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CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi Course B Set 12 with Solutions
समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश
निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका सख्ती से अनुपालन कीजिए
- इस प्रश्न पत्र में चार खंड हैं- क, ख, ग और घ।
- इस प्रश्न पत्र में कुल 16 प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
- प्रश्न पत्र में आंतरिक विकल्प दिए गए हैं।
- प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए लिखिए।
खंड ‘क’ (अपठित बोध) (14 अंक)
इस खंड में अपठित गद्यांश से संबंधित तीन बहुविकल्पीय (1 × 3 = 3) और दो अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक (2 × 2 = 4) प्रश्न दिए गए हैं।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर लिखिए (7)
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (2009) भारतीय इतिहास में परिवर्तनगामी चेतना का वाहक है। इसके लागू होने से शिक्षा एक सामाजिक क्रांति के रूप उभरकर सामने आई है। 16 फरवरी, 2010 को जारी अधिसूचना के आधार पर 1 अप्रैल, 2010 से यह भारतवर्ष के अंदर प्रभावशील है। इसके अंतर्गत यह व्यवस्था की गई है कि 6 से 14 वर्ष की अवस्था के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध करवाई जाए। इसमें किसी भी प्रकार की असमानता का भाव दिग्दर्शित नहीं होता है। इसके अंतर्गत देश के अंदर सबको शिक्षा और इसकी अनिवार्यता पर विशेष बल प्रदान किया गया है। इस अधिनियम के अंतर्गत 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों का शत-प्रतिशत नामांकन, शत-प्रतिशत उपस्थिति व प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण कराने की संवैधानिक अनिवार्यता राज्य सरकार की नैतिक ज़िम्मेदारी है। इसमें जो भी संभव हो सकेगा, आर्थिक व राजनीतिक स्तर पर केंद्र सरकार, राज्य सरकार को मदद मुहैया कराएगी, जिसकी रूपरेखा राज्य सरकार को प्रारंभ में ही प्रस्तुत करनी होगी। इसके अंतर्गत बच्चों को शारीरिक दंड देने की कुप्रथा एवं मानसिक रूप से प्रताड़ित करना प्रतिबंधित है। समस्त बच्चों के लिए उनके निर्धारित पड़ोस में शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराना सरकार की ज़िम्मेदारी बनती है। इस तरह से सामाजिक परिवर्तन के रूप में ‘शिक्षा का अधिकार’ कुशलतापूर्वक अपनी सहभागिता अभिव्यक्त कर रहा है।
(क) उपर्युक्त गद्यांश किस विषय वस्तु पर आधारित है? (1)
(i) बच्चों की शिक्षा और समाज में परिवर्तन
(ii) शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009
(iii) सरकारी स्कूलों की समस्याएँ
(iv) शिक्षकों का दायित्व और अनुशासन
उत्तर:
(ii) शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009
प्रस्तुत गद्यांश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के बारे में बताया गया है, जिसमें 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने पर जोर दिया गया है। इस अधिनियम को एक सामाजिक क्रांति के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो शिक्षा में असमानता को समाप्त करने और समाज में परिवर्तन लाने की भूमिका निभा रहा है। इसके साथ ही, राज्य और केंद्र सरकार की ज़िम्मेदारियों, बच्चों के अधिकारों और शारीरिक दंड के खिलाफ नीतियों का भी उल्लेख किया गया है।
(ख) गद्यांश के अनुसार केंद्रीय सरकार का क्या कर्त्तव्य है? (1)
(i) आर्थिक व राजनीतिक स्तर पर राज्य सरकार को सहायता उपलब्ध कराए
(ii) राज्य में विद्यालय खुलवाए
(iii) राज्य के विकास में सहयोग दें
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(i) आर्थिक व राजनीतिक स्तर पर राज्य सरकार को सहायता उपलब्ध कराए।
गद्यांश के आधार पर कह सकते हैं कि केंद्रीय सरकार का कर्त्तव्य आर्थिक व राजनीतिक स्तर पर राज्य सरकार को सहायता उपलब्ध कराना है।
(ग) कथन (A): देश के अंतर्गत सबको शिक्षा प्राप्त करने पर विशेष बल दिया गया है। (1)
कारण (R): शिक्षा प्राप्त करना प्रत्येक बालक का अधिकार है।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, लेकिन कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
उत्तर:
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
देश के अंतर्गत सबको शिक्षा प्राप्त करने पर विशेष बल दिया गया है, क्योंकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम (2009) के अंतर्गत प्रत्येक बालक को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है, जिसके अंतर्गत बच्चों को निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।
(घ) किस कारण से शिक्षा एक सामाजिक क्रांति के रूप में उभरकर सामने आई है? (2)
उत्तर:
गद्यांश की आरंभिक पंक्तियों में स्पष्ट किया गया है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम (2009) भारतीय इतिहास में परिवर्तनगामी चेतना का वाहक है। इसके लागू होने से शिक्षा एक सामाजिक क्रांति के रूप में उभरकर सामने आई है।
(ङ) शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की क्या विशेषताएँ हैं? (2)
उत्तर:
शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की विशेषताएँ 6-14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों को निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराना, बच्चों को शारीरिक दंड और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने पर प्रतिबंध लगाना, बच्चों की प्राथमिक शिक्षा पूर्ण कराना है।
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उस पर आधारित दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर लिखिए (7)
आज की नारी संचार प्रौद्योगिकी, वायुसेना, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, विज्ञान वगैरह के क्षेत्र में न जाने किन-किन भूमिकाओं में कामयाबी के शिखर छू रही है। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जहाँ आज की महिलाओं ने अपनी छाप न छोड़ी हो। कह सकते हैं कि आधी नहीं, पूरी दुनिया उनकी है। सारा आकाश हमारा है। पर क्या सही मायनों में इस आज़ादी की आँच हमारे सुदूर गाँवों, कस्बों या दूरदराज के छोटे-छोटे कस्बों में भी उतनी ही धमक से पहुँच पा रही है? क्या एक आज़ाद, स्वायत्त मनुष्य की तरह अपना फैसला स्वयं लेकर मजबूती से आगे बढ़ने की हिम्मत है उसमें?
बेशक समाज बदल रहा है मगर यथार्थ की परतें कितनी बहुआयामी और जटिल हैं, जिन्हें भेदकर अंदरूनी सच्चाई तक पहुँच पाना आसान नहीं। आज के इस रंगीन समाज में नई बढ़ती चुनौतियों से टकराती स्त्री की क्रांतिकारी आवाज़ें हम सबको सुनाई दे रही हैं, मगर यही कमाऊ स्त्री जब समान अधिकार और परिवार में लोकतंत्र की अनिवार्यता पर बहस करती या सही मायनों में लोकतंत्र लाना चाहती है तो वहाँ इसकी राह में तमाम धर्म, भारतीय संस्कृति, समर्पण, सहनशीलता, नैतिकता जैसे सामंती मूल्यों की पगबाधाएँ खड़ी की जाती हैं। नारी की सच्ची स्वाधीनता का अहसास तभी हो पाएगा जब वह आज़ाद मनुष्य की तरह भीतरी आज़ादी को महसूस करने की स्थितियों में होगी।
(क) कथन (A): आज की नारी समाज के हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है। (1)
कारण (R): उसने अपने आत्मबल और शिक्षा से अनेक क्षेत्रों में सफलता अर्जित की है।
(i) कथन (A) सही है, कारण (R) गलत है।
(ii) कथन (A) गलत है, कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर:
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
आज की नारी शिक्षा और आत्मबल के माध्यम से विज्ञान, चिकित्सा, सेना, संचार आदि क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ प्राप्त कर रही है। यह उसकी मेहनत, आत्मविश्वास और सामाजिक बदलाव की स्वीकार्यता का परिणाम है।
(ख) गद्यांश के अनुसार, स्त्रियों के सम्मान अधिकार की राह में कौन-से मूल्य बाधा बनते हैं? (1)
(i) विज्ञान और तकनीक
(ii) शिक्षा और आत्मबल
(iii) धर्म, समर्पण और नैतिकता
(iv) लोकतंत्र और स्वायत्तता
उत्तर:
(iii) धर्म, समपर्पण और नैतिकता।
गद्यांश के अनुसार, जब स्त्री समान अधिकार और पारिवारिक लोकतंत्र की बात करती है, तो उसके सामने धर्म, भारतीय संस्कृति, समर्पण, सहनशीलता, नैतिकता जैसे सामंती मूल्य बाधा बन जाते हैं। ये मूल्य स्त्री की स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय की राह में सामाजिक बंदिशों के रूप में खड़े हो जाते हैं।
(ग) नारी की सच्ची स्वाधीनता का अहसास कब होगा ?
1. जब वह केवल नौकरी करने लगे।
2. जब वह आकाश छूने लगे।
3. जब वह भीतर से भी स्वतंत्र महसूस करे।
4. जब वह बिना किसी पाबंदी के निर्णय ले।
कूट
(i) 1 और 2
(ii) 2 और 3
(iii) 3 और 4
(iv) 1 और 4
उत्तर:
(iii) 3 और 4
नारी की सच्ची स्वाधीनता केवल बाहरी उपलब्धियों से नहीं मापी जाती, बल्कि तब मानी जाती है, जब वह भीतर से स्वतंत्र महसूस करे और अपने निर्णय स्वयं ले सके। गद्यांश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि आजाद मनुष्य की तरह जीने और निर्णय लेने की क्षमता ही असली स्वतंत्रता है।
(घ) लेखिका को ऐसा क्यों लगता है कि आज़ादी की गर्माहट सुदूर गाँवों तक नहीं पहुँची है? (2)
उत्तर:
आज भी स्त्रियाँ कस्बों और गाँवों में पुरुषों की तरह अपने फैसले स्वयं नहीं लेती हैं। उनकी राह में धर्म भारतीय संस्कृति, सहनशीलता, नैतिकता जैसे सामन्ती मूल्यों की पगबाधाएँ खड़ी हो जाती हैं। इसलिए लेखिका को लगता है कि आज़ादी की गर्माहट सुदूर गाँवों तक नहीं पहुँची है।
(ङ) शिक्षित महिला भी समान अधिकार की बात तो करती है, लेकिन अपने परिवार के आगे घुटने क्यों टेक देती है? (2)
उत्तर:
महिला को परिवार की स्थिरता के लिए समर्पण भाव अपनाना पड़ता है, इसलिए शिक्षित महिला भी समर्पण, सहनशीलता तथा नैतिकता जैसे मूल्यों के कारण परिवार को ही अधिक महत्त्व देती है अर्थात् परिवार के आगे घुटने टेक देती है।
खंड ‘ख’ (व्यावहारिक व्याकरण) (16 अंक)
व्याकरण के लिए निर्धारित विषयों पर अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक 20 प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें से केवल 16 प्रश्नों (1 × 16 = 16) के उत्तर देने हैं।
प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘पदबंध’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए (1 × 4 = 4)
(क) ‘उसने तताँरा को तरह-तरह से अपमानित किया। रेखांकित पदबंध का भेद बताइए। (1)
(ख) ‘कबीरदास निराकार भक्ति के उपासक थे।’ रेखांकित पदबंध का भेद बताइए। (1)
(ग) मीराबाई तड़पते हुए श्रीकृष्ण की प्रतीक्षा करती है।’ प्रस्तुत वाक्य में क्रियाविशेषण पदबंध को रेखांकित कीजिए। (1)
(घ) ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि ने पर्वत के रूप स्वरूप का बड़ा ही मनोहारी चित्रण किया है।’ इस वाक्य में विशेषण पदबंध बताइए। (1)
(ङ) ‘लेखक के अधिकांश मित्र हरियाणा या राजस्थान के मूल निवासी थे।’ रेखांकित पदबंध का भेद बताइए। (1)
उत्तर:
(क) रेखांकित वाक्यांश ‘तरह-तरह से’ में क्रिया विशेषण पदबंध है।
(ख) रेखांकित वाक्यांश ‘कबीरदास’ में संज्ञा पदबंध है।
(ग) मीराबाई तड़पते हुए श्रीकृष्ण की प्रतीक्षा करती है।
(घ) ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ कविता में कवि ने पर्वत के रूप-स्वरूप का बड़ा ही मनोहारी चित्रण किया है। इस वाक्य में ‘बड़ा ही मनोहारी’ विशेषण पदबंध है।
(ङ) रेखांकित वाक्यांश ‘लेखक के अधिकांश मित्र’ में संज्ञा पदबंध है।
प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘रचना के आधार पर वाक्य रूपांतरण’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए (1 × 4 = 4)
(क) ‘गरीबों का शोषण करने वाले गरीबों का दुःख क्या समझेंगे?’ प्रस्तुत वाक्य को मिश्र वाक्य में रूपांतरित कीजिए। (1)
(ख) ‘जब चोर को मौका मिला, तब वह भाग गया।’ प्रस्तुत वाक्य को संयुक्त वाक्य में परिवर्तित कीजिए। (1)
(ग) वह नलकूप बिजली से चलता है।’ प्रस्तुत वाक्य को मिश्र वाक्य में रूपांतरित कीजिए। (1)
(घ) ‘हमें जो प्रलोभन देते हैं उनसे हमें हमेशा सावधान रहना चाहिए। प्रस्तुत वाक्य को सरल वाक्य में रूपांतरित कीजिए। (1)
(ङ) शेर को देखकर सब बच्चे डरकर भाग गए। प्रस्तुत वाक्य को संयुक्त वाक्य में रूपांतरित कीजिए। (1)
उत्तर:
(क) जो गरीबों का शोषण करते हैं, वे गरीबों का दुःख क्या समझेंगे?
(ख) चोर को मौका मिला और वह भाग गया।
(ग) ‘वह जो नलकूप है, वह बिजली से चलता है।’
(घ) हमें प्रलोभन देने वालों से हमेशा सावधान रहना चाहिए।
(ङ) शेर दिखाई दिया इसलिए सब बच्चे डरकर भाग गए।
प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘समास’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए (1 × 4 = 4)
(क) ‘गिरहकट’ शब्द में कौन-सा समास है? इसका समास विग्रह लिखिए। (1)
(ख) त्रिभुवन’ पद में कौन-सा समास प्रयुक्त है? (1)
(ग) युधिष्ठिर’ समस्त पद का विग्रह क्या होगा तथा इसमें कौन-सा समास है? (1)
(घ) कर्मधारय समास का एक उदाहरण लिखिए। (1)
(ङ) ‘सिंह रूपी नर’ का समस्त पद तथा समास बताइए। (1)
उत्तर:
(क) ‘गिरहकट’ शब्द में तत्पुरुष समास है। इसका समास-विग्रह ‘गिरह को काटने वाला है।’
(ख) ‘त्रिभुवन’ पद में द्विगु समास प्रयुक्त है।
(ग) युधिष्ठिर का समास विग्रह ‘युद्ध में स्थिर होगा तथा इसमें तत्पुरुष समास है।
(घ) ‘महादेव’ शब्द कर्मधारय समास का उदाहरण है । इस शब्द का समास विग्रह ‘महान है जो देव’ है।
(ङ) ‘सिंह रूपी नर’ का समस्त पद ‘नरसिंह’ है। इसमें कर्मधारय समास है।
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प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘मुहावरे’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए (1 × 4 = 4)
(क) ‘कोई असर न होना’ अर्थ के लिए एक उपर्युक्त मुहावरा बताइए। (1)
(ख) ‘शादी की तैयारियाँ पूरे जोर-शोर से चल रही थीं, लेकिन बारिश ने आकर सारे कार्यक्रम में रंग में भंग डाल दिया।’ पंक्ति में से मुहावरा चुनकर वाक्य में प्रयोग कीजिए। (1)
(ग) सही मुहावरे का प्रयोग करके वाक्य को पूरा कीजिए। (1)
अयोध्या के चारों ओर ऐसी व्यवस्था की गई है कि परिंदा ________________ सके।
(घ) तुम हमेशा रमेश से लड़ने को तैयार रहते हो। (1)
उपर्युक्त वाक्य में रेखांकित अंश के लिए उपयुक्त मुहावरा बताइए।
(ङ) ‘गाढ़ी कमाई’ मुहावरे का अर्थ बताकर वाक्य में प्रयोग कीजिए। (1)
उत्तर:
(क) ‘कोई असर न होना’ अर्थ के लिए एक उपर्युक्त मुहावरा है कान पर जूँ न रेंगना।
(ख) मुहावरा ‘रंग में भंग डालना’ जिसका अर्थ- ‘आनंद या उल्लास में बाधा डालना।
वाक्य प्रयोग होली जैसे पवित्र त्योहार में कुछ लोग शराब पीकर रंग में भंग डालते हैं।
(ग) अयोध्या के चारों ओर ऐसी व्यवस्था की गई है कि परिंदा भी पर न मार सके।
(घ) उपर्युक्त वाक्य में रेखांकित अंश ‘लड़ने को तैयार’ के लिए उपयुक्त मुहावरा तलवार खींचना है।
(ङ) ‘गाढ़ी कमाई’ मुहावरे का अर्थ है— मेहनत से की गई कमाई
वाक्य प्रयोग – नरेन अपने पिताजी की गाढ़ी कमाई को जुए में बरबाद कर रहा है।
खंड ‘ग’ (पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक) (20 अंक)
इस खंड में पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिए (1 × 5 = 5)
बाहर बेढब सा एक मिट्टी का बरतन था। उसमें पानी भरा हुआ था। हमने अपने हाथ-पाँव उस पानी से धोए। तौलिए से पोंछे और अंदर गए। अंदर ‘चाजीन’ बैठा था। हमें देखकर वह खड़ा हुआ। कमर झुकाकर उसने हमें प्रणाम किया। दो…झो… (आइए, तशरीफ लाइए) कहकर स्वागत किया। बैठने की जगह हमें दिखाई। अँगीठी सुलगाई। उस पर चायदानी रखी। बगल के कमरे में जाकर कुछ बरतन ले आया। तौलिए से बरतन साफ किए। सभी क्रियाएँ इतनी गरिमापूर्ण ढंग से कीं, कि उसकी हर भंगिमा से लगता था मानो जयजयवंती के सुर गूँज रहे हों। वहाँ का वातावरण इतना शांत था कि चायदानी के पानी का खदबदाना भी सुनाई दे रहा था।
(क) चाजीन ने कौन-सी क्रिया गरिमापूर्ण ढंग से की? (1)
(i) अतिथियों का स्वागत
(ii) अँगीठी सुलगाना
(iii) चाय के बर्तन लाना
(iv) ये सभी
उत्तर:
(iv) ये सभी
चाजीन ने सभी क्रियाएँ गरिमापूर्ण ढंग से की। पहले उसने अतिथियों का स्वागत किया, फिर अँगीठी सुलगाई तथा चाय बनाने के लिए चाय के बर्तन लाया।
(ख) पर्णकुटी के बाहर मिट्टी का बर्तन रखने का क्या उद्देश्य था? (1)
(i) चाय के बर्तन धोए जाने के लिए
(ii) प्रत्येक व्यक्ति पानी से हाथ-मुँह धोकर कुटिया के अंदर प्रवेश करे
(iii) किसी को भी पानी की कमी न हो
(iv) पानी का महत्त्व बताने के लिए
उत्तर:
(ii) प्रत्येक व्यक्ति पानी से हाथ-मुँह धोकर कुटिया के अंदर प्रवेश करे।
पर्णकुटी के बाहर मिट्टी के बर्तन में पानी रखने का उद्देश्य था कि जो भी आगंतुक आए, वह हाथ-मुँह धोकर कुटिया के अंदर प्रवेश करे।
(ग) चाजीन ने लेखक का स्वागत गरिमापूर्ण ढंग से किस प्रकार किया? (1)
(i) खड़े होकर
(ii) झुककर प्रणाम करके
(iii) ‘दो झो’ कहकर
(iv) ये सभी
उत्तर:
(iv) ये सभी।
लेखक को देखकर चाजीन उठ खड़ा हुआ तथा झुककर प्रणाम करते हुए अपनी भाषा में ‘दो-झो’ कहकर लेखक का स्वागत किया।
(घ) “उसकी हर भंगिमा से लगता था मानो जयजयवंती के सुर गूँज रहे हों” पंक्ति में ‘उसकी’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है? (1)
(i) लेखक के मित्र
(ii) स्वयं लेखक
(iii) चाजीन
(iv) वहाँ उपस्थित अन्य व्यक्ति
उत्तर:
(iii) चाजीन
“उसकी हर भंगिमा से लगता था मानो जयजयवंती के सुर गूंज रहे हो” पक्ति में ‘उसकी’ शब्द चाजीन के लिए प्रयुक्त हुआ है।
(ङ) कथन (A): चाजीन ने सभी क्रियाएँ गरिमापूर्ण ढंग से की थीं। (1)
कारण (R): यह जापानियों के झेन परंपरा की देन है।
(i) कथन (A) तथा कारण (R) दोनों गलत हैं।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
उत्तर:
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
जब शाम को लेखक के मित्र उसे ‘टी सेरेमनी’ में ले गए, तो वहाँ पर चाजीन ने सभी क्रियाएँ अत्यंत गरिमापूर्ण ढंग से कीं, क्योंकि यह उनकी झेन परंपरा की देन है, जिसमें शांति मुख्य बात होती है।
प्रश्न 8.
गद्य खंड पर आधारित निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए (2 × 3 = 6)
(क) हम सभी का कोई न कोई अच्छा व सच्चा मित्र होता है तथा हमें निःस्वार्थ भाव से मित्र की सहायता व मित्रता का पालन करना चाहिए। ‘तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र पाठ के आधार पर बताइए कि राज कपूर ने अपने मित्र शैलेंद्र की फ़िल्म निर्माण में किस प्रकार सहायता की? (2)
उत्तर:
राज कपूर एक प्रतिभाशाली अभिनेता और निर्माता निर्देशक थे, वे जानते थे कि शैलेंद्र एक कवि का हृदय रखते हैं, वे फ़िल्म निर्माता के रूप में मसालेदार फ़िल्में नहीं बना सकते, जो बाज़ार में बिकती हैं। सच्चा मित्र होने के कारण उन्होंने न केवल शैलेंद्र की पहली फ़िल्म में काम करने की हामी भर दी, अपितु पारिश्रमिक रूप में केवल एक रुपया लेकर शैलेंद्र के आर्थिक बोझ को काफ़ी हद तक कम करने की भी कोशिश की, क्योंकि वे जानते थे इस फ़िल्म को बनाकर शैलेंद्र को कोई आर्थिक लाभ नहीं होने वाला है, इस प्रकार उन्होंने शैलेंद्र की फ़िल्म निर्माण में सहायता की।
(ख) वर्तमान समय में प्राणी मात्र से प्रेम करने वाले व्यक्ति अत्यंत सीमित हो गए हैं। मनुष्य को पशु-पक्षियों से तो दूर मनुष्यों से भी प्रेम नहीं रह गया है, परंतु सुलेमान सहृदय बादशाह थे। ‘अब कहाँ दूसरे के दुःख से दुःखी होने वाले पाठ के आधार पर सुलेमान के व्यक्तित्व की उन विशेषताओं को लिखिए, जो उसे अन्य प्राणियों से अलग करती थी। (2)
उत्तर:
‘अब कहाँ दूसरे के दुःख से दुःखी होने वाले’ पाठ के अनुसार सुलेमान में अनेक ऐसी विशेषताएँ थीं, जो उसे अन्य प्राणियों से अलग करती थीं ये हैं
- सुलेमान मानव जाति के साथ-साथ पशु-पक्षियों के भी राजा थे।
- वह सबकी भाषाओं के ज्ञाता थे।
- वे सभी जीवों से प्रेम करते थे और उनकी रक्षा के लिए प्रयत्नशील रहते थे।
- वे मानवीय गुणों में अत्यधिक विश्वास करते थे।
- वे अत्यंत दयालु प्रकृति के थे।
(ग) वजीर अली के जीवन का एक ही लक्ष्य था अंग्रेज़ों को देश से बाहर निकालना। इस दिशा में वज़ीर अली द्वारा किए गए प्रयासों को अपने शब्दों में लिखिए। (2)
उत्तर:
‘कारतूस’ पाठ के अनुसार, वज़ीर अली अंग्रेजों को इस देश से बाहर करना चाहते थे। उनका उद्देश्य भारत की भूमि को अंग्रेजो से मुक्त कराना था। उन्होंने अपनी पाँच महीने की हुकूमत में ही अवध के दरबार को ब्रिटिश प्रभाव से लगभग मुक्त कर दिया। वह अफगानिस्तान के बादशाह को हिंदुस्तान के ब्रिटिश शासकों पर आक्रमण करने का निमंत्रण देते हैं। उन्होंने अपनी कंपनी के वकील की भी हत्या कर दी थी। इस प्रकार वज़ीर अली ने अंग्रेज़ों को देश से बाहर निकालने के लिए अनेक प्रयास किए।
(घ) तताँरा व वामीरो छिप छिपकर कहाँ मिलते थे और दोनों का संबंध संभव क्यों नहीं था? (2)
उत्तर:
तताँरा व वामीरो छिप छिपकर समुद्र के किनारे प्रतिदिन मिलते थे, क्योंकि वे एक-दूसरे से अत्यन्त प्रेम करते थे और समाज उनके इस प्रेम को स्वीकार नहीं करता था, वे इसका विरोध करते थे। वामीरो लपाती ग्राम की थी और तताँरा पासा का। दोनों का संबंध संभव नहीं था, क्योंकि रीति के अनुसार दोनों का एक ही गाँव का होना आवश्यक था।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित पठित काव्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए (1 × 5 = 5)
मोर मुगट पीतांबर सौहे, गल वैजंती माला।
बिंदरावन में धेनु चरावे, मोहन मुरली वाला।
ऊँचा-ऊँचा महल बणावं बिच बिच राखूं बारी।
साँवरिया रा दरसण पास्यूँ, पहर कुसुंबी साड़ी।
आधी रात प्रभु दरसण दीज्यो जमनाजी रे तीरां।
मीराँ रा प्रभु गिरधर नागर, हिवड़ो घणो अधीराँ।।
(क) श्रीकृष्ण ने गले में कौन-सी माला पहनी हुई है? (1)
(i) मोतियों की माला
(ii) फूलों की माला
(iii) सोने का हार
(iv) वैजंती माला
उत्तर:
(iv) वैजंती माला
श्रीकृष्ण ने गले में फूलों की वैजंती माला पहनी हुई है। यह माला उन पर बहुत सुंदर लग रही हैं तथा उनकी शोभा को और अधिक बढ़ा रही है।
(ख) प्रस्तुत पद्यांश में ________________ वर्णन किया गया है। (1)
(i) मीरा का
(ii) रूप सौंदर्य का
(iii) वेदना का
(iv) पीड़ा का
उत्तर:
(ii) रूप सौंदर्य का
प्रस्तुत काव्यांश में श्रीकृष्ण के रूप सौंदर्य का वर्णन किया गया है।
(ग) श्रीकृष्ण के महल के बीच में कवयित्री क्या बनवाना चाहती है? (1)
(i) स्वयं के लिए घर
(ii) सुंदर फूलों से सजी फुलवारी
(iii) भव्य मंदिर
(iv) गाय के लिए गौशाला
उत्तर:
(ii) सुंदर फूलों से सजी फुलवारी
कवयित्री मीरा श्रीकृष्ण के महल के बीच में सुंदर फूलों से सजी फुलवारी बनवाना चाहती है, ताकि जब श्रीकृष्ण उस फुलवारी में घूमने आएँ, तो वह उनके दर्शन कर सके।
(घ) पद्यांश के आधार पर बताइए कि मीरा श्रीकृष्ण से क्या निवेदन कर रही है? (1)
(i) उसके दुःख हरने का
(ii) भक्तों पर कृपा बनाए रखने का
(iii) आधी रात में मिलने आने का
(iv) स्वयं के लिए महल बनवाने का
उत्तर:
(iii) आधी रात में मिलने आने का
मीरा, श्रीकृष्ण से निवेदन करती है कि हे प्रभु! तुम आधी रात को यमुना नदी के किनारे अपने दर्शन देने के लिए अवश्य आना, क्योंकि मेरा मन तुम्हारे दर्शन के लिए अत्यंत व्याकुल हो रहा है।
(ङ) कथन (A): मीराबाई ने आधी रात को यमुना के किनारे श्रीकृष्ण के दर्शन की प्रार्थना की है। (1)
कारण (R): मीराबाई का हृदय श्रीकृष्ण के प्रेम में बेचैन है।
कूट
(i) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं करता है।
उत्तर:
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या करता है।
प्रस्तुत काव्यांश में मीराबाई ने श्रीकृष्ण से आधी रात को यमुना किनारे दर्शन की प्रार्थना की है, क्योंकि उनके हृदय में श्रीकृष्ण के प्रति असीम प्रेम और दर्शन की तीव्र लालसा है। उनके प्रेम और भक्ति की गहराई के कारण ही वे इतनी बेचैन हैं और इस बेचैनी ने उन्हें श्रीकृष्ण से इस प्रकार की विशेष प्रार्थना करने के लिए प्रेरित किया है।
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प्रश्न 10.
काव्य खंड पर आधारित निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में दीजिए (2 × 3 = 6)
(क) मनुष्य को किस बात का अभिमान नहीं करना चाहिए? ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
मनुष्य को कभी भी धन-संपत्ति का अभिमान नहीं करना चाहिए, क्योंकि धन-संपत्ति तो तुच्छ वस्तु है। स्वयं को धन का स्वामी समझकर अभिमान करना व्यर्थ है। मनुष्य को सदैव यह याद रखना चाहिए कि इस संसार में कोई भी अनाथ नहीं है, ईश्वर सबके साथ है। ईश्वर अत्यंत दयालु और गरीबों का बंधु होता है। वह सदैव सबकी सहायता करता है।
(ख) एक सैनिक का अपने देश या राष्ट्र के लिए परम कर्त्तव्य क्या माना गया है? ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर:
(ख) किसी भी सैनिक का अपने देश या राष्ट्र के लिए बलिदान देना परम धर्म एवं कर्त्तव्य माना जाता है। इसी धर्म और कर्त्तव्य का पालन करते हुए एक सैनिक राष्ट्रहित में अपना बलिदान देते समय दुःखी नहीं होता, बल्कि गर्व का अनुभव करता है। वह अपनी भारत माता की रक्षा एवं सेवा के लिए सदैव तत्पर रहता है। वह अपने कर्त्तव्यों का पालन ईमानदारी के साथ करता है।
(ग) ‘तोप’ कविता से मनुष्य को क्या सीख लेनी चाहिए? वर्तमान समय के आधार पर बताइए। (2)
उत्तर:
वर्तमान समय में ‘तोप’ कविता से हमे सीख लेनी चाहिए कि मनुष्य की एकता व लक्ष्य के प्रति जागरूकता ही अंत में उसे विजय दिलाती है और अन्यायी को पराजय। अत्याचारी चाहे कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, एक दिन उसका अंत अवश्य होता है। हमें प्रलोभन देने वाले से हमेशा सावधान रहना चाहिए, क्योंकि जो बाहर से दिखाई देता है, वह अंदर से कुछ और ही होता है। कोई भी शस्त्र कितना भी विनाशकारी क्यों न हो, उससे न्याय के लिए होने वाले संघर्ष को लंबे समय तक रोक नहीं सकते।
(घ) कबीर के अनुसार, मनुष्य को अहंकार व कटु वचन त्यागकर कैसे वचन बोलने चाहिए और क्यों? (2)
उत्तर:
कबीर के अनुसार, मनुष्य को अहंकार व कटु वचन त्यागकर मीठे वचन बोलने चाहिए, क्योंकि इससे मन के साथ-साथ तन को भी शीतलता प्राप्त होती है अर्थात् मन प्रसन्न होता है तथा सुनने वाले को भी सुख मिलता है। अतः हमें सदैव मीठे वचन बोलने चाहिए।
प्रश्न 11.
पूरक पाठ्यपुस्तक ‘संचयन’ पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 40-50 शब्दों में दीजिए (3 × 2 = 6)
(क) “पहले तो अपनी पत्नियों पर वे खूब बरसे, फिर एक जगह बैठकर चिंतामग्न हो गए।” इस कथन के संदर्भ में हरिहर काका द्वारा घर छोड़ने पर उनके भाइयों की प्रतिक्रिया और हरिहर काका की घर वापसी का वर्णन ‘हरिहर काका’ पाठ के आधार पर कीजिए। (3)
उत्तर:
हरिहर काका जब घर छोड़कर गए, तो उनके भाइयों को इस बात का पता नहीं था। जब वे लोग खलिहान से लौटे, तब उन्हें सारी बातें पता चलीं। उन्हें लगा कि यदि हरिहर काका ठाकुरबारी के महंतों की बातों में आ गए, तो उनके हाथ से अपने भाई की संपत्ति चली जाएगी। भाइयों ने अपनी-अपनी पत्नियों को इस बात के लिए बहुत बुरा-भला कहा कि उन्हीं के कारण उनके बड़े भाई घर छोड़कर चले गए हैं। इसके पश्चात् वे लोग ठाकुरबारी गए और अपने भाई से वापस चलने की विनती की। हरिहर काका वापस घर जाने को बड़ी मुश्किल से तैयार हुए।
(ख) “परंतु हेडमास्टर शर्मा जी उसके बिल्कुल विपरीत स्वभाव के थे।” “सपनों के-से दिन’ पाठ के आधार पर हेडमास्टर शर्मा जी के शिक्षण सिद्धांतों को स्पष्ट करें। (3)
उत्तर:
हेडमास्टर मदनमोहन शर्मा जी शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के अंतर्गत विद्यार्थियों की गलतियाँ होने पर भी कठोर दंड देने के बिलकुल भी पक्षधर नहीं थे। हेडमास्टर शर्मा जी का विद्यार्थियों को सज़ा न देने का सिद्धांत शिक्षक-शिक्षार्थी के संबंधों को दृढ़ता प्रदान करने के लिए अति आवश्यक है। उनका मानना था कि विद्यार्थी विद्यालय में विद्यार्जन के लिए जाता है, यदि उन्हें वहाँ अध्यापकों द्वारा दंडित किया जाएगा, तो वह शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में भी बाधक बनकर सामने आएगा।
(ग) मुन्नी बाबू टोपी का भाई था। जब माँ द्वारा टोपी की पिटाई की जा रही थी, तो वह कुछ नहीं बोला और यह नजारा चुपचाप देखता रहा। टोपी ने मुन्नी बाबू के बारे में कौन-सा रहस्य छिपाकर रखा था और क्यों? विस्तार से समझाइए। (3)
उत्तर:
मुन्नी बाबू टोपी का बड़ा भाई था। वह कबाब खाता था तथा सिगरेट पीता था। एक दिन जब टोपी की माँ उसकी पिटाई कर रही थीं, तो मुन्नी बाबू ने टोपी की झूठी शिकायत की कि वह कबाब खाता है, जबकि टोपी ने कभी कबाब नहीं खाया था। वास्तविकता यह थी कि टोपी ने मुन्नी बाबू को कबाब खाते देख लिया था और मुन्नी बाबू ने उसे एक इकन्नी रिश्वत दी थी। टोपी ने यह रहस्य छुपाकर रखा था। इफ़्फ़न के सिवा उसने घर में भी किसी को नहीं बताया था, क्योंकि वह चुगलखोर नहीं था। टोपी चाहता तो घर में माँ को और घर के अन्य सदस्यों को मुन्नी बाबू की कबाब खाने वाली बात बता सकता था, पर उसने ऐसा नहीं किया।
खंड ‘घ’ (रचनात्मक लेखन) (22 अंक)
इस खंड में रचनात्मक लेखन पर आधारित प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर लगभग 120 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए (5)
(क) विज्ञान हमारे जीवन का आधार
संकेत बिंदु
- प्रस्तावना
- विज्ञान का जीवन में स्थान
- विज्ञान के लाभ व हानि
- सही दिशा में उपयोग
उत्तर:
विज्ञान हमारे जीवन का आधार
वर्तमान युग को विज्ञान का युग कहा जाता है। विज्ञान का प्रभाव हमारे पूरे जीवन पर देखा जा सकता है। प्राचीनकाल में जिन बातों को असंभव समझा जाता था, विज्ञान ने उन्हें संभव करके सबको आश्चर्यचकित कर दिया है। हमारे जीवन में विज्ञान का महत्त्वपूर्ण स्थान है। आज विज्ञान ने जीवन को सरल सुगम बनाने में पर्याप्त योगदान दिया है। विज्ञान के क्षेत्र में अत्यधिक प्रगति के कारण मनुष्य को लगने लगा है कि उसने प्रकृति पर विजय प्राप्त कर ली है। मनुष्य ने धरती तो क्या, आसमान पर भी अपनी सफलता के झंडे गाड़ दिए हैं। विज्ञान की सहायता से बस गाड़ी, वायुयान आदि ने स्थान की दूरी को कम कर दिया है। टेलीफ़ोन एवं इंटरनेट द्वारा हम संपूर्ण विश्व से जुड़ गए हैं।
हम अपने दैनिक जीवन में वैज्ञानिक संसाधनों का प्रयोग कर समय की बचत कर रहे हैं। विज्ञान मानवता के लिए वरदान है, लेकिन इसका दुरुपयोग इसे अभिशाप बना देता है। नए-नए वैज्ञानिक हथियारों द्वारा मनुष्य मानवता को कुचलने के लिए उत्सुक हो गया है। यदि हम विज्ञान से मानव कल्याण के कार्य करें, तो वह वरदान प्रतीत होता है और यदि उसी से विनाश करना शुरू कर देंगे, तो वह अभिशाप लगने लगता है। अतः हम विज्ञान का सही दिशा में उपयोग करके अपने जीवन को सफल और सरल बना सकते हैं। इसका दुरुपयोग हमें अवनति की ओर ले जाएगा।
(ख) निर्धनता
संकेत बिंदु
- निर्धनता एक अभिशाप
- निर्धनता के कारण
- निर्धनता का दुष्परिणाम
- निर्धनता को दूर करने के उपाय
उत्तर:
निर्धनता
गरीबी अथवा निर्धनता उस स्थिति को कहा जाता है, जिसमें व्यक्ति अपने जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति कर पाने में असमर्थ रहता है। गरीबी किसी भी देश के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। हमारे देश में निर्धनता के अनेक कारण हैं। जनसंख्या में तेज़ी से हो रही वृद्धि इसका एक सबसे बड़ा कारण है। बढ़ती जनसंख्या से जीवन निर्वहन हेतु अधिक रोज़गार सृजन की आवश्यकता होती है, ऐसा न होने पर बेरोज़गारी में वृद्धि के फलस्वरूप निर्धनता की स्थिति में भी वृद्धि होती है। निर्धनता के अनेक दुष्परिणाम होते हैं।
निर्धनता के कारण भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो जाती है और मानसिक अशांति की स्थिति में लोगों के चोरी, डकैती, हिंसा व अपराध की ओर प्रवृत्त होने की पूरी संभावना रहती है। भारत में निर्धनता की समस्या को दूर करने हेतु विकास की गति को तेज़ करना एक मूलभूत उपाय है। विकास की गति में तेजी आने से रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे। बढ़ती जनसंख्या को रोकना, कृषि का विकास करना तथा वस्तुओं की कीमत में स्थिरता रखना निर्धनता की समस्या को दूर रखने के उत्तम उपाय हैं।
(ग) सत्संगति के लाभ
संकेत बिंदु
- सत्संगति का अर्थ
- सत्संगति का प्रभाव
- सत्संगति के लाभ
उत्तर:
सत्संगति के लाभ
सत्संगति का अर्थ है- अच्छी संगति मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं, इसलिए वह संगति की आशा करता है। बच्चों को अपने मित्रों का चयन बचपन से ही बहुत सोच-विचारकर करना चाहिए, क्योंकि वह जिस संगति में रहता है, उसी संगति का प्रभाव उस पर पड़ता है। यद्यपि मनुष्य विद्यालय से ज्ञान प्राप्त करता है, परंतु वह बहुत कुछ विद्वानों, गुरुजनों तथा अपने से बड़ों की संगति से भी प्राप्त करता है। मनुष्य चाहे बड़ा हो या छोटा, संगति से ही पहचाना जाता है। वह जिस संगति में रहता है, उसी की छाप उस पर पड़ती है।
एक अच्छा व्यक्ति भी कुसंगति में पड़कर बुरा बन जाता है। जन्म से कोई व्यक्ति न तो अच्छा होता है और न ही बुरा, बल्कि वह संगति में रहकर ही अच्छा या बुरा बनता है। सत्संगति से हमारा चरित्र अच्छा और पवित्र हो जाता है, हमारे बुरे कर्म हमसे हमेशा के लिए दूर हो जाते हैं। सत्संगति से अनेक लाभ हैं। इससे मनुष्य में धैर्य, साहस और विवेक आता है। कुसंगति का परिणाम बहुत बुरा होता है। यह पैरों में पड़ी उस बेड़ी के समान होती है, जो मनुष्य को दिनों-दिन पतन के रास्ते पर ले जाती है। अतः सत्संगति का मानव जीवन में बहुत अधिक महत्त्व है। सत्संगति पारस के समान है, जो जीवनरूपी लोहे को कंचन बना देती है। इसलिए मानव जीवन के सर्वांगीण विकास हेतु सत्संगति आवश्यक है।
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प्रश्न 13.
भारतीय कृषकों की समस्याओं का उल्लेख करते हुए राज्य के कृषि मंत्री को 100 शब्दों में पत्र लिखिए। (5)
अथवा
आप किसी पत्रिका के नियमित ग्राहक बनना चाहते हैं। पत्रिका के प्रकाशक से 100 शब्दों में पत्र लिखकर पूछिए कि पत्रिका का वार्षिक मूल्य क्या है और बताइए कि आपको वह पत्रिका क्यों पसंद है?
उत्तर:
परीक्षा भवन,
मोदीनगर गाजियाबाद,
उत्तर प्रदेश।
दिनांक 20 दिसंबर, 20XX
सेवा में,
श्रीमान कृषि राज्य मंत्री महोदय,
उत्तर प्रदेश सरकार,
लखनऊ,
उत्तर प्रदेश।
विषय किसानों की समस्याओं के समाधान हेतु आवेदन-पत्र।
मान्यवर,
आपको सूचित किया जाता है कि स्वतंत्रता के 70 वर्ष पश्चात् भी भारतीय किसान का जीवन अत्यंत दयनीय है। देश के अन्नदाता कहलाने वाले किसान के समक्ष अनेक समस्याएँ हैं, जिनका उसे आए दिन सामना करना पड़ता है। इसलिए किसान अपने बच्चों को किसान नहीं बनाना चाहता है, क्योंकि किसान को उसकी फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल पाता। व्यापारी सस्ती दरों पर किसानों से खाद्यान्न, फल तथा सब्जियाँ आदि खरीदकर स्वयं अत्यधिक लाभ कमाते हैं। कृषि उपकरणों का अभाव, मानसून की पर्याप्त जानकारी का अभाव, महँगे बीज तथा खाद, मौसम की मार, पर्याप्त कीटनाशकों का अभाव आदि अनेक समस्याओं से ग्रस्त भारतीय किसान आए दिन आत्महत्या करने को विवश हैं। अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि आप सभी भारतीय किसानों की उपर्युक्त समस्याओं के समाधान के लिए कठोर तथा उपयुक्त कदम उठाएँ तथा विभिन्न कृषि नीतियों का उचित क्रियान्वयन कर भारतीय किसानों के जीवन को समाप्त होने से बचाने का प्रयास करें। आपकी अति कृपा होगी।
सधन्यवाद।
भवदीय
क.ख.ग.
अथवा
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक 4 मार्च, 20XX
सेवा में,
प्रकाशक महोदय,
साहित्य अकादमी,
नई दिल्ली।
विषय साहित्यिक पत्रिका का नियमित ग्राहक बनने हेतु।
महोदय,
मैं आपकी मासिक पत्रिका का नियमित पाठक हूँ, क्योंकि मैं हिंदी साहित्य का विद्यार्थी हूँ, साहित्य से मेरा गहरा संबंध है। वर्तमान समय में, मैं उपलब्धता के आधार पर पड़ोस में स्थित पुस्तक केंद्र से यह पत्रिका लेता रहता हूँ, परंतु सभी अंक नहीं पढ़ पाता हूँ। अपने नियमित अध्ययन हेतु अब मैंने आपकी पत्रिका का पूर्णकालिक सदस्य बनने का निश्चय किया है। अतः आपसे अनुरोध है कि वार्षिक ग्राहक बनने की पूरी प्रक्रिया बताने का कष्ट करें और साथ ही डाक खर्च एवं अन्य शुल्क की जानकारी भी दें, ताकि मैं पूर्ण शुल्क का भुगतान कर सकूँ। आपसे पुनः निवेदन है कि सभी औपचारिकताओं के उपरांत मेरी पत्रिका निम्न पते पर पहुँचाने का कष्ट करें।
सधन्यवाद।
भवदीय
क.ख.ग.
प्रश्न 14.
आप डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल, द्वारका, नई दिल्ली की छात्रा सीमा सहाय हैं। ‘पर्यावरण बचाओ’ नामक गैर सरकारी संगठन की महासचिव होने के नाते इस संगठन में शामिल होने के लिए विद्यार्थियों से अपील करते हुए 60 शब्दों में सूचना लिखिए।
अथवा
आप सर्वोदय कन्या विद्यालय की प्रधानाचार्या अंशु शर्मा हैं। आपके विद्यालय में हो रही कविता प्रतियोगिता में अन्य विद्यालय के छात्रों के आमंत्रण हेतु 60 शब्दों में एक सूचना लिखिए। (4)
उत्तर:
डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल, द्वारका, नई दिल्ली
सूचना
दिनांक 11 अप्रैल, 20XX
‘पर्यावरण बचाओ’ संगठन की सदस्यता हेतु अपील
सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि ‘पर्यावरण बचाओ’ नामक गैर सरकारी संगठन अपने सदस्यों की संख्या बढ़ाकर इसे एक आंदोलन का रूप देना चाहता है। अतः अपने लिए व आने वाली पीढ़ी के लिए पर्यावरण का संरक्षण करना प्रत्येक विद्यार्थी और नागरिक का कर्त्तव्य है। पर्यावरण के प्रति संवेदनशील एवं सचेत विद्यार्थियों से अनुरोध है कि वे अधिक-से-अधिक संख्या में इस संगठन की सदस्यता ग्रहण करें तथा सदस्यता ग्रहण करके पर्यावरण को बचाने में अपना अमूल्य योगदान देकर इसकी रक्षा करें।
सीमा सहाय
‘पर्यावरण बचाओ’ संगठन
(महासचिव)
अथवा
सर्वोदय कन्या विद्यालय, दिल्ली
सूचना
दिनांक 2 जुलाई, 20XX
विद्यालय में कविता प्रतियोगिता हेतु
सभी विद्यालयों को सूचित किया जाता है कि सर्वोदय कन्या विद्यालय, दिल्ली में कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। कविता का विषय विद्यार्थी अपनी रुचि के अनुसार चुन सकता है तथा कविता वाचन करते समय कोई सहायक सामग्री नहीं होगी। एक विद्यालय से केवल दो ही प्रतियोगियों का नामांकन स्वीकार किया जाएगा। इच्छुक विद्यार्थी कार्यक्रम में भाग लेने हेतु संपर्क करें।
कविता का विषय : सामाजिक विषय
दिनांक : 20 जुलाई, 20XX
समय प्रात: 10:00 से दोपहर 12:00
अंशु शर्मा (प्रधानाचार्या)
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प्रश्न 15.
किसी राज्य के पर्यटन विभाग की ओर से राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (3)
अथवा
आप किसी स्वयंसेवी संस्था के सदस्य हैं। आपकी संस्था रक्तदान शिविर का आयोजन कर रही है। लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करने हेतु लगभग 40 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तर:

अथवा

प्रश्न 16.
‘बीता हुआ समय हाथ नहीं आता है’ पंक्ति को आधार बनाकर लगभग 100 शब्दों में एक लघुकथा लिखिए। (5)
अथवा
आप महेश नगर, जयपुर निवासी नमन हैं। सफ़ाई की महत्ता को ध्यान में रखते हुए नगर निगम अधिकारी को आपकी कॉलोनी में सफ़ाई करवाने हेतु लगभग 80 शब्दों में ई-मेल लिखिए।
उत्तर:
उक्ति का अर्थ ‘बीता हुआ समय हाथ नहीं आता’ उक्ति का अर्थ यह है कि जो समय बीत गया, वह पुन: लौटकर नहीं आता है। समय निरंतर परिवर्तनशील रहता है। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए नितांत आवश्यक है कि समय की कद्र करें। समय को पहचानने से अभिप्राय सिर्फ़ यांत्रिक समय की गति को ही पहचानने से नहीं है, बल्कि समय की तात्कालिक आवश्यकता को समझने से है। अतः समय का प्रत्येक क्षण बहुत मूल्यवान होता है।
लघुकथा एक धनी जमींदार था। वह दिन-रात धन कमाने की योजनाएँ बनाता रहता था। उसने अपनी तिजोरी में बहुत सारा धन इकट्ठा कर रखा था। वह किसानों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनकी संपत्ति जब्त करने का कोई भी अवसर नहीं छोड़ता था। इस प्रकार उसकी तिजोरी में बहुत सारा धन, कीमती आभूषण, महत्त्वपूर्ण कागज इत्यादि रखे हुए थे। उस गाँव में चोरी की घटनाएँ भी प्रतिदिन बढ़ती जा रही थीं। चोरी की घटनाओं को देखते हुए जमींदार के शुभचिंतक ने उससे सारा धन, आभूषण इत्यादि बैंक में जमा करने के लिए कहा, ताकि सभी वस्तुएँ सुरक्षित रहें। जमींदार भी चोरी की घटनाओं की वजह से काफी चिंतित रहता था। उसने सोचा कि कल सवेरा होते ही वह समस्त जमा पूँजी को बैंक में रख आएगा, किंतु अगले दिन वह पुनः धन कमाने में ही व्यस्त रहा। इस प्रकार वह रोज बैंक का कार्य टालता रहा। एक दिन उसके घर पर चोर घुस आए और वे उसकी समस्त जमा पूँजी को लूटकर ले गए। जब सुबह-सुबह ज़मींदार को चोरी की घटना के विषय में पता चला, तब वह बहुत पछताया और उसने कहा कि यदि वह समय रहते धन, आभूषण इत्यादि को बैंक में रख आता, तो आज उसे यह दिन न देखना पड़ता।
सीख प्रस्तुत कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि आवश्यक कार्यों को उपयुक्त समय पर ही निपटा लेना चाहिए अर्थात् कल पर नहीं टालना चाहिए अन्यथा बाद में स्वयं को ही हानि उठानी पड़ती है।
अथवा
From : naveen@yahoo.com
To : MCD@gmail.com
CC : abc@gmail.com
BCC : –
विषय कॉलोनी की सफाई व्यवस्था की ओर ध्यान आकर्षित करने हेतु।
महोदय,
सादर निवेदन है कि हमारी कॉलोनी महेश नगर में जगह-जगह कचरे के ढेर हैं तथा चारों ओर गंदगी फैली हुई है, इसके कारण लोगों को दुर्गंध और मच्छरों की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। बरसात के कारण स्थिति और भी गंभीर हो गई है। स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होने की आशंका है। अतः आपसे निवेदन है कि कर्मचारियों को भेजकर हमारी कॉलोनी में सफाई करवाने की व्यवस्था करें, ताकि यहाँ के नागरिक साफ-सुथरी व स्वस्थ जिंदगी जी सकें।
धन्यवाद।
भवदीय
नमन
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