर व्यक्ति जब निरंतर चलता रहेगा, तब सफलता उसके कदम चूमेगी।
प्रश्न 12.
काव्य खंड पर आधारित निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2×3=6)
(क) “अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी” पंक्ति में रैदास ने क्या भाव उत्पन्न किया है? स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति में कवि रैदास ने ईश्वर के प्रति पनिष्ठ आत्पीय भाज प्रकट किया है। वे कहते हैं कि हे ईश्वर! मुझे आपके नाम की ऐसी लगन लग गई है, जो छूट नहीं सकती। मैं आपका अनन्य भक्त बन गया हूँ। मैं धन्य हूँ प्रभु! जो मुझे ऐसा रोग लगा है।
(ख) कवि रहीम अधिक शवितशाली वस्तु के सामने तुच्छ व्यवित को तिरस्कृत न करने की सलाह क्यों वेते हैं? (2)
उत्तर:
कवि रहीम का मानना है कि प्रत्येक छोटी-बड़ी वस्तु की अपनी अलग उपयोगिता होती है, इसलिए कभी भी धनी या इक्तिशाली मित्रों को पाकर निर्धन या कमज्ञोर मित्रों को नहीं भूलना चाहिए। इसके लिए रहीम सुई और तलवार का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि जहाँ सुई का काम होता है, वहाँ तलवार व्यर्य हो जाती है। रहीम इस उदाहरण के माध्यम से सम्बज में सभी के सम्मान का संदेे देते हैं।
(ग) कवि ने सुशबू के माध्यम से समाज की किस सच्चाई को उजागर किया है? ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
‘खुशबू रचते हैं हाथ’ कविता में कवि ने खुशू का नहीं, बल्कि खुशबू के पीछे छिपे दुर्गधपूर्ण सत्य को प्रकट किया है। खुशबू रचने वाले हाथ दुर्ग भरे क्षेत्रों में रहते हैं। दुर्गध केवल वातावरण में ही नहीं है, बल्कि ग्रह लोगों के जीवन में भी प्रवेश कर गई है। चारों ओर गंदगी का वाताखरण है, वे गंदगी के अहसास से दूर केवल अगरथतियां बनाने में लगे रहते हैं।
(घ) ‘अम्निपथ’ कविता के आधार पर बताइए कि मनुष्य को अपनी ज्ञिन्दगी में किसका दृदतापूर्वक सामना करना चाहिए? किन्हीं दो बिंदुओं का उल्लेख कीजिए। (2)
उत्तर:
कविता के अनुसार, मनुष्य को सुख-सुविधाओं में न उलझकर बाधाओं का दृढ़तापूर्वक सामना करना चाहिए तथा कर्मपथ पर निरंतर डटे रहना चाहिए। उसे कड़ी मेहनत करके अपने आपको पूरी तरह अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए तैयार कर लेना चाहिए। मनुष्य को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपना खून एवं पसीना बहाने से भी पीछे नहीं हटना चाहिए और निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए।
प्रश्न 13.
पूरक पाठ्यपुस्तक ‘संचयन’ पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में दीजिए। (4×2=8)
(क) ‘”कल्पना में बनाई गई योजना और यथार्थ में सामने आई स्थिति में बड़ा अंतर होता है’ ‘कुएँ में चिट्टी’ पाठ के आधार पर इस कथन की समीक्षा कीजिए। (4)
उत्तर:
लेखक सोच रहा था कि वह कुएँ में उतरकर साँप को मार देगा, क्योंकि वह पहले भी अनेक साँपों को मार चुका था। इसलिए उसे यह कार्य सरल प्रतीत हुआ, किंतु जब वह कुएँ में उतरा तो साँप की आक्रामक स्थिति देखकर उसे अनुभव हुआ कि साँप को मारने का प्रयत्न करने का अर्थ है-अपनी मृत्यु को बुलावा देना। अत: उसने साँप को मारने का विचार त्याग दिया। इसलिए लेखक ने कहा है कि हम अनुमान और भावी योजनाएँ बना लेते हैं, परंतु जब वास्तविकता से सामना होता है, तब वे मिथ्या और विपरीत निकलती हैं।
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(ख) जीवों के प्रति प्रेम, करणा और आत्मीयता मनुष्य के भीतर छिये मानवीय गुणों को उजागर करती है। इस कथन पर अपने विचार गिलू पाठ के आधार पर लिखिए। (4)
उत्तर:
‘गिल्लू’ पाठ इस कथन को पूरी तरह सत्य सिद्ध करता है। लेखिका ने जब घायल गिलहरी के बच्चे को देखा, तो उसका उपचार किया और उसके रहने तथा खाने का प्रबंध अपने घर में किया, जिससे लेखिका के संवेदनशील चरित्र का प्रमाण मिलता है। संवेदनशील और मधुर व्यवहार के कारण गिल्लू को लेखिका का साथ अत्यंत प्रिय था। लेखिका और गिल्लू का परस्पर संबंध लेखिका के आत्मीय स्वभाव को प्रकट करता है। खिड़की की जाली का एक कोना खोलकर गिल्लू को मुक्त करने के प्रसंग के माध्यम से लेखिका की मानवीय भावना प्रदर्शित होती है। इस प्रकार प्रस्तुत संस्मरण के माध्यम से लेखिका के जीव-प्रेम, आत्मीयता, संवेदनशीलता, दयालुता, मानवीयता जैसी विशिष्ट चारित्रिक गुणों की अभिव्यक्ति हुई है।
(ग) ‘कल्लू कुम्हार की उनाकोटी’ पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक किस टेलीकिजन श्रृंखला की शूर्टिग के लिए उनाकोटी गया था तथा वहाँ किस घटना ने लेखक के मानस पटल पर गहरा प्रभाव डाला? लेखक के अनुभव से आपको क्या सीखने को मिलता है? (4)
उत्तर:
लेखक ‘ऑन द रोड’ शीर्षक से तीन खंडों में बनने वाली टेलीविजन श्रृंखला की शूरिंग करने के लिए उनाकोटी गया था। वहाँ उसने और शूटिंग दल के लोगों ने शूटिंग की। उन्हें काम पूरा करते-करते चार बज गए। शाम होते ही उनाकोटी के वातावरण में भयानक अँधेरा छा गया। देखते-ही-देखते अचानक बादल भी घिर आए। लेखक लिखता है कि जब तक उन्होने अपनी शूरिंग के उपकरण समेटे, तब तक गर्जन-तर्जन के साथ बादल बरसने लगे।
लेखक इसे शिव के तांडव नृत्य की संज्ञा देते हुए बताता है कि उनाकोटी की उस शाम की भर्यकर वर्षा ने उसकी स्मृति में पुन: तब स्थान पाया, जब वह दिल्ली में था। वहाँ भी अचानक घनघोर बादल घिर आए थे और गर्जन- तर्जन के साथ प्रकृति का तांडव शुरू हो गया था। तीन साल पहले और उस दिन के वातावरण में पूर्ण समानता होने के कारण लेखक के मानस पटल पर गहरा प्रभाव पड़ा। लेखक के अनुभव से हमें यह सीख मिलती है कि प्रकृति और स्थान से जुड़े दृश्य हमारे मन पर गहरी छाप छोड़ते हैं और भावनात्मक स्मृतियों का हिस्सा बन जाते हैं।
खंड ‘घ’
(रचनात्मक लेखन) (20 अंक)
इस खंड में रचनात्मक लेखन पर आधारित प्रश्न पूछे गए है, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकिता हैं।
प्रश्न 14.
निम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए। (5)
(क) ऑनलाइन शिक्षा
संकेत बिंदु
- ऑनलाइन शिक्षा का अर्थ
- वर्तमान में ऑनलाइन शिक्षा का स्वरूप
- ऑनलाइन शिक्षा के लाभ
- ऑनलाइन शिक्षा की हानियाँ
उत्तर:
ऑनलाइन शिक्षा
‘ऑनलाइन शिक्षा’ शिक्षण का एक ऐसा आधुनिक माध्यम है, जिसके द्वारा शिक्षक व विद्यार्थी घर बैठे ज्ञान का आदान-प्रदान करते हैं। इसके अंतर्गत शिक्षक इंटरनेट माध्यम से देश के किसी भी कोने से विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान कर सकते हैं।
कुछ समय पहले तक भारत में ऑनलाइन शिक्षण का प्रचलन बहुत कम था, परंतु वर्तमान समय में, विशेषकर कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन प्रक्रिया के अंतर्गत सभी विद्यालय, महाविद्यालय, कोचिंग संस्थान आदि बंद होने पर विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने का कार्य किया जाने लगा। विद्यार्थियों की शिक्षा को निर्बाध रूप से चालू रखने के लिए अधिकांश शैक्षणिक संस्थानों द्वारा ऑनलाइन शिक्षा को प्रोत्साहन दिया गया।
ऑनलाइन शिक्षा का लाभ यह है कि शिक्षक घर बैठे ही एकसाथ कई विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान कर सकता है। विभिन्न विषयों से संबंधित शैक्षिक सामग्री उपलब्ध कराकर विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं को शांत किया जा सकता है। शिक्षा संबंधी कोई भी समस्या उत्पन्न होने पर तुरंत उसका समाधान भी किया जा सकता है। साथ ही इससे समय की बचत होती है तथा विद्यार्थियों की एकाग्र क्षमता में भी वृद्धि होती है।
ऑनलाइन शिक्षा के लिए स्मार्टफोन की उपलब्धता अनिवार्य है, परंतु हमारे देश में अधिकांश लोग सीमित आय वाले हैं। अतः उनके लिए महँगे स्मार्टफोन खरीदना आसान नहीं है। इसके साथ ही प्रत्येक जगह इंटरनेट की गुणवत्ता अच्छी न होने के कारण शिक्षा में बाधा उत्पन्न होती है। अधिक समय तक ऑनलाइन शिक्षा लेने के कारण आँखों में दर्द, माइग्रेन आदि शारीरिक एवं मानसिक समस्या उत्पन्न होने का भय रहता है। अतः इसके सीमित और संतुलित उपयोग पर बल देना आवश्यक है।
(ख) संकेत बिंदु
- मातृभाषा से अभिप्राय
- मातृभाषा की आवश्यकता
- एकता का मूल प्रेरक
उपसंहार
उत्तर:
मातृभाषा मातृभूमि की चेतना या संस्कार से प्राप्त होने वाली भाषा, मातृभाषा कहलाती है। मातृभाषा किसी भी व्यक्ति की सामाजिक एवं भाषायी पहचान होती है। मातृभाषा देश के विकास और राष्ट्रीय चरित्र की सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है। यही कारण है कि भारतीय या पाश्चात्य सभी विचारकों ने मातृभाषा के गुण बताए हैं।
व्यक्ति एवं राष्ट्र के मौलिक और सम्यक् विकास के लिए मातृभाषा का योगदान अनिवार्य है। किसी भी देश की मातृभाषा वहाँ की राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने का महत्त्वपूर्ण साधन होती है, जिसके उदाहरणस्वरूप भारतीय स्वाधीनता आंदोलन को लिया जा सकता है। हिंदी भाषा ने सभी वर्गों, जातियों आदि के आपसी मतभेदों को दूर करके उन्हें एकता के सूत्र में पिरोकर देश को स्वतंत्रता दिलाई।
मातृभाषा ही विभिन्न सांस्कृतिक पहचानों को एकसूत्र में पिरोने का कार्य करती है और देश की एकता की प्रेरक बनती है। जिस प्रकार किसी समाज को जीवित रखने में महिलाओं का सशक्त होना अर्थात् मातृशक्ति आवश्यक है, उसी प्रकार किसी समाज की शिक्षा और संस्कार के विकास और उन्नति में मातृभाषा का महत्त्व अप्रतिम है।
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(ग) राष्ट्रो्रेम
संकेत बिंदु
- राष्ट्रे्रेम का अर्थ
- राष्ट्रप्रेम का उददेश्य
- एकता का प्रेरक तत्व
- राष्ट्र निर्माण में सहायक
उत्तर:
राष्ट्रोप्रेम स्वदेश के प्रति प्रेम ही राष्ट्रोर्रेम है। राष्ट्रोम का अर्थ है-राष्ट्र की प्रकृति से प्रेम, अतीत से प्रेम, वर्तमान के प्रति निष्ठा और भविष्य के प्रति उत्साह। इसके अंतर्गत राष्ट्र के प्रति अपनापन, निष्ठा, कर्त्तव्य और रक्षा की भावना महत्त्वपूर्ण है।
वास्तव में, एक नागरिक के जीवन की सार्थकता स्वदेश के प्रति समर्पण और निष्ठा में ही निहित हैं। राष्ट्र की एकता, अखंडता बनाए रखना, उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रतिबद्ध रहना व शत्रुओं से उसकी रक्षा करना ही राष्ट्रे्रेम का उद्देश्य है।
आचार्य चाणक्य, छत्रपति शिवाजी, सुभाषचंद्र बोस, महात्मा गाँधी, लक्ष्मीबाई जैसे अनेक देशभक्त महापुरुषों और स्वामी दयानंद एवं विवेकानंद जैसे विचारक-संतों ने अपने जीवन को राष्ट्रीय चेतना का पर्याय बना दिया। राष्ट्रहित ही उनका एकमात्र ध्येय था। राष्ट्रे्रेम राष्ट्रीय एकता का मूल है। भाषा, बोली, धर्म, संप्रदाय, वर्ण, संस्कृति, सभ्यता आदि के स्तर पर व्याप्त विविधता को राष्ट्रेम्रेम ही एकताबद्ध करता है।
राष्ट्रे्रेम एक अटूट बंधन है। राष्ट्रेप्रेम ही राष्ट्र के निर्माण में सहायक होता है। जब प्रत्येक मनुष्य के अंदर राष्ट्रे्रेम की भावना होगी, तब ही वे राष्ट्र को प्रत्येक क्षेत्र में मजबूत बनाने की दिशा में समर्पित होते हैं, जिससे विकसित देश विकास के मार्ग पर प्रशस्त होता है।
प्रश्न 15.
अध्यापक ने आपसे छोटे भाई द्वारा पढ़ाई की उपेक्षा कर अधिक समय टेलीविजन टेखने की शिकायत की है। इस पर अपनी चिंता व्यक्ति करते हुए, एक पत्र के माध्यम से उसे इस आदत के दुष्परिणाम समझाइए तथा पढ़ाई पर ध्यान देने की प्रेरणा दीजिए। पत्र लगभग 100 शब्दों में लिखिए। (5)
अथवा
आप अपने मित्र की बहन के विवाह में सम्मिलित न हो सके। अतः पत्र लिखकर कारण सहित पूर्ण विवरण देकर मित्र से क्षमा याचना कीजिए। (लगभग 100 शब्दों में)
उत्तर:
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक 11 मार्च, 20XX
प्रिय रवि,
सदा खुश रहो।
आज ही तुम्हारे अध्यापक का पत्र प्राप्त हुआ। मुझे यह जानकर बहुत दु:ख हुआ कि तुम अपना समय पढ़ाई-लिखाई में न लगाकर टेलीविज्ञन देखने में व्यर्थ कर रहे हो। यह अच्छी बात नहीं है। इस शौक में लाभ के स्थान पर हानियाँ ही होती हैं। तुम अभी विद्यार्थी हो, यदि तुम अपना अधिकतर समय टेलीविजन देखने में लगाओगे, तो तुम्हारी पढ़ाई पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और समय की भी हानि होगी।
टेलीविजन देखने से तुम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसलिए यदि तुम्दें परीक्षा में अच्छे अंकों से सफल होना है, तो इस आदत को अवश्य परिवर्तित करना होगा। आशा है कि तुम अपने बड़े भाई की बातों को व्यर्थ न समझते हुए इस विषय पर अपना ध्यान केंद्रित करोगे और अपना मन पढ़ाई में लगाओगे। माताजी और पिताजी की ओर से तुम्हें आशीर्वाद।
तुम्हारा भाई
क. ख. ग.
अथवा
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 12 जून, 20 XX
प्रिय मित्र मोहन,
प्यार भरा नमस्कार।
मुझे तुम्हारा निमंत्रण पत्र प्राप्त हुआ था, जिसे पढ़कर अत्यंत खुशी हुई कि तुम्हारी बड़ी बहन का विवाह 10 जून, 20 XX को होना निश्चित हुआ। मैं इस विवाह में सम्मिलित होने के लिए बहुत उत्सुक था, परंतु भाग्य में शायद यह नहीं लिखा था। मैं समझ सकता हूँ कि तुम बहुत नाराज़ होगे, परंतु परिस्थितियाँ ही इतनी प्रतिकूल हो गई थीं कि मैं चाहकर भी विवाह में सम्मिलित न हो सका। मैं 09 जून, 20 XX को विवाह में सम्मिलित होने की तैयारी कर रहा था। तभी अचानक सूचना मिली की मेरी नानीजी की तबीयत अत्यंत खराब हो गई है। अत: मुझे माताजी को लेकर उनके पास जाना पड़ा। वहाँ पहुँचकर भी 10 जून, 20 XX को वापस आने की कोशिश की, परंतु नानीजी की स्थिति अत्यंत गंभीर थी। अत: मैं न आ सका। मुझे आशा है कि तुम पूरे घटनाक्रम को समझोगे और मेरी मज़बूरी को समझकर मुझे क्षमा कर दोगे। मेरी अनुपस्थिति अक्षम्य है, परंतु फिर भी मैं क्षमा की अपेक्षा रखता हूँ और आशा करता हूँ कि बहन के आगामी दौरे में, मैं स्वयं उनको लेने जाऊँगा, ताकि भाई होने का कुछ कर्त्तव्य निभा सकूँ। सभी बड़ों को प्रणाम व छोटों को प्यार।
तुम्हारा मित्र
क.ख.ग.
प्रश्न 16.
चित्र में दिखाए गए दृश्य या घटना का कल्पनाशवित के आधार पर लगभग 100 शब्दों में वर्णन कीजिए। (5)
उत्तर:
इस चित्र में एक व्यक्ति और छोटी लड़की एक नन्हें पौधे को मिट्टी में रोपते हुए दिखाई दे रहे हैं। उनके हाथ संयमित और कोमलता से पौधे को लगा रहे हैं, जो जीवन के प्रति उनके प्रेम और प्रकृति के प्रति सम्मान को दर्शाता है। धूप की हल्की किरणें पौधे पर पड़ रही हैं, जिससे नई जिंदगी की शुरुआत की आशा झलकती है। यह दृश्य पर्यावरण संरक्षण और हरियाली बढ़ाने के प्रयास को रेखांकित करता है।
पौधारोपण पर्यावरण संरक्षण का महत्त्वपूर्ण कदम है। यह पृथ्वी की हरियाली बढ़ाने, ऑक्सीजन उत्पादन और जलवायु संतुलन बनाए रखने में सहायक है। पौधे न केवल वातावरण को शुद्ध करते हैं, बल्कि हमें मानसिक शांति और स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करते हैं। सामूहिक पौधारोपण, सामुदायिक जुड़ाव और सतत् विकास को प्रोत्साहित करता है। यह दृश्य प्रेरणा देता है कि हमें भी अपने आस-पास हरियाली और स्वच्छता बनाए रखने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। इस प्रकार की गतिविधियाँ न केवल पर्यावरण के लिए महत्त्वपूर्ण हैं, बल्कि यह सामुदायिक जुड़ाव और सहियोग की भावना को भी बढ़ावा देती हैं।
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प्रश्न 17.
एक प्रतियोगिता के लिए जाते हुए दो प्रतिभागियों का संवाद लगभग 100 शब्दों में लिखिए। (5)
अथवा
एक अच्छे अध्यापक के बारे में दो विद्यार्थियों के मध्य होने वाले संवाद को लगभग 100 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
पहला प्रतिभागी आप कहाँ से आए हैं?
दूसरा प्रतिभागी जी, मैं हरियाणा से आया हूँ और आप?
पहला प्रतिभागी मैं बैंगलोर (बंगलुरु) से आया हूँ।
दूसरा प्रतिभागी आपने इससे पहले कितने टूर्नामेंट जीते हैं?
पहला प्रतिभागी चार और आपने?
दूसरा प्रतिभागी मैंने भी अभी तक चार टूनामेंट जीते हैं। देखते हैं इस प्रतियोगिता में क्या होता है?
पहला प्रतिभागी क्या तुमने इससे पहले राज्य स्तर पर कोई टूर्नामेंट खेला है?
दूसरा प्रतिभागी नहीं! अभी तक मैंने जिला स्तर पर ही टूर्नामेंट खेले हैं। यह पहली बार है जब मै राज्य स्तर पर खेलूँगा।
पहला प्रतिभागी मेरी शुभकामनाएँ तुम्हारे साथ हैं।
दूसरा प्रतिभागी धन्यवाद, मेरी भी शुभकामनाएँ तुम्हारे साथ हैं।
अथवा
पहला विद्यार्थी (दूसरे विद्यार्थी से) तुम्हें हमारे सभी अध्यापकों में से सबसे अच्छे अध्यापक कौन लगते हैं?
दूसरा विद्यार्थी मुझे तो गणित के अध्यापक सबसे अच्छे लगते हैं और तुम्हें?
पहला विद्यार्थी अरे वाह! मुझे भी गणित के अध्यापक ही अच्छे लगते हैं, क्योंकि वे बहुत अच्छा पढ़ाते हैं।
दूसरा विद्यार्थी हाँ। तुमने बिल्कुल सही कहा। उनके पढ़ाने का तरीका मुझे बहुत पसंद है। वे गणित जैसे कठिन लगने वाले विषय को इतने सरल ढंग से समझाते हैं कि यह विषय अब कठिन नहीं लगता।
पहला विद्यार्थी सही कह रहे हो। वे सभी विद्यार्थियों को एकसमान समझते हैं तथा कमजोर विद्यार्थियों को अतिरिक्त समय देकर उन्हें समझाते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान करते हैं।
दूसरा विद्यार्थी यदि हमारे सभी अध्यापक उनकी तरह पढ़ाएँ, तो कितना अच्छा होगा।
पहला विद्यार्थी हाँ! यदि सभी अध्यापक ऐसे पढ़ाएँ, तो विद्यार्थियों को कोई भी विषय कठिन नहीं लगेगा।
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