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CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi A Set 5 with Solutions
समय: 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश
निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका सख्ती से अनुपालन कीजिए
- इस प्रश्न-पत्र में चार खंड है-क, ख, ग और घ।
- इस प्रश्न-पत्र में कुल 17 प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- प्रश्न-पत्र में आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए लिखिए।
खंड ‘क’
(अपठित बोध) (14 अंक)
इस खंड में अपठित गद्यांश व काव्यांश से संबंधित तीन बहुविकल्पीय (1×3=3) और दो अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक (2×2=4) प्रश्न दिए गए हैं।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
शिक्षा विविध जानकारियों का ढेर नहीं है, जो तुम्हारे मस्तिष्क में ठूँस दिया गया है और जो आत्मसात (ग्रहण) हुए बिना वहाँ आजन्म पड़ा रहकर गड़बड़ किया करता है। हमें उन विचारों की अनुभूति कर लेने की आवश्यकता है, जो जीवन-निर्माण, मनुष्य-निर्माण तथा चरित्र-निर्माण में सहायक हों। यदि आप उपयुक्त विचार आत्मसात कर उनके अनुसार अपने जीवन एवं चरित्र का निर्माण कर लेते हैं, तो आप पूरे ग्रंथालय को कंठस्थ करने वाले की अपेक्षा अधिक शिक्षित हैं। शिक्षा और आचरण अन्योन्याभित हैं। बिना आचरण के शिक्षा अधूरी है और बिना शिक्षा के आचरण। अंततोगत्वा दोनों अनुशासन के ही भिन्न रूप हैं। शिक्षा ग्रहण करने के लिए कठोर अनुशासन की आवश्यकता है।
अनुशासन भाषण से नहीं, आचरण से आता है। ‘लक्ष्य’ अनुशासन का सबसे बड़ा प्रेरक है। यदि शिक्षा प्राप्त करने के लिए किसी ऊँचे लक्ष्य को अपने मन में ठान लें, तो अनुशासन दास बनकर उसका अनुगमन करेगा। शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें विद्यार्थी को नई जानकारी और कौशल सिखाए जाते हैं, जबकि अनुशासन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें विद्यार्थी को नैतिक मूल्यों, नियमों और सामाजिक अभिवृतियों का पालन सिखाया जाता है। एक अच्छी शिक्षा से विद्यार्थी में संचार कौशल, समस्याओं का समाधान करने की क्षमता, स्वतंत्रता की भावना और सकारात्मक सोच का विकास होता है। जब विद्यार्थी के पास ये गुण होते हैं, तो वह अपनी जिंदगी में अधिक सफल होता है।
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(क) ‘शिक्षा’ शब्द से लेखक का क्या अभिप्राय है? (1)
(i) अच्छे विचारों को आत्मसात करना
(ii) विविध जानकारियों को मस्तिष्क में भरना
(iii) अनैतिक आचरण करना
(iv) केवल उच्च पद प्राप्त करना
उत्तर:
(i) अच्छे विचारों को आत्मसात करना ‘शिक्षा’ शब्द से लेखक का अभिप्राय अच्छे विचारों को आत्मसात करने और उन्हें अपने आचरण में ढालने से है। मात्र विविध जानकारियों को मस्तिष्क में भरना शिक्षा नहीं है।
(ख) शिक्षा ग्रहण करने के लिए किसकी आवश्यकता पड़ती है? (1)
(i) भाषण की
(ii) कठोर अनुशासन की
(iii) मस्तिष्क की
(iv) विचार और तर्क की
उत्तर:
(ii) कठोर अनुशासन की शिक्षा ग्रहण करने के लिए हमें कठोर अनुशासन की आवश्यकता पड़ती है। अनुशासन भाषण से नहीं आता, बल्कि आचरण से आता है। कठोर अनुशासन ही शिक्षा ग्रहण करने में सहायक है।
(ग) कथन (A) मनुष्य जीवन में विचारों की अनुभूति आवश्यक है। (1)
कारण (R) विचार ही जीवन-निर्माण, मनुष्य-निर्माण तथा चरित्र-निर्माण में सहायक होते हैं। कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन ( A ) और कारण ( R ) दोनों सही हैं, परंतु कारण ( R ), कथन ( A ) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(i) कथन (A)और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है। गधांश के अनुसार, मनुष्य जीवन में विचारों की अनुभूति कर लेने की आवश्यकता है, क्योंकि ये विचार जीवन-निर्माण, मनुष्य-निर्माण तथा चरित्र-निर्माण में सहायक होते हैं।
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(घ) गद्यांश के अनुसार, किस प्रकार का व्यक्ति अधिक शिक्षित है? (2)
उत्तर:
गद्यांश के अनुसार, मानव हेतु जीवन-निर्माण, मनुष्य-निर्माण तथा चरित्र-निर्माण करने वाले विचारों की अनुभूति करना महत्वपूर्ण है। जीवन में इन विचारों को आत्मसात करने वाला व्यक्ति, ग्रंथों को कंठस्थ करने वाले व्यक्ति की अपेक्षा अधिक शिक्षित है।
(ङ) अनुशासन के भिन्न रूप कौन-से हैं तथा अनुशासन का सबसे बड़ा प्रेरक क्या है? (2)
उत्तर:
अनुशासन के दो भिन्न रूप ‘शिक्षा’ और ‘आचरण’ हैं। शिक्षा प्राप्ति के लिए कठोर अनुशासन आवश्यक है तथा आचरण के माध्यम से ही अनुशासन को प्राप्त किया जा सकता है। अनुशासन का सबसे बड़ा प्रेरक ‘लक्ष्य’ है, क्योंकि शिक्षा प्राप्त करने हेतु यदि किसी उच्च लक्ष्य को मन में ठान लिया जाए, तो अनुशासन स्वयं उसका अनुगमन करने लगता है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए। (7)
जी हाँ हुजूर, मैं गीत बेचता हूँ,
मैं तरह-तरह के गीत बेचता हूँ,
मैं किस्म-किस्म के गीत बेचता हूँ,
जी, माल देखिए, दाम बताऊँगा,
बेकाम नहीं हैं, काम बताऊँगा,
कुछ गीत लिखे हैं मस्ती में मैंने,
कुछ गीत लिखे हैं पस्ती में मैंने,
यह गीत सख्त दर्द भुलाएगा,
यह गीत पिया को पास बुलाएगा,
जी, पहले कुछ शर्म लगी मुझको!
पर बाद-बाद में अक्ल जगी मुझको,
जी, लोगों ने तो बेच दिए ईमान,
जी, आप न हों सुनकर ज़्यादा हैरान।
(क) कथन (A) ‘गीत बेचने वाला’ मानकर कला के व्यवसायीकरण की ओर संकेत किया गया है।
कारण (R) कवि ने गीतकारों की आर्थिक बदहाली को दर्शाते हुए व्यंग्य किया है। (1)
कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है। ‘गीत फरोश’ एक व्यंग्यात्मक कविता है, क्योंकि कवि ने इस कविता में गीतकारों की आर्थिक बदहाली पर व्यंग्य किया है। कवि गीतकार अपनी कविता गीतों को पैसा लेकर बेचते हैं, जबकि कार्य की दृष्टि में ऐसा करना अनुचित है।
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(ख) ‘लोगों ने तो बेच दिए अपने ईमान’ पंक्ति संकेत करती है (1)
(i) उपभोक्तावादी समाज की ओर
(ii) वस्तुवादी समाज की ओर
(iii) पतनोन्मुखी समाज की ओर
(iv) ये सभी
उत्तर:
(iv) ये सभी प्रस्तुत काव्यांश के अनुसार, ‘लोगों ने तो बेच दिए अपने ईमान’ पंक्ति हमारा समाज उपभोक्तावादी, वस्तुवादी और पतनोन्मुख समाज है, की ओर सकेत करती है, क्योंकि हम केवल वस्तु का उपभोग करने के लिए हैं, उसके गुण-दोषों पर ध्यान नहीं देते हैं।
(ग) सुमेलित कीजिए (2)
उत्तर:
(ii) 312 कवि के गीतों का उद्देश्य ‘मस्ती व पस्ती की मन:स्थिति व्यक्त करना’ है। गीतों का प्रभाव ‘पिया को पास बुलाना व दर्द भुलाना’ है। कवि की भावना ‘शर्म महसूस करना’ है।
(घ) प्रस्तुत काव्यांश का मूल भाव 25-30 शब्दों में लिखिए। (2)
उत्तर:
प्रस्तुत काव्यांश का मूल भाव यह है कि कवि विभिन्न प्रकार के गीत बेचता है, जो मनुष्य की मस्ती, पस्ती, पीड़ा और प्रेम से जुड़े हैं। वह कहता है कि जब लोग अपना ईमान बेच सकते हैं, तो वह गीत क्यों न बेचे।
(ङ) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने समाज की स्थिति पर व्यंग्य करते हुए क्या कहा है? (2)
उत्तर:
प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने समाज की स्थिति पर व्यंग्य करते हुए कहा है कि लोगों ने अर्थ की लालसा में अपना धैर्य और ईमान तक बिक्री के लिए बाजार में रख दिया है। वह तो अपना ईमान बचाने के लिए केवल अपने गीत बेच रहा है।
खंड ‘ख’
(व्यावहारिक व्याकरण) (16 अंक)
व्याकरण के लिए निर्धारित विषयों पर अतिलघूत्तरात्मक 20 प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें से केवल 16 प्रश्नों (1×16=16) के उत्तर देने हैं।
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘शब्द निर्माण’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर द्रीजिए।
(क) ‘प्रतिहिंसा’ शब्द में से उपसर्ग और मूल शब्द अलग कीजिए। (1×4=4)
उत्तर:
प्रतिहिंसा शब्द में ‘प्रति’ उपसर्ग व ‘हिंसा’ मूल शब्द है।
(ख) ‘अभि’ उपसर्ग लगाकर दो शब्द बनाइए। (1)
उत्तर:
‘अभि’ उपसर्ग से बने दो शब्द निम्नलिखित हैं
- अभि + शाप = अभिशाप
- अभि + मान = अभिमान
(ग) ‘ढक्कन’ शब्द में से प्रत्यय और मूल शब्द अलग कीजिए। (1)
उत्तर:
‘ढक्कन’ शब्द में ‘ढक’ मूल शब्द और ‘अन’ प्रत्यय है।
(घ) ‘नी’ प्रत्यय लगाकर दो शब्द बनाइए। (1)
उत्तर:
‘नी’ प्रत्यय से बने दो शब्द निम्नलिखित हैं
- ओछ + नी = ओढ़नी
- चाँद + नी = चाँदनी
(ङ) ‘निरंतरता’ शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय व उपसर्ग बताइए। (1)
उत्तर:
‘निरंतरता’ शब्द में ‘निर’ उपसर्ग ‘ता’ प्रत्यय और मूल शब्द ‘अंतर’ है।
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प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘समास’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×4=4)
(क) ‘यशप्राप्त’ का समास-विग्रह करके समास का नाम लिखिए। (1)
उत्तर:
यशप्राप्त का समास-विग्रह ‘यश को प्राप्त’ है तथा इसमें कर्म तत्पुरुष समास है।
(ख) ‘आमरण’ का समास-विग्रह कीजिए। (1)
उत्तर:
‘आमरण’ का समास-विग्रह ‘मरने तक या मुत्यु पर्यंत’ है। अतः यहाँ अव्ययीभाव समास है।
(ग) ‘रात-दिन’ में कौन-सा समास है? (1)
उत्तर:
‘रात-दिन’ में द्वंद्व समास है, जिसका समास-विग्रह ‘रात और दिन’ है।
(घ) ‘पाँच वटों का समूह’ समस्त-पद बनाकर समास का नाम लिखिए। (1)
उत्तर:
‘पाँच वटों का समूह’ का समस्त-पद ‘पंचवटी है। इसमें द्विगु समास प्रयुक्त है।
(ङ) ‘करुणा से पूर्ण’ समस्त-पद बनाकर समास का नाम लिखिए। (1)
उत्तर:
‘करुणा से पूर्ण’ का समस्त-पद ‘करुणापूर्ण’ है। यहाँ तत्पुरुष समास है।
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार अर्थ की दृष्टि से ‘वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×4=4)
(क) ‘तुम फोटो का महत्त्व समझते हो।’ (निषेधवाचक वाक्य में बदलिए।) (1)
उत्तर:
तुम फोटो का महत्त्व नहीं समझते हो।
(ख) ‘तुम्हारा जूता फट गया।’ (प्रश्नवाचक वाक्य में बदलिए।) (1)
उत्तर:
तुम्हारा जूता कैसे फट गया?
(ग) ‘यह मेरी माताजी का बाग है।’ (विस्मयवाचक वाक्य में बदलिए।) (1)
उत्तर:
ओह! यह मेरी माताजी का बाग है।
(घ) ‘यह विधुर पति था।’ (संदेहवाचक वाक्य में बदलिए।) (1)
उत्तर:
शायद यह विधुर पति था।
(ङ) ‘हम अपनी सांस्कृतिक पहचान खोते जा रहे हैं।’ प्रस्तुत वाक्य का अर्थ के आधार पर वाक्य भेद बताइए। (1)
उत्तर:
प्रस्तुत वाक्य अर्थ के आधार पर विधानवाचक वाक्य है।
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प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘अलंकार’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1×4=4)
(क) ‘जेते तुम तारे, तेते न नभ में न तारे हैं।’ रेखांकित काव्य पंक्ति में निहित अलंकार कौन-सा हैं? (1)
उत्तर:
रेखांकित काव्य पंक्ति में ‘तारे’ शब्द दो बार आया है। प्रथम ‘तारे’ का अर्थ ‘तारण करना या उद्धार करना’ है और दूसरे ‘तारे’ का अर्थ ‘तारागण’ या ‘तारे-सितारे’ है। अत: यहाँ यमक अलंकार है।
(ख) ‘क्या देख न सकती जंजीरों का गहना।
हथकड़ियाँ क्यों? यह ब्रिनिश राज का गहना।’ रेखांकित पंक्तियों में अलंकार बताइए। (1)
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्तियों में गहना शब्द दो बार प्रयुक्त हुआ है। प्रथम पंक्ति में आए गहना शब्द का अर्थ है-हथकड़ियाँ और दूसरी पंक्ति में आए गहना शब्द का अर्थ है-आभूषण। अत: यहाँ यमक अलंकार है।
(ग) “तब हार पहार से लागता है, अब आनि के बीच पहार परे।” रेखांकित काव्य पंक्ति में निहित अलंकार कौन-सा है? (1)
उत्तर:
प्रस्तुत काव्य पंक्ति में एक ‘पहार’ का अर्थ ‘पर्वत’ और दूसरे ‘पहार’ का अर्थ ‘विशाल’ है। अत: यहाँ यमक अलंकार है।
(घ) सुबरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर। (1)
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति में श्लेष अलंकार का प्रयोग हुआ है। यहाँ सुबरन तीन अर्थों में प्रयोग किया गया है-सुंदर अक्षर, सुंदर स्त्री व सोना (आभूषण)।
(ङ) ‘मुदित महीपति मंदिर आए, सेवक, सचिव सुमंत्र बुलाए।’ रेखांकित काव्य पंक्ति में कौन-सा अलंकार है? (1)
उत्तर:
रेखांकित काव्य पंक्ति में पहले पद में ‘म’ व दूसरे पद में ‘स’ वर्ण की आवृत्ति से अनुप्रास अलंकार है।
खंड ‘ग’
(पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक) (30 अंक)
इस खंड में पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकेत हैं।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1×5=5)
जटिल प्राणियों के लिए सालिम अली हमेशा एक पहेली बने रहेंगे। बचपन के दिनों में, उनकी एयरगन से घायल होकर गिरने वाली, नीले कंठ की वह गैरैया सारी ज़िंदगी उन्हें खोज के नए-नए रास्तों की तरफ़ ले जाती रही। ज़िंदगो की ऊँचाइयों में उनका विश्वास एक क्षण के लिए भी डिगा नहीं। वो लॉरेंस की तरह, नैसर्गिक ज़िंदगी का प्रतिरूप बन गए थे। सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाय अथाह सागर बनकर उभरे थे। जो लोग उनके श्रमणशील स्वभाव और उनकी यायावरी से परिचित हैं, उन्हें महसूस होता है कि वो आज भी पक्षियों के सुराग में ही निकले हैं और बस अभी गले में लंबी दूरबीन लटकाए, अपने खोजपूर्ण नतीजों के साथ लौट आएँगे।
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(क) सालिम अली के जीवन की राह के बदलने का क्या कारण था? (1)
(i) प्रकृति प्रेमी बनने की घटना
(ii) जटिल प्राणियों की घटना
(iii) गौरैया के घायल होने की घटना
(iv) विश्वास डगमगाने की घटना
उत्तर:
(iii) गौरैया के घायल होने की घटना गौरैया के घायल होने की घटना ने सालिम अली के जीवन की राह को बदल दिया।
(ख) इस गद्यांश का मूल उद्देश्य क्या है? (1)
(i) सालिम अली के बचपन का वर्णन करना
(ii) सालिम अली के पक्षी प्रेम, प्रकृति निष्ठा और खोजी स्वभाव को दर्शाना
(iii) सालिम अली के यायावरी जीवन की आलोचना करना
(iv) सालिम अली की एयरगन से गौरैया मारने की घटना का विस्तार से वर्णन करना
उत्तर:
(ii) सालिम अली के पक्षी प्रेम, प्रकृति निष्ठा और खोजी स्वभाव को दर्शाना। गद्यांश में सालिम अली के जिज्ञासु, यायावर तथा प्रकृति प्रेमी स्वभाव का उल्लेख प्रमुख रूप से किया गया है।
(ग) सालिम अली प्रकृति की दुनिया में कैसे चलते रहे? (1)
(i) अथाह सागर की भाँति
(ii) गौरैया को ढूँढने
(iii) सागर की लहरों में
(iv) अपनी ही धुन में मस्त
उत्तर:
(i) अथाह सागर की भाँति सालिम अली प्रकृति की दुनिया में अथाह सागर की भाँति अबाध-गति से चलते रहे।
(घ) सालिम अली के व्यक्तित्व से भली-भाँति परिचित लोगों को उनके विषय में क्या प्रतीत होता है? (1)
(i) वे प्राकृतिक चीजों को जानना चाहते हैं
(ii) वे अपने बचपन के दिनों में खोए हैं
(iii) आज भी वे पक्षियों की खोज में निकले हुए हैं
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(iii) आज भी वे पक्षियों की खोज में निकले हुए हैं सालिम अली के व्यक्तित्व से भली-भाँति परिचित लोगों को उनके विषय में यह प्रतीत होता है कि वे आज भी पक्षियों की खोज में निकले हुए हैं और नतीजों के साथ वापिस लौटेंगे।
(ङ) कथन (A) उनकी खोज उन्हें नए-नए रास्ते की ओर ले जाती रही।
कारण (R) उनका विश्वास एक क्षण के लिए भी नहीं डिगा। (1)
कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही है, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, कितु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(i) कथन ( A ) और कारण ( R ) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही ख्याख्या करता है। गद्यांश के अनुसार, सालिम अली की खोज उन्हें नए-नए रास्तों की ओर ले जाती रही। जिंदगी की ऊँचाइयों में उनका विश्वास एक क्षण के लिए भी नहीं डगमगाया।
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प्रश्न 8.
निर्धारित गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। ( 2x 3=6)
(क) ‘दो बैलों की कथा’ कहानी में साँड और बैलों के मध्य होने वाले युद्ध से आपको क्या प्रेरणा मिलती है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
‘दो वैलों की कथा’ कहानी में साँड और वैलों के मध्य होने वाले युद से हमें एकता के साध रहने की प्रेरणा मिलती है। कहानी में हाथी के समान एक बलशाली पशु साँड का सामना करना बैलों के वश्रा की बात नहीं यी। वह दोनों (हीरा-मोती) को अकेला ही मार सकता था, लेकिन हीरा-मोती का एकसाथ होकर रणनीति के साथ उस पर साथ-साथ आक्रमण करना, साँड पर भारी पड़ गया। सांड को संगठित शत्रुओं से लड़ने का अनुभव नहीं था, इसलिए धोड़ी ही देर में वह बेदम होकर गिर गया।
(ख) ‘ल्हासा की ओर’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि तिब्बत में पहाड़ का सर्वोच्च स्थान कौन-सा है और उसे किस प्रकार सजाया गया है? वहाँ के लोगों की इस सजावट के प्रति क्या धार्मिक भावना जुड़ी हो सकती है?
उत्तर:
तिब्यत में पहाइ का सर्वोच्च स्थान डाँडे है तथा समुद्रतल से सत्रह-अट्ठारह हजार फीट ऊँचे डाँडे के दक्षिण में पूर्व से पश्चिम की ओर हिमालय के हजारों श्वेत शिखर थे। टीले के आकार-सा ऊँचा स्थान अर्थात् भीटे की ओर दिखने वाले पहाइ वन विहीन थे। वहाँ स्वर्षोच्च स्थान पर डॉडे के देवता का स्थान था, जिसे पत्थरों के ढेर, जानवरों के सींगों और रंग-बिंगे कपड़े की झंडियों से सजाया गया था।
(ग) ‘प्रेमचंद के फटे जूते’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि प्रेमचंद ने अपने जीवन में ‘सादा जीवन, उच्च विचार’ के आदर्श को किस प्रकार अपनाया? उनके इस जीवन-दर्शन से आपको क्या सीख मिलती है?
उत्तर:
प्रेमचंद सीधे-सादे व्यक्ति थे। वे धोती-कुर्ता, सिर पर मोटे कपडे की टोपी व केनवस का जूता पहनते थे। फटे जूते से अँगुली बाहर निकली होने पर भी उन्हें किसी प्रकार की लज्जा का अनुभव नहीं होता था। इसके साथ-साथ उनके विचार बहुत ही उच्च थे। वे सामाजिक बुराइयों से दूर रहे और समाब को उचित दिशा प्रदान करने का कार्य करते रहे। अत: कहा जा सकता है कि वे अपने जीवन में ‘सादा जीवन, उच्च विचार’ उक्ति को साकार करते है। उनके इस जीवन-दर्शन से हमें यह सीख मिलती है कि दिखावे के स्थान पर सादगी, उच्च बिचारों और सामाजिक जिम्मेदारियों को अपनाकर जीवन में आगे बड़ना चाहिए।
(घ) ‘उपभोक्तावाद की संस्कृति’ पाठ के आधार पर बताइए कि ‘सुख की व्याख्या बदल गई है’ शीर्षक से लेखक किस मानसिक परिवर्तन की ओर संकेत करता है? वर्तमान समय में सुख के मायने किस प्रकार बदल चुके हैं तथा इसका सामाजिक जीवन पर क्या प्रभाव पड्मता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘सुख की व्याख्या बदल गई है’ शीर्षक के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि पहले लोगों का त्याग, परोपकार तथा अच्छे कार्यों से मिलने वाली सुख-शांत ‘सुख’ के परिप्रेक्ष्य में आती थी, परंतु आजकल लोग विभिन्न वस्तुओं और भौतिक साधनों के उपयोग को सुख मानकर उन्हें प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। यह उपमोक्तावाद की संस्कृति की प्रकृति को दर्शाता है अर्थात् आजकल लोगों ने भोग-उपयोगों को ही सुख्य मान लिया है तथा विलासितापूर्ण वस्तुओं के उपभोग को ही सुख की परिधि में सम्मिलित किया गया है। इसका सामाजिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। व्यक्ति स्वार्थी, प्रतिस्पर्धी, तनावपूर्ण और असंतुष्ट बनता जा रहा है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पठित काव्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1×5=5)
क्यों हूक पड़ी?
वेदना बोझ वाली-सी,
कोकिल बोलो तो
क्या लूटा? मृदुल वैभव की
रखवाली-सी,
कोकिल बोलो तो
क्या हुई बावली?
अर्द्धरात्रि को चीखी,
कोकिल बोलो तो
किस दावानल की
ज्वालाएँ हैं दिखी?
कोकिल बोलो तो
(क) उपर्युक्त काव्यांश में वक्ता और श्रोता हैं (1)
(i) कवि और कोयल
(ii) यात्री और कोयल
(iii) प्रकृति और कवि
(iv) आशा और निराशा
उत्तर:
(i) कबि और कोयल इस काव्यांश में वक्ता कवि और श्रोता कोयल हैं।
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(ख) कवि को कोयल के कूकने से क्या आभास हुआ? (1)
(i) वह किसी को बुलाने के लिए कूक रही है
(ii) वह दु:ख और वेदना के कारण कूक रही है
(iii) वह सभी को जगाने के लिए कूक रही है
(iv) ये सभी
उत्तर:
(ii) वह दु:ख और बेदना के कारण कूक रही है कवि को कोयल के कूकने से यह आभास हुआ कि वह दु:ख और वेदना के कारण कूक रही है।
(ग) कवि ने किसे दावानल की ज्वालाओं-सा भयंकर और दुःखदायी बताया है? (1)
(i) कोयल की आवाज को
(ii) निंद्रा में सो रहे व्यक्तियों की दशा को
(iii) सेनानियों की नीतियों को
(iv) अंग्रेजी राज की क्रूर नीतियों को
उत्तर:
(iv) अंग्रेजी राज की कूर नीतियों को कवि ने अंग्रेजी राज की क्रूर नीतियों व अत्याचारों को दावानल की ज्वालाओं-सा भयंकर और दु-खदायी बताया है।
(घ) कथन (A) कोयल की वाणी में व्याकुलता है।
कारण (R) कोयल ने कारागार में बंद कैदियों की यातनाओं को देख लिया था। (1)
कूट
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
उत्तर:
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है। काव्यांश में कवि के अनुसार, कोसल की वाणी में व्याकुलता का कारण यह है कि कोयल ने कारागार में बंद कैदियों की यातनाओं को देख लिया था।
(ङ) ‘कोयल की वाणी मधुर ऐश्वर्य की प्रतीक है’ यह कविता की किस पंक्ति से पता चलता है? (1)
(i) अर्धरात्रि को चीखी
(ii) क्यों हुई बावली
(iii) मृदुल वैभव की रखवाली-सी
(iv) वेदना बोझवाली-सी
उत्तर:
(iii) मृदुल वैभव की रखाली-सी कोयल की वाणी मधुर ऐस्वर्य का प्रतीक है, यह कविता की ‘मृदुल-वैभव की रखाली-सीं पक्षित से पत्ना चलता है।
प्रश्न 10.
निर्धारित कविताओं के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2×3=6)
(क) ‘साखियाँ एवं सबद’ पाठ के आधार पर बताइए कि कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है? (2)
उत्तर:
कबीर के अनुसार, लोग संख्यी उपासना एवं भक्ति करना भूल गए हैं। सभी लोग अपना-अपना राग अलाप रहे है। वे ईंश्वर प्राप्ति के लिए मंदिर, मस्जिद, काबा, कैलाश, तीर्थ, ज्ञात, कर्मकाह, योग-वैराग आदि को साधन बना रहे है, जिसका कबौर ने खंडन किया है। कवि का विश्वास है कि इस प्रकार की प्रर्चलित मान्यताओं से इंश्वर की प्राप्ति संभव नहीं है।
(ख) कवयित्री (ललघद) की दृष्टि में परमात्मा की प्राप्ति के मार्ग में कौन-कौन सी बाधाएँ आती हैं। ‘वाख’ कविता के आधार पर बताइए। (2)
उत्तर:
कवयित्री (ललघद) के अनुसार, ईंश्वर प्राध्ति के मार्ग में हमारे समक्ष अनेक घाधाएं, आती है। कवयित्री की दृष्टि में परमात्मा प्राप्ति के मार्ग में मनुष्य का नश्वर शरीर, सांसारिक भोग, अर्कार तथा अत्वज्ञान का अभाव अर्थात् स्वयं के बारे में न जानना सखसे बड़ी बाधाएँ है। ये बाधाएँ मनुष्य को संसार में अशांति बढ़ाने वाली और परमारमा के मार्ग से घटकाने वाली हैं।
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(ग) नंद की गाय चराने के लिए कवि रसखान क्या न्योछावर करना चाहते हैं? ‘सवैये’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए। (2)
उत्तर:
नेद की गाय चराने के लिए कवि रसखान आवों सिद्धियों और नौ निषियों का सुस्त्र न्योछाबर करना चाहते हैं। गाय चराने की क्रिया श्रीकृष्ण के कर्म से संखित है, इसलिए वे कहते हैं कि अपने आराष्य के कर्म को अपनाने से अधिक सुख और कुछ नहीं हो सकता।
(घ) ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता के आधार पर बताइए कि बाल-श्रम किसकी असफलता है? (2)
उत्तर:
बाल-ड्रम हमारों और सरकार दोनों की असफलता है। बच्चों को श्रमिक बनने के लिए हैम ही अर्धांत समाज हो बिवरा करता है। बाल-इम को समस्था बस्चो के प्रति हमारी असंवेदाओल तथा लापरवाही को ही प्रदर्भित्र करती है। इस समस्या के लिए सरकार भौ समान रूप से उत्तरदायी है, क्योकि सरकार बाल-श्रम की समस्या को दूर नर्छी कर चा रही है।
प्रश्न 11.
पूरक पाठ्यपुस्तक के निर्धारित पाठों के आधार पर निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए। (4×2=8)
(क) ‘रीढ़ की हड्डी’ पाठ में गोपालप्रसाद के इस कथन “पढ़ी-लिखी हो या अनपढ़, क्या फर्क पड़ता है? हमें तो ऐसी लड़की चाहिए, जो घर-गृहस्थी सँभाल सके।” आप एक संवेदनशील नवयुवक होने के नाते उनके विचार का किस प्रकार विरोध करेंगे? स्पष्ट कीजिए। (4)
उत्तर:
प्रस्तुत चाठ में गोपालप्रसाद रुढ़िवादी बिचारघारा का प्रतिनिधित्व करता है, जो पढ़ी-लिखी स्त्री को पृणा की दृष्टि से देखता है। उनका मानना है कि महिलाओं के पड़ने-लिखने से गृहस्थी नष्ट हो जाती है और उनके स्वभाव मे परिवर्तन आ जाता है। एक संवेदनशील नवयुक्क होने के नाते मे उनके इन विचारों का विरोध करता हैं। मेरे विचार से शिक्षा पर सभी का समान अधिकार होता है, फिर वाह चाहे स्त्र हो या पुरुष। मेरे विचत से शिक्षा लिखों के लिए भी उतनी ही आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है, जितनी पुरुषों के लिए।
(ख) ‘मेरे संग की औरतें’ पाठ के आधार पर आप यह कैसे सिद्ध करेंगे कि सच्ची लगन और दृद निश्चय जैसे गुण असंभव को भी संभव बना सकते हैं? स्पष्ट कीजिए। (4)
उत्तर:
कार्य के प्रति संच्ची लगन एवं दृद निश्चय असंभव को भी संभव बना देने खाले गुण है। कोई मी कार्य यदि पूरे मन अर्धात् लगन से किसा जाए, तो वह ने केवल पूरा होता है, यल्कि वह कार्य विशिष्ट और ऐतिहासिक रूप से स्मरणीय भी हो जाता है। हमारे अनेक महापुरुषें का जीवन इस व्यत का सार्धी है कि सच्ची लगन एवं दृद निश्चय से ही उन्होने असभव कार्यों को सभव बनाया और जीवन में सम्मान प्राप्त किया।
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(ग) नौजवान और कुत्ते के व्यवहार को देखकर आपको किन जीवन मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा मिलती है? ‘इस जल प्रलय में’ पाठ के आधार पर लिखिए। (4)
उत्तर:
लेखक और उसके साथी महानेदन से पिरी बाद में लोगों को राहत सामदी बॉटने गए ये। वहाँ पर एक डॉक्टर साहख भी थे। एक बीमार औरवान कैप में जाने के लिए खण नाव पर चक्षे लगा, तो उसके स्रथ उसका कुता भी नाष पर चद गया। हॉक्टर कर कुते को उठारने के लिए कहने लगे, तो नौबaान नाव से कूद गया। इस व्यवहार से हमें जीव-जंतुओं से प्रेम करने, उनके साथ मजबूत भावनात्मक संबंध रखने, एक-दूसरे के सुख-दुख में काम आने तथा एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करने औसे जीवन मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा मिलती हैं।
खंड ‘घ’
(रचनात्मक लेखन) (20 अंक)
इस खंड में रचनात्मक लेखन पर आधारित प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।
(क) आतंकवाद
संकेत बिंदु
- आंतकवाद का अर्थ
- भारत में आतंकवाद
- विश्व स्तर पर आतंकवाद
- समाधान के उपाय
उत्तर:
आतंकवाद
हिंसा के द्वारा जनमानस में भय या आतंक पैदा कर अपने अनैतिक उद्देश्यों को पूरा करना ही आतंकवाद है। आज आतंकवाद एक ऐसी वैश्विक समस्या का रूप धारण कर चुका है, जिसकी आग में सारा विश्व जल रहा है। भीड़ वाले स्थानों पर बम विस्फोट करना, वायुयानों का अपहरण कर लेना, निर्दोंष लोगों या राजनीतिजों को बंदी बना लेना आदि कुछ ऐसी आतंकवादी गतिविधियाँ हैं, जिनसे पूरा विश्व त्रस्त हो रहा है।
भारत विश्वभर में आतंकवाद से सर्वाधिक त्रस्त देशों में से एक है। मुंबई में हुए क्रमिक बम विस्फोट (1993), संसद भवन पर हमला (2001), वाराणसी बम धमाका (2006), ताज होटल पर हमला (2008), उरी हमला (2016), पुलवामा बम विस्फोट (2019), जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हमला (2025) आदि ऐसी घटनाएँ हैं, जो भारत को आतंकवाद पीड़ित देश घोषित करती हैं। इन बड़ी घटनाओं के अतिरिक्त आतंकवादी भारत में अनेक छोटी-मोटी घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं। आज लगभग पूरा विश्व आतंकवाद् की चपेट में है।
पिछले एक दशक में पूरे विश्व में आतंकी घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (2001) में हुआ आतंकी हमला, ऑस्ट्रेलिया के एक कैपस में ग्राहकों को बंदी बनाना (2014), फ्रांस में पत्रकारों की हत्या करना (2015), श्रीलंका में होटलों में आत्मघाती हमला (2019) आदि अनेक ऐसी भयावह घटनाएँ हैं, जो आतंकवाद के घिनौने रूप को प्रकट करती हैं। बीते समय में जिन ताकतों या देशों ने आतंकवाद को प्रोत्साहन दिया, आज वे भी आतंकवाद से लड़ने में कमजोर पड़ गए हैं। आतंकवाद की समस्या के समाधान के लिए पूरे विश्व को संगठित होकर एक व्यापक रणनीति बनाना ही वर्तमान समय की माँग है। वैश्विक समस्या का रूप धारण कर चुके इस आतंकवाद का संपूर्ण समाधान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं प्रयासों से ही संभव है।
(ख) महिला सशक्तिकरण
संकेत बिंदु
- प्रस्तावना
- महिला सशक्तिकरण
- महिलाओं की प्रगति में बाधक तत्व
- उपसंहार
उत्तर:
महिला सशक्तिकरण
समाज में महिलाओं की परिस्थिति एवं उनके अधिकारों में वृद्धि ही० महिला सशक्तिकरण है। महिलाएँ आज पुरुषों के साथ प्रत्येक क्षेत्र में कंधे-से-कंधा मिलाकर खड़ी हैं। आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका बढ़ती जा रही है। प्रशासन, राजनीति, खेल, प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भूमिका से वैश्विक परिदृश्य प्रभावित हुआ है।
‘महिला सशक्तिकरण’ महिलाओं के स्वावलंबन की महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है। सशक्त महिला का अर्थ ऐसी महिलाओं से है, जिनकी निर्णय क्षमता और नेतुत्व को मान्यता दी जा सके। पिछले कुछ वर्षों से समय बदल रहा है। आज दुनिया के अनेक देशों की राष्ट्राध्यक्ष महिलाएँ ही हैं। हमारे देश में भी ऐसी महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। सानिया मिर्जा, सायना नेहवाल, सुनीता विलियम्स तथा कल्पना चावला आदि भारतीय नारियों के लिए प्रेरणा रही हैं। इक्कीसर्वीं शताब्दी में महिलाएँ आगे आई हैं, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है।
स्त्री-पुरुष विषमता, कन्या भूण हत्या, घरेलू हिंसा जैसी अनेक समस्याएँ महिलाओं की प्रगति में बाधक हैं। जब तक इन विसंगतियों को दूर करने की नीतियाँ नहीं बनाई जातीं, तब तक ‘महिला सशक्तिकरण’ का संपूर्ण लक्ष्य पूरा नहीं हो सकता। ‘महिला सशक्तिकरण’ एक जीवन दर्शन है, जिसके लिए संपूर्ण राष्ट्र को प्रयास करना चाहिए। कानून लागू करने वालों को अपने दायित्व का उचित निर्वाह कर ‘महिला सशक्तिकरण’ को प्रभावी बनाने के लिए उचित कदम उठाना चाहिए।
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(ग) वृद्धों का महत्त्व
संकेत बिंदु
- प्रस्तावना
- दैनिक जीवन में वृक्षों की उपयोगिता
- पर्यावरण के लिए अत्यंत आवश्यक
- उपसंहार
उत्तर:
वृक्षों का महत्त्व
वृक्ष हमारे जीवन के साथी हैं, ये हमें जीवन जीने के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध करवाते हैं। वृक्षों के बिना पृथ्वी पर जीवन असंभव है। वृक्ष ही हमारी प्रकृति हैं, जो पूरी पृथ्वी को खुशहाल बनाते हैं। वनों से हमें अनेक प्रकार की लकड़ियाँ प्राप्त होती हैं। वनों से लकड़ी के अतिरिक्त अनेक उपयोगी सहायक वस्तुओं की भी प्राप्ति होती है, जिनका अनेक उद्योगों में कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है; जैसे-फर्नीचर उद्योग, औषधि उद्योग इत्यादि।
वनों से हमें विभिन्न प्रकार के फल प्राप्त होते हैं, जो जीवों का पोषण करते हैं। वनों से प्राप्त जड़ी-बूटियों से अनेक असाध्य-रोगों की दवाइयाँ प्राप्त होती हैं। गाय, भैस, बकरी, भेड़ आदि पालतू पशुओं के लिए वन विशाल चरागाह प्रदान करते हैं।
वृक्ष कार्बन डाइ-ऑक्साइड को प्रहण करके ऑक्सीजन छोइते हैं, जिससे पर्यावरण शुद्ध होता है। वनों से वातावरण का तापक्रम, नमी और वायु प्रवाह नियमित होता है, जिससे पर्यावरण में संतुलन बना रहता है। वृक्ष वर्षा के जल को सोख लेते हैं और उसे भूमि के गर्भ में ले जाकर रोककर रखते हैं, जिससे भूमि के नीचे का जलस्तर ऊँचा हो जाता है और दूर तक के क्षेत्र हरे-भरे रहते हैं और भूमिगत जल का स्तर घट नहीं पाता। साथ ही पेड़ों की जड़ें मिट्टी के कणों को सँभाले रहती हैं, जिससे भूमि कटाव भी नहीं होता और भूमि की उर्वरा शक्ति भी बनी रहती है।
वन हमारे जीवन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों ही रूप से बहुत उपयोगी हैं, इसलिए वनों का संरक्षण और संवर्द्धन बहुत आवश्यक है। अत: आवश्यक है कि सरकार वन संरक्षण संबंधी नियमों का कठोरता से पालन कराए, जिससे भावी प्राकृतिक विपदाओं से रक्षा की जा सके।
प्रश्न 13.
आपके क्षेत्र में सफाई कर्मचारी ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर रहा है, जिसके कारण मच्छों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। अपने क्षेत्र में गंदगी एवं बीमारी फैलने की सूचना देते हुए नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी को लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए। (5)
अथवा
छात्रावास में रहने वाली अपनी छोटी बहन को फ़ैशन की ओर अधिक रुझान न रखने और ध्यानपूर्वक पढ़ाई करने की सीख देते हुए 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 05 अगस्त, 20 XX
सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी,
दिल्ली नगर निगम,
स्वास्थ्य विभाग,
दिल्ली।
विषय क्षेत्र की सफ़ाई के संदर्भ में।
महोदय,
मैं प्रशासन का ध्यान क्षेत्र में फैली गंदगी और उससे बढ़ते हुए मच्छों के प्रकोप की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ। पूरे पटपड़गंज में आजकल मच्छरों का प्रकोप है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे मोहल्ले की सफ़ाई हेतु नगर निगम का कोई भी सफ़ाई कर्मचारी गत दस दिनों से काम पर नहीं आ रह्ना है।
यदि सफाई कर्मचारी आते भी हैं, तो अपना कार्य ठीक प्रकार से नहीं करते हैं। कहने के बाद भी उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। परिणाम यह हुआ है कि रोगों के कीटाणु दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। हमारे मोहल्ले में मलेरिया और टायफाइड के मरीज तो प्रत्येक घर में हो गए हैं। आज की स्थिति यह है कि संपूर्ण वातावरण ही दुर्गधमय हो गया है। इस मार्ग से युजरते हुए लोगों को नाक बंद करनी पड़ती है। चारों ओर मक्खियाँ भिन-भिना, रही हैं।
अत: समस्त क्षेत्र के निवासियों की ओर से प्रार्थना है कि आप यथाशीघ्र हमारे क्षेत्र का निरीक्षण करें तथा सफ़ाई का नियमित प्रबंध करें। अन्यथा यहाँ के निवासियों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
धन्यवाद।
प्रार्थी
क. ख. ग.
अथवा
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 15 अप्रैल, 20 XX
प्रिय लता,
सस्नेह आशीष!
हम सब यहाँ सकुशल हैं और सदैव परमात्मा से तुम्हारी कुशलता की कामना करते हैं। माताजी-पिताजी तुम्हें याद करके कभी-कभी अत्यंत भावुक हो जाते है। लता! तुम्हें ज्ञात है कि पिताजी ने कितनी कठिनाइयाँ सहकर हमारा पालन-पोषण किया है और उनका सपना है कि तुम आई.ए.एस. की परीक्षा उत्तीर्ण करो, परंतु तुम्हारे अध्यापकों व छात्रावास प्रभारी से मुझे ज्ञात हुआ है कि आजकल तुम्हारा ध्यान फ़ैशन की ओर अधिक है और इस कारण तुम्हारा लक्ष्य प्रभावित होने लगा है।
मैं यह सुझाव देना चाहूँगा कि तुम-स्वयं को एकाग्रचित्त करो और केवल अपने अध्ययन व लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करो। वार्षिक परीक्षा आने वाली है यदि तुम समय रहते सचेत नहीं हुई, तो अत्यंत गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है और साथ ही तुम्हारा भविष्य भी अंधकारमय हो जाएगा। इसलिए मेरा परामर्श है कि अध्ययन पर ध्यान दो तथा माता-पिता का स्वप्न व अपना लक्ष्य साकार करो।
माता-पिता की ओर से तुम्हें स्नेहशील आशीर्वाद।
तुम्हारा बड़ा भाई
क. ख. ग.
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प्रश्न 14.
आप दिनेश वर्मा हैं। आप अपने बैंक प्रबंधक को लगभग 100 शब्दों में एक ई-मेल लिखकर अपने खाते को आधार कार्ड से लिंक करवाकर उसमें अपना आधार नंबर अपडेट करवाने का आग्रह करें। (5)
अथवा
“तेते पाँव पसारिए जेती लंबी सौर” प्रस्तुत उक्ति को आधार बनाकर लगभग 100 शब्दों में एक लघुकथा लिखिए।
उत्तर:
From : Dinesh@gmail.com
To : BoBm-nagar@gmail.com
CC : manager@gmail.com
BCC :
विषय बैंक खाते को आधार कार्ड से लिंक कराने हेतु।
महोदय,
निवेदन यह है कि मेरा नाम दिनेश वर्मा है। मेरा पिछले 10 वर्षों से आपकी शाखा में बचत खाता है। मेरा बचत खाता
संख्या 54289 XX है। महोदय केंद्र सरकार की नई नीति के अनुसार बैंक खाता आधार कार्ड से लिंक करवाना
अनिवार्य हो गया है। अत: मेरा आपसे विनप्र निवेदन है कि मेरे बचत खाते के साथ मेरा आधार कार्ड नंबर लिंक कर
दिया जाए। इसके लिए मैं अपने आधार कार्ड की प्रतिलिपि भी स्वप्रमाणित करके आपको मेल कर रहा हूँ। इस संबंध में
मैं आपसे त्वरित कार्यवाही की अपेक्षा करता हूँ।
सधन्यवाद।
भवदीय
दिनेश वर्मा
खाता संख्या 54289XXXX
अटैचमेंट आधार कार्ड की प्रतिलिपि
अथवा
उक्ति का अर्थ ‘तेते पाँव पसारिए जेती लंबी सौर’ प्रस्तुत उक्ति का अर्थ यह है कि पैरों को उतना ही फैलाना चाहिए, जितनी लंबी चादर हो अर्थात् व्यक्ति को अपनी सीमा में ही रहना चाहिए अपनी आय से अधिक व्यय नहीं करना चाहिए।
लघुकथा एक बहुत गरीब किसान था। उसका एक पुत्र था, जिसका नाम शैलेश था। शैलेश दिखावे की दुनिया से बहुत प्रभावित था। वह शान-ओ-झौकत पर व्यर्थ खर्च करता था। उसके पिता ने उसे बहुत बार समझाने की कोशिश की कि हमें अपनी आय से अधिक खर्च नहीं करना चाहिए। जितनी हमारी आय है, उसमें ही संतुष्ट रहना चाहिए। शैलेश पर अपने पिता की बातों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता था। वह अपने पिता से प्रतिदिन नई-नई कीमती चीजों की माँग करता रहता था।
एक दिन उसके पिता ने उसे सबक सिखाने की सोची। उसके पिता ने कहा- बेटा, मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं रहती। ये लो पाँच हजार रुपये और आज से तुम्हीं घर तथा अपना खर्च संभालना। अपने पिता द्वारा दिए पैसों को देखकर वह बहुत खुश हुआ। उसने सोचा वह अब अपनी सभी इच्छाओं को पूरी कर लेगा और घर-खर्च भी आसानी से हो जाएगा। सीख इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें उतना ही खर्च करना चाहिए, जितना हमारे पास धन हो अन्यथा हम कर्ज जैसे भयंकर दलदल में धँसते चले जाएँगे। जितना हमारे पास है, उसी से गुजारा करना चाहिए, तभी हम खुशहाल जीवन निर्वाह कर सकते हैं।
प्रश्न 15.
दो दोस्तों के मध्य अपनी पहली रेल यात्रा के अनुभव को साझा करते हुए होने वाले संवाद को लगभग 80 शब्दों में लिखिए। (4)
अथवा
आप विद्यालय के परीक्षा समिति के अध्यक्ष हैं। परीक्षा संबंधी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में बदलाव की सूचना देते हुए लगभग 80 शब्दों में सूचना लेखन कीजिए।
उत्तर:
कैलाश अरे अविनाश! क्या कर रहा है?
अविनाश कुछ खास नहीं, खाली बैठा था, तो सोचा कोई कहानी पढ़ लूँ। कहानी पढ़कर तो मुझे अपनी ‘पहली रेल यात्रा’ का स्मरण हो आया। कैलाश क्यों भाई, ऐसा क्या हुआ था तुम्हारी पहली रेल यात्रा में?
अविनाश हुआ ये था कि एक बार परिवार के साथ कुंभ मेले में जाते समय सीट आरक्षित होते हुए भी भीड़ अधिक होने के कारण सीट पर अन्य लोग आकर बैठ गए।
कैलाश मतलब …… तुम लोगों को बैठने की सीट ही नहीं मिली।
अविनाश अरे यार! सीट तो मिली, लेकिन जिस सीट पर हम दो लोगों को बैठना था, उसमें हम चार लोग बैठे। इसलिए यात्रा का आनंद हम नहीं ले पाए, किंतु जैसे-जैसे ट्रेन आगे बढ़ने लगी, कई लोग उतरने लगे और कुछ समय पश्चात् ट्रेन में केवल वही लोग रह गए, जिनकी सीटें आरक्षित थीं।
कैलाश अच्छा! फिर तो तुम लोग मजे करते हुए गए होंगे?
अविनाश हाँ यार, फिर मैंने पापा से आग्रह कर खिड़की वाली सीट ले ली और पूरे रास्ते खिड़की से बाहर के दृश्यों का आनंद लेने लगा। मेरा यह अनुभव बिल्कुल नया था।
कैलाश हाँ मित्र! यह तो सच में नया अनुभव ही था।
अथवा
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रियान पब्लिक स्कूल, दिल्ली दिनांक 15 जून, 20XX परीक्षा संबंधित कार्यक्रम में परिवर्तन विद्यालय के सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि हमारे विद्यालय में 20 सितंबर, 20 XX से परीक्षाएँ शुरू होने वाली थीं, वे अब कुछ अपरिहार्य कारणों से 22 सितंबर, 20XX से आयोजित की जाएँगी। परीक्षा का समय प्रात: 10 बजे से 1 बजे तक होगा। सभी छात्र-छात्राएँ अपनी परीक्षा की नई डेटशीट के अनुसार विद्यालय में अपनी परीक्षाएँ देने आएँगे। किसी भी प्रश्न या स्पष्टीकरण के लिए कृपया समिति से संपर्क करें। |
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